Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 09:30 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
यही वो पल था जब मिनी और सुनेल की नज़र आपर में टकराई थी ...
और नज़रों ने नज़रों को रोक लिया था........दोनो बस एक दूसरे को ही देखे जा रहे थे और भूल गये कि वो अपने दोस्तों के साथ आए हुए हैं......

सुनेल ने कभी सोचा नही था कि कभी उसके साथ ऐसा भी होगा ....लंडन के महॉल में पला बढ़ा वो असल में एक कॅसनोवा था...जिसपे लड़कियाँ जान छिड़कती थी ....
सबसे बड़ी खूबी उसमें ये थी ..कि वो अपनी पढ़ाई पे भी पूरा ध्याब देता था ....और लड़कियों को तो वो कपड़ों की तरहा बदलता था फिर भी लड़कियाँ उसपे मरती जाती थी ........

यहाँ इंडिया आ कर वो लव अट फर्स्ट साइट का शिकार हो जाएगा ....ये बात कोई सपने में भी नही सोच सकता था....मिनी पे जैसे ही उसकी नज़र पड़ी ...उसकी नज़रें वहीं रुक गयी ...हुस्न की बेमिसाल जीती जागती परी उसकी आँखों के सामने थी...जिसके वो सपने लिया करता था पर उसे कभी मिली नही थी....अपने सपनो को यूँ अचानक अपने सामने देख कर वो खो गया था.......उसके साथ के लड़कों ने जब उसकी नज़र का पीछा किया तो सब समझ गये कि हिन्दुस्तान आ कर
रोमीयो अब मजनू बन गया है और सबके चेहरों पे मुस्कान आ गयी और नज़रों ही नज़रों से आपस में बातें करने लगे......

कुछ ऐसा ही हाल मिनी की सहेलियों का भी हुआ ....मिनी को उन्हों ने कभी किसी लड़के से बात करते नही देखा था...लेकिन उसकी नज़र एक लड़के पे टिकी देख वो भी मुस्कुरा उठी ...हर लड़की की जिंदगी में ये दिन कभी ना कभी आ ही जाता है...जब ना चाहते हुए भी दिल किसी और का हो जाता है.....कोई ऐसा नज़रों के सामने आ जाता है..जिसे दिल अपना बनाने के लिए तड़प उठता है......मिनी सुनेल की नज़रों की ताब को झेल ना सकी और शरमा के नज़रें झुका ली.......

उसकी एक सहेली ने उसे छेड़ना शुरू कर दिया 'लैला -ओ-लैला लैला...कैसी तू लैला ...हर कोई चाहे तुझ से मिलना अकेला'

ये सुन मिनी होश में आई और बुरी तरहा झेन्प्ते हुए अपनी सहेली को गुस्से से देखने लगी...

दूसरी सहेली...कोई बात नही ..होता है ...होता है....

मिनी...चुप करो दोनो .....जल्दी सूप ख़तम करो और चलो यहाँ से....

वहाँ दूसरी टेबल पे सुनेल के दोस्त भी पीछे ना रहे....

दोस्त 1 ......मारा गया बेचारा कॅसनोवा इंडिया आ कर

दोस्त 2....यार रोमीयो को मजनू बनते आज पहली बार देखा

सुनेल ....तुम लोग साले खच्छर हो खच्छर .....जब हुस्न की देवी रंभा और मेनका को भी मात कर दे ....तो नज़रें क्या..दिल भी खो जाता है...

जब मिनी और उसकी सहेलियाँ रेस्टोरेंट से निकल अपने कॉलेज की तरफ जाती हैं तो सुनेल भी बाहर निकल ये देखने लगता है कि ये जा कहाँ रही हैं और जब वो उन्हें साथ वाले फार्मेसी कॉलेज में घुसता हुआ देखता है तो चेहरे पे मुस्कान आ जाती है...यानी फिर मोके मिलेंगे इस रूपसी से मिलने के....

सुनेल ने रोज उस चाइनीस रेस्टोरेंट में आना शुरू कर दिया कि शायद मिनी की झलक उसे मिल जाए ...शाम को घंटों वहाँ बैठा रहता ....और अंत में उदास हो कर चला जाता.......उसके अपने कॉलेज में साथ पढ़ती बहुत सी लड़कियाँ उसके आगे पीछे दौड़ती ...लेकिन ये कॅसनोवा बदल गया था ......मिनी की वो नज़रें उसे हर पल घायल करती रहती थी...

एक हफ्ते बाद उसकी किस्मत खुली जब मिनी फिर अपनी सहेलियों के साथ आई ....वो बस मिनी को देखता रहा....ये बात मिनी ने भी नोट कर ली...उस दिन कुछ खांस नही हुआ...ना ही सुनेल ने कोई ऐसी हरकत करी .....जो ये बताती कि वो मिनी के पीछे पागल हुआ जा रहा है....

एक हफ़्ता और गुजर गया .....इस बार भी मिनी उसी दिन यानी सनडे को ही आई ....जब वो जाने लगी तो सुनेल से रहा ना गया और उठ के उसके पास चला गया ...

सुनेल......सुनिए ....आप यहीं पढ़ती हैं क्या?

मिनी ....ने उसे देखा .....थोडा गुस्से में ...आप से मतलब?

सुनेल.....जिंदगी में पहली बार ऐसा महसूस हुआ कि मुझे किसी से दोस्ती करनी है..और वो आप हैं...क्या इस नाचीज़ की दोस्ती कबूल फरमाएँगी...

मिनी ...मैं अंजान लोगो से बात नही करती ...मेरा रास्ता छोड़िए...

सुनेल....अंजान कहाँ रहे अब..मेरा नाम सुनेल है और यूके से यहाँ आया हूँ....यही साथ वाले कॉलेज में एमबीबीएस कर रहा हूँ...आप शायद फार्मेसी का कोर्स कर रही हैं...

मिनी...तो आप मेरा पीछा करते हैं...

सुनेल.....ये तो इल्ज़ाम है ...कभी आपने देखा मुझे पीछा करते हुए...हां रोज यहाँ आपका इंतेज़ार ज़रूर करता हूँ.....

मिनी......रास्ता छोड़िए...

सुनेल......रास्ते से हटते हुए...मैं कल शाम आपका इंतेज़ार करूँगा यहीं.....(और मिनी को देखे बिना वहाँ से चला गया)

मिनी और उसकी सहेलियाँ उसे जाता हुआ देखती रही...

सहेली 1 ...मिनी ये तो तेरा पक्का आशिक़ बन गया

सहेली 2 ...आशिक़ से भी बड़ा ...ये तो पूरा मजनू बन गया

मिनी ...चुप करो तुम दोनो...चलो यहाँ से

सहेली 1...क्या करेगी कल आएगी क्या उस से मिलने

मिनी ...ना बाबा ना ....ये सब मुझ से नही होता

सहेली 2...अरे एक बार मिल तो ले ...कोई कहीं अकेले तो बुला नही रहा ...यहाँ रेस्टोरेंट में और भी लोग तो होंगे ...मिलने में क्या जाता है

सहेली 1 ...हाई काश ये मुझे बुलाता ..मैं तो फट चली आती ..क्या पर्सनॅलिटी है उसकी.....हीरोस को भी मात देता है

मिनी ...उफ़फ्फ़ तुम लोग भी अब चलो नही तो मैं जा रही हूँ....(सब चली जाती हैं)

रात को बिस्तर पे लेटे एक तरफ सुनेल सोच रहा था कि वो आएगी या नही वहीं दूसरी तरफ मिनी सोच रही थी ...जाउ या नही......ये रात दोनो की आँखों ही आँखों में कट गयी...
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