Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
08-21-2019, 01:10 PM,
#66
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
थोड़ी देर बाद सब फिर इंनोवा में बैठ जाते हैं. इस बार विमल बीच में बैठा था क्यूंकी वो सुनीता के पास बैठना चाहता था. इस बार विमल सुनीता की शॉल में घुस जाता है और सोनी के चेहरे पे गुस्से और जलन के भाव आ जाते हैं.

सुनीता भी उसे मना नही करती क्योंकि उसका दिल भी विमल के साथ रहने को कह रहा था.

विमल सुनीता के कंधे पे अपना सर रख कर आँखें बंद कर लेता है जैसे सोने लगा हो, आर सुनीता प्यार से उसके बालों में अपनी उंगलियाँ फेरने लगती है. विमल का हाथ धीरे धीरे सुनीता की जाँघ पे चला जाता है और वो से सहलाने लगता है. सुनीता को एक झटका लगता है पर वो कुछ बोलती नही.

विमल अपना दूसरा हाथ सोनी की शॉल में घुसा कर उसकी जांघे सहलाते हुए उसकी चूत पे अपना हाथ फेरने लगता है. सोनी खुश हो जाती है और वो विमल के साथ चिपक जाती है.सोनी की चूत को सहलाते हुए विमल सुनीता के कंधे के नंगे हिस्से पे किस करता है. सुनीता थोड़ा सा मूड जाती है और विमल का सर उसकी क्लीवेज पे आ जाता है और वो अपनी ज़ुबान उसके क्लीवेज पे फेरने लगता है. सुनीता के जिस्म में आग भड़कने लगती है और वो विमल के सर को अपनी छाती पे दबा लेती है. विमल अपने जिस हाथ से उसकी जाँघ सहला रहा था उसे वो सुनीता की कमर के पीछे से ले जा कर उसके स्तन पे रख देता है और कस के उसके साथ चिपक जाता है. अपने स्तन पे विमल के हाथ का अहसास सुनीता में और गर्मी पैदा कर देता है और वो ना चाह कर भी बहती चली जाती है. विमल अपना सर उठा कर सुनीता के होंठो पे अपने होंठ रख देता है. दोनो के जिस्म को झटका लगता है और विमल कस के सोनी की चूत दबा देता है.

सोनी अपनी सिसकियाँ रोकने के लिए अपने होंठ अपने दाँतों में दबा लेती है. सोनी से और बर्दाश्त नही होता, वो अपनी सलवार ढीली करती है और पैंटी नीचे सरका देती है, अब विमल का हाथ सीधा उसकी नंगी चूत पे आ जाता है और वो उसकी चूत में अपनी उंगली घुसा देता है.सोनी धीरे धीरे अपनी कमर हिला कर विमल की उंगली से अपनी चूत की चुदाई करने लगती है. कहीं किसी को पता ना चल जाए इस डर की वजह से उसकी उत्तेजना और भी बढ़ जाती है और वो जल्दी ही झड़ने लगती है. जैसे ही सोनी झड़ती है, विमल अपना हाथ खींच लेता है और उसकी शॉल से ही सॉफ कर अब वो सुनीता को कस के अपने साथ भींचता है और ज़ोर से उसके होंठ चूसने लगता है.

सुनीता बहती जारही थी और वो भी विमल के होंठ चूसने लगती है. जैसे ही विमल का हाथ नीचे सरक कर सुनीता की चूत पे पहुँचता है उसे झटका लगता है और वो विमल से अलग हो जाती है.

विमल अपनी ग़लती पे पछताने लगता है और सुनीता के सामने अपने कान पकड़ कर धीरे से माफी माँगता है. पर सुनीता अपनी पोज़िशन बदल कर खिड़की के बाहर देखने लगती है. सुनीता की आँखें नम हो जाती हैं, उसे समझ नही आ रहा था क्यूँ वो विमल के साथ बहकने लगती है.


सोनी जब अपने ओर्गसम से बाहर निकलती है तो अपनी पैंटी और सलवार ठीक कर वो अपनी शॉल विमल पे डाल उसमे घुस कर विमल के लंड को बाहर निकाल कर अपने मुँह में ले कर चूसने लगती है.

विमल का सारा ध्यान सुनीता पे ही लगा रहता है. आर साथ साथ वो अपने लंड की चुसाइ का मज़ा लेने लगता है.

विमल को डर लगता है कि कहीं सुनीता उसकी तरफ ना देख ले और शॉल के अंदर सोनी की हिलते हुए सर को पहचान ना ले. इस डर और चढ़ती हुई वासना से उसका लंड और सख़्त हो जाता है.

सोनी काफ़ी देर उसके लंड को चुस्ती है पर विमल झड़ने का नाम ही नही ले रहा था.उसे तो अब सुनीता की चूत की गर्मी चाहिए थी.

इतने मे रमेश फिर गाड़ी रोक देता है और विमल फिर अपने बाप को गाली देता है अपने लंड को मुश्किल से अंदर करता है . सोनी भी सम्भल के बैठ जाती है.

इंनोवा के रुकते ही सोनी फटाफट बाहर निकलती है और बाथरूम की तरफ बढ़ जाती है. अंदर जा कर वो अपनी गीली पैंटी उतार के अपने पर्स से दूसरी पेंटी निकाल कर पहन लेती है और उतारी हुई पैंटी वहीं ड्स्टबिन में फेंक देती है.

कामया भी खुद को हल्का करने के लिए बाथरूम चली जाती है. सुनीता गाड़ी में ही बैठी रहती है. विमल गाड़ी से बाहर निकलता है और जब देखता है कि सुनीता बाहर नही निकली तो जैसे ही रमेश बाथरूम की तरफ बढ़ता है विमल गाड़ी में सुनीता के पास जा कर बैठ जाता है,

विमल : मासी आप मुझ से नाराज़ हो ?

सुनीता कोई जवाब नही देती.

विमल : मासी प्लीज़ मुझ से बात करो, नही तो मैं जलता रहूँगा ये सोच कर कि मैने आपको तकलीफ़ दी है. मुझ से जो भी ग़लती हुई है उसे भूल जाओ और मुझे माफ़ कर दो, फिर कभी ऐसा नही होगा. प्लीज़ मासी आइ प्रॉमिस.

सुनीता फिर भी कोई जवाब नही देती उसकी आँखों से आँसू बह रहे होते हैं.

विमल से ये बेरूख़ी बर्दास्त नही होती. वो सुनीता के चेहरे को अपनी तरफ घुमाता है और उसकी आँखों में आँसू देख तड़प उठता है.

विमल : मासी प्लीज़ आप रोना बंद कर दो, मैं अब आप से दूर ही रहूँगा. फिर कभी ऐसी कोई ग़लती नही करूँगा

सुनीता ये कैसे बर्दाश्त करती कि विमल उस से दूर हो जाए. वो तड़प कर विमल को अपने से लिपटा लेती है. ' नही बेटा तुझ से कोई ग़लती नही हुई. मैं ही बहक गई थी. फिर कभी मुझ से दूर होने की बात मत करना'
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