RE: Bahu ki Chudai बहुरानी की प्रेम कहानी
तो अब तस्वीर कुछ साफ़ हो गई थी कि अभिनव ने बहू अदिति से चुदाई का प्रोग्राम तो बनाया लेकिन वो रिश्तेदारों के साथ ड्रिंक पार्टी करने लगा और फिर बगल के मकान में जाकर सो गया।
अब ऐसे में उसका अदिति से मिलने जाने का सवाल ही नहीं उठता।
तो क्या अदिति को भी पता चल चुका होगा अब तक कि उसका पति अभी तक मिश्रा जी के यहाँ सो रहा है? यह स्वाभाविक सा प्रश्न मेरे भीतर से उठा।
लेकिन मैं निश्चिन्त नहीं हो पाया… पर मन कुछ हल्का हो गया था और स्वस्थ तरीके से सोचने लगा था।
तभी मन में विचार कौंधा कि अगर अदिति को यह बात पता लग चुकी है कि अभिनव रात में कहीं और सोया था तो उसके चेहरे पर भय और घबराहट झलकनी चाहिए क्योंकि वो अभी अपने चोदने वाले से अनजान है।
यह गुणा भाग दिमाग में आते ही मेरा मन हल्का हो गया; तभी अदिति चाय लाती हुई दिखी।
नहाई धोई बहूरानी बहुत उजली उजली सी, खिली खिली सी लग रही थी, ज़िन्दगी में पहली बार मैंने उसकी रूपराशि को, उसके मदमस्त यौवन को, उसके उत्तेजक कामुक सौन्दर्य को नज़र भर कर निहारा।
साढ़े पांच फुट की ऊँचाई लिए तना हुआ गोरा गुलाबी जिस्म, गोल मासूम सा मनमोहक चेहरा, भरा भरा निचला होंठ जिससे शहद जैसा रस टपकने को ही था; यही होंठ तो कल मेरे लंड को प्यार से चूम रहे थे, चूस रहे थे।
चटख हरे रंग की साड़ी और मैचिंग ब्लाउज में उसका गोरा गुलाबी तन अलग ही छटा बिखेर रहा था, तिस पर उसके हाथों में रची सुर्ख लाल मेहंदी, कलाई गले कानों में झिलमिलाते सोने के गहनें; उसके ब्लाउज पर उभरे हुए उसके स्तनों के मदमस्त उभार, गले में पड़ा मंगलसूत्र गले के नीचे बनी स्तनों की घाटी में जा छुपा था।
हाथों में चाय की ट्रे थामे वो गजगामिनी अपने कजरारे नयन झुकाये धीरे धीरे मेरी ओर चली आ रही थी, मेरी नज़र रह रह कर उसके वक्ष के उभार निहारती और फिर उसकी जांघों के मध्य जा कर ठहर जाती; वहीं तो उसकी वो टाइट कसी हुई चूत छिपी थी जहाँ अब से कोई पांच छः घंटे पहले मेरा लंड अन्दर बाहर हो रहा था और वो उछल उछल कर उसे फाड़ डालने की जिद कर रही थी।
वो चुदाई याद आते ही मेरे लंड ने कड़क होकर ठुमका सा लगाया उम्म्ह… अहह… हय… याह… जैसे फिर से वही चूत दिलवाने की जिद कर रहा हो।
क्या वो ही आनन्द फिर से मिल सकता है मुझे? औरत जब एक बार किसी परपुरुष से चुद जाए और चरमसुख भोग ले तो दुबारा उसी पुरुष से चुदवाने की चाह उसके मन में हमेशा बनी रहती है, इशारा करने भर की देर है और वो तुरन्त राजी हो जायेगी ऐसा मेरा विश्वास था।
और लंड के मुंह से जब एक बार पराई चूत का रस लग जाए तो वो उसी चूत में बार बार डुबकी लगाना चाहता है।
जीवन भर की तपस्या जब एक बार भंग हो ही गई तो अब क्या आदर्शवादी बने रहना? क्यों न नई चूत का मज़ा बार बार लिया जाए! आखिर घर में ही तो है!
ऐसे न जाने कितने कुत्सित कामुक विचार बहूरानी का रूप देखते ही मेरे मन में घिर आये।
छीः… कैसे गन्दे ख्याल मेरे मन में आने लगे थे, मैंने उन्हें तुरन्त झटक दिया।
बहूरानी के माथे पर पड़ीं चिन्ता की लकीरें भी मैंने देखीं तो मुझे लगा कि वो किसी न किसी टेंशन में जरूर है, हो सकता है उसे रात की चुदाई की बातें याद आते आते कुछ शक हुआ हो, वैसे भी मेरे लंड का आकार प्रकार उसे चकित तो कर ही रहा था। शायद उत्तेजना वश वो मुझे अपना पति ही समझती रही होगी और बाद में स्वस्थ चिन्तन करने पर उसका शक मजबूत हुआ हो?
जो भी कारण रहा हो, पर मुझे वो थोड़ी सी एब्नार्मल / असामान्य लग रही थी।
‘नमस्ते पापा जी, लीजिये आपकी चाय!’ बहू रानी हमेशा की तरह आत्मीयता से मेरे चरण स्पर्श कर बोली।
‘सदा खुश रहो अदिति बेटा!’ मैंने भी सदा की तरह उसके सर को छू कर उसे आशीर्वाद दिया और चाय सिप करने लगा।
जल्दी ही मुझे यह ख्याल आया कि अभी कुछ देर बाद ही अदिति को यह बात पता चलनी ही है कि अभिनव रात भर कहाँ था, फिर उसके मन मस्तिष्क पर क्या क्या गुजरेगी… उसे तो सारे के सारे पुरुष रिश्तेदार अपने चोदू ही नज़र आयेंगे कि ना जाने पिछली रात को किसका लंड उसकी चूत में आ जा रहा था।
कितना तनाव होगा बेचारी को! वो तो किसी से भी नज़र नहीं मिला पाएगी।
ऐसे विचार आते आते मैं खुद टेंशन में आ गया क्योंकि उस बदहवास हालत में अपनी बहूरानी को देखना मुझे कतई गंवारा नहीं था; ऐसे तो बेचारी का न जाने क्या हाल हो जाएगा।
अब जल्द से जल्द मुझे ही कोई निर्णय लेना था तो चाय पीकर मैंने अदिति को आवाज लगाई।
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