RE: Desi Chudai Kahani मकसद
बदहवास खेतान ने हाथ-पांव ढीले छोड़ दिए ।
संतुष्टिपूर्ण ढंग से सिर हिलाते हुए यादव मेरी तरफ घूमा ।
“शशिकांत को” मैं बोला, “कभी पता न लगता कि उसका ब्रोकर ही उसके साथ घोटाला कर रहा था अगर उसके लिए अपना सारा स्टॉक तत्काल कैश कर लेना जरूरी न हो गया होता ।”
“ऐसा क्यों जरूरी हो गया था ?” यादव बोला ।
“वो ये मुल्क छोड़कर जा रहा था । मदान से पूछ लो ।”
यादव ने मदान की तरफ देखा । मदान ने सहमति में सिर हिलाया ।
“यानी कि” यादव बोला, “शशिकांत के स्टॉक में किये घोटाले को छुपाने के लिए इसने उसका कत्ल किया ?”
“जाहिर है । जरूर शशिकांत ने इसे ये अल्टीमेटम दिया हुआ था कि परसों रात पूरे हिसाब-किताब के साथ उसका सारा माल ये उसे सौंप दे । इसके लिए ऐसा कर पाना संभव नहीं था, इसलिए ये पहले ही कत्ल की तैयारी करके आया था । एडवांस तैयारी की चुगली ये रिवॉल्वर ही करती है जो कि इसने अपने दूसरे क्लायंट माथुर के यहां से चुराई । यहां मकतूल से इसकी तकरार होनी थी, ये तो इसे मालूम था, लेकिन ये शायद इसके लिए अप्रत्याशित था कि यहां सुजाता मेहरा की सूरत में एक गवाह भी मौजूद था । उस तकरार का कोई गवाह न होता तो इसके लिए सुधा माथुर को फोन करने की कोई जरूरत नहीं थी । तकरार का मुद्दा जो कागजात थे, वो क्लब की रेनोवेशन के कागजात नहीं थे, इसका ये भी सबूत है कि जो शख्स अगले रोज मुल्क ही छोड़कर जा रहा था, उसने क्लब की रेनोवेशन से क्या लेना-देना था ! ऐसे अधूरे या मुकम्मल कागजात देखकर उसे क्या हासिल होना था ! ऐसी बेमानी चीज के लिए मकतूल क्यों ये जिद करता कि तारीख बदलने से पहले वो कागजात उसे दिखाए जाए ।”
“मान लिया । आगे बढ़ो ।”
“बहरहाल खेतान ने अब्बा जाते वक्त रास्ते में दिल्ली गेट पेट्रोल पम्प पर रूककर सुधा माथुर को फोन किया और उससे इसरार किया कि वो कागजात अभी जाकर मकतूल को दिखा आए । सुधा ने कहा कि कागजात अभी मुकम्मल नहीं थे तो इसने कहा कि शशिकांत को फर्क पता नहीं लगने वाला था ।”
“क्यों नहीं लगने वाला था ? वो क्या अहमक था ?”
“नहीं था । ये बात भी अपने आपमें इस बात की तरफ इशारा है कि उस फोन काल की घड़ी से पहले ही शशिकांत पीछे अपनी कोठी में मरा पड़ा था । खेतान जानता था कि सुधा माथुर जब यहां पहुंचती तो उसे यहां कागजात का मुआयना करने वाला कोई नहीं मिलने वाला था ।”
“वो कागजात सुधा माथुर के पास घर पर उपलब्ध थे ?”
“हां । वो उन्हें घर पर मुकम्मल करने के लिऐ ऑफिस से घर ले आई थी । मैंने दरयाफ्त किया था ।”
“उसने ऐसा न किया होता तो ?”
“क्या न किया होता तो ?”
“वो कागजात घर न लाई होती तो क्या वो खेतान की फरमायश पूरी करने के लिए पहले फ्लैग स्टॉफ रोड से कनाट प्लेस अपने ऑफिस में जाती ?”
मैं गड़बड़ाया ।
खेतान विजेता के से भाव से मुस्कराया ।
“इसे” एकाएक मधु बोल पड़ी, “मालूम था कि सुधा वो कागजात ऑफिस से घर लेकर जा रही थी ।”
“कैसे ?” यादव बोला ।
“परसों दोपहर को सुधा हमारे अपार्टमेंट में थी । तब खेतान भी वहां था । खेतान ने मेरे सामने रेनोवेशन के बारे में सुधा से सवाल किया था तो सुधा ने कहा था कि उसका उन कागजात को घर ले जाकर मुकम्मल करने का इरादा था ।”
“सो” अब मैं विजेता के से स्वर में बोला, “देयर यू आर ।”
खेतान का चेहरा फिर बुझ गया ।
“इसने” यादव बोला, “कत्ल के लिए बाइस कैलिबर की रिवॉल्वर क्यों चुनी ?”
“क्योंकि ये मरने वाले की औरतों में बनी साख से वाकिफ था । दूसरे, इसे अपने अचूक निशाने पर पूरा एतबार था ।”
“ओह !”
“लेकिन ये इतना कमीना है कि इसने शक की सुई शशिकांत की वाकफियात के दायरे में आने वाली औरतों तक ही सीमित नहीं रखी । इसने एक और शख्स को भी शक के दायरे में लपेटने का मामान किया ।”
“किसे ?”
“कृष्ण बिहारी माथुर को । परसों शाम चार बजे मकतूल की माथुर से टेलीफोन पर बात हुई थी जिसमें मकतूल ने शाम साढ़े आठ बजे यहां माथुर से मुलाकात की पेशकश की थी । जवाब में माथुर ने कहा था कि अगर उसे यहां आना पड़ा तो वो शशिकांत से बात करने नहीं, उसे शूट करने आएगा । माथुर के मुंह से निकली ये बात खेतान ने भी सुनी थी, इस बात की तसदीक मैं कर चुका हूं । अपनी इस जानकारी को कैश करने के लिए इसने क्या किया ? परसों रात ये यहां अपने साथ एक व्हील चेयर भी लेकर आया जो कि इस बात का अतिरिक्त सबूत है कि कत्ल का इरादा ये पहले से किए हुए था । कत्ल के बाद इसने उस व्हील चेयर के निशान बाहर आयरन गेट से कोठी तक बनाए जिससे ये लगे कि माथुर अपनी साढ़े आठ बजे की अप्वायंटमेंट पर पूरा खरा उतरा था और वो ही यहां आकर कत्ल करके गया था । इत्तफाक से निशानेबाजी में वो भी खेतान से कम नहीं ।”
“ऐसे कोई निशान” यादव हैरानी से बोला, “बाहर ड्राइव-वे में हैं ?”
“कल तक तो थे ।” मैं झोंक में बोला । साथ ही मैंने होंठ काटे ।
यादव ने कहरभरी निगाहों से मुझे देखा ।
“कोहली” वो दांत पीसता हुआ बोला, “तेरी खैर नहीं ।”
“यादव साहब” मैं मीठे स्वर में बोला, “ये वक्त बड़े मगरमच्छ की तरफ तवज्जो देने का है जो कि खेतान की सूरत में तुम्हारे सामने खड़ा है ! मेरे जैसी छोटी-मोटी मछली पर वक्त बरबाद करने का ये वक्त थोड़े ही है ! मेरे जैसी छोटी-मोटी मछली की तो आप कभी फुरसत में भी दुक्की पीट लेंगे ।”
चेहरे पर वैसे ही सख्त भाव लिए यादव ने सहमति में सिर हिलाया ।
“अब हमारे वकील साहब के तरकश के तीसरे तीर पर आइये ।” मैं बोला ।
“अभी तीसरा भी ?” यादव बोला ।
“वो गुमनाम टेलीफोन कॉल जो तुमने अपने ऑफिस में हमारे सामने सुनी थी जिसकी वजह से तुमने मधु को हिरासत में लिया था ।”
“वो भी इसने की थी ?”
“और कौन करता ? ये ही तो था चश्मदीद गवाह मधु की यहां आमद का । अपनी इस जानकारी को इसने उस गुमनाम टेलीफोन कॉल की सूरत में कैश किया ।”
“ओए, पुनीत दया पुत्तरा ।” एकाएक मदान कहर बरपाता खेतान की ओर लपका, “तेरी ते मैं भैन दी...”
खेतान सहमकर दोनों हवलदारों की ओट में हो गया ।
यादव झपटकर उसके सामने आन खड़ा हुआ ।
“काबू में रहो ।” वो सख्ती से बोला, “इसे अपनी हर करतूत की सजा मिलेगी ।”
“हद हो गई जी कमीनेपन दी ।” मदान भुनभुनाया, “कंजरीदा गोद में बैठ कर दाढ़ी मूंडता है ।”
“चुप करो ।” यादव डपटकर बोला ।
निगाहों से खेतान पर भाले बर्छिया बरसाता, दांत किटकिटाता मदान खामोश हो गया ।
“और ?” यादव मेरे से बोला ।
“और क्या ?” मैं बोला, “बस ।”
“शशिकांत माथुर से क्यों मिलना चाहता था ?”
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