RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
वेलकम के बाद एक घंटे का समय हम लोगो का खाली बीता था और उसी मे ये सब कुच्छ हुआ...यानी कि अरुण-सौरभ का दारू पीकर ट्रॅफिक रूल्स तोड़ने वाले उस शक्स को मारना....लीव दारू, लिव लाइफ...का मेरे द्वारा इन्वेन्षन करना और फाइनली एश को किस करना......
एश को किस करने के बाद उससे,मैं सीधे शाम को आंकरिंग के वक़्त मिला....स्टेज पर तो वो अपने चेहरे पर मुस्कान धारण किए हुए आई लेकिन मुझे देखा तक नही और पूरे प्रोग्राम के दौरान उसने मुझसे बात नही की....अब एश का ऐसा बर्ताव देखकर लवडा मेरे अंदर वाला भी अरमान जाग गया और मैं उससे एक मीटर दूर खिसक कर खड़ा हो गया और फिर मैने भी पूरे प्रोग्राम के दौरान एश से बात नही की....
"बहुत बोल रही थी कि लेट'स हॅव सेक्स...लेट'स हॅव सेक्स...ले कर लिया सेक्स तो अब क्यूँ गाल फूला रही है....गूगल महाराज , कोई तो ऐसा फ़ॉर्मूला दो, जिसके कारण मैं इन लड़कियो को समझ सकूँ ...पता नही मेरा क्या होगा..."
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और फिर उस फेरवेल पार्टी का अंत हुआ.ये मेरे कॉलेज लाइफ की एकलौती ऐसी जश्न वाली रात थी, जिसमे अरुण और सौरभ मेरे साथ नही थे और अजीब बात ये कि मैने उन दोनो को मिस भी नही किया...ज़रा सा भी नही. वो दोनो मुझे उस रात आख़िरी बार कंट्री क्लब के बाहर ही दिखे थे और उसके बाद मैने उन्हे नही देखा....हालाँकि सुलभ जूनियर्स के बीच हमेशा मुझे दिखा,पता नही वो जूनियर्स को उस पूरे दिन क्या बताता रहा लेकिन अक्सर वो उनसे बात करते हुए मेरी तरफ उंगली दिखाता, जिससे मैं समझ जाता कि वो ज़रूर जूनियर्स को मेरे बहादुरी के किस्से सुना रहा होगा.....
रात को खाने के वक़्त भी मैने अरुण और सौरभ को मिस नही किया...क्यूंकी अक्सर बीच-बीच मे कोई क्लासमेट कोई जूनियर आता और मेरे साथ फोटो खिंचवाता....फिर हमारा क्लास का ग्रूप फोटो भी हुआ और उस फोटो को मैने अपने दस हज़ार के मोबाइल मे कॅप्चर भी किया....
मुझे मेरी क्लास की लड़किया बिल्कुल भी पसंद नही थी लेकिन उस दिन की उनकी फोटो ना जाने क्यूँ डेलीट करने का मेरा दिल नही किया.....
"अरमान भाई....एक फोटो मेरे साथ भी..."राजश्री पांडे ने मेरे खाने की प्लेट से रसगुल्ला उठा कर कहा"मुझे भी आंकरिंग सिख़ाओ ना, नेक्स्ट एअर मैं भी करूँगा...."
"ले खा ले पूरा..."अपने खाने की प्लेट राजश्री पांडे के हाथ मे थमाते हुए मैने कहा....
"ये क्या, अरमान भाई...खुद ही कहते हो कि दिल पे नही मुँह मे लो और खुद दिल पे ले रहे हो..."
"अबे, मैं लंड पे ले रहा हूँ...वो देख कुच्छ लौन्डे इधर आ रहे है और जैसा की कुच्छ देर से मैं देख रहा हूँ उसके अनुसार वो बीसी फोटो खिंचवाने के लिए आ रहे है...."
"तो इसीलिए आपने प्लेट मेरे हाथ मे रख दी..."
"अब लिख कर दूं क्या... जब तक मैं आ नही जाता ,बेटा यही पर रहियो वरना...."
"ओके अरमान भाई..."
"ये क्या अरमान भाई...अरमान भाई लगा रखा है बे...श्री अरमान भाई बोल..."
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पांडे जी को खाने की प्लेट धारकर मैं उससे थोड़ी दूर खड़ा हो गया और जैसा मैने सोचा था, वैसे ही वो लौन्डे मुझे पकड़ कर फोटो खिंचवाने के लिए ले गये....मन तो बहुत कर रहा था की ,सालो को बहुत गालियाँ बकुँ...लेकिन फिर सोचा कि जाते-जाते क्यूँ किसी के भीतर विरोधाभास अलंकार पैदा करके जाउ, इसलिए मैं उनके साथ चला गया....
"वहाँ क्या कर रहे थे, सर..."
"कुच्छ खास नही ,बस पढ़ाई कर रहा था....15 दिन बाद एग्ज़ॅम जो है...."
"जाते-जाते कुच्छ टिप्स या अड्वाइज़ देते जाओ ना सर...ताकि हम लौन्डो का कुच्छ भला हो..."एक जूनियर ने फोटो सेशन के बाद मुझसे पुछा...
उस लड़के के ऐसा बोलते ही वहाँ मौज़ूद बाकी लड़को ने भी हाउ-हाउ करना शुरू कर दिया.....
"टिप्स....ह्म्म....'सी' ईज़ दा मोस्ट अडल्ट/बॅड लेटर इन दा आल्फबेट...फॉर एग्ज़ॅंपल....चूत,चूतिया, चूतड़, चूस ,चूची ,चॅट ,चोदु,चुदाई एट्सेटरा. एट्सेटरा. "
"अरे हम इस तरह के टिप्स की बात नही कर रहे है...हमारा मतलब करियर..फ्यूचर से था...कुच्छ अड्वाइज़ दो ना..."
"ले...ये तो वही बात हो गयी कि प्यासे से कुए का पता पुछ्ना...चोदु साले..."उस जूनियर को देखकर मैने गला फाड़-फाड़ कर खुद से कहा ,लेकिन जब उसने पुछा था तो मुझे कुच्छ ना कुच्छ तो कहना ही था और मेरे ख़याल से मैने आगे जो कहा ,वो शायद किसी भी सवाल के लिए मेरा बेस्ट आन्सर था....
"तुमसे बेहतर तुम्हारे करियर...तुम्हारे फ्यूचर के बारे मे कोई नही सोच सकता.एक महान पुरुष थे ,उन्होने कहा था कि 'आप हमेशा वैसे ही बनते हो ,जैसा कि आप सोचते हो ना की जैसा दूसरे सोचते है.....बेस्ट ऑफ लक..सॉरी मेरा मतलब ऑल दा बेस्ट...चोद दो दुनिया"
वहाँ से निकलकर मैं वापस खाने की टेबल की तरफ भागा , जहाँ पांडे जी मेरी प्लेट हाथ मे लिए हुए अब तक खड़े थे....
उस वक़्त मुझे जैसे यकीन नही हो रहा था कि आज के बाद मैं कभी क्लास नही जाउन्गा, पता नही मुझे ये यकीन करने मे मुश्किल क्यूँ हो रही थी कि आज से मैं बोरिंग लेक्चर्स अटेंड नही कर पाउन्गा....वैसे इस बात से मुझे खुश होना चाहिए था क्यूंकी अब ना तो कोई असाइनमेंट पूरा करना था और ना ही कोई प्रेज़ेंटेशन देना था...अब ना तो सुबह 9 बजे उठने की ज़रूरत थी और ना ही रात को जल्दी सोने की मज़बूरी...इन सबसे मुझे बहुत खुश होना चाहिए था,क्यूंकी वास्तव मे ये वही चीज़े थी...जिनकी मुझे हमेशा से चाह थी...लेकिन मैं खुश नही था ,ज़रा सा भी नही...बल्कि इस वक़्त मेरे दिमाग़ के बॅकग्राउंड मे एक म्यूज़िक स्लोली-स्लोली बज रहा था और हाथ मे खाने की प्लेट लिए मैं स्लोली-स्लोली कयि लोगो के बारे मे सोच रहा था.... सबसे पहले मैने जिसके बारे मे सोचा वो मेरा दोस्त अरुण था....
अरुण : कॉलेज मे मुझसे मिलने वाला पहला इंसान...जो बिल्कुल मेरे टाइप का है. बस लौन्डे की याददाश्त थोड़ी कम है , जैसे कि इसे कुच्छ बोला जाए कि 'चोदु, ये बात किसी को मत बताना...तो अक्सर ये वो बात जोश-जोश मे दूसरो के सामने बक देता है...और फिर मुझसे गालियाँ ख़ाता है....'
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नवीन : शुरुआत मे ये मेरे बहुत करीब रहा ,लेकिन जब थर्ड सेमेस्टर से हम लोग ब्रांच वाइज़ डिवाइड हुए तो इसका कनेक्षन मुझसे थोड़ा टूट गया और जब एस.पी. के बंग्लॉ मे पांडे जी ने इसकी बाइक ठोकी तो उसके बाद मुझसे इसका कनेक्षन पूरी तरह ही टूट गया....ईवन हाई, हेलो की फॉरमॅलिटी तक हम दोनो अब नही निभाते.
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भूपेश(बी.एच.यू.) : इससे मेरी दोस्ती अरुण के कारण हुई थी और अरुण के कारण ही ये हमारे साथ एक साल तक रहा.वैसे ये लौंडा मुझे कुच्छ खास पसंद तो नही था, लेकिन अरुण और सौरभ इसके बारे मे बहुत बाते करते थे, जिसके कारण मुझे भी ऐसा दिखावा करना पड़ता था कि वो मेरा बहुत अच्छा दोस्त था. भू की मुझे सिर्फ़ एक क्वालिटी पसंद थी और वो ये कि भू को हमेशा सारे खबर की जानकारी रहती थी ,फिर चाहे वो खबर कॉलेज की हो या फिर दुनिया की....
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विभा : कॉलेज मे मुझसे मिली पहली लड़की...दरअसल मैं जो बाद मे बना उसकी नीव इसने और इसके बाय्फ्रेंड-वरुण ने मिलकर रखी थी....बाद मे ये एक साल तक हमारे यहाँ टीचर रही और मुझे हमेशा अपने सब्जेक्ट मे अच्छा नंबर दिया...विभा को मैं दो कारण से कभी नही भूल सकता ,पहला'ए वॉक टू जंगल' और दूसरा इसके लास्ट वर्ड्स(फक यू) जो इसने जाते-जाते मुझसे कहे थे....
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दीपिका मॅम : इसके बारे मे क्या कहना...एक तरफ इसने मुझसे अपनी गान्ड मरवाई और दूसरी तरफ मेरी खुद भी मारी....कॉलेज मे अब तक की बेस्ट माल. आइ होप की जो मैने उसके साथ किया ,उसके बाद वो मुझे ज़िंदगी भर ना भूले और मेरे लंड को हमेशा याद रखे.
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वरुण : इस दुनिया मे मैं सबसे ज़्यादा जिन लोगो से नफ़रत करता हूँ, ये चूतिया उनमे से एक है...कॉलेज मे इसकी बादशाहत कयि सालो तक रही लेकिन जब सीडार भाई ने हॉस्टिल वालो को एक किया तो वरुण का पतन होना शुरू किया और आख़िर मे मैने इसकी कब्र बनाई और इसे गाढ दिया....अपने कॉलेज के आख़िरी दीनो मे वरुण की हालत एक कुत्ते की तरह थी और ये 8 साल तक इंजिनियरिंग करने के बावज़ूद इंजिनियरिंग की डिग्री हासिल नही कर पाया और कॉलेज वालो ने इसकी गान्ड पर लात मार इसे बाहर कर दिया....
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एश : एश....माइ लव. जो मेरी ज़िंदगी मे अपने बाय्फ्रेंड के साथ आई, लेकिन कॉलेज के आख़िरी दिनो मे मेरी गर्ल-फ्रेंड बनी....ये एक ऐसी लड़की थी ,जो मुझे बोर करे या मुझसे घिसी-पिटी बातें करे तो भी मुझे बहुत मज़ा आता था...वैसे इसने तो मुझे 8थ सेमेस्टर मे प्रपोज़ किया था लेकिन मैने तो इसे तीन-तीन लॅंग्वेज मे फर्स्ट सेमेस्टर मे ही आइ लव यू बोल दिया था...जिसका पता इसे अभी तक नही है...
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गौतम : एश के साथ मिला एक गिफ्ट...एक ऐसा गिफ्ट जो अच्छा होते हुए भी मुझे कभी पसंद नही आया. यदि ये एश का बाय्फ्रेंड नही होता और मेरे सामने ज़्यादा होशियारी नही छोड़ता तो ज़रूर मैं इसकी इज़्ज़त करता ,पर फिलहाल ऐसा कुच्छ भी नही था और हम दोनो एक-दूसरे की सूरत तक से नफ़रते करते थे, करते है और करते रहेंगे.....
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सीडार : सीडार के कॉलेज मे आने से पहले अक्सर ये होता था कि सिटी के लौन्डे हॉस्टिल मे घुसते और हॉस्टिल वालो को मार-पीट कर चले जाते थे...लेकिन फिर इस लौन्डे ने सभी हॉस्टिल वालो को एक साथ किया और सिटी वालो की वो हालत की....कि अब सिटी वाले या लोकल लौन्डे हॉस्टिल का नाम सुनकर ही काँप जाते है और पूरी दुनिया का एकमात्र ऐसा इंसान जिसकी बातें मैं माना करता था.फिलहाल तो वो इस दुनिया मे नही है, लेकिन उनकी यादें हमेशा मेरे साथ इस दुनिया मे रहेगी और कॉलेज मे मेरा नाम सालो तक चले या ना चले इनका नाम ज़रूर चलेगा, ऐसा मेरा मानना था.
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दिव्या : एश के साथ ये भी एक गिफ्ट के रूप मे मेरी ज़िंदगी मे आई थी...वैसे तो शुरू-शुरू मे ये मेरी फॅन थी लेकिन बाद मे जैसे-जैसे मेरा और गौतम का प्यार परवान चढ़ा,वैसे-वैसे इसका बिहेवियर बदलता गया...ये मुझे शुरुआत से ही पसंद नही थी ,लेकिन अरुण अक्सर बोला करता था कि इसका दूध बहुत मस्त है,पर अफ़सोस कि मैं कभी देख नही पाया
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सौरभ : वेल, इसकी एंट्री मेरी लाइफ मे एक साल बाद हुई लेकिन जोरदार हुई और इसी ने मुझे ये मानने पर मजबूर कर दिया कि बेस्ट फ्रेंड एक नही ,दो भी हो सकते है या फिर दो से भी ज़्यादा...
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सुलभ : मेरी तरह महा-घमंडी और पूरे कॉलेज मे इसे सिवाय इसकी गर्ल फ्रेंड के कोई दूसरी लड़की पसंद नही थी....कभी-कभी ये आँड खा जाता है लेकिन यदि दोस्तो को मदद की ज़रूरत हो तो कभी अपने हाथ खड़े नही करता...फिर चाहे वो मदद का समय एग्ज़ॅम के एक रात पहले किसी को पूरा टॉपिक पढ़ने का क्यूँ ना हो....
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मेघा : सुलभ की गर्ल फ्रेंड और कॉलेज का एकमात्र ऐसा कपल जिसके बारे मे मैने कभी उल्टी बात नही की...
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राजश्री पांडे : पांडे जी से मेरी पहचान ,सीडार भाई के कारण हुई थी....दिल का सॉफ और मेरा सबसे बड़ा चेला...हमारे कॉलेज मे गुटखे का ब्रांड अंबासडर.
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आंजेलीना : इसकी एंट्री मेरी लाइफ मे किसी तूफान की तरह हुई थी और यदि ये मेरे कॉलेज मे पढ़ती तो मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ कि मुझे इससे प्यार हो जाता...मैं आंजेलीना के साथ मुश्किल से तीन दिन रहा था, पर वो तीन दिन मेरी लाइफ के सबसे यादगार तीन दिनो मे से थे...कुल-मिलकर मैं कहूँ तो यदि मुझे ये अब मिल जाए तो मैं एश को छोड़ कर इससे डाइरेक्ट शादी कर लूँ...आइ रियली लाइक हर
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छत्रपाल : छत्रपाल यानी की छत्रु...ये मुझे सिर्फ़ इसलिए नही पसंद था क्यूंकी ये भी मेरी तरह फिलॉसोफी झाड़ता था और मौके बेमौके बिना माँगे मुझे सलाह दिया करता था...वो तो टीचर होने के कारण मैने लिहाज किया ,वरना इसको अपने शब्दो से ऐसा चोदता कि मेरे पैर पकड़ कर मुझसे माँफी माँगते हुए कहता"गुरु जी माफी दे दो, हमसे ग़लती होई गवा..."
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आराधना : मेरी ज़िंदगी की पहली गर्लफ्रेंड...जो कि ठीक एक नॉर्मल लड़की की तरह थी...दूसरी लड़किया जहाँ मेरे पास तक नही भटकती थी वही ये मेरे साथ तांडव करने मे लगी रहती थी....आराधना खुद को बहुत फन्नी समझती थी और अक्सर फ़ेसबुक, मागज़िने ,नाना-नानी की कहानिया किताब के ऐसे सड़े हुए जोक्स मारती थी, जिससे बेटर जोक तो मैं तब मारता था जब मैं केजी-1 मे था....मैने इसका दिल तोड़ा लेकिन मुझे कभी बुरा नही लगा और ना ही मुझे ऐसा करते वक़्त मुझे आराधना से कोई सिंपती थी...बस दिल किया और मैने उसका दिल तोड़ दिया....
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