RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
वो दोनो क्लास से बाहर चले गये,लेकिन मुझे यकीन था कि वो दोनो मुझे बाहर ज़रूर पकड़ेंगे और उसी वक़्त मैने अपने दुश्मनो मे उन दोनो का नाम भी जोड़ लिया.....मेरी आज इस दिलेरी की वजह से सबकी नज़र मुझपर होगी ये मैने पहले ही सोच लिया था, और उसी वक़्त मैने खुद से बोला कि"काश एश इस क्लास मे होती तो आज वो मुझसे ज़रूर पट जाती, फिर हम दोनो उसके पैसे पर बाहर खाना खाने जाते, उसके बाद एक ही कोल्ड ड्रिंक मे स्ट्रॉ डाल कर पीते और उसके बाद मैं उसे एक लाल गुलाब देता और वो शर्मा कर कहती कि "अरमान...तुम कितने वो हो...""
"दीपिका मॅम के पास नही जाना क्या...."अरुण की बेसुरी आवाज़ ने मुझे होश मे लाया....
"रिसेस हो गया..."
"5 मिनट. भी हो गये है...."
"तू भी चल ना..."
"तू जा "अंगड़ाई मारते हुए अरुण बोला"मुझे नींद आ रही है.."
मैं अकेले ही अपनी जगह से उठा और क्लास से बाहर जाने लगा तभी अरुण ने आवाज़ दी"संभाल कर कहीं वो तेरा रेप ना कर दे........"
"लड़किया भी रेप करती है क्या..."मैने हँसते हुए अरुण से पुछा
"आज कल की लड़किया कुछ भी कर सकती है...."उसने भी हँसते हुए जवाब दिया.....
"चल ठीक है, मिलता हूँ कुछ देर मे..."
मैं क्लास से बाहर निकल आया, कंप्यूटर लब ग्राउंड फ्लोर पर था और जैसे-जैसे मैं सीढ़िया उतर रहा था वैसे-वैसे ही एक डर, एक शरम मेरे अंदर अपना डेरा जमा रही थी....मैं यही चाह रहा था कि दीपिका मॅम कंप्यूटर लॅब मे अकेली ना हो, उनके साथ कुछ स्टूडेंट्स भी हो.....मैं अपने कॉलेज का शायद एकलौता ऐसा लड़का था जो दीपिका मॅम जैसी हॉट आइटम की करीबी से डर रहा था...
"मे आइ कम इन मॅम..."कंप्यूटर लॅब के गेट के पास खड़े होकर मैने अंदर आने की पर्मिशन माँगी....
"अरमान...कम इन"वो खुश होते हुए इस कदर बोली ,जैसे उसे कब से मेरा इंतेज़ार हो.....उसकी उस हँसी ने मुझे अंदर से डरा दिया और मेरे कानो मे अरुण की आवाज़ गूंजने लगी"संभाल कर ,कही वो तेरा रेप ना कर दे...."
"अरे अंदर आओ, बाहर क्यूँ खड़े हो..."उसने मुझे दोबारा अंदर आने के लिए कहा और मैं बजरंग बली का नाम लेकर जंग-ए-मैदान मे कूद गया....
"आपने मुझे बुलाया था..."जहाँ वो बैठी थी वहाँ जाकर मैं बोला और चारो तरफ नज़र दौड़ाई पूरे लॅब मे उसके और मेरे सिवा सिर्फ़ कंप्यूटर्स थे....
"तुमने असाइनमेंट कंप्लीट क्यूँ नही किया...."अपनी चेयर को मेरी तरफ खींच कर वो आराम से बैठ गयी,
"मस्त पर्फ्यूम लगाई है इस लंड की प्यासी ने..."मैं बड़बड़ाया...
"तुमने असाइनमेंट पूरा नही किया ,क्या मैं जान सकती हूँ कि ऐसा क्यूँ हुआ..."
"सॉरी मॅम, आइ फर्गॉट"
"क्या भूल गये.."
"असाइनमेंट करना भूल गया..."
वो अपनी जगह से उठी और मेरे पीछे खड़े होकर धीरे से बोली" फिज़िक्स लॅब वाली बात तो नही भूले..."
पूरे शरीर का पानी सूख गया और दिल की धड़कने तेज हो गयी ये सुनकर, मेरी ये हालत देखकर दीपिका मॅम की हँसी छूट गयी...
"तुम शरमाते बहुत हो..."मेरे कान पास अपना चेहरा लाकर वो बोली....
"मुझे भी कुछ दिन पहले ही ये पता चला कि मैं एक शर्मिला लड़का हूँ..."
"सो, अब क्या इरादा है..."
"इरादा तो ये है कि मैं आज रात भर असाइनमेंट लिखूंगा और फिर कल सब्मिट कर दूँगा..."दीपिका मॅम के अरमानो पर पानी डालते हुए मैने कहा....लेकिन उसके अगले ही पल दीपिका मॅम ने एक जोरदार धमाका किया....
"मुझे चोदने का विचार है या गे है तू..."खुन्नस मे वो बोली....
मैं एक बार फिर सदमे मे आ गया था, और आज का सदमा उस दिन के फिज़िक्स लॅब वाले सदमे से ज़्यादा बड़ा था....वो मेरे पीछे खड़ी मेरे जवाब का इंतजार कर रही थी और मैं सदमे से बाहर आने की कोशिश कर रहा था......
"पानी मिलेगा...."मैने टॉपिक चेंज करने के इरादे से कहा....
"कौन सा पानी...चूत वाला या बोतल वाला...."
दीपिका मॅम के इन लफ़ज़ो ने मुझे एक बार फिर सदमे मे डाल दिया और मुझे डर लगने लगा कि मुझे कहीं हार्ट अटॅक ना आ जाए....
"मैं एक सरीफ़ पढ़ाई करने वाला लड़का हूँ , मुझे इन सब मे मत फँसाओ...."अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए मैने अपनी कोशिश जारी रखी....
"बोल तो ऐसे रहा है ,जैसे कभी मूठ ही ना मारी हो...."वो वापस सामने वाली चेयर पर बैठ गयी और अपने सामने रखे डेक्सटॉप पर कुछ करने लगी.....उसके बाद कुछ देर तक वो उसी मे बिज़ी रही और फिर बोली...
"इधर आओ..."
"किधर..."गला एक बार फिर सूखा...
"मेरे पास..."
लड़खड़ा ते हुए कदमो से मैं दीपिका मॅम की तरफ गया,जहा वो चेयर पर किसी महारानी की तरह बैठी हुई थी, उनके करीब जाकर मैं खड़ा हो गया और कंप्यूटर के स्क्रीन पर नज़र दौड़ाई,दीपिका मॅम ने एक वीडियो प्ले किया , वो वीडियो ऐसा था कि जिसे देखकर मेरे पसीने छूट गये, इस बार तो हार्ट अटॅक ही आ जाता लेकिन मैने खुद को संभाल लिया......
"दिस पोज़िशन आइ लाइक मोस्ट आंड यू..."
जवाब मे मैने अपने होंठो पर सिर्फ़ जीभ फिरा दी,अभी मेरे सामने एक फुल2 न्यूड फक्किंग वीडियो चल रहा था....ये कैसे हो सकता है, कोई टीचर अपने स्टूडेंट के साथ ऐसे बर्ताव कैसे कर सकती है....लेकिन हक़ीक़त तो वही था जो उस दिन लॅब मे मेरे साथ हो रहा था, उम्र के उस पड़ाव पर शायद बहुत सी चीज़े ऐसी थी जिसे जानना अभी बाकी था....
मेरा मन और तन डोलने लगा , सीधे-सीधे शब्दो मे कहें तो जब आपके सामने चुदाई की फिल्म चल रही हो तो लंड अपने आप खड़ा हो जाता है, मेरा भी लंड खड़ा हुआ , जिसे देखकर दीपिका मॅम ने अपने दाँत दिखा दिए....ना चाहकर भी उस वक़्त मैं ये चाहने लगा था कि दीपिका मॅम पहले अपने हाथो से मेरे लंड को सहलाए और फिर अपने मुँह से मेरे लंड को चूसे और उसके बाद किसी स्लट की तरह बोले कि "वाउ, युवर डिक ईज़ सो बिग...."
"किसी लड़की मे तुम्हे सबसे अच्छा पार्ट क्या लगता है...."वीडियो बंद करके दीपिका मॅम मेरे तरफ मूडी...
"मतलब...."मैं जानता था कि दीपिका मॅम के सवाल का क्या मतलब था ,लेकिन फिर भी मैने पुछा....
"मतलब कि चूत,गान्ड ,बूब्स ,लिप्स....."
"बूब्स आंड लिप्स...."मैने जवाब दिया और एक अजीब बात मुझे ये लगी कि,अब मुझे शरम नही आ रही थी.....
"टच माइ लिप्स..."
"किससे टच करूँ हाथ से या फिर होंठ से या फिर ......"
"अभी तो फिलहाल हाथ से मज़ा लो..."
मैने अपनी उंगलियो को दीपिका मॅम के होंठो पर रखा और धीरे-धीरे सहलाते हुए उसके होंठ के अंदर तक ले गया,....ये सब कुछ बहुत अजीब था, मुझे खुद यकीन नही हो रहा था कि मेरी मुरझाई तक़दीर मे एक अप्सरा कैसे आ गयी वो भी बिना कपड़ो के....
"वहाँ भी हाथ फिरा लूँ..."मेरा इशारा उसके मस्त बड़े-बड़े बूब्स की तरफ था,...दीपिका मॅम ने अपने सीने को एक बार देखकर बोली...
"ये सब पुछा नही जाता...."
"देन ओके..."और मेरे काँपते हुए हाथ उसके सीने से जा चिपके और ऐसे चिपके की छोड़ने का नाम ही नही ले रहे थे, लंड पैंट को फाड़ कर बाहर निकलने के लिए बेताब था तभी खड़े लंड पर ज़ोर से हथौड़ा मारते हुए दीपिका मॅम ने कहा...
"अब तुम जाओ..."
दुखभरे मन से मैने दीपिका मॅम की छातियों को देखा ,जिनसे मेरे हाथ चिपके हुए थे , मैं मासूमियत भरी आवाज़ मे बोला"एक बार इन्हे दबा लूँ..."
"तुम अब जाओ...."हंसते हुए उसने मेरे हाथ को दूर किया और मुझे तुरंत वहाँ से जाने का इशारा किया.....
"61-62 करना पड़ेगा अब..."कंप्यूटर लॅब से बाहर निकल कर मैं खुद पर झल्लाया और बाथरूम की तरफ चल दिया, आज कयि धमाके एक साथ हो चुके थे, पहले मैने उन पाँचो चुदैलो को बत्ती दी, फिर बाजीराव सिंघम और उसके दोस्त को और उसके बाद कंप्यूटर लॅब वाला धमाका.....लेकिन एक और धमाका बहुत जल्द होने वाला था और ये धमाका सबसे बड़ा भी था........
"मुझे मालूम चल गया है कि एश कॉलेज क्यूँ नही आ रही कुछ दिनो से...."मूठ मारने के बाद मरा सा मुँह लेकर मैं क्लास मे घुसा ही था कि अरुण बोला....
"क्यूँ....?"मैने अरुण की तरफ देखा....
अभी तक मैं यही समझ रहा था कि शायद उसके घर मे कोई काम होगा, या फिर उसकी तबीयत खराब होगी या हल्का फूलका बुखार होगा, ये भी हो सकता है कि वो अपने किसी रिश्तेदार से मिलने कहीं बाहर गयी हो और इसी वजह से वो कॉलेज ना आई हो, लेकिन अरुण ने धमाका करके मेरे दिमाग़ को शुन्य कर दिया, उसने एश के कॉलेज ना आने का जो रीज़न बताया ,उसे सुनकर यकीन ही नही हुआ और मैने अरुण से एक बार फिर पुछा....
"क्या बोला तूने मैने सुना नही..."
"एश ने स्यूयिसाइड करने की कोशिश की थी......"
मुझे फिर भी यकीन नही हुआ और ये सोचकर कि मैने ग़लत सुना होगा मैने एक बार और अरुण से पुछा...
"क्या..."
"एश ने स्यूयिसाइड करने की कोशिश की है..."
तीन बार से मैं लगातार वही सवाल पुछ रहा था और अरुण मेरे उन सवालो का एक सा जवाब दे रहा था....उस वक़्त कुछ हुआ ,कुछ अलग सा ही हुआ,कुछ अलग सा ही अहसास हुआ....मैं वहाँ से दौड़ते हुए सीधे कॉलेज से बाहर आया बिना ये सोचे हुए भी कि मुझे जाना कहाँ है, बिना ये सोचे कि सीनियर्स मुझे पकड़ सकते है और मेरा कचूमर बना सकते है....कॉलेज के मेन गेट से मैं निकला ही था कि मेरी नज़र उस एक पेड़ पर पड़ी जिस पर रंग बिरंगे फूल लगे हुए थे....वो वही पेड़ था, वहाँ उस वक़्त हवा भी वही बह रही थी ,जो रोजाना बहती थी , कॉलेज भी वही था और उसमे पढ़ने वाले स्टूडेंट्स भी वही थे...सूरज आज भी पूरब से निकल कर अपनी मंज़िल की तरफ बढ़ रहा था, लेकिन जब से एश के स्यूयिसाइड की खबर सुनी तो उस एक पल मे जैसे पूरी दुनिया बदल गयी हो, रंग-बिरंगी धरती जैसे अकल के कारण सुख गयी हो, ऐसा लगने लगा था मुझे उस वक़्त....लोग मेरे सामने से आते और चले जाते, उस वक़्त यदि कोई मुझपर लात-घुसो की बरसात भी कर देता तो मैं उसे सिवाय देखने के कुछ नही करता......
"अरुण...नवीन..."मैने ये दो नाम लिए, जो मेरे खास दोस्त थे ,
"कहाँ जा रहा है..."पीछे से मेरे खास दोस्त अरुण ने आवाज़ दी, वो भी मेरे पीछे-पीछे आ गया था बिना ये जाने उसे जाना कहाँ है....
"एश किस हॉस्पिटल मे है...."
मेरी घबराहट को अरुण पहचान गया और मेरी बेचैनी को समझकर वो बोला"ये तो मुझे नही मालूम...."
"तुझे किसने बताया कि एश ने स्यूयिसाइड करने की कोशिश की है...."
"क्लास मे कुछ लड़के बात कर रहे थे, जिसे मेरे दोस्त ने सुन लिया और फिर मुझे खबर दी...."
इस वक़्त एश से मिलने का बहुत दिल कर रहा था , लेकिन उससे मिलूं भी तो कैसे ,यदि मैं उससे मिला भी तो मैं क्या कहूँगा...कि मैं यहाँ क्यूँ आया, किसलिए आया किस हक़ से आया.....दिल मे हज़ार गोलिया फाइयर करके मैने वहाँ से वापस अपनी क्लास मे जाने का सोचा....
कॉरिडर मे अब भी स्टूडेंट्स बाहर थे, कुछ टहल रहे थे तो कुछ ग्रूप बनाकर बाते कर रहे थे, वहाँ मुझे अरुण का वो दोस्त भी दिखाई दिया जो एश की क्लास मे था.....
"सुन ना यार...."मैने अरुण के दोस्त को बुलाया और उस साले ने मेरी दुखती रग पर हाथ तो रखा ही साथ ही साथ हथौड़ा मारते हुए बोला...
"अरमान तुझे मालूम चला या नही....एश ने स्यूयिसाइड करने की कोशिश की है...."
"हां मालूम है...कोई वजह मालूम चली कि उसने ऐसा क्यूँ किया..."
"प्यार, मोहब्बत का चक्कर है दोस्त....तू भूल जा उसे..."
जितनी आसानी से उसने मुझे कह दिया उतनी आसानी से मैने उसकी बात को एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल दिया और उससे पुछा कि एश किस हॉस्पिटल मे है....
"मालूम नही....लेकिन कॉलेज ऑफ होने तक किसी से पुछ्कर तुझे बता दूँगा...."
"थॅंक्स , अब चलता हूँ..."
"चल बाइ..."
वहाँ से मैं सीधे अपनी क्लास मे आकर बैठ गया ,ये सोच सोच कर दिल फटा जा रहा था कि एश ने किसी के प्यार मे अपनी जान देने की कोशिश की है....
"वो उसे बहुत प्यार करती है ,इसका मतलब मैं और मेरे अरमानो के लिए उसके दिल मे कोई जगह नही...."मैं उस वक़्त खुद से ही सवाल जवाब किए जा रहा था....
"लेकिन उस दिन क्लास मे तो वो मुझे देख रही थी...."मैं उस वक़्त झूठ को सच और सच को झूठ साबित करने पर लगा हुआ था, उस वक़्त मुझे ज़रा भी ख़याल नही था कि फिज़िक्स वाले सर क्लास मे आ चुके है....
"हे, तुम..."
"हाऐईयईईन्न...."अरुण ने मुझे नोंचा तो मैं होश मे आया....
"क्या हाई हाईीन लगा रखे हो, पढ़ना है तो चुप चाप रहो वरना बाहर जाओ..."
"बीसी मैने एक शब्द भी नही बोला..."उस फिज़िक्स वाले कुर्रे सर को देखकर मैने खुद से कहा.....
"आप फिज़िक्स के खिलाफ नही जा सकते..."जब किसी ने अपने दिमाग़ का थियरी कुर्रे सर को सुनाया तो उसे यही जवाब मिला....ये जवाब सिर्फ़ उसे ही नही बल्कि कयि और भी स्टूडेंट्स को मिला...जब भी कोई उल्टा सीधा सवाल करता तो कुर्रे सर उस पर अपना ब्रह्मास्त्र छोड़ कर कहते कि "आप फिज़िक्स के खिलाफ नही जा सकते...." और फिर सब शांत हो जाते....क्वेस्चन तो मेरे दिमाग़ मे भी था लेकिन उस वक़्त मैं नही पुछ पाया शायद एश की वजह से......कुर्रे सर की भी एक अजीब और बड़ी घटिया आदत थी वो क्लास ख़तम होने के कुछ देर पहले एक-एक स्टूडेंट से उस दिन जो पढ़ाया गया उसे बताने को कहते...जो बता देता वो बैठ जाता था लेकिन ना बताने वाले को कुर्रे सर फिज़िक्स डिपार्टमेंट मे बुलाते और वहाँ , इज़्ज़त की धज्जिया उड़ाते....
"तुम बताओ...."
मैं चुप चाप खड़ा हुआ और दिमाग़ को परत दर परत खोल कर देखने लगा कि मैं इस बारे मे कुछ जानता हूँ या नही.....थियरी ऑफ रेलेटिविटी के टॉपिक मे मैं वर्जिन था लेकिन कुछ दिन पहले मैने किसी न्यूज़ पेपर मे कुछ पढ़ा था और जो पढ़ा था वही कुर्रे सर के उपर दे मारा.....
"सर, मेरा एक सवाल है...कुछ दिन पहले मैने पढ़ा था कि कुछ पार्टिकल ऐसे भी है जिनकी वेलोसिटी लाइट के वेलोसिटी से भी तेज है और यदि ऐसा है तो फिर आइनस्टाइन का प्रिन्सिपल ग़लत हो गया , आप क्या कहते है इस बारे मे...."
"आइनस्टाइन हो या कोई आम आदमी , कोई भी फिज़िक्स के नियमो के खिलाफ नही जा सकता...बैठ जाओ..."
"थॅंक यू सर "
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