RE: Desi Chudai Kahani मकसद
“तभी तो । वैसे एक बात है ।”
“क्या ?”
“तुम्हारा नौ नकद और तेरह उधार वाली मिसाल पर एतबार नहीं मालूम होता ।”
“क्यों ?”
“तभी तो निशा को रुखसत कर दिया । वो नौ नकद थी । सिल्विया ग्रेको तेरह उधार है ।”
“पागल हुए हो ! निशा जैसी चीज रोज मिलती है । मैं रोज बटुवे में हाथ डालता हूं और एक निकल आती है । सिल्विया जैसी मिलती ही नहीं ।”
“तभी तो उसके लिए लार टपका रहे हो । इससे ये जाहिर होता है कि माल का भाव सिर्फ अच्छा होने से ही नहीं वढ़ता, दुर्लभ और अनुपलब्ध होने से भी बढ़ता है ।”
“मुझे सिर्फ एक बार हासिल हो जाए ये, फिर चाहे...”
“सुनो ! वो कुछ बोल रही है ।”
वो डांस फ्लोर की ओर देखने लगा ।
सिल्विया अपने जिस्म जैसी ही सैक्सी आवाज में अपने कैब्रे स्टार्स को इंट्रोड्यूस कर रही थी । उस वक्त बैंड खामोश था । लेकिन स्पॉट लाइट ऐन उसके ऊपर थी और हॉल की बेशुमार रोशनियां मद्धम हो चुकी थीं ।
फिर एकाएक ड्रम जोर से बजा और सिल्विया झुककर अपने पैटर्न्स को अभिवादन करती और उन्हें अपने उन्नत वक्ष का नजारा कराती स्टेज से हट गई ।
“हाय !” खेतान बोला ।
“असली रंगीले राजा हो ।” मैं बोला ।
उसने मेरी बात की ओर जरा भी तवज्जो नहीं दी ।
म्यूजिक बजने लगा । दो कैब्रे डांसर्स स्टेज पर थिरकने लगीं ।
मैंने वेटर को करीब बुलाया ।
“जरा” मैं बोला, “सिल्विया मैडम को सुधीर कोहली का सलाम बोलो ।”
वेटर सहमति में सिर हिलाता तत्काल वहां से हट गया ।
“बुल गया सलाम ।” खेतान व्यंग्यपूर्ण स्वर में बोला, “वो यूं सलाम कबूलती होती तो मैं क्या मर गया था !”
“ऐसा हो भी गया होता” मैं बोला, तो कोई बात नहीं थी । फिर जिंदा हो जाते सिल्विया को अपनी टेबल पर वैठी पाकर ।”
वो हो-हो करके हंसा ।
दो मिनट बाद बेशुमार तारीफी निगाहों का मरकज बनी सिल्विया मेरे करीब पहुंची । खेतान को कतई नजरअंदाज करके उसने मेरे गाल पर एक चिकोटी काटी और मद भरे स्वरे में बोली, “हल्लो माई हनी चाइल्ड । माई टूटी-फ्रूटी । लांग टाइम नो सी ।”
“बैठो ।” मैं बोला ।
वो मेरे साथ सटकर बैठ गई । उसका एक वक्ष मेरी बांह को धक्का देने लगा और एक जांघ मेरी जांघ के साथ सट गई ।
खेतान यूं हक्का-बक्का सा कभी मुझे और कभी सिल्विया को देखने लगा जैसे उसे एतबार न आ रहा हो कि जो वो देख रहा था वो हकीकत थी ।
“सिल्विया ।” मैं बोला, “मीट माई फ्रेंड, मिस्टर पुनीत खेतान ।”
“फैन वाला ।” वो बोली ।
“फैन वाले जैसा । ये वकील है ।”
“ओह, हल्लो देयर ।”
“हल्लो !” खेतान फंसे स्वर में बोला । उसने मेज पर दोहरा होकर सिल्विया का अभिवादन किया ।
“डार्लिंग !” सिल्विया फिर यूं मेरे से सम्बोधित जैसे खेतान वहां था ही नहीं, “आई हैव नो टाइम । वो उधर स्टेज पर ...”
“आई अंडर स्टैंड ।” मैं बोला, “एक बार हमारे साथ चियर्स बोल जाओ, फिर चली जाना ।”
“नो प्राब्लम ।”
उसकी भृकुटी के एक इशारे की देर थी कि हमें नए जाम सर्व हो गए । उसने हमारे साथ चियर्स बोला, अपने जाम को होठों से लगाया और फिर उसे मेज पर रखकर उठ खड़ी हुई ।
“एनजाय युअरसेल्फ ।” वो बोली, “डांस देखो, खाओ पियो लेकिन खिसक न जाना । इतने दिनों बाद मिले हो ।”
“नहीं खिसकूंगा ।”
“बाई टिल दैन बाई मिस्टर.... मिस्टर.... ”
“खेतान ।” वो बड़े आतुर स्वर में बोला, “पुनीत खेतान ।”
एक चमचम करती मुस्कराहट में उसे निहाल करके वो वहां से विदा हो गई ।
“यार”, फिर वो मेरे से बोला, “तुम तो कह रहे थे कि तुम यहां कभी नहीं आए ।”
“मेरा मतलब था कि मैं यहां नीचे कभी नहीं आया ।” मैं बोला, “मै तो सीधा ऊपर जाता हूं ।”
“ऊपर ! यानी कि तुम उसकी प्राइवेट परफारमेंस भी देख चुके हो ?”
“कई बार ।”
“कभी मुझे भी दिखाओ न !”
“दिखा देंगे ।”
“सुना है स्टार्क नेकड बैली डांस करती है ।”
“हां । अब जरा स्टेज की तरफ तवज्जो दो वहां की सुंदरियां भी उसी हालत में पहुंचने वाली हैं ।”
वो स्टेज की तरफ देखने लगा ।
पन्द्रह मिनट बाद पहली परफोरमंस खत्म हुई और सिल्विया फिर स्टेज पर प्रकट हुई । उतने में ही वो अपना गाउन बदल आई थी । अब वो पहले जैसा ही स्याह काला गाउन पहने थी । पहले की तरह दो मिनट उसने स्टेज से हॉल में अपना जादू बिखेरा और फिर नई डांसरों के लिए स्टेज छोड़कर वहां से हट गई ।
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