Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
08-18-2019, 01:49 PM,
#58
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
इतना सुनते ही टी.आइ. खुद पर काबू नही कर पाया और तीसरे लड़के का स्टेट्मेंट लिए बिना ही उन तीनो को भगा दिया और बाद मे हम दोनो को भी जाने के लिए कहा...
"ये चमत्कार तूने किया है क्या बे.."मुझे एक मुक्का मारते हुए अरुण ने पुछा...

"ये चमत्कार किसी और का है..."मैने डबल पवर के साथ मुक्का मारते हुए कहा...

"किसका..."उसने इस बार ट्रिपल पवर के साथ मुक्का मारा...

"वो तो कॉलेज जाकर ही पता चलेगा.."बोलते हुए मैने उसे एक लात मारी और खुशी के मारे पैदल ही कॉलेज की तरफ बढ़ गये...जबकि कॉलेज 5 कीलोमेटेर डोर था


5 किलोमेटेर पैदल चलने के कारण हम दोनो पसीने से तर-बतर हो गये थे और जब पसीने से नहाए हुए कॉलेज पहुँचे तो लंच का बिगुल बज चुका था...
"क्या हुआ बे..."क्लास के अंदर हमारे घुसते ही सौरभ ने पुछा....
"टी.आइ. की फाड़ कर आ रहा हू, साले ने मुझे सॉरी तक बोला..."ताव से बोलते हुए अरुण ,सौरभ के साइड मे बैठ गया....
"मालूम नही यार...कुच्छ चमत्कार टाइप का हुआ पोलीस स्टेशन मे..."दूसरे साइड मे बैठकर मैं बोला"उसके दोस्तो ने ऐन वक़्त पर अपना बयान बदल दिया और हम दोनो को टी.आइ. ने जाने के लिए कह दिया...
"और उन लड़को का क्या हुआ,जिन्होने तुझपर केस किया था..."
"दोनो को टी.आइ. ने कहा कि ये कैसे गवाह लाए थे उन्होने...जो स्टेट्मेंट देने के वक़्त पलट गये...और फिर उन दोनो को भी टी.आइ. ने पोलीस स्टेशन से चलता किया...."
"इस बार तो बच गये बेटा अगली बार ज़रा ध्यान से..."
"मुझे नही इस बक्चोद को बोल..."अरुण को एक मुक्का मारते हुए मैं बोला"इसी को ज़्यादा जोश है रॅगिंग लेने का...."
"अबे वो दोनो के क्या मैने हाथ-पैर तोड़े थे,जो मुझे बोल रहा है....सालो ने फुल प्लॅनिंग से हमे फसाया था..."
"बात तो सही है, लेकिन फिर उसके दोस्त ही उसके खिलाफ क्यूँ हो गये..."
"मुझसे पुछ तो ऐसे रहा है,जैसे मैं कही का अंतर्यामी हूँ "
.
आज सीसी की लॅब थी बोले तो विभा मॅम की और जब हम सीसी की लॅब मे पहुँचे तो विभा वहाँ पहले से मौजूद थी और साथ मे एक असिस्टेंट भी था.....
"फाइल कंप्लीट है..."
"नही..."सबसे पहले अरुण ने अपना हाथ खड़ा किया....
"गुड, तुम लॅब से बाहर जा सकते हो...और किसकी-किसकी फाइल इनकंप्लीट है..."
"मॅम, मेरी भी इनकंप्लीट है..."अब मैने हाथ उपर उठाया....
"तुम भी बाहर जाओ...और किस-किस ने काम पूरा नही किया है..."
विभा मॅम का बोलना था कि एक के बाद एक 6-7 लड़को ने अपने हाथ खड़े कर दिए....तो विभा मॅम गुस्से से सुलग उठी...
"तुम सब अपना नाम एक पेपर मे लिखो और प्रिन्सिपल सर से इसपर साइन करा कर लाओ...."
"ये क्या मॅम...ये सब तो स्कूल मे होता है..."
"मैं कुच्छ नही जानती, जैसा बोला है...वैसा करो..."उसके बाद विभा ने अपना गोरा बदन लड़कियो की तरफ घुमाकर उनसे पुछा"गर्ल्स, तुम मे से किसकी फाइल इनकंप्लीट है..."

और जब लड़कियो मे से किसी ने अपना हाथ खड़ा नही किया तो विभा बोली"गुड...ये होती है स्पिरिट..."
.
"मॅम, आज वैसे ही एक केस हो चुका है....यदि प्रिन्सिपल ने मुझे दोबारा अपने कॅबिन मे देख लिया तो मेरी ऐसी-तैसी कर देगा...."

"सो व्हाट...तुम्हे ये सब पहले सोचना चाहिए था..."
जिनकी फाइल कंप्लीट थी...वो सब एक्सपेरिमेंट करने के लिए वहाँ से आगे बढ़ गये और इस वक़्त हम 6-7 लड़के ही वहाँ पर खड़े होकर विभा से मिन्नते कर रहे थे कि वो हमारा नाम प्रिन्सिपल तक ना भेजे और यदि भेजे भी तो मेरा और अरुण का नाम उसमे से मिटवा दे.....
.
"तुमने फाइल कंप्लीट क्यूँ नही की ,रीज़न बताओ..."
"मॅम ,मेरी फाइल कंप्लीट थी और मैने अरुण को दी थी और इसने मेरी फाइल कल रात सौरभ को दी और सौरभ ने अपने रूम पार्ट्नर को....और आज सुबह मेरी फाइल नही मिली "

"सॉरी...मैं तुम्हारी कोई हेल्प नही कर सकती..."

"तेरी *** की चूत ,साली रंडी,कुतिया...छिनार..."उसकी आँखो मे देखते हुए मैने आँखो से ही कह दिया और वहाँ खड़े सभी लड़को की तरफ देखकर उची आवाज़ मे कहा"चलो रास्ते मे मैं तुम सबको आ वॉक टू दा जंगल....की कहानी सुनाउन्गा...."
.
साली बहुत हवा मे उड़ रही थी...मैं उसे बोल-बोल कर थक चुका था कि यदि प्रिन्सिपल आज मुझे फिर अपनी कॅबिन मे देखेगा तो मेरा भजिया तल देगा...लेकिन साली विभा थी कि टीचर बनने की अकड़ मे उसे कुच्छ समझ ही नही आ रहा था,इसीलिए मैने ए वॉक टू दा जंगल की अपनी और विभा की कहानी दोस्तो को सुनाने की सोच ली......

"अरमान...." आवाज़ देकर विभा ने हमे वापस बुलाया और लॅब की नेक्स्ट क्लास तक फाइल कंप्लीट करने को बोलकर हमे एक्सपेरिमेंट करने दिया.....

उस दिन सीसी की लॅब मे विभा मुझसे कुच्छ बात करना चाहती थी...लेकिन वहाँ बहुत से लड़को के होने के कारण वो चुप ही रही....

"अब आ गयी ना औकात पर..."लास्ट मे एक्सपेरिमेंट की रीडिंग चेक करते वक़्त मैने धीमे से कहा"तुम्हे कभी नही भूलना चाहिए कि मैं अरमान हूँ और जो ये बात भूल जाते है मैं उन पर आटम बॉम्ब गिरा देता हूँ...."
.
सीसी की लब ख़त्म होने के बाद अब मेरा सबसे पहला काम ये था कि पोलीस स्टेशन मे झूठा बयान देने वाले उन तीन लड़को को पकड़ कर असलियत मालूम करू...मैने जब अरुण को साथ चलने के लिए कहा तो वो बोला कि उसे अब इस सबसे कोई मतलब नही है और वो सौरभ के साथ सीधे हॉस्टिल की तरफ निकल गया और मैं ,जहाँ फर्स्ट एअर की क्लास लगती थी वहाँ गया.....
"इधर आओ मित्रो..."वो तीनो जब क्लास से निकले तो मैने उन्हे आवाज़ दी...मुझे अपनी क्लास के बाहर देखकर तीनो जहाँ खड़े थे,वही जम गये....
"डरो मत,इधर आओ..."
लेकिन नतीजा पहले वाला ही रहा...वो तीनो अब भी वही जमे हुए थे...
"अबे इधर आओ,वरना ठोक दूँगा..."
"व...वो..वो सब हमने सीडार के कहने पर किया..."उन तीनो मे से एक बोला"जब हमे कॅंटीन मे मालूम चला कि आप ही अरमान हो तो हमारी फट गयी थी..."
"ठीक है तुम तीनो जाओ...मैं सीडार से सारी कड़ी जान लूँगा..."
"गुड ईव्निंग सर.."
"गुड ईव्निंग...."
उन तीनो के जाने के बाद सीडार से बात करने का सोचकर मैने अपना मोबाइल जेब से निकाला ही था कि ,विभा का नंबर स्क्रीन पर दिखा....
"चल भाग साली..."उसकी कॉल को रिजेक्ट करते हुए मैने कहा और उसका नंबर रंडी के नाम से सेव कर लिया....
सीडार से बात करने पर पता चला कि वो जिस फ्लॅट मे रहता है वहाँ तीन फर्स्ट एअर के भी लड़के रहते है....और वो तीन लड़के हम पर केस ठोकने वाले फर्स्ट एअर के उन दो लौन्डो के दोस्त थे....कल रात जब सीडार उनके साथ था तभी उन दो लड़को मे से एक ने उन्हे फोन किया और पोलीस स्टेशन मे अपने पक्ष मे गवाही देने के लिए कहा...लेकिन जब ये बात सीडार को मालूम चली तो उसने सारा खेल ही बदल दिया ,सीडार ने उन तीनो लड़को से मेरे और अरुण के फेवर मे स्टेट्मेंट देने के लिए कहा और वैसा ही हुआ....जिसका नतीजा ये हुआ कि मैं और अरुण रॅगिंग के इस झमेले मे फसे बिना ही इस झमेले से निकल गये....
.
"थॅंक्स एमटीएल भाई..."मैने कहा...
"कोई बात नही और अगली बार से कुच्छ करने से पहले अपने 1400 ग्राम का दिमाग़ यूज़ कर लेना....क्यूंकी मैं हर बार तुझे नही बचा पाउन्गा...समझा"
"सब समझ गया एमटीएल भाई..."
उसके बाद मैने कॉल डिसकनेक्ट की और हॉस्टिल की तरफ बढ़ा....अरुण ने पूरे हॉस्टिल मे ये किस्सा फैला दिया था कि टी.आइ. उसकी सोर्स से डर गया और उसे जाने दिया...उसके बाद हमने दोस्तो के रूम मे जाकर गप्पे लड़ाई ,खाना खाया और अपने-अपने रूम पर आ गये...रात के 11 बजे जब मैं सोने की तैयारी कर रहा था तो एक बार फिर विभा का कॉल आया, मैं जानता था कि वो किस बारे मे बात करना चाहती है...इसलिए पहले की तरह मैने उस बार भी उसकी कॉल डिसकनेक्ट कर दी....

विभा की कॉल मैने रिसीव तो की लेकिन अगले ही पल फिर से कॉल कट कर दी....विभा की कॉल डिसकनेक्ट करने के बाद विभा के बारे मे ही सोचते हुए एक सिगरेट निकाली और हॉस्टिल की छत पर आ गया...
पिछले कुच्छ दिनो की भयंकर घटनाओ,जैसे कॅंटीन मे मेरी और गौतम की बहस और फिर आज पोलीस स्टेशन मे हुए ड्रामे से मैं ये भूल चुका था कि कुच्छ हफ्ते पहले मैने सेकेंड सेमेस्टर का एग्ज़ॅम दिया था...जिसका रिज़ल्ट कुच्छ दिनो मे आने वाला था, लेकिन जैसे मैं उस वक़्त ये भूल चुका था...लेकिन मेरे कॉलेज मे पढ़ने वाले 2318 स्टूडेंट्स नही भूले थे और ना ही हमारी यूनिवर्सिटी और ना ही मेरे हॉस्टिल मे रहने वाले लफंगे स्टूडेंट्स.....इसलिए रिज़ल्ट अपने सही टाइम पर आया और मैं उपर हॉस्टिल की छत पर खड़ा सिगरेट पी रहा था.....
"कहाँ है..."सौरभ ने कॉल किया..
"हॉस्टिल की छत पर..."
"अबे रिज़ल्ट आ गया है..."
"एक मिनिट....आगे कुच्छ मत बोलना,वरना मर्डर कर दूँगा..."
रिज़ल्ट आ गया ये सुनते ही मेरे दिल की धड़कने एक दम से तेज़ हो गयी , मैं वही हॉस्टिल के छत के उपर खड़ा सोच-विचार करने लगा कि इस बार फैल होऊँगा या पास...मेरी आँखो के सामने वो वक़्त छाने लगा जब मैं एग्ज़ॅमहोल मे बैठकर एग्ज़ॅम दे रहा था....

"4 सब्जेक्ट मे तो निकल ही जाउन्गा..."मैने खुद से कहा और आधी जली सिगरेट को वही फेक दिया....

"4 मे नही 5 मे पक्का एसी है..."खुद को दिलासा देते हुए मैने एक बार फिर से कहा....

"अरमान,बी आ रियल मर्द...."तीसरी बार खुद को दिलासा देते हुए मैं नीचे आया और हॉस्टिल वॉर्डन के रूम मे गया ,जहाँ पीसी था और रिज़ल्ट प्रिनटाउट करवाने की सुविधा भी थी...

"रोल नंबर बताओ..."मुझे देखते ही वॉर्डन ने कहा और मैने धीरे-धीरे करके अपने रोल नंबर का एक-एक डिजिट बताया और कंट्रोल वॉर्डन के हाथ से अपने हाथ मे ले लिया....

रिज़ल्ट मेरे सामने कंप्यूटर स्क्रीन पर था और मैने डाइरेक्ट उस जगह नज़र घमायी,जहाँ पास या फैल लिखा रहता है.....
"पास..."खुशी से मैं उछल पड़ा और वहाँ खड़े बाकी लड़को से गले मिला...मेरा सीपीआइ इस बार 7.7 के करीब था, इसके बाद मैने अरुण और सौरभ का रिज़ल्ट देखा..पिछली बार की तरह अरुण का इस बार भी बॅक लगा था और बॅक लगाने का कारनामा सौरभ ने भी किया था....लेकिन उनके एसपीआइ लास्ट सेमिस्टर. की तरह इस बार भी मेरे से ज़्यादा था....इतना सुनते ही टी.आइ. खुद पर काबू नही कर पाया और तीसरे लड़के का स्टेट्मेंट लिए बिना ही उन तीनो को भगा दिया और बाद मे हम दोनो को भी जाने के लिए कहा...
"ये चमत्कार तूने किया है क्या बे.."मुझे एक मुक्का मारते हुए अरुण ने पुछा...

"ये चमत्कार किसी और का है..."मैने डबल पवर के साथ मुक्का मारते हुए कहा...

"किसका..."उसने इस बार ट्रिपल पवर के साथ मुक्का मारा...

"वो तो कॉलेज जाकर ही पता चलेगा.."बोलते हुए मैने उसे एक लात मारी और खुशी के मारे पैदल ही कॉलेज की तरफ बढ़ गये...जबकि कॉलेज 5 कीलोमेटेर डोर था


5 किलोमेटेर पैदल चलने के कारण हम दोनो पसीने से तर-बतर हो गये थे और जब पसीने से नहाए हुए कॉलेज पहुँचे तो लंच का बिगुल बज चुका था...
"क्या हुआ बे..."क्लास के अंदर हमारे घुसते ही सौरभ ने पुछा....
"टी.आइ. की फाड़ कर आ रहा हू, साले ने मुझे सॉरी तक बोला..."ताव से बोलते हुए अरुण ,सौरभ के साइड मे बैठ गया....
"मालूम नही यार...कुच्छ चमत्कार टाइप का हुआ पोलीस स्टेशन मे..."दूसरे साइड मे बैठकर मैं बोला"उसके दोस्तो ने ऐन वक़्त पर अपना बयान बदल दिया और हम दोनो को टी.आइ. ने जाने के लिए कह दिया...
"और उन लड़को का क्या हुआ,जिन्होने तुझपर केस किया था..."
"दोनो को टी.आइ. ने कहा कि ये कैसे गवाह लाए थे उन्होने...जो स्टेट्मेंट देने के वक़्त पलट गये...और फिर उन दोनो को भी टी.आइ. ने पोलीस स्टेशन से चलता किया...."
"इस बार तो बच गये बेटा अगली बार ज़रा ध्यान से..."
"मुझे नही इस बक्चोद को बोल..."अरुण को एक मुक्का मारते हुए मैं बोला"इसी को ज़्यादा जोश है रॅगिंग लेने का...."
"अबे वो दोनो के क्या मैने हाथ-पैर तोड़े थे,जो मुझे बोल रहा है....सालो ने फुल प्लॅनिंग से हमे फसाया था..."
"बात तो सही है, लेकिन फिर उसके दोस्त ही उसके खिलाफ क्यूँ हो गये..."
"मुझसे पुछ तो ऐसे रहा है,जैसे मैं कही का अंतर्यामी हूँ "
.
आज सीसी की लॅब थी बोले तो विभा मॅम की और जब हम सीसी की लॅब मे पहुँचे तो विभा वहाँ पहले से मौजूद थी और साथ मे एक असिस्टेंट भी था.....
"फाइल कंप्लीट है..."
"नही..."सबसे पहले अरुण ने अपना हाथ खड़ा किया....
"गुड, तुम लॅब से बाहर जा सकते हो...और किसकी-किसकी फाइल इनकंप्लीट है..."
"मॅम, मेरी भी इनकंप्लीट है..."अब मैने हाथ उपर उठाया....
"तुम भी बाहर जाओ...और किस-किस ने काम पूरा नही किया है..."
विभा मॅम का बोलना था कि एक के बाद एक 6-7 लड़को ने अपने हाथ खड़े कर दिए....तो विभा मॅम गुस्से से सुलग उठी...
"तुम सब अपना नाम एक पेपर मे लिखो और प्रिन्सिपल सर से इसपर साइन करा कर लाओ...."
"ये क्या मॅम...ये सब तो स्कूल मे होता है..."
"मैं कुच्छ नही जानती, जैसा बोला है...वैसा करो..."उसके बाद विभा ने अपना गोरा बदन लड़कियो की तरफ घुमाकर उनसे पुछा"गर्ल्स, तुम मे से किसकी फाइल इनकंप्लीट है..."

और जब लड़कियो मे से किसी ने अपना हाथ खड़ा नही किया तो विभा बोली"गुड...ये होती है स्पिरिट..."
.
"मॅम, आज वैसे ही एक केस हो चुका है....यदि प्रिन्सिपल ने मुझे दोबारा अपने कॅबिन मे देख लिया तो मेरी ऐसी-तैसी कर देगा...."

"सो व्हाट...तुम्हे ये सब पहले सोचना चाहिए था..."
जिनकी फाइल कंप्लीट थी...वो सब एक्सपेरिमेंट करने के लिए वहाँ से आगे बढ़ गये और इस वक़्त हम 6-7 लड़के ही वहाँ पर खड़े होकर विभा से मिन्नते कर रहे थे कि वो हमारा नाम प्रिन्सिपल तक ना भेजे और यदि भेजे भी तो मेरा और अरुण का नाम उसमे से मिटवा दे.....
.
"तुमने फाइल कंप्लीट क्यूँ नही की ,रीज़न बताओ..."
"मॅम ,मेरी फाइल कंप्लीट थी और मैने अरुण को दी थी और इसने मेरी फाइल कल रात सौरभ को दी और सौरभ ने अपने रूम पार्ट्नर को....और आज सुबह मेरी फाइल नही मिली "

"सॉरी...मैं तुम्हारी कोई हेल्प नही कर सकती..."

"तेरी *** की चूत ,साली रंडी,कुतिया...छिनार..."उसकी आँखो मे देखते हुए मैने आँखो से ही कह दिया और वहाँ खड़े सभी लड़को की तरफ देखकर उची आवाज़ मे कहा"चलो रास्ते मे मैं तुम सबको आ वॉक टू दा जंगल....की कहानी सुनाउन्गा...."
.
साली बहुत हवा मे उड़ रही थी...मैं उसे बोल-बोल कर थक चुका था कि यदि प्रिन्सिपल आज मुझे फिर अपनी कॅबिन मे देखेगा तो मेरा भजिया तल देगा...लेकिन साली विभा थी कि टीचर बनने की अकड़ मे उसे कुच्छ समझ ही नही आ रहा था,इसीलिए मैने ए वॉक टू दा जंगल की अपनी और विभा की कहानी दोस्तो को सुनाने की सोच ली......

"अरमान...." आवाज़ देकर विभा ने हमे वापस बुलाया और लॅब की नेक्स्ट क्लास तक फाइल कंप्लीट करने को बोलकर हमे एक्सपेरिमेंट करने दिया.....

उस दिन सीसी की लॅब मे विभा मुझसे कुच्छ बात करना चाहती थी...लेकिन वहाँ बहुत से लड़को के होने के कारण वो चुप ही रही....

"अब आ गयी ना औकात पर..."लास्ट मे एक्सपेरिमेंट की रीडिंग चेक करते वक़्त मैने धीमे से कहा"तुम्हे कभी नही भूलना चाहिए कि मैं अरमान हूँ और जो ये बात भूल जाते है मैं उन पर आटम बॉम्ब गिरा देता हूँ...."
.
सीसी की लब ख़त्म होने के बाद अब मेरा सबसे पहला काम ये था कि पोलीस स्टेशन मे झूठा बयान देने वाले उन तीन लड़को को पकड़ कर असलियत मालूम करू...मैने जब अरुण को साथ चलने के लिए कहा तो वो बोला कि उसे अब इस सबसे कोई मतलब नही है और वो सौरभ के साथ सीधे हॉस्टिल की तरफ निकल गया और मैं ,जहाँ फर्स्ट एअर की क्लास लगती थी वहाँ गया.....
"इधर आओ मित्रो..."वो तीनो जब क्लास से निकले तो मैने उन्हे आवाज़ दी...मुझे अपनी क्लास के बाहर देखकर तीनो जहाँ खड़े थे,वही जम गये....
"डरो मत,इधर आओ..."
लेकिन नतीजा पहले वाला ही रहा...वो तीनो अब भी वही जमे हुए थे...
"अबे इधर आओ,वरना ठोक दूँगा..."
"व...वो..वो सब हमने सीडार के कहने पर किया..."उन तीनो मे से एक बोला"जब हमे कॅंटीन मे मालूम चला कि आप ही अरमान हो तो हमारी फट गयी थी..."
"ठीक है तुम तीनो जाओ...मैं सीडार से सारी कड़ी जान लूँगा..."
"गुड ईव्निंग सर.."
"गुड ईव्निंग...."
उन तीनो के जाने के बाद सीडार से बात करने का सोचकर मैने अपना मोबाइल जेब से निकाला ही था कि ,विभा का नंबर स्क्रीन पर दिखा....
"चल भाग साली..."उसकी कॉल को रिजेक्ट करते हुए मैने कहा और उसका नंबर रंडी के नाम से सेव कर लिया....
सीडार से बात करने पर पता चला कि वो जिस फ्लॅट मे रहता है वहाँ तीन फर्स्ट एअर के भी लड़के रहते है....और वो तीन लड़के हम पर केस ठोकने वाले फर्स्ट एअर के उन दो लौन्डो के दोस्त थे....कल रात जब सीडार उनके साथ था तभी उन दो लड़को मे से एक ने उन्हे फोन किया और पोलीस स्टेशन मे अपने पक्ष मे गवाही देने के लिए कहा...लेकिन जब ये बात सीडार को मालूम चली तो उसने सारा खेल ही बदल दिया ,सीडार ने उन तीनो लड़को से मेरे और अरुण के फेवर मे स्टेट्मेंट देने के लिए कहा और वैसा ही हुआ....जिसका नतीजा ये हुआ कि मैं और अरुण रॅगिंग के इस झमेले मे फसे बिना ही इस झमेले से निकल गये....
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"थॅंक्स एमटीएल भाई..."मैने कहा...
"कोई बात नही और अगली बार से कुच्छ करने से पहले अपने 1400 ग्राम का दिमाग़ यूज़ कर लेना....क्यूंकी मैं हर बार तुझे नही बचा पाउन्गा...समझा"
"सब समझ गया एमटीएल भाई..."
उसके बाद मैने कॉल डिसकनेक्ट की और हॉस्टिल की तरफ बढ़ा....अरुण ने पूरे हॉस्टिल मे ये किस्सा फैला दिया था कि टी.आइ. उसकी सोर्स से डर गया और उसे जाने दिया...उसके बाद हमने दोस्तो के रूम मे जाकर गप्पे लड़ाई ,खाना खाया और अपने-अपने रूम पर आ गये...रात के 11 बजे जब मैं सोने की तैयारी कर रहा था तो एक बार फिर विभा का कॉल आया, मैं जानता था कि वो किस बारे मे बात करना चाहती है...इसलिए पहले की तरह मैने उस बार भी उसकी कॉल डिसकनेक्ट कर दी....

विभा की कॉल मैने रिसीव तो की लेकिन अगले ही पल फिर से कॉल कट कर दी....विभा की कॉल डिसकनेक्ट करने के बाद विभा के बारे मे ही सोचते हुए एक सिगरेट निकाली और हॉस्टिल की छत पर आ गया...
पिछले कुच्छ दिनो की भयंकर घटनाओ,जैसे कॅंटीन मे मेरी और गौतम की बहस और फिर आज पोलीस स्टेशन मे हुए ड्रामे से मैं ये भूल चुका था कि कुच्छ हफ्ते पहले मैने सेकेंड सेमेस्टर का एग्ज़ॅम दिया था...जिसका रिज़ल्ट कुच्छ दिनो मे आने वाला था, लेकिन जैसे मैं उस वक़्त ये भूल चुका था...लेकिन मेरे कॉलेज मे पढ़ने वाले 2318 स्टूडेंट्स नही भूले थे और ना ही हमारी यूनिवर्सिटी और ना ही मेरे हॉस्टिल मे रहने वाले लफंगे स्टूडेंट्स.....इसलिए रिज़ल्ट अपने सही टाइम पर आया और मैं उपर हॉस्टिल की छत पर खड़ा सिगरेट पी रहा था.....
"कहाँ है..."सौरभ ने कॉल किया..
"हॉस्टिल की छत पर..."
"अबे रिज़ल्ट आ गया है..."
"एक मिनिट....आगे कुच्छ मत बोलना,वरना मर्डर कर दूँगा..."
रिज़ल्ट आ गया ये सुनते ही मेरे दिल की धड़कने एक दम से तेज़ हो गयी , मैं वही हॉस्टिल के छत के उपर खड़ा सोच-विचार करने लगा कि इस बार फैल होऊँगा या पास...मेरी आँखो के सामने वो वक़्त छाने लगा जब मैं एग्ज़ॅमहोल मे बैठकर एग्ज़ॅम दे रहा था....

"4 सब्जेक्ट मे तो निकल ही जाउन्गा..."मैने खुद से कहा और आधी जली सिगरेट को वही फेक दिया....

"4 मे नही 5 मे पक्का एसी है..."खुद को दिलासा देते हुए मैने एक बार फिर से कहा....

"अरमान,बी आ रियल मर्द...."तीसरी बार खुद को दिलासा देते हुए मैं नीचे आया और हॉस्टिल वॉर्डन के रूम मे गया ,जहाँ पीसी था और रिज़ल्ट प्रिनटाउट करवाने की सुविधा भी थी...

"रोल नंबर बताओ..."मुझे देखते ही वॉर्डन ने कहा और मैने धीरे-धीरे करके अपने रोल नंबर का एक-एक डिजिट बताया और कंट्रोल वॉर्डन के हाथ से अपने हाथ मे ले लिया....

रिज़ल्ट मेरे सामने कंप्यूटर स्क्रीन पर था और मैने डाइरेक्ट उस जगह नज़र घमायी,जहाँ पास या फैल लिखा रहता है.....
"पास..."खुशी से मैं उछल पड़ा और वहाँ खड़े बाकी लड़को से गले मिला...मेरा सीपीआइ इस बार 7.7 के करीब था, इसके बाद मैने अरुण और सौरभ का रिज़ल्ट देखा..पिछली बार की तरह अरुण का इस बार भी बॅक लगा था और बॅक लगाने का कारनामा सौरभ ने भी किया था....लेकिन उनके एसपीआइ लास्ट सेमिस्टर. की तरह इस बार भी मेरे से ज़्यादा था....
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