RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
शीतल अब जोर-जोर से आहह... उहह... करने लगी थी- “आहह... वसीम ओहह... नहीं अब नहीं आहह... प्लीज... छोड़ दीजिए आह मौं प्लीज.. आह मर जाऊँगी अब आह्ह... मेरी चूत फट गई है अह्ह... पूरा छिल गया है अंदर आहह..."
वसीम रहम करने के लिए नहीं बना था। वो चोदता रहा और बदन में दौत के निशान बनाता रहा। शीतल ने एक-दो बार वसीम की छाती में हाथ रखकर उसे रोकने की भी कोशिश की लेकिन भला वसीम कहाँ रुकता।
शीतल फिर से गरमा गई थी- "चोद लीजिए, और चोदिए, फाड़ ही दौजिए पूरी तरह से चूत को आहह.." और शीतल फिर से झड़ गई।
वसीम ने अपना लण्ड निकाला और शीतल के सामने कर दिया। शीतल उसे हाथ में लेकर सहलाने लगी और चूसने लगी। थोड़ी ही देर में वसीम के लण्ड में हर सारा वीर्य शीतल के चहरा पे गिरा दिया। कुछ शीतल चूस गई। बाकी वो अपने चेहरा पे गिरने दी। अभी उसकें जिस्म में जान नहीं थी इसलिए उसे वीर्य पीने में मजा नहीं आया।
वसीम बगल में निटाल होकर सो गया। शीतल ऐसे ही लेटी रही। 5:00 बज चुके थे। अब वो क्या सोती? लेकिन उठने की हिम्मत नहीं थी उसमें।
शीतल इसी तरह चहरे को वसीम के वीर्य से भरे थाड़ी देर लेटी रही। अब उसे नींद भी नहीं आनी थी और उठने की हिम्मत भी नहीं थी। थोड़ी देर वो इसी तरह लेटी रही फिर उठी। सबसे पहले वो कैमरा बंद की और फिर बाहर आकर साफ पे बैठ गई। सोफे पर वो पूरी तरह से निढाल होकर बैठी हुई थी। उसके चेहरे से वीर्य बहता हुए उसके जिष्म पे आने लगा था। पूरा जिश्म दर्द कर रहा था। एक दर्द तो चुदाई के झटकों के कारण हो रहा था, तो दूसरा दर्द वो था जो वसीम ने काटकर नोंचकर दिया था। वो अपनी दोनों टांगों को फैलाकर सोफे पे फैलकर बैठी हुई थी। उसकी आँखें बंद थी।
शीतल सोच रही थी- "ये आदमी है की कोई भूत प्रेत है। ऐसे भी कोई चुदाई करता है क्या? एक ही रात में तीन बार। मेरी तो जान निकाल दी। कितने अरमानों में सजी थी की सुहागरात मनाऊँगी। मुझे लगा था की सुहागरात को महसूस करेंगे वसीम। दुल्हन के कपड़े उतारेंगे और फिर चोदकर साथ में सो जाएंगे। लेकिन इन्होंने तो हद ही कर दी। इनकी भी क्या गलती है भला, जिसे कोई औरत एक रात के लिये मिलेंगी तो क्या करेंगा? वसीम को लगा है की मैं बस आज की रात के लिए ही उनकी थी, तो रात भर में ही पूरी तरह मुझे पा लेना चाहते थें।
और इसी चक्कर में मेरी चूत के चीथड़े उड़ा दिए। लेकिन क्या मस्त लण्ड है, मजा आ गया। भले चूत छिल गई, जिश्म दर्द कर रहा है, लेकिन चुदवाने में मजा आ गया। आहह.... कितना अंदर तक जाता है लण्ड... जब वो धक्का लगा रहे थे तो मेरे तो पेट में चुभ रहा था। और जब वीर्य गिरायं चूत में ता लगा की एकदम आग भर दिए हों अंदर गहराई में। तभी तो एक बार चुदवाने के बाद मैं दूसरी बार के लिए भी तैयार थी और दूसरी बार के बाद और दो बार के लिए। एक और बार चुदवा ही लें क्या? छिल जाएगी चूत तो छिल जाएगी, लेकिन मजा आ जाएगा। नहीं नहीं, अब अगर उन्होंने मुझे चोदा तो मैं मर ही जाऊँगी। और कौन सा वो भागे जा रहे हैं। उन्हें भी यहीं रहना है और मुझे भी। लेकिन विकास... विकास क्या करेंगा? देखा नहीं कितने प्यासे हैं वसीम। तभी तो रात में पागलों की तरह कर रहे थे। अब चाहे जो भी हो मुझे उनसे चुदवाते रहना है। तभी उन्हें भी सुकून मिलेगा और मुझे भी। मेरी चूत को अब वही लण्ड चाहिए। उन्हें बोल तो दी ही है की जब मन को आकर चोद लीजिएगा अपनी रंडी को। कितना मजा आ रहा था मुझे जब वो मुझे गाली दे रहे थे। बहुत गुबार जमा है
आपके अंदर वसीम । सब निकाल लीजिए मेरे पे। जितना चोदना चाहें चोदिए। एक रात में तीन तो क्या 30 भी आप चोदिएगा तो मैं आपको मना नहीं करूँगी । जैसे नोचना हो नोच लीजिए, खा जाइए मुझे, मैं आपका साथ दूँगी। हर दर्द महंगी मैं वसीम। आपको जो गाली देनी हो दीजिए, मैं सब सुनँगी। आपने मुझे बड़ी कहा तो क्या हुआ, मैं तो कब से आपकी रंडी बनी हुई हैं। हौं, मैं आपकी बडी हैं, आपकी कुतिया है। आप जो बनाएंगे जो कहेंगे सब ह आपके लिए."
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