RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
विकास हँसते हुए बोला- "मुझे क्या पता जान की इन्होंने दूसरी शादी क्यों नहीं की? लेकिन नहीं की और अकेले ही अपनी जिंदगी गुजर रहे हैं..."
शीतल की नजरों में अब वसीम खान का कद और ऊंचा हो गया। अगले दिन शीतल एक बजे के पहले काफी उधेड़बुन में थी। अपने दिमाग में चल रही जंग की वजह से वो अपनी पैंटी बा छत पे सूखने तो दे दी थी लेकिन अब क्या करें वो डिसाइड नहीं कर पा रही थी। कभी वा सोच रही थी की पैटी बा बापस नीचे ले आती है। फिर कभी सोचती की मेरी पैंटी बा को हाथ में लेने और उसपे अपना वीर्य गिरने से अगर वसीम चाचा को संतुष्टि मिलती है तो मैं इसमें खलल क्यों डाल? कहीं ऐसा ना हो की ये चीज भी छिन जाने से चा चा अपसेट हो जाएंग
अकेले इंसान के मन में बहुत सारी बातें चलती रहती हैं। इसीलिए जो वो कर रहे हैं करने देती है। मैं सोच लगी की मुझे पता ही नहीं है, और मैं उनके सामने जाऊँगी ही नहीं।
शीतल यही सब काफी देर से सोच रही थी- "वा जो कर रहे हैं उन्हें करने देने में ही उनकी भलाई है। और उन्हें थोड़े ही पता है की मुझे पता है। आह्ह... कितनी अच्छी खुश्बू आती है लेकिन उसस। पता नहीं कल क्या हो गया था मुझे। मैं अब ऊपर जाऊँगी ही नहीं और देर से अपने कपड़े उठाकर लाऊँगी तब तक वीर्य सूख गया होगा। फिर वो सोचने लगी की उन्हें तो पता ही नहीं है की मुझे उनकी हरकत के बारे में पता है। तो उन्हें अपना मजा लेने देती हूँ और मैं अपना मजा लेती हैं। उन्हें वीर्य गिराकर सुकून मिलता है और मुझे सूंघकर चाटकर। सोचते-सोचते एक बजने वाले थे।
शीतल अचानक उठी और जाकर चाट पेस्टोररूम में छिप गई। उसकी सांसें तेज चल रही थी और दिल जोरों से धड़क रहा था।
तय वक़्त में वसीम खान घर आया और रूम का दरवाजा खोलकर अंदर चला गया। शीतल की धड़कन और तेज हो गई। उसकी सांस लेने की आवाज भी लग रहा था जैसे बाहर जा रही हो। क्तीम लगी और गंजी पहनकर रूम से बाहर आ गया। फिर से उसनें पैंटी बा को उठा लिया और चूमता हुआ स्टाररणाम के दरवाजा के सामने खड़ा हो गया। उसने लंगी को साइड करके लण्ड को बाहर निकाला और आगे-पीछे करने लगा। आज शीतल को और अच्छे से लण्ड के दर्शन हो रहे थे। वसीम के लण्ड और शीतल के बीच में बस एक डेंद मीटर का अंतर होगा।
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शीतल के हिसाब से वसीम का लण्ड बहुत ही ज्यादा लंबा, काला, बहुत ही मोटा था और सामने से पूरा सुपाड़ा चमकता हुआ उसे दिख रहा था।
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