RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
कविता : अगले दो दिन तो कुछ नही हुआ. बस मुझे घूरता रहता था और मैं नज़रें बचाती रहती थी.
सोनल : फिर
कविता : फिर की बच्ची अब सो जा, मेरी हालत खराब हो रही है, पता नही कैसे नींद आएगी.
सोनल : मैं तेरी हालत सुधार दूँगी, तू बस आगे बता
और सोनल कविता के उरोज़ सहलाने लगती है.
कविता : क्यूँ मेरी प्यास भड़का रही है. तेरे पास लंड कहाँ है जो मेरी प्यास भुजा सके.
सोनल कविता के होंठों पे होंठ रख देती है. और चूसने लग जाती है.
कविता भी सोनल का साथ देने लगती है, दोनो एक दूसरे के होंठ चूसने लगती हैं और अपनी ज़ुबाने एक दूसरे से लड़ने लगती हैं. दोनो ही एक दूसरे के चुचियो को बहरहमी से मसल्ने लगती हैं. कपड़े जिस्म का साथ छ्चोड़ देते हैं.
दोनो के जिस्म की प्यास बढ़ जाती है और दोनो 69 पोज़ में आ कर सीधा अटॅक एक दूसरे की चूत पे करती हैं. कविता की चूत में सोनल की पूरी ज़ुबान घुस जाती है और वो लपलप उसे चाटने और जीब से चोदने लग गई.
कविता सोनल की चूत को अच्छे से चाटती है और फिर जितना हो सका अपनी ज़ुबान उसकी चूत में घुसा देती है. सोनल को थोड़ा दर्द होता है और वो कविता की चूत में दाँत गढ़ा देती है. जिसकी वजह से कविता भी उसकी चूत को पूरा मुँह में ले कर ज़ोर से अपने दाँतों में दबा कर चुस्ती है और अपनी ज़ुबान से उसकी तेज़ी से चुदाई शुरू कर देती है.
थोड़ी देर बाद दोनो पोज़िशन बदलती हैं. अब कविता उप्पर होती है और सोनल नीचे और एक दूसरे की चूत को चाटना, चूसना लगा रहता है, दोनो की ज़ुबाने भी एक दूसरे की चूत के अंदर बाहर होती रहती हैं.
आधे घंटे की मेहनत के बाद दोनो का जिस्म अकड़ने लगता है और दोनो ही अपना बाँध एक साथ छोड़ देती हैं. लपलप दोनो एक दूसरे का पानी पी जाती हैं और हाँफती हुई अलग लेट जाती हैं.
कविता ने आज पहली बार किसी लड़की के साथ सेक्स किया था और वो आँखें बंद कर उस अनुभव को अपने अंदर समेटती रहती है.
सोनल की साँसे जैसे ही संभलती हैं वो फिर कविता के चेहरे को चाट कर अपने रस का स्वाद चख़्ती है, सोनल भी उसका चेहरा चाट कर सॉफ कर देती है.
जब दोनो के चेहरे सॉफ हो जाते हैं तो सोनल उसे फिर सवाल करने लगती है.
सोनल : चल भुज गई तेरी प्यास, अब बता आगे क्या हुआ?
कविता : यार आज रहने दे बाकी कल बताउन्गि. मुझ से और सहा नही जाएगा मैं फिर से गरम हो जाउन्गि और कल बहुत काम करने हैं.
सोनल मन मसोस के रह जाती है और दोनो चिपक के सो जाती हैं.
सुबह सोनल जल्दी उठ गई. कविता अभी सो रही थी. सोनल फ्रेश होने जाती है और इसके बाद वो कविता को उठाती है. दोनो तैयार होती हैं नाश्ता करती हैं और स्कूल के लिए निकल जाती हैं.
कल रात आरती को नींद नही आई एक आदत सी पड़ गई थी सोनल के जिस्म की. दो रातों से लगातार सोनल के बदन के साथ खेलना और अपने बदान से खिलवाना आरती को अब अच्छा लग रहा था. आरती ने कभी लेज़्बीयन नही किया था
आरती का दिल काम में बिल्कुल नही लग रहा था वो इंतेज़ार कर रही थी सोनल के आने का.
यहाँ शाम को जब सोनल घर पहुँची तो सीधा आरती के गले लग गई. कविता साथ नही आई थी वो किसी काम का कहकर सोनल के स्कूल से निकल गयी थी।
आरती ने रात के खाने की कोई तैयारी नही करवाई रामु काका से, तो सोनल ने कहा बहुत अच्छा किया मम्मी इसी बहाने हम कविता को बाहर ट्रीट दे देंगे. अब दोनो कविता का इंतेज़ार कर रही थी.
रात को सोनल कविता को अपने कमरे में ले गई और फिर शुरू हुई कविता की दास्तान.
कविता : कुछ दिन तो सोनु मुझे सिर्फ़ सहलाता रहा मेरे बूब्स सहलाता, मेरी जंघे सहलाता अपना लंड मेरी गांड में रगड़ता. मैं भी रोज गरम हो जाती थी,पर मैं उसके आगे बढ़ने का इंतेज़ार कर रही थी. एक दिन मम्मी पापा कहीं गये थे और दो दिन बाद वापस आने का कह के गये. उस दिन दोपहर में मैं काफ़ी थक के आई थी और आते ही सो गई. सोनू भी उस दिन दोपहर में आ गया, रोज देर से आता था पर उस दिन जल्दी आ गया. उसके पास चाबी रहती है तो बिना बेल किए अपनी चाबी से ताला खोल के अंदर आ गया और सीधा मेरे रूम में आया. मैं सोई पड़ी थी, उसने अपनी शर्ट उतारी और मेरे साथ चिपक गया.
सोनल : अच्छा फिर ?
कविता : अरे बता रही हूँ ना.
कविता : उसने मेरे बूब्स इतनी ज़ोर से मसले कि मेरी चीख निकल गई और मैं उठ के बैठ गई. और उसे कुछ ना कह कर मैं पेट के बल लेट गई. मेरी चुप्पी को उसने रज़ामंदी समझा और मेरी टॉप उठा कर मेरी कमर चूमने लगा. दिल तो मेरा कर रहा था क़ि मैं उस से चिपक जाउ और सारी हदें तोड़ दूं. पर मैं उसे तड़पाना चाहती थी. ताकि वो सिर्फ़ मेरा ही बन के रहे कहीं और मुँह ना मारे.
सोनल : लड़के कभी किसी के सगे नही बन के रहते, जब तक उन्हें चूत मिलती है तब तक चिपके रहते हैं और जैसे ही शादी की बात करो तो छोड़ देते हैं किसी और चूत की तलाश में. और तूने कौन सी सोनू से शादी करनी है जो उसे बाँध के रखना चाहती थी.
कविता : बाँध के तो उसे मैने रख लिया है. जब तक हमारी शादी नही होती वो बाहर किसी लड़की के पास नही जाएगा. शादी के बाद उसे चूत मिल जाएगी और मुझे लंड. फिर सोचेंगे हम अपने इस रिश्ते को आगे कंटिन्यू रखे या नही.
सोनल : ओह हो गुलाम बना लिया है तूने सोनू को.
कविता : गुलाम नही अपने जिस्म का यार, कभी कभी तो दिल करता है कहीं दूर चले जाएँ जहाँ हमे कोई जानता ना हो और शादी कर लें. खैर बाद में देखेंगे क्या करना है.
सोनल : आगे बता ना.
कविता : वो मेरी टॉप उठाता गया कमर से लेकर पीठ पे चूमने लगा. फिर जब उसने मेरी ब्रा का हुक खोला तो मैं उठ के बैठ गई.
और हमारी बात इस तरहा हुई :
कविता : क्या कर रहा है सोनू, मेरी ब्रा क्यूँ खोल रहा है. तुझे शर्म नही आती मैं तेरी बहन हूँ. कितने दिनो से देख रही हूँ तू रोज रात को मुझे छेड़ता है, और अब तू इतना आगे बढ़ने लगा.
सोनू : कविता मैं तुझसे प्यार करता हूँ.
कविता : प्यार माइ फुट, तू सिर्फ़ मेरा जिस्म चाहता है और भाई बहन में ये सब नही होता.
सोनू : नही कविता अगर मैं सिर्फ़ तेरा जिस्म चाहता तो इतने दिन रुकता नही. मेरी आँखों में झाँक कर देख क्या तुझे इसमे वासना नज़र आती है. लड़कियों की कोई कमी नही है मुझे मैं सिर्फ़ तुझे पसंद करता हूँ.
कविता: नही सोनू ये ग़लत है
सोनू : कुछ ग़लत नही है, तू लड़की है और मैं एक लड़का, हम दोनो को एक दूसरे की ज़रूरत है.
कविता : आज तेरी ज़रूरत पूरी हो जाएगी तो फिर तू किसी और के साथ लग जाएगा, मेरा क्या होगा. और एक बार मेरी सील टूट गई तो शादी के बाद क्या मुँह दिखाउन्गि. क्या कहूँगी.
सोनू : आज कल कौन सी लड़की शादी तक कुँवारी रहती है. और मैं तुझ से वादा करता हूँ जिंदगी भर तुझे नही छ्चोड़ूँगा.
कविता : सच. अगर मुझे पता चला तू किसी और लड़की के साथ .....तो जान से मार दूँगी तुझे भी और खुद को भी.
सोनू : नही मेरी जान, मेरी जिंदगी में और कोई लड़की नही आएगी.
और सोनू मेरे करीब आ गया.मैने अपनी नज़रें झुका ली . उसने मेरा चेहरा उपर किया और मेरे होंठों पे अपने होंठ रख दिए. अहह मेरा पूरा जिस्म कांप उठा और मेरी आँखें बंद हो गई. मैं उसकी बाँहों में खो गई. हमारे कपड़े कब उतरे पता ही नही चला.
मुझे लिटा कर वो मेरे उपर आ गया और मेरे होंठ चूसने लगा. मैं भी उसका साथ देने लगी और उसके सर को थाम कर अपने होंठ खोल दिए. उसकी ज़ुबान मेरे मुँह में घुस गई और हम दोनो गहरे स्मूच में खो गये.
मेरे होंठों को चूस्ते हुए वो मेरे निपल को निचोड़ने लगा. उसका हाथ लगते ही मैं सिसक पड़ी उफफफफफफ्फ़ क्या बताउ सीधा तरंगे मेरी चूत तक जाने लगी और मेरी चूत में हज़ारों चीटियाँ रेंगने लगी.
सोनल : अच्छा फिर
कविता : फिर क्या बच्ची तू चुस्कियाँ ले रही है और मुझे उसके लंड की याद आ रही है. अब सोने दे मुझे नही तो मेरी रात खराब हो जाएगी.
सोनल कविता के उपर चढ़ जाती है और उसके होंठ चूसने लग जाती है.
सोनल आनन फानन अपने और कविता के कपड़े उतार देती है और सीधे उसकी चूत पे हमला कर्देति है.
सोनल : तेरे जिस्म की प्यास मैं भुजाति हूँ, तू बस चालू रह.
कविता : औक्ककचह आराम से कर साली अहह बताती हूँ बाबा उफफफफफफ्फ़
सोनल : तू ऐसे नही मानेगी ( और ज़ोर से कविता की चूत चूसने लग जाती है)
कविता : आह आह आह उफ़ उफ़ उूुुुुउउइईईईइइम्म्म्मममाआआआआअ
कविता : आह आह उसके बाद वो मेरे बूब्स चूसने लग गया उूुउउफफफफफफफफ्फ़ आराम से कर खा जाएगी क्या ओह
सोनल : बोलती रह ( और फिर कविता की चूत को चूसने लगती है)
कविता : वो मेरे निपल्स को एक एक कर के चूसने लगा ऊऊउक्ककचह इतनी ज़ोर से चूस रहा था जैसे अभी दूध निकाल कर दम लेगा हाईईईईईईईईईईई उूुुुुउउम्म्म्मममम
कविता : मेरे दोनो बूब्स को दबा रहा था, निचोड़ रहा था और मेरे निपल्स को कभी चाट्ता, कभी चूस्ता और कभी काटता. मैं तो सातवें आसमान पे उड़ने लगी थी .
अहह क्या मज़ा आ रहा था. मेरा पूरा जिस्म थरथरा रहा था. जिस्म में तरंगे दौड़ रही थी. मैने उसका सर अपने बूब्स पे दबा दिया और वो मेरे बूब्स को ही निगलने की कोशिश करने लगा. काफ़ी देर तक वो मेरे बूब्स चूस्ता रहा और चूस चूस कर लाल सुर्ख कर दिए. जगह जगह उसके दाँतों के निशान भी पड़ गये.
फिर वो पीठ के बल लेट गया .
आआआआआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई कामिनी आराम से
अहह फिर फिर उसने मुझे उल्टा कर अपने उपर लिया और मेरी चूत चूसने लगा उूुुुुउउफफफफफफफफफफ्फ़ मेरी तो जान ही निकली जा रही थी . उसका लंड मेरी आँखों के सामने लहराने लगा और मैं उसे चाटते हुए अपने मुँह मे ले गई और चूसने लगी उूुुुउउफफफफफफफफफफफफ्फ़
कविता की दास्तान सुन सुन कर सोनल की तड़प बहुत बढ़ गई और वो कविता के उपर आ गई और अपनी चूत का रुख़ कविता के मुँह की तरफ कर दिया. कविता भी उसकी चूत चूसने लग गई . दोनो कभी अपनी जीब एक दूसरे की चूत में डालती तो कभी ज़ोर ज़ोर से चुस्ती तो कभी अपनी ज़ुबान फेरने लगती.
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