RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
शीतल को जोर का गुस्सा आया। उसका मन किया की अभी वसीम पे बरस पड़े। वा वहीं खड़ी थी और वसीम सीढ़ियां चढ़ता हुआ ऊपर चला गया। शीतल का मन हुआ की वसीम को खींचकर रोक लें और उससे पूछे की अगर अभी नजर उठाकर देख भी नहीं सकते, बात भी नहीं कर सकते तो दिन में क्या करते हो? लेकिन गुस्सा दिखना सही नहीं होगा। वो तो वही कर रहे हैं जो एक शरीफ इंसान को करना चाहिए।
फिर उसने सोचा की जाती हैं ऊपर और अच्छे से बात कर ही लेती हैं आज। वो दो-तीन सीढ़ी चढ़ी भी लेकिन इससे आगे की उसकी हिम्मत नहीं हुई। वो सोचने लगी की इतनी रात को अगर में उनके गम में जाऊँगी तो ये ठीक नहीं रहेगा। कल दिन में पूछ लेंगी। वो तो शरीफ इंसान हैं, लेकिन मैं क्यों रंडी जैसी हरकत कर रही हैं? शीतल कल दिन में कैसे क्या बात करेंगी सोचती हई अपने रूम में आ गई।
विकास ने आधखुली आँख से अपनी बीवी को अंदर आते देखा। उसे सदमा लगा। शीतल उसे सोया हुआ मानकर दरवाजा खोलने की जो तैयारी कर रह रही थी। विकास वो सब अपनी अधखुली आँखों से देख रहा था। उसे अब यकीन हो चला था की उसकी कमसिन जवान बीवी उस बूटै बसीम के चक्कर में हैं। जितनी देर शीतल रूम से बाहर दरवाजा के पास थी, विकास सोच रहा था की वसीम और शीतल क्या कर रहे होंगे?
विकास के अनुसार शीतल दरवाजा खोली होगी और वसीम के सामने उसकी गोल मुलायम गोरी चूचियां चमक उठी होगी। वसीम देखता रह गया होड़ा। उसने अपनी नजरें नीची कर ली और शीतल को थैक बोलतं हआ पीछे हटने बोला लेकिन शीतल हटी नहीं और उससे सट गई। उसने चूचियां वसीम के सीने से दबा दी और वसीम को पकड़ लिया। अब वसीम के लिए कंट्रोल मुश्किल था। वो शीतल के होठों को चूमने लगा और नाइटगाउन की बीच दिया। शीतल की चूची बाहर आ गई और वसीम पागलों की तरह उसे मसलता हआ चूसने लगा। शीतल आहह... उहह... कर रही थी.." सोचते हये विकास का लण्ड पूरा टाइट हो चुका था। लेकिन शीतल के अंदर आने से उसे बहुत बुरा लगा की उसकी इतनी हसीन बीवी को वसीम भाव नहीं दे रहा।
शीतल को भी लगा था की अभी तो बसीम उससे बात करेंगा ही और देखेंगा हो लेकिन ऐसा हुआ नहीं। शीतल सो गई और उसकी नाइटी दीली हो गई जिससे उसकी चूचियां बाहर आ गई। विकास को नींद नहीं आ रही थी
और उसका लण्ड टाइट था। शीतल की चूची को देखकर बो उसे सहलाने और चूसने लगा। शीतल नींद में थी और गरम थी। वो सपने देख रही थी की वसीम उसके साथ ऐसा कर रहा है। वो मुश्करा रही थी और विकास का पूरा साथ देते हए वो पूरी गरम हो चुकी थी।
विकास ने शीतल की नाइटी को सामने से पूरा खोल दिया और शीतल का गोरा जिश्म चमक उठा। विकास ने लण्ड को शीतल की चूत में लगाया और अंदर डाल दिया। शीतल कमर उठाकर और अंदर लेने के लिए उछलने लगी, लेकिन वसीम का लण्ड होता तब तो अंदर जाता। था तो ये विकास का ही लण्ड। शीतल की नींद खुल गई और उसका मूड आफ हो गया। वो विकास को हटाने लगी।
विकास पहले से ही पूरा टाइट था, लण्ड अंदर डालते ही 8-10 धक्के में उसने पानी छोड़ दिया। शीतल को अब गुस्सा आ गया और उसका मन किया की विकास से खूब झगड़ा करें लेकिन रात थी इसलिए वो मन मसोसकर रह गई और विकास को अपने ऊपर से उतारकर बाथरुम चली गई।
शीतल नाइटी उतार दी थी और नंगी ही बाथरूम गई थी। पेशाब करने के बाद वो चूत सहलाने लगी। सोचने लगी की कितना अच्छा सपना था की वसीम मुझे चूमते हए मेरी चूची को सहला रहे थे, और फिर नाइटी की डारी खोलकर नंगी चूचियों को सहला रहेज थे, और चूस रहे थे। आहह... कितना अच्छा होता की ये वसीम ही होतं, विकास नहीं होता। आहह... वसीम का लण्ड चूत में कितना अंदर तक जाता आहह... आहह... वसीम क्यों नहीं आपने पकड़ लिया मुझे दरवाजा पै? क्यों नहीं मुझे चूमने लगे? खोल देते मैरी नाइटी को और अच्छे से देखतें मेरे नगे जिस्म का। देखतं उस जगह को जहाँ में पैंटी ब्रा पहनती हैं। छ लेते उस जगह को। चमतं ममलत मेरी चूचियों को। जो वीर्य आप पैंटी बा पे गिराते है वो उस जगह पे गिरते जहाँ मैं उन्हें पहनती हैं। आह्ह. वसीम चाचा चोद लेते मझे। मेरी चूत में डाल देते अपना मोटा लण्ड और गिरा देते वीर्य मेरी चूत में। आहह... उम्म्म्म ... शीतल की चूत में पानी छोड़ दिया और वो हौंफती हुई बाथरूम से आ गई।
|