Antarvasnax शीतल का समर्पण
07-19-2021, 12:27 PM,
#65
RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
वसीम शीतल के आधे जिश्म में आ चुका था। उसने शीतल के एक चूची को मुँह में ले लिया और दूसरी को मसलने लगा। शीतल के जिस्म में करेंट दौड़ गया और उसकी चूत गीली हो गई।

शीतल- "आह्ह ... उउम्म्म्म... वमीम आह्ह.." करती हुई शीतल वसीम का सिर अपनी चूचियों पे दबाने लगी और उसकी पीठ सहलाने लगी।

वसीम एक चूची को दोनों हाथों से पकड़कर ऊपर उठाने लगा और मुँह में भरकर जोर-जोर से चूसने लगा। फिर उसका एक हाथ चूत में आया। शीतल तुरंत अपनें दोनों पैर फैला दी और वसीम की उंगलियों के लिए रास्ता बना दी। वसीम शीतल के दोनों पैरों के बीच में आ गया और उसकी फैली हुई चूत को चूमने लगा। फिर उसने चूत के दाने को मुँह में लेकर चूसना स्टार्ट किया और फिर उसे भी दाँतों से काटने लगा।

शीतल दर्द सहती हुई "अहह... आहह..." करती हुई कमर ऊपर उठाने लगी ताकी कम खिंचाव हो और दर्द कम हो। वसीम ने उसके दोनों पैरों को और फैला दिया और फिर चूत को पूरी तरह मुँह में भरकर चूसने लगा। उसके दोनों हाथ ऊपर चूचियों पे आ गये और वो दोनों निपल को दो उंगलियों में लेकर बेरहमी से मसलने लगा।

शीतल दर्द और मजे से भरती जा रही थी। एक तो उसका मन पूरी तरह से चुदवाने का था और दूसरे की वो अपने वसीम को अपने जिस्म का इस्तेमाल करने से मना नहीं करना चाहती थी।

वसीम फिर से शीतल के ऊपर आ गया और अपने लण्ड को चूत में सटा दिया। शीतल तैयार थी। वो अपने पैर
को फैला दी और दर्द सहने के लिए तैयार हो गई।

वसीम- "रंडी, मादरचोद, कुतिया, हरामजादी आज पता चला की चुदाई क्या होती है? एक रात के लिए तू मेरी है ना, एक ही रात में तेरी चूत का वा हाल काँगा की लगेगा जिंदगी भर चुदवाती ही रही है सिर्फ.." और वसीम ने बेरहमी से लण्ड को अंदर चूत में घुसेड़ दिया।

शीतल- "आह्ह... मौं.." बोलती हुई दर्द से भर उठी।

वसीम- "और चिल्ला मादरचोद छिनाल, और जोर से चिल्ला, सबको पता चलना चाहिए की तू वसीम से चुद रही है..." वसीम जोर-जोर से धक्का लगते हुए शीतल के कोमल जिश्म को नोचने खसोटने लगा था।

शीतल भी जोर-जोर से आइह उजनह करने लगी- "आहह... हाँन्न वसीम फाड़ दीजिए मेरी चूत को, जी भरकर चोदिए मुझे.. आह्ह... आज ही तो जानी हूँ की चुदाई क्या होती है। आज ही तो पता चला है की चूत कैसे फटती है? चोधिए वसीम, फाड़ डालिए अपनी शीतल की चूत को अहह."

वसीम ने लण्ड बाहर निकाल लिया। वो कैमरे के पास गया और उसे ओन करके शीतल के सामने आ गया "चस मादर चोद, साफ कर अपने चूत के रस को। पूरा मुँह में भरकर चूसेंगी छिनाल, नहीं तो आज ती माँ चुद जाएगी..."

शीतल तुरंत मुँह खोलकर लण्ड चूसने लगी। अपनी ही चूत का रस चूसती जा रही थी शीतल। वसीम सीधा लेंट गया और शीतल वसीम के पैरों के बीच में आकर लण्ड चूसने लगी। अपने हिसाब से वो पूरी तरह लण्ड को अंदर ले रही थी।

वसीम में शीतल के सिर को पकड़ा और लण्ड में दबा दिया। लण्ड पूरा अंदर तो घुस गया लेकिन शीतल का दम घटने लगा। वसीम ने हाथ हटा लिया और शीतल मैंह ऊपर कर जोर-जोर से सांस लेने लगी। उसकी आँखें लाल हो गई थी।

वसीम- "बस हो गया, यही है तेरी औकात?"

शीतल अपनी साँसों को नियंत्रित की और फिर से लण्ड को मुँह में भरने लगी। दो-तीन कोशिशों के बाद फाइनली परा लण्ड शीतल के मह में था।

वसीम खुश हो गया- "चल आ जा, बैठ जा ऊपर..." शीतल ऊपर आई और वसीम के पैर के दोनों तरफ पैर करके लण्ड को अपनी चूत के ऊपर रखकर अंदर लेने की कोशिश करने लगी। उससे हो नहीं पा रहा था। वो फिर से लण्ड को सामने से पकड़कर अपनी चूत में सटाई और नीचे दबाने लगी।

शीतल- "आअह माँ..." करती हई शीतल लण्ड पे बैठती गई और लण्ड चूत में घुसता गया। शीतल दर्द से भर उठी। थोड़ा रिलैक्स होने के बाद बो अपने हाथों को वसीम की छाती में रखी और अपने जिस्म का भार हाथों में देते हए लण्ड को चूत में अइजस्ट करने लगी। अब उसे ठीक लग रहा था। शीतल लण्ड पे उठक-बैठक लगाने लगी।

वसीम- "आह्ह... रंडी बहुत खूब उछल लण्ड पे आह्ह.."

शीतल जोर-जोर से उछलने लगी थी अब। वसीम शीतल की कमर को पकड़कर उसे ऊपर-नीचे करवाने लगा और फिर शीतल की चूचियों को पकड़ता हुआ मसलने लगा। शीतल पूरी तरह गरमा गई थी और उसकी चूत ने सातवीं बार पानी छोड़ दिया। शीतल थक गई थी और वसीम पे कोई असर नहीं पड़ रहा था। वो वसीम के ऊपर लेट गई।

वसीम ने शीतल को अपने जिश्म से उतार दिया और उसके पीछे आकर उसकी कमर को पकड़कर उठाया। शीतल के जिस्म में जान नहीं बची थी। वसीम ने ताकत लगाकर शीतल की कमर को ऊपर किया और उसके पैर को फैलाकर उसकी जांघों के बीच में बैठ गया। लण्ड सही निशाने में नहीं लग रहा था। उसने शीतल के बालों को पकड़कर खींचा और कमर उठता हुआ बोला- "मादरचोद रडी, कुतिया बनजे बोल रहा हूँ तुझे, समझ में नहीं आ रहा क्या?"

शीतल मजकर होकर अपनी कमर ऊपर कर दी और गाण्ड को बाहर निकाल ली।

वसीम ने लण्ड को चूत में सटाया और कमर पकड़ता हुआ अंदर पेल दिया। शीतल फिर से दर्द से भर उठी। वो आगे होने की कोशिश की, लेकिन वसीम जोर से उसकी कमर को पकड़े हए था। लण्ड अंदर घुस गया और वसीम अपनी कुतिया को चोदने लगा। शीतल की चूत की तो चटनी बन गई थी आज। शीतल को लग रहा था की अब वसीम बस करेगा, लेकिन आज वसीम रूकने वाला नहीं था। उसने लण्ड निकाल लिया और फिर में शीतल को सीधा लिटाकर उसके ऊपर चढ़ गया और फिर से चोदने लगा।
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RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण - by desiaks - 07-19-2021, 12:27 PM

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