RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
अपना काम करने के बाद मैं ये मानने लगा था कि मेरा सेलेक्षन तो पक्का है,लेकिन जब सबने उस पेज को पढ़ा तब उस एक घंटे के ख़तम होते-होते तक मेरी ये धारणा ग़लत साबित हुई क्यूंकी वहाँ एक से बढ़कर एक थे...
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"अब आप सब अपनी क्लास मे जाओ, कल फिर से मिलेंगे...और एक बात , जब गोल्डन जुबिली का फंक्षन होगा तो उसके स्टार्टिंग मे किसी को बहुत ही लंबी स्पीच देनी पड़ेगी,वो भी बिना देखे...जिसका टॉपिक मैं तुम लोगो को दे दूँगा....तो कोई तैयार है उसके लिए..."
वहाँ भले ही मुझसे काबिल लौन्डे बैठे थे ,जो स्टेज पर जाकर मुझसे अच्छा बोल लेते थे...लेकिन उनमे वक़्त-बेवक़्त डाइलॉग ठोकने की काबिलियत ज़रा सी भी नही थी और जब छत्रपाल के उस स्पीच वाले प्लान पर किसी ने अपना हाथ खड़ा नही किया तो मैने इस मौके को भुनाना चाहा क्यूंकी ये छत्रपाल पर अपना इंप्रेशन डालने का एक सॉलिड मौका था...
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"मैं तैयार हूँ ,सर..."बोलते हुए मैने पहले अपना हाथ खड़ा किया और फिर खुद खड़ा हो गया...
"श्योर...क्यूंकी कॉलेज के दिनो मे ऐसा ही कुच्छ करते वक़्त मैं बीच मे अटक गया था...सोच लो.."
"101 % श्योर हूँ...और आप बेफिकर रहिए मैं बीच मे कही भी नही रुकुंगा..."
"यही कॉन्फिडेन्स मैने तुम्हारा कल वीई की क्लास मे देखा था...लेकिन बाद मे हुआ क्या तुम बखूबी जानते है. मैने तुम्हारे बारे मे बहुत-कुच्छ सुना है जिससे मैं इस निष्कर्स पर पहुचता हूँ कि आप खुद को बहुत स्पेशल मानते हो..."
"ये छेत्रू, हर वक़्त मेरी लेने मे क्यूँ लगा रहता है..."छत्रपाल सर की बाते जब मुझे काँटे की तरह चुभी तो मैने खुद से कहा और फिर वो काँटा निकालकर सीधे छत्रपाल के सीने मे घुसाते हुए बोला"सर, दरअसल बात ये है कि लोग आपको स्पेशल तभी मानते है ,जब आप कोई ऐसा काम कर देते हो..जो वो नही कर पाते...चलता हूँ सर, टॉपिक आपसे क्लास मे ले लूँगा, हॅव आ नाइस डे "
छत्रपाल को अपना आटिट्यूड दिखा कर मैं ऑडिटोरियम से निकला और क्लास की तरफ बढ़ा....
मैने छत्रपाल को आख़िर मे जो जवाब दिया ,उसे सुनकर छत्रपाल जी मुस्कुराए तो ज़रूर लेकिन खुन्नस मे....छत्रपाल के प्रति मेरे इस रवैये से वहाँ मौज़ूद सभी स्टूडेंट्स मुझे ऐसे देखने लगे जैसे वो बहुत दिनो से भूखे हो और मैं उनका खाना हूँ....लेकिन किसी ने एक लफ्ज़ भी मुझसे नही कहा, क्यूंकी वो जानते थे कि अरमान को छेड़ने का मतलब खुद को घायल करना है....
ऑडिटोरियम से बाहर निकल कर जब मैं अपनी क्लास की तरफ आ रहा था तभी मुझे इसका अंदाज़ा हो गया था छेत्रू से मैने ऑडी. मे अकड़ कर जो बात की उसकी खबर बहुत जल्द पूरे कॉलेज मे फैल जाएगी और उस खबर को सुनने के बाद ये भी हो सकता था कि मुझसे जलने वालो की लिस्ट मे छत्रपाल के कयि दिए हार्ड फॅन भी जुड़ जाएँगे....क्यूंकी छत्रपाल सर, हमारे कॉलेज के मोस्ट लविंग टीचर थे और मेरी तरह उनकी भी एक लंबी-चौड़ी फॅन फॉलोयिंग थी
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जब मैं क्लास पहुचा तब तक दूसरा पीरियड चालू हो चुका था इसलिए मैने अंदर आने की पर्मिशन माँगी....
"कहाँ गये थे..."
"आंकरिंग की प्रॅक्टीस करने ऑडिटोरियम मे गया था..."
"सच, झूठ तो नही बोल रहे..."पवर प्लांट सब्जेक्ट के टीचर ने मुझपर अपना ख़ौफ्फ प्लांट करने की कोशिश करते हुए बोले"मैं छत्रपाल जी से क्लास के बाद पुछुन्गा और यदि उन्होने मना किया तो तुम्हारी खैर नही...कम इन..."
"बक्चोद, म्सी...लवडे का बाल..."बड़बड़ाते हुए मैं क्लास के अंदर आया ही था कि पवर प्लांट एंगग. वाले सर ने मुझे फिर रोका...
"क्या कहा तुमने...हुह"
"कुच्छ नही...थॅंक्स कहा आपको...थॅंक यू सर..."
"ओके..ओके..जाओ अपनी जगह पर बैठो..."
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मैं जाकर अपनी जगह पर विराजमान हो गया और हमेशा की तरह आज भी अरुण मेरे साइड,सौरभ...अरुण के साइड मे और सुलभ...सौरभ के साइड मे बैठा हुआ था....इस वक़्त मेरी इज़्ज़त मेरे दोस्तो की नज़र मे अचानक ही बढ़ गयी थी और वो चारो मुझे ऐसे देख रहे थे जैसे मैं बॉर्डर पर बड़ी ही घमासान लड़ाई लड़कर आया हूँ....
"क्या हुआ आज..."पी के सर,जब कुच्छ लिखने के लिए दीवार की तरफ मुड़े तो अरुण ने पुछा...
"कहाँ क्या हुआ..."
"अबे वही...ऑडिटोरियम मे क्या हुआ..."
"कुच्छ खास नही हुआ...जब वहाँ पहुचा तो छेत्रु ने एक पन्ना हाथ मे थमा दिया और बोला कि स्टेज मे जाकर बको....उसने ये भी कहा कि ऑडिटोरियम पूरा भरा पड़ा है हमे ऐसा इमॅजिनेशन करना होगा...साला क्या बकवास ट्रिक है...एक दम फ्लॉप :"
"फिर..."
"फिर क्या...बक दिया सब कुच्छ. "
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पीपीई वाले सर बोर्ड मे एक लंबा-चौड़ा डाइयग्रॅम बना रहे थे,जिसके चलते उनका अग्वाडा बोर्ड की तरफ था और इधर हम दोनो पूरे वक़्त बात करते रहे .
रिसेस के वक़्त हम लोग क्लास से बाहर आ रहे थे कि कल जिस लड़की का टिफिन मैने खाया था उसने मुझे आवाज़ देकर कहा कि "मैं ,उसके साथ उसका टिफिन शेयर कर सकता हूँ" लेकिन उस लड़की का चेहरा देखकर मेरा पेट बिना खाए ही भर गया....कल की बात कुच्छ और थी,जो मैने उसके साथ उसी की जगह पर बैठकर उसका लंच शेयर किया था.
"मुझे भूख नही है और मेरी तबीयत भी कुच्छ ठीक नही लग रही...इसलिए तुम अकेले ठूंस लो,मेरा मतलब अकेले खा लो..."
"क्या हुआ...बुखार है क्या.."
"नही कॅन्सर है..."(अपने काम से काम रख बे )
उस लड़की से भूख ना होने का बहाना करके मैं क्लास से बाहर निकला तो पाया कि मेरे दोस्त मुझे अकेले छोड़ कर कॅंटीन चले गये थे...बक्चोद कही के .खैर कोई बात नही, होता है कभी-कभी...इसमे बुरा मानने वाली कौन सी बात है...
खुद को कंट्रोल करते हुए मैं भी कॅंटीन की तरफ बढ़ा ये सोचकर कि आज तो पेल के खाउन्गा क्यूंकी आज तो कॅंटीन का सारा समान मेरे लिए फ्री था....
कॅंटीन के अंदर घुसकर मैने अरुण और बाकी सब कहाँ बैठे है ,ये देखने के लिए सबसे पहले आँखो से पूरी कॅंटीन छान मारी...लेकिन वो सब कही नही दिखे...
"ये लोग किधर कट लिए ,आए तो इधर ही थे..."हैरान-परेशान होते हुए मैने सोचा और जाकर एक ऐसी टेबल की तरफ बढ़ा...जो एक दम खाली था .वहाँ बैठकर मैने कॅंटीन वाले को चार समोसे, एक फुल प्लेट चोव में, एक एग रोल के साथ आधा लीटेर वाला एक कोल्ड ड्रिंक माँगाया और ये सोचते हुए मैं खुशी-खुशी खाने लगा कि इन सबका बिल मुझे नही देना पड़ेगा....
इस बीच वहाँ एश भी अपने फ्रेंड्स के साथ आई.एश को देखकर मेरा दिल किया कि मैं अभिच आधे लीटेर वाले कोल्ड ड्रिंक की बॉटल लेकर अपनी जगह से उठु और उसकी फ्रेंड्स को वहाँ से भगाकर एश के सामने वाली चेयर पर बैठ जाउ और हम दोनो एक ही कोल्ड ड्रिंक मे दो स्ट्रॉ डालकर एक साथ पूरी बॉटल खाली कर दे....हाउ रोमॅंटिक : लेकिन मैं ये नही कर पाया क्यूंकी वहाँ एश के साथ आर.दिव्या भी विराजमान थी....कुल मिलकर कहे तो मेरी लव स्टोरी से गौतम के चले जाने के बाद ये र.दिव्या ही एकमात्र काँटा था जो मुझे एसा के करीब आने से रोक रहा था....
जब मैने सब कुच्छ खा-पीकर ख़तम कर दिया तो मैने एक डकार ली और कॅंटीन के काउंटर पर बैठे हुए आदमी को हाथ दिखाया ,जिसके जवाब मे काउंटर वाले ने भी हाथ दिखाया.जिसका मतलब था कि मेरा बिल पे हो गया है....इसके बाद मैने टाइम देखा.
"लंच ख़तम होने मे अभी भी आधा घंटा बाकी है, तब तक क्या पकड़ कर हिलाऊ...साले ये लोग भी कहाँ मर गये..."कॅंटीन के गेट की तरफ देखते हुए मैने कहा...
वहाँ खाली बैठकर मैने 10 मिनिट और खुद को बोर किया और मौका मिलते ही आँखे चुराकर एश को देख लेता था....मेरी इसी लूका-छिपि के खेल मे मेरी नज़र कल वाली लड़की पर पड़ी,जिसका नाम आराधना था.....
"क्यूँ ना 20 मिनिट इसी के साथ बिताया जाए..."आराधना को देखकर मैने एक पल के लिए सोचा और फिर दूसरे ही पल आराधना के पास गया. वहाँ आराधना के साथ दो लड़किया और भी थी...जो मेरे इस तरह अचानक से वहाँ आ जाने पर थोड़ा घबरा गयी....
"आप लोगो को बुरा ना लगे तो क्या मैं इनसे 2 मिनिट बात कर सकता हूँ..."शरीफो वाली स्टाइल मे मैने आराधना की दोनो फ्रेंड्स से कहा...
"हू आर यू ,हुउऊउ...और क्या बात करनी है तुम्हे...हुउऊ"वहाँ आराधना के साथ बैठी दोनो लड़कियो मे से एक ने मुझसे ऐसे पुछा जैसे उनका सीनियर मैं नही ,बल्कि वो मेरी सीनियर है....
"तुम मुझे नही जानती... "
"वही तो पुछा ,हू आर यू...हुउऊ...और तुम क्या कोई सूपरस्टार हो जो मैं तुम्हे जानूँगी...हुउऊ"
" तू पहले अपना ये हूउ-पुउ बंद कर वरना यह्िच पर तेरा सारा हूउ-पुउ निकाल दूँगा...चश्मिश कही की..."
"अरे अजीब गुंडा गर्दि है...."
"ओये चल उठ यहाँ, दिमाग़ खराब मत कर...बहुत हो गया ये तेरा हूउ-पुउ...अब यदि तूने एक शब्द भी आगे कहा तो....."
"तुम दोनो जाओ ना यहाँ से, क्यूँ सीनियर से ज़ुबान लड़ा रही हो...मैं इन्हे जानती हूँ ये बहुत अच्छे है..."मैं अपनी बात पूरी करता उससे पहले ही आराधना बोल पड़ी....
"ऊओह ,तो ये हमारे सीनियर है...तुझे पहले बताना था ना ये...बेवकूफ़ कही की..."आराधना पर भड़कते हुए उस चश्मिश ने मुझे सॉरी कहा और फिर अपनी दूसरी चश्मिश दोस्त को लेकर वहाँ से उठकर दूसरे टेबल पर चली गयी....
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"हाई, सर..."मेरे वहाँ बैठते ही आराधना ने बड़े प्यार से कहा....
और सच कहूँ तो ये सुनकर मुझे एक पल के लिए रोना आ गया क्यूंकी ये पहली बार था,जब किसी लड़की ने मुझसे इतने प्यार से बात की थी वरना आज तक मेरे कॉलेज की लगभग सभी लड़कियो ने मुझे फ़ेसबुक मे ब्लॉक मार के रखा हुआ है....
"एनी प्राब्लम सर..."मुझे अपनी तरफ एकटक देखता हुआ पाकर आराधना ने पुछा...
"कोई प्राब्लम नही है और ये तू मुझे सर मत बोला कर..."
"क्यूँ सर..."
"क्यूंकी सर, वर्ड सुनकर मुझे ऐसा लगता है जैसे मेरी उम्र 35 + हो..."
"ओके सर..."
"बोला ना, सर मत बोल..."
"ठीक है सर..."
"फिर बोली तू...एक बार मे समझ नही आता क्या..."
"ठीक है ,अब नही बोलती...तो फिर आपको भैया बोलू..."
"भैया.... , एक बात बताओ ,तुम लड़कियो को भैया बोलने की इतनी जल्दी क्या रहती है और खबरदार जो मुझे भैया बोला तो...."
"तो फिर क्या आपको ,आपका नाम लेकर पुकारू..."
"बिल्कुल नही....और सुन..."उसकी तरफ थोड़ा झुकते हुए मैने कहा ,लेकिन वो मेरी तरफ झुकने के बजाय वापस और पीछे हो गयी...
"ये आप क्या कर रहे हो..."
"इसकी माँ का....अबे मैं तुझे किस नही कर रहा,बल्कि कुच्छ कहना चाहता हूँ...इसलिए अपना कान इधर ला..."
"पर क्यूँ..."
"अरे आना पास..."मैने ज़ोर देते हुए कहा.
मेरे इतना अधिक ज़ोर देने पर आराधना थोड़ा सा मेरे नज़दीक आई तब मैने उससे कहा...
"वो मेरे पीछे एक लड़की ग्रीन कलर की ड्रेस पहने हुए बैठी है... दिखी तुझे.."
"कौन...एश मॅम.."
"हां वही...तू कैसी जानती है उसे..."
"कल मुलाक़ात हुई थी उनसे...तभी उनसे जान-पहचान हुई थी..."
"चल ठीक है,अब ये बता कि वो किधर देख रही है..."
"वो तो अपने मोबाइल मे देख रही है..."
" ,चल कोई बात नही..चलता हूँ...थॅंक्स"उदास होते हुए मैने उससे कहा और वहाँ से उठने के लिए तैयार ही हुआ था कि आराधना ने मुझे पकड़ कर वापस बैठा लिया....
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