Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:31 PM,
#48
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
उसका ध्यान खाने में काम फिर से उठ रहे अपने शरीर की हलचल पर ज्यादा था रवि ने फिर से उसके मन में एक अजीब सी हलचल मचा दी थी कितने मुश्किल से उसने अपने आपको संभाला था फिर रवि ने ऐसी बात क्योंकी जब वो यहां नहीं है तो कम से कम इस बात का ध्यान रखना था उसे . आरती ने खाना खाते हुए कई बार अपनी जाँघो को जोड़ कर अपने आपको संतुलित करने की कोशिश करती जा रही थी

पर काम अग्नि कोई दबाने की चीज है वो तो जितना भी अपने को काबू में रखने की कोशिश करती जा रही थी वो और भी उत्तेजित होती जा रही थी उसके मन में पता नही कहाँ से अचानक ही सुबह की घटना भी याद आ गई

भोला के साथ हुई उस घटना की कैसे वो बिल्कुल असहयाय सी उस वक़्त महसूस कर रही थी और उस सांड़ ने जो चाहा किया वो कुछ ना कर पाई थी पर वो तो शांत हो गया था पर आरती के अंदर एक भयानक सी आग को जनम दे गया था

वो आग अब अचानक ही एक ज्वालामुखी की तरह उसके शरीर को जला दे रही थी वो खाना तो खा रही थी पर अपने को बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं कर पा रही थी सोनल भी कुछ कह रही थी वो सिर्फ़ हाँ या ना में ही जबाब दे रही थी
बहुत ही धीरे-धीरे टाइम निकल रहा था खाना है कि खतम ही नहीं हो रहा था और सोनल भी सामने बैठे हुए पता नहीं उससे क्या-क्या बोले जा रही थी।उसका ध्यान बिल्कुल नहीं था पर वो तो अपने आप में ही मस्त होती जा रही थी उसकी नजर के सामने बहुत कुछ घूमने लगा था पता नहीं क्या-क्या भोला से शुरू होकर रामु तक कैसे रामु ने उसके साथ पहली बार किया था फिर उसके कमरे में


फिर मनोज अंकल ने गाड़ी चलाते हुए वो तो बिल्कुल ही अनौखा खेल था असल में उसने ही शुरू किया था फिर आज भोला ने तो जैसे उसे पागल ही कर दिया था उस आग में वो अब भी जल रही थी फिर लाखा और रामू ने मिलकर आआआआआआह्ह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह उसके शरीर में एक लंबी सी सिहरन के साथ मुख से सिसकारी निकल गई थी खाना खतम तो नहीं हुआ था पर उसका मन भर गया था सोनल की नजर भी उसके ऊपर टिक गई थी

सोनल- क्या हुआ मम्मी खाना नहीं खाया कुछ सोच रही हो

आरती-नहीं बेटा ऐसे ही

सोनल- अरे मम्मी पहली बार गये है ना पापा इसलिए आपको ऐसा लग रहा होगा। आप एक काम करीये आराम से एक ग्लास गरम दूध पी लीजिए ,अच्छी नींद आएगी

आरती- हम्म्म्म।

सोनल - और ज्यादा मत सोचा करो मम्मी, कल से काम में फिर से लग जाएगी न तो देखना रात को नींद कैसे आ गई पता ही नहीं चलेगा

इसी तरह किसी तरह से आरती ने सोनल के साथ खाना खतम किया और लगभग एक नशे की हालत में लड़खड़ाती हुई अपने कमरे में पहुँची थी वो झट से बाथरूम में घुसी और सलवार उतार कर पोट पर बैठ गई और अपने को रिलीस करने में उसे थोड़ी सी शांति मिली

वो वही बैठी रही बहुत देर तक और पता नहीं क्या सोचती रही पर बैठी बहुत देर तक रही। उसे अपना सिर घूमता हुआ सा लग रहा था खाना खाने बाद भी वो भूखी थी बहुत भूकी सलवार उतारकर वो कमरे में आई और बेड पर लेटी रही फेल कर पर ज्यादा देर नहीं धीरे-धीरे अपने को सिकोड़ती चली गई जैसे अपने को ही अपनी बाहों में भरने की कोशिश करती जा रही हो

वो ऐसे सिकुड़ कर अपने बिस्तर पर लेटी थी कि जैसे बेड पर जगह ही ना हो अपनी जाँघो को कस कर पकड़े हुए आरती अपना मुँह को उसमें छुपाए हुए थी सांसों को कंट्रोल करती हुई वो अपनी टांगों को भी हिलने से रोके हुए थी पर नहीं इससे कोई फायदा नहीं हुआ

आआआआआअह्ह, एक लंबी सी सांस छोड़ कर आरती फिर से उठ बैठी पर इस बार अपने कुर्ते को भी उतार दिया और झपट कर अपने तौलिया को उठाकर बाथरूम में फिर से घुस गई थी

अच्छे से नहाकर अपने को संभालना चाहती थी गरम गर्म पानी से नहाते हुए वो एक अजीब से सुख के सागर में गोते लगाने लग गई थी अच्छे से मल मल कर नहाती रही गरम-गरम पानी उसके शरीर पर गिरते हुए उसे अच्छा लग रहा था बहुत देर तक अपने को शावर के नीचे रखने से थोड़ा सा आराम मिला पर जैसे ही अपने शरीर को अपने हाथों से घिसने लगी अपने शरीर के कसेपन का एहसास फिर से उसे याद आ गया जिस आग को बुझाने की जरूरत थी वो धीरे-धीरे उसके हाथों के स्पर्श से ही बढ़ने लगा था

वो बहुत ही काबू में रहने की कोशिश करती जा रही थी पर हर बार बात उसके हाथों से निकलती जा रही थी अपने को घिसते हुए वो शावर में ही सिर उठाकर सांसों को छोड़ रही थी अपने चुचियों को धोते हुए वो अब जोर-जोर से उनके आकार के अनुरूप सहलाते हुए ऊपर-नीचे कर रही थी अपने पेट की ओर हाथ ले जात हुए भी उसे बड़ी बेचैनी सी हो रही थी अपने शरीर में उठ रही सिहरन को वो नजर अंदाज करते हुए अपने आपको सहलाने में जो मजा उसे मिल रहा था वो आज तक उसे नहीं मिला था हर कोने को अपने हाथों से सहला रही थी और दूसरे हाथों को वो धीरे-धीरे अपनी जाँघो के बीच में लेजा रही थी बालों के गुच्छे को छूते ही एक लंबी सी आअह्ह, उसके मुख से निकलकर पूरे बाथरूम में गूँज गई थी हाथों को और नीचे नहीं ले जा पाई थी जाँघो को जोड़ कर माथे को वाल पर टिकाए हुए वो अपने शरीर को सिकोड़ती जा रही थी खड़े होना उसके लिए दुभर हो गया था टांगों में शक्ति ही नहीं बची थी घुटनों के पास से पैरों को मोडते हुए वो शावर को चलते छोड़ कर ही बाथटब के किनारे बैठ गई थी बुरी तरह से हाफ रही थी एक हाथ से अपनी चुचियों को सहलाते हुए और दूसरे हाथ से अपनी जाँघो के ऊपर से बालों के गुच्छे को सहलाती रही और हान्फते हुए बहुत देर हो गई थी सांसों को ठीक करने की बहुत कोशिस करने के बाद भी वो उसकी गिरफ़्त में नहीं आई थी थकि हुई सी आरती ने अपनी सांसों को कंट्रोल करना छोड़ कर एक हाथ बढ़ा कर तौलिया को अपनी ओर खींचा और अपने शरीर को ढँकते हुए धीरे-धीरे पोछने लगी बड़ी मुश्किल से उठकर शावर बंद करके तौलिया को लपेट कर धीमे धीमे बाथरूम डोर खोलकर बाहर निकली तौलिया अब तक उसके शरीर के चारो ओर लपेटा हुआ था पर आँखें और चहरे को देख कर लगता था कि किसी जंग से आ रही है।
कहते है कि इंसान अपनी भूख से नहीं लड़ सकता चाहे वो पेट की हो या पेट के नीचे की हो।
वही हालत आरती की थी बड़ी ही मुश्किल से बाहर तक आई थी और मिरर के सामने खड़ी होकर अपने आपको संवारने लगी थी पहले बालों पर ड्राइयर चलाकर बालों को सूखाया फिर वारड्रोब से एक पतली सी महीन सा गाउन निकाल कर पहन लिया जो कि उसके कंधों के सहारे ही था पतली सी दो डोरी के सहारे वो आरती की चूची के 3्4 साइज़ को उजागर करते हुए जाँघो के आधे में ही ख़तम हो जाता था नशे की हालत में चलते हुए वो बेड के किनारे में जाकर बैठ गई थी और अपनी टांगों को हिलाकर जमीन की ओर देखते हुए कार्पेट को अंगूठे की नोक से खोदने की कोशिश करने लगी थी इतने में ही पास में रखे उसके मोबाइल पर रवि का फोन आया नजर घुमाकर एक बार हैंडसेट की ओर देखा और हाथ बढ़ाकर उसे उठा लिया।
आरती- हाँ…
रवि- सो गई क्या
आरती- नहीं
रवि- नाराज हो क्या
आरती- नहीं
रवि- अरे यार दो दिन में तो आ जाऊँगा फिर मजे करेंगे ना असल में तुम्हारी याद आ रही थी इसलिए फोन कर दिया
आरती- क्यों याद आ रही थी
रवि- अरे यार रात हो गई ना इसलिए ही ही ही हाँ… हाँ…

एक आह सी निकली आरती के मुख से
रवि- हेलो
आरती- जी
रवि- नींद आ रही है चलो सो जाओ कल फोन करूँगा ओके… गुड नाइट
आरती- गुडनाइट
फोन कट गया पर आरती हाथों में फोन लिए चुपचाप बैठी हुई जमीन की ओर ही देख रही थी
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