RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
आरती को तो जैसे सुध बुध ही नहीं थी वो अपने को पूरी तरह से काका के लण्ड पर झुकाए हुई थी और अब तो खूब तेजी से उनके लण्ड को चूस रही थी आचनक ही उसे लगा कि रामू काका की पकड़ उसके माथे पर जोर से होने लगी है वो अपने सिर को किसी तरह से उसके लण्ड से हटाने की कोशिश करने लगी पर उनकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि वो अपना सिर नहीं हटा पाई और रामु काका के लण्ड से एक पिचकारी ने निकलकर उसके गले तक भर दिया
वो खाँसते हुए अपने मुख को खोलदिया और ढेर सारा वीर्य उसके मुख से बाहर की ओर गिरने लगा रामु काका अब भी उसके सिर को पकड़े उसके मुख में आगे पीछे हो रहे थे पर आरती तो जैसे मरी हुई किसी चीज की तरह से रामू काका से अपने आपको छुड़ाने की कोशिश करती रही जब रामू पूरा झड गया तो उसकी पकड़ ढीली हुई तो आरती धम्म से पीछे गिर पड़ी और खाँसते हुए अपने मुख में आए वीर्य को वही जमीन पर थूकने लगी रामू काका खड़े हुए आरती की ओर ही देख रहे थे और अपने लण्ड को हिला-हिलाकर अपने वीर्य को जमीन पर गिरा रहे थे
अचानक ही वो अपनी धोती ले के आए और आरती के चेहरे को पकड़कर अपनी ओर मोड़ा और उसका मुँह पोछने लगे
आरती की नजर में डर था वो भीमा चाचा की ओर देखती रही पर कुछ ना कह सकी
जैसे ही रामू ने उसका मुख पोंछा तो पास के टेबल से एक गंदी सी बोतल उठा लाया
रामू- ले थोड़ा पानी पीले
आरती ने उस गंदी सी बोतल की ओर देखा पर कह ना पाई कुछ और बोतल से पानी पीने लगी।
तभी सोनल तालिया बजाते हुए कमरे में अंदर दाखिल होती है
सोनल--- वाह मम्मी वाह क्या बात है क्या खूब काम कर रही हो।
आरति सोनल को देख कर सून हो जाती है, उसको कुछ कहते नही बन रहा था, रामू काका बगल में न्नगे खड़े थे, अपने दोनों हाथों से अपना लण्ड छुपके खड़ा था। उसने नजर झुका ली और हल्का हल्का कंम्पकम्पा रहा था।
आरती--- सोनलल्लल मेरी बात सुन बेटा, वो में तुम्हे समझाती हु।
मम्मी , तुम दो कौड़ी की रंडी बन गयी… मेरी माँ ऐसी होगी सात जन्म में भी सोच भी नही सकती थी… तू तो वो छीनाल निकली है, जिसने ना जाने कितनी ज़िंदगियाँ बरबाद की हैं… अपने पति की, उसके पूरे परिवार की, मेरी, … चुड़ेल,
फिर आरती सोनल के पैर पकड़ कर, कहने लगी – मुझे माफ़ कर दो… प्लीज़, मुझे माफ कर दो बेटी,
सोनल---- माफ कर दु मैं कौन होती हू माफ तो अब पापा करेंगे। क्यों मम्मी यहाँ चकला चला रही है क्या मेरा बाप तुझे कम पड़ रहा है, तूम मुझे ज्ञान दे रही थी देर से घर आने का। रुक आने दे पापा को तेरी असलियत बताती हूँ, कि तूम यहाँ नंगा नाच कर रही है ?
आरती--- नही बेटा मेरी बात तो सुन एक बार, देख गलती हो गयी मुझसे।
सोनल--- गलती इसे गलती कहती हो तुम, अपने बाप की उम्र के इंसान, वो भी एक नॉकर और ये घिनोना काम, छि अपने मुह में , मुझे उलटी आ रही है सोचक्र भी।
आरति सुबकते हुए रामू काका को देखती है, तभी सोनल एक दम से वहा से निकल कर नीचे दौड़ लगाती है, आरती उसे भागती देख समझ जाती है कि ये नीचे जाकर फ़ोन करेगी रवि को, वो भी अपने कपड़े समेटते हुए नीचे जाती है और पीछे पीछे रामु काका।
नीचे सोनल सोफे पे बैठी tv देख रही थी। आरती नीचे आकर देखती है तो उसके पास पहुचती है,
सोनल उसकी तरफ देखती भी नही है,
तभी सोनल रामु को आवाज देती है,
रामू कहा है बोल उसको चाय बनाये एक कप,
आजतक सोनल ने रामू काका को दादा के बिना नही बोली थी आज पहली बार उसने डायरेक्ट रामु कहा था।
आरती--- सोनल ऐसे कैसे बोल रही है , बस यही तमीज रह गयी है,
सोनल--- आप तो तमीज की बात करो ही मत, और क्या बोल दिया मैने आजतक इतना सम्मान दिया इस बुड्ढे को तो कोनसा इसने महानता दिखा दी। ये नोकर है और नॉकर ही रहेगा। मेरी मम्मी को चोद कर मेरा बाप नही बन गया है।
आरति चीखते हुए---- सोनलल्ललल्लल..........
सोनल---- मिर्ची लग गयी मम्मी, सच सुनकर, मम्मी सोच ये अभी तक इस घर मे है मैंने इसको धक्के मारकर नही निकाला , ये ही बहुत है, औऱ अब से मुझे धमकाने की कोसिस भी मत करना , अब से अगर मुझे कुछ समझाने या कहने की कोशिस भी की तो ये बुडडा ही नही तुम भी इस घर से बाहर जाने की तैयारी कर लेना, पापा के साथ साथ नाना और मामा को भी जवाब देने को रेडी रहना।
आरति अपने बाप और भाई का नाम सुनते ही सहम गयी। जिस्म की भूख इतनी जल्दी उसे यहा तक ले आएगी, अभी भी आरति ये नही सोच रही थी कि उसने गलत किया वो ये सोच रही थी कि उसने बहुत कम समय मे ही बिना ध्यान रखे सेक्स करती रही। आगे ध्यान रखेगी बस अभी एक बार सोनल को मनाना है,
उधर सोनल मन मे सोच लेती है कि वो अपनी मम्मी को सजा देगी अपने हिसाब से , वो दिखाएगी की रवि को खोकर आरती ने कितनी बड़ी गलती की है, रामू उसे चुदाई से खुश कर सकता है लेकिन उसकी दूसरी जरूरते नही, सेक्स कम हो चल जाता है लेकिन जिंगदी की दूसरी जरूरते पूरी होनी ही चाहिए, सोनल को ये दुख नही था कि उसकी मम्मी ने सेक्स किया, उसे दुख सिर्फ इतना था कि उसकी मम्मी ने अपने स्टेटस को ध्यान में नही रखा, एक बुड्ढे नोकर के साथ और आज तो उसने अपने जीवन का सबसे घृणित काम भी देख लिया। उसका मन अभी भी सोचक्र उल्टी का हो रहा था, अभी तक सोनल ने ठीक से सिर्फ अपने सर का लण्ड देखा था जोकि साफ सुथरा था जिसको देखकर खुद मुह में लेने का मन कर जाए लेकिन यहा उसने एक बुड्ढे नॉकर का लण्ड बदबूदार गनदे बालो से भरे लन्ड को आपनि मम्मी को चूसते हुए देखा था और फिर लण्ड का पानी अपने मुह में लेते हुए, जो लड़की कभी भी सेक्स की abc नही जानती हो और वो डायरेक्ट ये सब देख ले तो उसकी मन के हालात क्या होंगे सोच सकते है।
सोनल ने सर झटक कर उन खयालो से बाहर निकली और
चाय बनी की नही, रामू या अभी भी कुछ रहा गया है,, सोनल ने आवाज लगाई।
रामू---- जी बिटिया जी अभी लाया बस तैयार है।
आरती का खून खोल रहा था लेकिन कर कुछ नही सकती थी।,
रामू काका चाय ले आये और टेबल पर रख कर जाने लगे, बाकी दिनों चाय या खाना घर मे खुद या आरती ही सर्व करती थी,
लेकिन आज सोनल कुछ ओर मूड में थी,
चाय डालने के लिए कोई ओर नोकर रखु क्या,
सोनल की आवाज सुनते ही रामू काका और आरती दोनो सकपका गए।
रामु समझ गया कि उसे बहु की चुदाई के बदले अब सोनल की जिल्लत सहनि होगी और कुछ कह भी नही सकता।
रामू काका वापिश आकर च्याय कप में डाल कर सोनल को पकड़ा दी।
सोनल ने चाय पीकर अपने पापा को फ़ोन कर दिया कि आज उसकी तबियत ठीक नही है और वो आज स्कूल से जल्दी घर आ गयी है,
वैसे तो रवि अपने काम को छोड़ कर कभी नही आता है लेकिन एक दो दिन से सोनल जो जलवे उसको दिखा रही थी, उसमे उसको कुँवारी चुत की खुसबु आ रही थी तो रवि 20 मिनट बाद ही घर आ पहुँचा था।
रवि-- क्या हुआ मेरी गुड़िया को,
आरती जैसे ही रवि को देखती है वो आश्चर्य चकित रह जाती है और साथ ही घबरा भी जाति है कि कही सोनल कुछ बता न दे।
आश्चर्य चकित इसलिए कि आजतक रवि कभी उसके बुलाने पर भी घर नही आया था और आज बिन बुलाए आ गया।
सोनल और रवि इधर उधर की बातों में लग जाते है और आरती रामू को खाना लगाने को बोलती है।
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