RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
शीतल फिर बोली- "मुझे पता है आप क्यों हँस रहे हैं? सुबह आपको टोलिया से खुद को छुपाते देखकर मैं हँसी थी तो अभी हसकर आप उसी का बदला ले रहे हैं..."
वसीम बोला- "पेंटी उतार दी थी इसमें कोई बात नहीं थी। मेरे देखने पे उसे छिपाने क्यों लगी थी पैरों से?"
शीतल वसीम के बगल में जाकर बैठ गई और उसकी बाहों में जाकर चिपक गई। फिर बोली- "आप देख ही ऐसे रहे थे की मैं शर्मा गई थी..."
शीतल वसीम की तरफ घूमकर उससे चिपक कर बैठी हुई थी। शीतल का पूरा जिस्म वसीम के जिस्म से सट रहा था। उसकी चूचियां वसीम के जिस्म में दब रही थी। वसीम की मुस्कराहट रूक गई थी।
शीतल अपना चेहरा ऊपर की और वसीम के चेहरा को अपने हाथों से अपनी तरफ घुमाते हुए उसकी आँखों में देखती हुई बोली- "आप खुश हैं ना वसीम?"
वसीम ने अपनी नजरें नीची कर ली।
शीतल अपने जिश्म को थोड़ा ऊपर उठाई और अपनी चूचियों को वसीम के बदन से रगड़ती हुई उसके नीचे के होठों को चूमने लगी। सिर्फ नाइटी शीतल के बदन को टक रही थी, लेकिन वसीम पूरी तरह से शीतल के जिस्म को महसूस कर पा रहा था। शीतल होठ चूमती रही लेकिन वसीम ने साथ नहीं दिया। शीतल को लगा की कुछ गड़बड़ है। वो उठकर वसीम की जांघों पे बैठ गई और फिर से वसीम से चिपक गई। वो फिर से वसीम के होठों को चूमी और फिर हँसती हुई शरारत भरे अंदाज ने बोली- "क्या हुआ डार्लिंग?"
वसीम कुछ नहीं बोला। शीतल उसके सीने से लग गई और इमोशनल अंदाज में बोली- "क्या हुआ वसीम, मुझसे कोई गलती हुई क्या?"
वसीम ने शीतल की पीठ पे हाथ रखा और सहलाता हुआ बोला "गलती तुमसे नहीं मुझसे हई है। मैं बहशी बन गया था रात में..."
शीतल वसीम के जिश्म को सहलाते हुए बोली- "तो क्या हुआ? इस टाइम में तो कुछ भी हो जाता है। और फिर आप तो बहुत दिन से खुद को दबाए बैठे हैं."
वसीम- "नहीं शीतल, में जानवर बन गया था कल। तुमने मुझपे भरोसा करके, मेरा दर्द समझ कर अपना जिस्म मुझे सौंपा और मैं जानवरों की तरह रात भर तुम्हारे जिश्म को राउंडता रहा। मैं अपने होश खो बैठा था। मुझे माफ कर दो शीतल.."
शीतल- "मैं तो आपको बोली ही हैं की जैसे मन करें वैसे करिए। रोकिए मत खुद को। अपने अंदर के दर्द को बह जाने दीजिए। आपके अंदर का गुबार निकलने दीजिए बाहर.
.
.
वसीम. "शीतल, तुम लोग तो फरिश्ता हो। लेकिन मैं इस लायक नहीं की तुम लोगों की मदद ले पाऊँ। मैं एक पागल जानवर हूँ और मुझं गोली मार देना चाहिए इस समाज को."
शीतल- "ये कैसी बातें कर रहे हैं आप वसीम? सेक्स करते वक़्त ता काई भी वहशी बन जाता है। विकास भी पागलों की तरह करने लगता है जो हमेशा करता है। और आप तो वर्षों के बाद सेक्स किए हैं। अगर कोई आदमी बहुत बात में भूखा हो और उसके सामने लजीज पकवान थाली में सजाकर पेश किया जाए तो वो क्या करेंगा, बोलिए?" शीतल थोड़ा गुस्से में बोली।
वसीम कुछ नहीं बोला। वो गहरी सोच शर्म पछतावे के अंदाज में साफे पे फैलकर बैठा हुआ था।
शीतल फिर से उसके सीने से लगती हई बोली- "प्लीज वसीम, आप इतना मत सोचिए। खुद को बाँधकर मत रखिए अब। जो होता है होने दीजिए। जब मन करें मुझे पाइए। अगर अब भी आप सोचते रहेंगे और दर्द में ही रहेंगे तो फिर हम लोगों के इतना करने का क्या फायदा?"
वसीम ने एक लंबी सांस लिया और बोला- "नहीं शीतल, तुम लोगों ने तो बहुत कुछ किया है मेरे लिए। लेकिन मैं कितना बेंगरत इंसान हैं की तुम्हें गालियां दी। इतनी गंदी-गंदी गालियां की मैं तो शर्म से डूबा जा रहा हूँ मुझे माफ कर दो शीतल। प्लीज मुझे माफ कर दो.."
शीतल उसके दर्द से भरे चेहरे को अपने हाथों में ले ली और उसके गालों को सहलाते हए बोली- "प्लीज... वसीम ऐसा मत कहिए। मैं आपको कुछ बाली क्या? आप जैसे चाहें करिए मैं बोली हैं ना। आपको और गाली देनी हो दीजिए, आपको मारना हो तो मारिए। आपने कोई गलती नहीं की है जिसकी माफी मांग रहे हैं आप। मैं आपकी मंडी हैं, आपकी पालतू कुतिया आह्ह... वसीम प्लीज... इस तरह मत करिए..."
वसीम एक गहरी सांस लेता हुआ खड़ा हो गया। उसने शीतल को अपनी गोद से अलग कर दिया- "नहीं शीतल। मैंने फैसला किया है की मैं अब यहाँ से कहीं दर चला जाऊंगा। हमेशा-हमेशा के लिए.."
शीतल को गुस्सा आ गया, तो बोली "जब दूर ही जाना था तो मेरे पास क्यों आए? क्यों मेरे साथ सुहागरात मनाए? क्यों मेरे साथ शादी किए? मेरा जिस्म तो बेकार हो गया ना आपको देना। क्यों ऐसा किए मेरे साथ?"
वसीम थोड़ा सा आगे बढ़ा और शीतल को अपनी बाहों में भरने लगा। शीतल पीछे हटने लगी। लेकिन वसीम ने उसे अपनी बाहों में भर ही लिया। शीतल वसीम के सीने पे झड़-मूठ के मक्के बरसाने लगी।
वसीम बोला- "प्लीज शीतल... मुझे गलत मत समझो। लेकिन अगर मैं यहाँ रहा तो हालात उसी तरह रहेंगे। समझो मेरी बात को.....
शीतल वसीम के सीने से लग गई थी, कहा- "मुझे कुछ नहीं समझना। और खबरदार जो अब आपने कुछ साचा तो। अब आपको दर्द सहने की कोई जरूरत नहीं है। आपने मुझे अपनी बीवी बनाया है तो मेरा हक है आपकी हर परेशानी दूर करना। अब अगर आपने ऐसी बात की तो मैं गुस्सा जो जाऊँगी.."
|