07-24-2021, 01:46 AM,
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1978deepti
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RE: पति के शौक ने पत्नी को बनाया रंडी
अपडेट-2
एक दिन सुबह के समय विजय अविनाश के आफिस में बैठा हुआ था। ये आफिस अविनाश ने कुछ दिनों पहले ही किराए पर लिया था। अविनाश विजय से काम के बारे में पूछता है। काम की बातें होती रहती है तभी विजय अविनाश से वॉशरूम जाने के लिए बोलता है ऑफिस में अविनाश के ऑफिस से अटैच एक वॉशरूम था। विजय वॉशरूम जाता है। तभी दीप्ति का फोन विजय के फोन पर आता है। फोन पर फुल स्क्रीन दीप्ति का फोटो डिस्पले होने लगता है। दीप्ति की खुबसूरती देख विजय हैरान रह जाता है वो विजय का फोन उठाता है और दीप्ति का फोटो देखता है।
तभी उसे वॉशरूम के फ्लैश चलने की आवाज सुनाई देती हे तो अविनाश फोन जैसा था वैसा ही रख देता है। विजय जब तक बाहर आता है फोन कट जाता है। अविनाश ने फोन पर नाम भी देख लिया था। जो जान लिखा हुआ था। अविनाश समझ जाता है या तो ये विजय की गर्लफ्रेंड या फिर उसकी पत्नी वैसे विजय को देखते हुए गर्लफ्रेंड होने मुश्किल था। फिर भी अविनाश पहले क्लीयर करता है।
अविनाश : यार देख तेरी किसी क्लाइंट का फोन आया था।
विजय : फोन ठाता है और दीप्ति की मिस कॉल देखता है और अविनाश से कहता है भाई जरा दो मिनिट में आता है। फोन पर बात कर लूं।
अविनाश : यार क्लाइंट से बात तो यहां बैठकर भी हो जाएगी। मैं कौन सा तेरा क्लाइंट तोड लूंगा।
विजय : नहीं भाई क्लाइंट का फोन नहीं है बीबी का फोन है। और विजय बाहर चला जाता है. क्योंकि दीप्ति विजय से बहन्ुत ही रोमांटिक अंदाज में बात करती थी। अविनाश के सामने विजय बात नहीं कर सकता था इसलिए ऑफिस के बाहर आकर बात करता हैं।
दूसरी ओर अविनाश दीप्ति की खूबसूरती में खोया हुआ था वो किसी भी कीमत पर उसे हासिल करना चाहता था। लेकिन कैसे ये होगा कैसा। विजय थोडी देर बाद चला गया लेकिन अविनाश के मन में उथल पुथल छोड गया। वैसे अविनाश के लिए लडकियों की कोई कमी नहीं थी। ेलेकिन दीप्ति में उसे कुछ अलग ही दिखाई दे रहा था। अविनाश मन ही मन कहता है कि यदि ये मुझे नहीं मिली तो मैं पागल हो जाउंगा। लेकिन इसे हासिल कैसे करूं। क्यो उसे उठवा लूं। फिर सोचता है पहले विजय के मन में क्या है ये देख लेता हूं। इसके बाद जब भी विजय अविनाश से मिलने आता अविनाश अपने लैपटॉप पर एक पॉर्न पिक्चर चला देता था। विजय अविनाश के साथ उसके लैपटॉप पर इससे पहले भी कई बार पॉर्न पिक्चर देख चुका था। लेकिन अब जो फिकचर चलाई जाती थी ककोल्ड टाइम की होती थी। अविनाश फिल्म कम और विजय के चेहरे पर देखता था। सात आठ बार अविनाश इसी तरह की फिल्म विजय को दिखता है। फिर एक दिन।
विजय : अरे अविनाश भाई आपने बोला था कि आज एक पार्टी से मीटिंग करवाओगे।
अविनाश : हां भाई लेकिन क्या हे आज मेरा नौकर राजू की तबियत ठीक नहीं हैं। जरा पहले उसे देख लूं।
विजय : यार वो तेरा नौकर ही तो है क्यो मरा जा रहा है उसके लिए।
अविनाश : देश राजू की नहीं मुझे उसकी बीबी काव्या की चिंता ज्यादा रहती है।
विजय : क्यो :
अविनाश : तू चल तो सही तभी काव्या का फोन अविनाश के फोन पर आता है और जेसे ही विजय स्क्रीन पर पोटो देखता है तो उसे कोई माडल लगती है। अविनाश कहता है कि हां थोडी देर में आ रहा है।
विजय : किसका फोन था तू तो राजू के घर जाने की बात रहा था अब कहीं और जाने की बात कर रहा है।
अविनाश : राजू की बीबी का ही फोन था। पूछ रही थी कितनी देर में आओगे।
विजय : क्या ये राजू की बीबी है लेकिन ये किसी मॉउल जैसी लगती है।
अविनाश : हां इसने फिल्मों में भी ट्राई किया है कुछ फिल्में बनी भी।
विजय : अच्छा फिल्मों की हीरोइन और क्या बात करते हों।
अविनाश : भी हंसने लगता है और बात को मजाक में उडा देता है। थेाडी देर बाद विजय और अविनाश राजू के घर पहुंचते हैं।
काव्या को देख विजय उसकी खूबसूरती में खो जाता है अविनाश इसे पकड लेता है। वैसे देख तो राजू भी लेता है लेकिन वो कुछ बोलता नहीं है।
राजू : अरे साहब आपको आने की क्या जरूरत थी मेरी तबियत ठीक है। सुबह थोडा गरम लगा तो इसने रोक लिया। जाता तो गुस्सा हो जाती।
अविनाश : कोई बात नहीं राजू तू किस्मत वाला है जो इतनी समझदार बीबी मिली है।
राजू: सब आपकी मेहरबानी है। नहीं तो मेरी किस्मत में ऐसी बीबी कहां लिखी थी। और रनजू काव्या से चाय बनाने के लिए बोलता है काव्या चाय बनाने चली जाती है।
विजय : यार मुझे अभी भी भरोसा नहीं हो रहा इतनी खूबसूरत औरत राजू की बीबी है।
राजू: साहब मुझे भी नहीं होता। लेकिन साहब के कारण आज काव्या मेरी बीबी है। विजय कई बार अविनाश् से मिला था और अधिकांश समय राजू अविनाश के साथ होता था इसलिए वो दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह से जानते थे।
अविनाश : यार राजू बहुत दिनों बाद तेरे घर पर आया हूं और काव्या को देखकर मन कर रहा है।
अविनाश की बात सुनकर विजय चौक जाता है और उसे राजू के जबाव का इंतजार था।
राजू: साहब आपके लिए मैंने कभी इंकार नहीं किया लेकिन विजय बाबू, उसके लिए तो काव्य तैयार नहीं होगी।
अविनाश : ये बता तुझे कोई दिक्कत तो नहीं है।
रााजू : साहब आपसे में कभी मना कर पाया हूं
अविनाश : विजय से क्यो विजय क्या सोचता है देख मैं तो चाय पीने के बाद काव्या को बेडन्रूम में ले जाउंगा वहीं चोदूंगा। तुझे राजू से बात करनी है या हमें ज्वैइन करना है काव्या का थ्री सम करने में।
विजय : क्या बात करते हो अविनाश क्या काव्या हम लोगों से चुदने को तैयार हो जाएगी।
अविनाश : छह बार होगी। राजू की बीबी बनने से पहले वो मेरी रखैल थी। और आज भी है। राजू की किसी बात से इंकार कर सकती है मेरी बात से नहीं। तभी काव्य चाय लेकर आ जाती हैै और वहीं सामने बैठ जाती है।
काव्या : सर आपत ो अब आते ही नहीं है। आपको बुलाने के लिए ही आज मैंने राजू को रोक लिया था।
अविनाश : मुझे मालूम है तेरी आदतें, तुझे दो साल तक जमकर निचोडा है वो तो राजू का दिल तेरे उपरर आ गया था। इसलिए तू उसकी बीबी बनी नहीं तो तू सोच ले तेरे साथ क्या होता।
काव्या : वो तो हैं सर इसलिए राजू को छोड मैंने फिर किसी मर्द की तरफ नहीं देखा।
अविनाश : लेकिन आज देखना होगा।
काव्या : क्यो
अविनाश : ये मेरे दोस्त है विजय, मैं तो तुझे चोदूंगा ही लेकिन मेरा दोस्त यहां लंड हिलाए ये मुझे अच्छा नहीं लगेगा।
काव्या : लेकिन सर आपने कहा था कि शादी के बाद राजू और आपके अलावा मैं किसी से न चुदवाउं।
अविनाश : कहा था लेकिन ये मेरे साथ आया है। और तुम इसे मेरा हुकुम मान सकती हो। सिर्फ आज इसके बाद ये तुम्हारी तरह आंख उठाकर नहीं देखेागा।
काव्या : सर ये तो आप भी जानते हैं कि आपकी बात मैं टाल नहीं सकती। फिर आदेश देने की क्या जरूरत है। सिर्फ कह देते कि काव्या आपकी इच्छा है।
अविनाश : सॉरी यार मुझे लगा तू मना कर रही है।
काव्या : सर ये कभी सोचना भी मत कि काव्या आपकी बात का कभी मना करेगी।
तब तक चाय समाप्त हो जाती है। और चारों लोग बेडरूम में पहुंच जाते हैं। जहां अविनाश और विजय मिलकर काव्या की चुदाई करते हैं और राजू सामने बैठकर देखता रहता हैं.
चुदाई में विजय 15 मिनिट ही टिक पाता है। जबकि अविनाश एक घंटे से ज्यादा काव्या को चोदता रहता है। जबकि विजय तब तक काव्या के बदन से खेलता रहता है आधे घंटे बाद विजय फिर चार्ज हो जाता है और दूसरी बार वो अविनाश के साथ झडता है। इसके बाद वो लोग राजू के घर से चले जाते हैं।
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