Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
08-18-2019, 02:14 PM,
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
इसके बाद तो एक-एक करके सबके पिछवाड़े मे मानो किसी ने लंबा डंडा घुसेड दिया , साले सब मुझे धिक्कार रहे थे यहाँ तक की राजश्री पांडे भी...

"अरमान भाई...मैने जो आज आपके लिए किया वो सात जनम मे यदि एश ने कभी कर दिया तो माँ कसम मैं राजश्री खाना बंद कर दूँगा...."

"अरमान ,पहले फ्रेंड बाद मे गर्ल फ्रेंड..."सुलभ भी नसीहत देते हुए बोला...

"अबे तुम सबने भंग चढ़ा रखी है क्या,जो इतनी रात को ऐसी बेहूदा बकवास कर रहे हो...सो जाओ.."बोलते हुए मैने फिर चादर तानी ,लेकिन अरुण ने चादर छीन्कर दूर ज़मीन पर फेक दिया...

"बेटा ,बोल दे कि ' आइ लव दारू मोर दॅन एश' वरना...तुझे कॅंप से बाहर निकाल देंगे...साले वो लौंडिया हमसे बड़ी है क्या...."
.
जब सब दोस्त आपके खिलाफ हो जाए तो बड़ी आफ़त होती है यार ! ना चाहते हुए भी वो करना पड़ता है...जो करने मे रत्ती भर भी इंटेरेस्ट नही होता....मैं, ज़मीन पर दूर पड़ी अपनी चादर को कुच्छ देर तक देखता रहा और फिर उसे उठाकर अरुण की तरफ देखकर बोला...
"साले,वो कहाँ सूरजमुखी और तू कहाँ ज्वालामुखी...ज़मीन-आसमान का अंतर है तुम दोनो मे...मैं दूसरे कॅंप मे सो जाउन्गा लेकिन वो नही बोलूँगा...जो तुम लोग मुझसे बुलवाना चाहते हो....गुड नाइट "

मैं अपनी चादर समेट कर बाहर जा ही रहा था कि अरुण ने आवाज़ देकर वापस बुला लिया....
"रहने दे, तू भी क्या याद रखेगा कि किस लड़के से पाला पड़ा था..."

"मैं जानता था की तू मुझे जाने नही देगा...."
वापस लेट कर मैने चादर तानी और दिन भर की थकान के कारण मुझे नींद जल्दी आ गयी. मैं सुबह 8 बजे तक अपनी थकान मिटाता रहा और हमेशा की तरह आज भी मैं सबसे पहले उठा.....

10 बजे तक सारे स्टूडेंट्स कल की तरह उसी जगह जमा हुए,जहाँ कल हुए थे...और हमारा वॉर्डन कल की तरह आज भी शक्तिमान स्टाइल मे अपने दोनो हाथ अपनी कमर मे रखकर इन्स्ट्रक्षन दे रहा था.....उसने एक बार फिर सबसे कहा कि, कोई भी पुल के उस पार नही जाएगा और ना ही कोई दूसरे कॉलेज वालो से कोई विवाद खड़ा करेगा.....एक और बात जो वॉर्डन ने हमे बताई वो ये कि आज रात को खाना जल्दी हो जाएगा ,जिसके बाद इंजिनियर वनाम. डॉक्टर का डिबेट होगा....
"जो-जो लोग पार्टिसिपेट करना चाहते है ,वो मॅम के पास अपना नाम दे दे..."गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन की तरफ इशारा करते हुए उसने कहा....
.
"अरमान, जा तू भी अपना नाम दे दे..."मेरे पीछे खड़े अरुण ने मुझे एक लात मारते हुए कहा...

"लवडे, पॅंट काहे गान्ड कर रहा है और ये सब चूतियापा मेरे लिए नही है...."

"बोल ना फट गयी...बहाने क्यूँ मारता है..."

"मेरी किसलिए फटेगी बे..."

"तेरी इसलिए फटेगी क्यूंकी सबके सामने जाकर बोलने का गट्स तेरे मे नही है...तू बस हम लोग के सामने लंबी-लंबी छोड़ सकता है..."

"अबे जब 5000 लोगो के सामने ,जहाँ मीडीया वाले भी थे....उनके सामने मुझसे कहा गया था कि मैं हमारे देश के मिज़ाइल मॅन से कुच्छ सवाल करू...उस वक़्त जहाँ हर सेकेंड मे मीडीया वाले सैकड़ो फोटो खींच रहे थे...
उस वक़्त जब न्यूज़ चॅनेल्स के सैकड़ो कॅमरा लपलपा रहे थे...
उस समय जब मैं नॅशनल लॉ इन्स्टिट्यूट,भोपाल मे अपने स्कूल को रेप्रेज़ेंट कर रहा था....
तब मेरे हाथ मे माइक दिया गया और मुझसे कहा गया कि मैं डॉक्टर.आव्दुल पाकिर ज़ैनुलब्दीन अब्दुल कलाम से कोई सवाल पुच्छू....

जब उस वक़्त मेरी ज़ुबान नही लड़खड़ाई तो अब इन तुच्छ प्राणियो के सामने मैं हिचकिचाउँगा....ये तेरी ग़लतफहमी है बालक "अरुण से मैने कहा....

मुझे बोलने से पहले ही मालूम चल गया था कि मेरे बोलने के बाद अरुण मुझपर हसेगा और इसपर यकीन नही करेगा....लेकिन साले ने यकीन कर लिया

"खा माँ कसम कि तू सच मे अपने अब्दुल कलाम से फेस टू फेस बात किया है..."

"किया है तो किया है...अब इसमे माँ कसम खाने की क्या ज़रूरत है बे..."

"क्या सवाल किया था तूने...."

"बाद मे बताउन्गा...."बोलते हुए मैं सामने मुड़ा, जहाँ हमारा वॉर्डन बड़े से पत्थर मे खड़े होकर आज रात होने वाले डिबेट की कुच्छ जानकारी दे रहा था....
.
जो स्टूडेंट्स इंजिनियर वनाम. डॉक्टर के खेल मे इंट्रेस्टेड थे उन्होने अपना नाम दे दिया और फिर सभी पहाड़ी से नीचे उतर कर लेफ्ट साइड जाने लगे...कल की तरह आज भी वॉर्डन ने शुद्ध हिन्दी मे निर्देश दिए थे कि पुल की तरफ कोई नही जाएगा और शाम को 4 बजे तक...सब वापस लौट आएँगे.....

कल एमबीबीस कॉलेज के लड़को की वजह से हम लोग फिशिंग के बाद राप्पेल्लिंग मे नही जा पाए थे,जबकि मज़ा तो उसी मे आता था.इसलिए हमारी टोली ने डिसाइड किया कि आज पहले राप्पेल्लिंग मे जाएँगे और फिर वॉर्डन के इन्स्ट्रक्षन की धज्जिया उड़ाकर पुल के पार जाएँगे.....
.
राप्पेल्लिंग करके जब हम लोग उपर से नीचे उतरे तो हमारे शर्ट के कॉलर अपने आप खड़े हो गये थे...सीना गर्व के कारण 3-4 इंच अपने आप चौड़ा हो गया था...

"शुरू मे मेरी नीचे उतरने मे गान्ड फट रही थी लेकिन अब बहुत आसान लग रहा है...अब तो मैं आँख बंद करके पहाड़ के उपरी हिस्से से नीचे ज़मीन पर आ जाउ..."रौबदार आवाज़ के साथ सौरभ ने अपनी बढ़ाई की....
.
"अब किधर चलने का प्लान है...अरमान भाई..."राप्पेल्लिंग वाली जगह से जब हम लोग बहुत आगे आ गये तो पांडे जी ने पुछा...जबकि जवाब वो पहले से जानता था....

"नादिया के पार..."

"वॉर्डन ने देख लिया तो..."पांडे जी ने अपनी शंका जाहिर की..

"एक काम कर तू मत जा...हर बार नेक काम करने से पहले उस मनहूस का नाम लेना ज़रूरी है क्या..."

"मैं तो बस ऐसे ही पुच्छ रहा था ,अरमान भाई...नाराज़ क्यूँ होते हो "
.
हमारे साथ-साथ वॉर्डन खुद भी शायद यह जानता था कि हम लोग उसके मना करने के बावजूद आज भी पुल के उस पार जाएँगे,इसीलिए उसने आज सुबह हम मे से किसी को नही टोका था...हम लोग पुल पर चढ़े तो सुलभ ने पुल मे इधर-उधर बैठकर रस-लीला कर रहे प्रेमी जोड़ो को परेशान करने की फरमाइश की...लेकिन सुलभ के सिवा हम मे से किसी और का ऐसा करने का बिल्कुल भी मन नही था,इसलिए हमने प्रेमी जोड़ो को परेशान करने का ये प्लान ड्रॉप किया और सीधे पुल के उस पार पहुँचे....
.
"कॉफी हाउस भी नही जा सकते,वरना यदि वो वेटर हमे पहचान गया तो लफडा कर देगा...."पुल के दूसरी तरफ पहूचकर मैने कहा...

"क्यूँ...आंजेलीना ने बिल तो भरा ही होगा ना कल..."

"बिल भले ही आंजेलीना ने भर दिया हो..लेकिन बिना बिल पे किए हम लोग वहाँ से भागे थे ये मत भूल और मेरा सिक्स्त सेन्स कहता है कि हमारे वहाँ जाने से कोई लोचा हो सकता है...."

इस तरह हमने कॉफी हाउस के अंदर जाने का भी प्लान ड्रॉप किया और इधर उधर नज़र मारी तो एक छोटी सी दुकान दिखी...जो कॉफी हाउस से थोड़ी दूर मे थी.

"सबको एक-एक चाय पिलाना भैया..."ऑर्डर देकर जब हम लोग अंदर घुसने लगे तो दंग रह गये...क्यूंकी वहाँ अंदर कल्लू,कंघी चोर...समोसे की प्लेट हाथ मे पकड़ कर सरपट खाए जा रहा था,.....

"ये भी भागता है...यकीन नही होता..."बोलते हुए अरुण कल्लू के बगल मे बैठा और ज़ोर से उस कन्घिचोर की पीठ थपथपाई...जिससे उसके हाथ से समोसे का प्लेट सीधे ज़मीन मे आ गिरा....

"साले, अब इसके पैसे क्या तेरा बाप देगा...."कल्लू भैया के हाथ से जब उनके समोसे का प्लेट छूट कर ज़मीन पर गिर गया तो वो एक दम से अरुण के उपर भड़क उठा, बिना इसकी परवाह किए की उसकी पेलाइ भी हो सकती है....

"सॉरी.."अरुण बोला...
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