RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
मैं वसीम चाचा का वीर्य सूंघकर और उनका मोटा लण्ड देखकर पागल हो गई हैं। जब से उनका लण्ड देखी हैं तो या तो बिकास से चुदी ही नहीं और अगर चुदी तो मजा बिल्कुल नहीं आया। अगर मुझे चुदवाना नहीं था तो फिर मैं क्यों पागल थी वसीम चाचा को अपना जिश्म दिखाने के लिए? क्यों मैं उनसे चिपट गई और खुद अपने कपड़े उतारी। उसके बाद भी जब उस महान इंसान में नहीं चोदा, तो उनसे चुदवाने के लिये उन्हें कैसे-कैसे समझा रही थी। खुद को रंडी तक साबित कर ली? शीतल का सच उसके सामने आ गया था। इतने दिनों से वो खुद से झूठ कहे जा रही थी।
लेकिन अब जब वसीम से चुदवाने के रास्ता पूरा क्लियर है तो उसके अच्छे मन ने आखिरी आवाज लगाई है उसे "छीः मैं कितनी गंदी जो गई हैं। मैं अपने पति से धोखा करने चली गई थी। निग्लज्ज की तरह खुद को रंडी बनाकर वसीम चाचा के आस-पास मंडरा रही थी की किसी तरह वा मुझे चोद दे। भला हो उस इंसान का की उसने मुझे नहीं चोदा, नहीं तो मैं कहीं की नहीं रहती। उफफ्फ... मैं अपने पति तक को मना ली अपनी ही चदाई किसी और से करवाने के लिए। और विकास को भी तो मना करना चाहिए था। औह विकास सच में आप कितने महान हैं जो अपनी घटिया बीवी में इतना भरोसा करते हैं की उसे किसी और से चुदवाने की भी पमिशन दे दिए। नहीं विकास आपसे पमिशन लेना मेंरी मजबूरी थी, नहीं तो अगर वसीम चाचा ऐसा नहीं करते तो मैं तो उनसे चुद भी चुकी होती। मुझं तो खुद पे घिन्न आ रही है की मैं किसी और से चुदवाने के लिए क्या-क्या कर रही
हैं?"
शीतल पूरी तरह से बैचैन हो गई- "नहीं, मैं ये नहीं कर सकती। शुक है भगवान की मैं अभी तक चुदी नहीं हैं। मेरे लिए गैर-मर्द के बारे में सोचना भी पाप है और मैं यहाँ गैर-मर्द से चुदवाने के लिए इतने जतन कर रही थी। लेकिन अब मुझं खुद को सम्हालना होगा। मैं चुदवा नहीं सकती किसी और से। वसीम चाचा का जो होना है वो हो। मदद करने का मतलब जिस्म सौपना नहीं होता। मैं उनसे बात कर सकती हैं, उन्हें समझा सकती हैं, लेकिन और कुछ नहीं कर सकती। शुक्रिया भगवान जी की आपने मुझे सम्हाल लिया। बचा लिया मुझे अपवित्र होने से..." और शीतल साचते-सोचते सो गईं।
आज विकास की नींद सकें खुल गईं। दरअसल वो रात में चैन से सो ही नहीं पाया था। वो शीतल और वसीम के बारे में अक्सर बहुत कुछ सोचता रहता था और जब भी सोचता था उसे बहुत मजा आता था। और अब तो उसकी उत्तेजना का ठिकाना नहीं था की उसकी 23 साल की बीवी 50 साल के मर्द से चुदेगी।
शीतल अभी तक जंगी ही सो रही थी। विकास उसके चिकने जिश्म को गौर से देखने लगा और सोचने लगा की वसीम कैसे-कैसे क्या करेगा? उफफ्फ... वसीम चाचा तो पागल जो जाएंगे मेरी बीवी को पाकर। कितना रोमांचक होगा जब गौरी शीतल और काला वसीम एक दूसरे में लिपटै चिपतें चुदाई कर रहे होंगे। उफफ्फ.. मुझे कुछ करना होगा ताकी में इस चुदाई का लाइव देख सकूँ। मुझे पता होना चाहिए की ये लोग कहाँ चुदाई करेंगे और कब? उफफ्फ... जिस चीज के बारे में सोचकर मेरा लण्ड टाइट हो जाता था वो अब सच में होने वाला है। मैं इसे मिस नहीं कर सकता।
विकास बाथरूम से फ्रेश होकर आया। तब तक शीतल भी जाग चुकी थी। वो खुद का ऐसे नंगी पाकर शर्मा गई।
वो जब जागती थी तब विकास सोया रहता था, तो कोई बात नहीं थी, लेकिन विकास को जगा हआ पाकर वो शर्मा गई और जल्दी से उठकर अपनी नाइटी पहन ली।
शीतल अपने डेली रुटीन में लग गई। बिकास को जगा देखकर वो परेशान हो रही थी की कहीं विकास इसलिए तो नहीं जाग गयें की मैं आज वसीम चाचा के साथ चुदवाने वाली हैं? और ये बात उन्हें परेशान कर रही होगी। विकास मुझसे बहुत प्यार करते हैं इसलिए मेरे कहने पे पमिशन तो दे दी, लेकिन इस बात को बर्दस्त नहीं कर पा रहे होंगे और परेशान होंगे। अपनी बीवी को किसी और के पास चुदवाने के लिए भेजना मामूली बात है क्या? ये अलग बात है की उन्होंने मुझे आज तक कभी किसी चीज के लिए मना नहीं किया, कभी कोई बंदिश नहीं लगाई मरे पे, फिर भी किसी और में चुदवाने की पमिशन देना तो बहुत बड़ी बात है। नहीं विकास, आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। आपकी बीवी आप ही की रहेगी, किसी और की रंडी नहीं बनेंगी। मैं उनसे चुदवाने नहीं जा रही। और चुदवाने तो क्या मैं उनके आस-पास भी नहीं जाने वाली। आप जल्दी से कोई दूसरा घर देख लीजिए और हम यहाँ से दूर होकर सुकून से अपनी दुनियां में जियेंगे।
शीतल नहाने के बाद पजा करने लगी और वहाँ भी उसने भगवान का शुक्रिया अदा किया की "आपने मुझे बचा लिया प्रभु, मुझे सच्ची राह दिखाना, मुझे और मेरे पति को एक साथ रखना और हमेशा खुश रखना..."
विकास शीतल के लिए चाय लिए तैयार था।
शीतल विकास के हाथ से चाय लेते ही बोल दी की. "मैं वसीम चाचा से नहीं चुदवाऊँगी.."
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विकास के तो सारे सपने टूटकर बिखर गये, और कहा- "क्यों, अचानक क्या हो गया?" विकास खुद को नार्मल दिखाते हुए ही बोला।
शीतल. "कुछ नहीं, लेकिन मैं उनके पास नहीं जाने वाली... शीतल ने मजबूती से अपना जवाब सुना दिया।
विकास. "रात में खुद इतना कुछ बोली, मुझे इतना समझाई और फिर सोकर जागी तो मूड चेंज। अब वसीम चाचा की हेल्प नहीं करनी क्या?"
शीतल- "मैं अभी भी उनकी हेल्प करना चाहती है, क्योंकी वो मेरी वजह से परेशान हैं, लेकिन इस तरह से नहीं। में किसी गैर-मर्द के साथ सेक्स नहीं कर सकती...' बोलती हई शीतल किचन में चली गई। उसका फैसला मजबूत था। रात में चूत से पानी निकालने के बाद उसके संस्कार पूरी तरह से जाग गये थे।
विकास बेचारा क्या करता? कहा- "जैसी तुम्हारी मर्जी। मैं उस फैसले में भी तुम्हारे साथ था और अभी भी है." कहकर बिकास उदास हो गया था। आज सनडे था तो उसे आफिस नहीं जाना था। विकास सोने चला गया और सो गया।
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