Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-19-2019, 01:24 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
शाम तक सुनील भी आ गया और सीधा अपनी दोनो बहनों के पास चला गया...घंटा भर दोनो से पढ़ाई के मामले में बात करता रहा और फिर अपने कमरे में चला गया ...और पढ़ने बैठ गया...उसके भी अगले महीने एग्ज़ॅम्स थे.

सवी छटपटा रही थी कि सुनील के साथ कुछ वक़्त तो अकेले में मिले...जो नसीब नही हो रहा था.


सुनील अपने कमरे में आ के बैठा ही था कि एक कोरियरवाला आया…दो कोरियर थे एक सुमन के नाम और एक सोनल के नाम.

सोनल को हॉस्पिटल ने उसी कान्फरेन्स के लिए जाने का ऑर्डर किया था जो दुबारा हो रही थी और सोनल पहले बहाना बना बीच में छोड़ आई थी ….साथ में सोनल की रिटर्न टिकेट और होटेल का वाउचर था….होटेल वही बुक हुआ था जहाँ कान्फरेन्स हो रही थी….सुमन के करियर में उसी कान्फरेन्स के लिए इन्विटेशन था कुछ प्रेज़ेंटेशन्स करने के लिए जिसमे सुमन को महारत हासिल थी.

अब दोनो के सामने ये सवाल खड़ा था कि जाना तो पड़ेगा ही पीछे सवी पे कैसे नज़र रखी जाए.. सोनल तो कॅन्सल नही कर सकती थी…पर सुमन कॅन्सल कर सकती थी….दोनो ने सुनील से डिसकस किया तो सुनील ने सुमन को कॅन्सल करने से मना कर दिया.

सोनल और सुमन की बीच अकेले बात हुई तो सोनल ने सुमन को परेशान ना होने को कहा …चाहे कुछ भी हो जाए उसे सुनील पे पूरा भरोसा था…..वो उन्दोनो को कभी दगा नही देगा.

दोनो अपनी पॅकिंग करने लगी…..सुनील अपनी पढ़ाई में लगा रहा…..रात का खाना सवी ने तयार किया …..जब उसे ये खबर मिली कि दोनो जा रही हैं…वो बहुत खुश हुई पर अपनी खुशी जाहिर नही होने दी……….

दोनो नही जानती थी ..कि पिच्चे क्या बवाल होनेवाला था…वो तो अपने विश्वास पे कायम थी. रात को सवी ने कोई उल्टी सीधी हरकत नही करी ..क्यूंकी उसे आगे मैदान खाली दिख रहा था. लेकिन मिनी ने अपने तीर चलाने बंद नही किए थे.

डिन्नर टेबल पे मिनी कुछ ऐसा नाइट सूट पहन के आई ...अंदर ब्रा नही पहनी थी ..पूरा क्लीवेज दिख रहा था और कपड़ा इतना महीन था कि उरोज़ सॉफ सॉफ दिख रहे थे....

सुनील ने उसकी तरफ ध्यान ही नही दिया ….मिनी चोर नज़रों से उसे देखती रही जैसे कह रही हो…कब तक बचोगे जानेमन देखो तुम्हारी भाभी क्या क्या गुल खिलाती है…ना तुम्हें अपने हुस्न का दीवाना बनाया तो मेरा भी नाम मिनी नही.

सोनल खाते हुए सोच रही थी कि 4 दिन के लिए जाना है…वो तो सुनील को प्यार नही कर सकती और दोनो को देख उसकी हालत खराब हो जाती है ……उसने आज अलग सोने का फ़ैसला कर लिया ….ताकि सुमन आज सुनील की रात रंगीन कर सके ….वो वापस आ कर सारी कसर पूरी कर लेगी.

खाने के बाद सोनल सूमी से बात कर अपने कमरे में चली गयी और सुमन सुनील के पास अपने कमरे में….मिनी रमण के पास जा के लेट गयी और उसके लंड से खेलने लगी….कुछ देर तक उसके लंड को सहलाती रही फिर चूस के उसका सारा माल पी गयी.

मिनी….रमण एक बात कहूँ बुरा तो नही मनोगे

रमण…नही बोलो क्या कहना है…

मिनी……मुझे सुनील का घमंड तोड़ना है …..बहुत उड़ता है मर्यादा की दीवार के पीछे …वो सारी दीवारें मुझे तोड़नी है….एक भी दिन उसने मेरी तारीफ नही करी …ऐसी भी क्या बेरूख़ी…

रमण …..हँसने लगा ….तुम…तुम सुनील को तोडोगी……हा हा हा हा….तुम…..हा हा हा …तुम उसे जानती नही हो….वो तुम्हें तोड़ के रख देगा…ये जो गरूर है तुम्हें अपने हुस्न पे….उसका सत्यानाश कर डालेगा…..मैं उसे अच्छी तरहा जानता हूँ समझता हूँ….चट्टान है वो….तुम सर फोड़ती रहोगी और उसे कुछ फरक नही पड़ेगा.

मिनी …..औरत चाहे तो बहुत कुछ कर सकती है…….और कोई मर्द ऐसा नही जो औरत के हुस्न की आगे घुटने ना टेक दे …कुछ जल्दी टूट जाते हैं..कुछ टाइम लगाते हैं…बस इतना ही फरक होता है..

रमण……अच्छा इतना ओवर कॉन्फिडेन्स……चलो देखते हैं कॉन टूटता है तुम या सुनील.

मिनी ….तुम नाराज़ तो नही होगे ना अगर मैं उसके साथ……

रमण……जो बात हो ही नही सकती …उसको सोच कर फालतू में क्यूँ दिमाग़ खराब करूँ…(मन ही मन रमण यही सोच रहा था वह क्या बहाना बना रही है अपने जिस्म की आग को ठंडा करने के लिए पर ये नही जानती कि सुनील इन बातों से बहुत परे है …वो वाकई में एक सच्चा मर्द है)

मिनी …..ठीक है तो चॅलेंज हुआ ….देख लेना मैं उसे तोड़ के ही रहूंगी…ना उसे अपना दीवाना बनाया तो मेरा नाम मिनी नही.

रमण ….ट्राइ युवर लक बेबी…आइ नो आइ विल विन……जब तक मैं पूरी तरहा से ठीक नही होता तब तक का टाइम दिया तुम्हें.

इसके बाद दोनो में कोई बात नही होती....और दोनो सो जाते हैं.....पर मिनी की आँखों में नींद नही थी....आज वो अपने पूरे ज्ञान का इस्तेमाल करने की योजना बना रही थी...आख़िर फार्मेसी का कोर्स जो किया था....कुछ चीज़ों के नाम उसे याद आ गये और चेहरे पे मुस्कान बढ़ती चली गयी.

वहाँ सुमन.....आज खुद को तयार कर रही थी.....वो भी इस तरहा की स्वर्ग की अप्सराएँ भी उसे देख शरमा जाएँ.

सुमन जब तयार हुई तो कुछ यूँ दिख रही थी

गहरी लाल रंग की लिपस्टिक से सजे उसके होंठ अंगारों की तरहा दहक रहे थे.

सुमन के इस रूप को देख सुनील की तो आँखें ही फटी रह गयी …..बिजलियों पे बिजलियाँ गिरने लगी उसपे जब सुमन धीरे धीरे अपनी पायल की झंकार करते हुए उसके करीब आने लगी ….गला सुख गया सुनील का …..आज तो वाकई में बचने वाला नही था…उसकी जंगली बिल्ली अपने पूरे रूप में आ चुकी थी….पूरी तरहा से तयार उसका कत्ल करने को…सुमन के इस मनमोहक रूप को सुनील ताजिन्दगी नही भूलनेवाला था.
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