Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
09-01-2021, 05:21 PM,
#99
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
नूतन को लगा अब उसकी कुंवारी चूत नहीं बचेगी | आज जग्गू उसे चोदकर ही मानेगा | एक बार को उसके मन में आया हाथ पाँव ढीले छोड़ दे | नूतन उसके भरी भरकम शरीर के नीचे अपने हाथ पाँव पटक रही थी | नूतन को फिर चूत चुदाई के बाद होने खतरे याद आ गए | कही वो पेट से हो गयी तो | इसके पास तो कंडोम भी नहीं है | अभी तो मुझे बहुत पढ़ना है, उसे अभी बच्चा नहीं चाहिए |
आंसुओं से भरी आंखे लिए सदमे की दहसत में नूतन ने आखिरी बार गिडगिडाते हुए - कही भी कर ले जग्गू मै मना नहीं कर रही हूँ, बस मेरी चूत छोड़ दे | तू समझ नहीं रहा, कही पेट से हो गयी मै तो, तेरे पास कंडोम भी नहीं है | तुझे आगे पीछे जहाँ करना है, कर ले बस चूत छोड़ दे | मुहँ चोद ले, पीछे गांड में करना है वहां कर ले | जो भी दर्द होगा सह लूंगी, बस मेरी चूत छोड़ दे |
जग्गू वासना में पूरा अँधा हो चूका था, उसे न तो समझ आ रह था कि नूतन क्या कह रही है और न ही उसे मतलब था - साली तेरी गांड की टट्टी अपने माँ बाप से साफ़ करवाना, मै तो तेरी चूत ही मारूगां, चोद चोद कर तेरी चूत को सुरंग बना दूंगा | जग्गू नशे में धुत नूतन की चूत देखने लगा | पहाड़ी की तरह उठे दोनों चुताड़ो के बीच की दरार के निचले हिस्से में बनी घाटी में किसी नदी के बहाव की लकीर खीचती नूतन की चूत जो अपने दोनों ओंठो को कसकर एक दुसरे से चिपकाये हुए थी, ऐसी कसी टाइट चिकनी मक्खन मलाई जैसी नूतन की गुलाबी मखमली चूत देखकर जग्गू का लंड और जोर से फाड़ने लगा | उसके अन्दर की वासना की उत्तेजना अब बेकाबू होने लगी | बार बार नूतन की चूत देख जग्गू अपने होशो हवास खोने लगा | नशे में धुत, वासना में डूबा, हवस से सरोबार कुछ देर तक नूतन की चूत ही देखता रहा और बडबडाने लाहा - साला कैसे नजाकत से साफ़ सुथरी चिकनी मक्खन जैसी बनाकर रखी है अपनी चूत तूने | साला मन करता है गप गप करके खा ही जाऊ |

जग्गू उसकी पैंटी पहले ही छिलके की तरह उतार कर अलग फेंक चूका था, जग्गू उसकी चिकनी गोरी मांसल जांघो को सहला रहा था , नूतन को लगा अब उसके लिए करो या मरो की स्थिति है | नूतन ने अपने हाथ पांव ढीले कर दिए थे, जग्गू को लगा नूतन ने हथियार डाल दिए है, नूतन को इस तरह काबू में देखने के बाद जग्गू ने एक हुंकार भरी, जैसे उसकी ये पहली विजय हो | जग्गू एक हाथ अपने मुहँ की तरफ लार लेने के लिए ले गया | उसने अपनी हथेली पर लार निकाली और अपने लड़ के सुपाडे पर मलने लगा | नूतन के सोचने समझने की शक्ति ख़त्म हो गयी थी | नूतन को लगा अब चुदना ही है, तो रोने धोने का क्या फायदा | कभी न कभी किसी न किस से तो चुदुंगी ही | कोई न कोई लंड पहली बार मुझे चोदेगा ही | रही बात पेट से होने की तो यहाँ से घर पंहुचते ही गोलियां खा लूंगी | नूतन ने हथियार डाल दिए थे | अब उसके आगे अपनी चूत जग्गू के लंड से चुदवाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था |

जग्गु ने अपने लंड पर मुहँ की गीली लार मलने के बाद अपने लंड को नूतन के चूत के मुहाने की तरफ बढाया और नूतन की चूत के मुहँ से सटा दिया | एक धक्का और नूतन की चूत में जग्गु का लंड घुस जाना था | जग्गू नूतन को पीछे से चोदने के सपने देखने लगा | वो पीछे से हचक हचक कर नुतन की गुलाबी कुंवारी कसी हुई चूत में अपना लंड पेल रहा है और नूतन उसके हर धक्के के साथ अपने चूतड़ उठा गिरा रही है | पहली बार चुदने से चूत में हो रही जलन और कामवासना से तर बतर नूतन जग्गू के हर धक्के के साथ कराह रही है, उसके मुहँ से आह आह की अवजे निकल रही है और जग्गू बिना रुके पूरा का पूरा सख्त लंड नूतन की चूत में पेल रहा है | नूतन की मादक सिसकारियां जग्गू का और जोश बढ़ा रही है और वो जमकर नूतन को चोद रहा है

नूतन को समझ नहीं आया अचानक जग्गू को क्या हो गया, किस सोंच में पड़ गया, कही उसे अपनी गलती का अहसास तो नहीं हो गया |
शायद वो जो करने जा रहा है उसे उसके गलत होने का अहसास हो गया है | जग्गू नूतन के चोदने की सपनीली कल्पना में डूबा गीली लिसलिसी लार से अपने गरम लंड को मलकर चिकना कर रहा था, ताकि नूतन की सुखी कुंवारी चूत की सील तोड़ने में उसे ज्यादा जोर न लगाना पड़े |
नूतन अचानक - जग्गू रुको, मेरी सूखी चूत की संकरी सी सुरंग में, जिसमे आजतक किसी का लंड नहीं घुसा ऐसे ही लंड पेल दोगे, थोड़ी लार और लगा लो लंड पर |
जग्गू शराब और वासना दोनों के नशे में धुत था | इससे पहले जग्गू कुछ रियेक्ट करता नूतन ने जग्गू की ढीली पकड़ से अपना दाहिना हाथ छुड़ाया, और अपने मुहँ से ढेर सारा लार अपनी हथली में उड़ेल लिया | जग्गू जब तक कुछ समझता, तब तक नूतन अपनी लार से जग्गू का लंड मसलने लगी | जब जग्गू को अहसास हुआ कि नूतन क्या कर रही है, तब विजयी अंहकार के साथ बोल पड़ा - बोला था न, साली चुदने का मन सबका होता है बस नखरे इतने दिखाती है की गांड से पसीना निकाल दे |
नूतन - तुझे अच्छा लग रहा है मै तेरा लंड पकड़कर मल रही हूँ |
जग्गू - जल्दी से मल, अब रुका नहीं जाता, मेरे लंड का ठिकाना अब तेरी गुलाबी चूत की अँधेरी सुरंग है | इसे ज्यादा देर मत रोक
नूतन - हाँ हाँ, इसकी अलसी मालिश तो मेरी कुंवारी मखमली चूत की कसी हुई दीवारे ही करेगी, मै तो बस थोड़ा लोशन लगाये दे रही हूँ, ताकि आराम से मालिश हो |
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RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की - by desiaks - 09-01-2021, 05:21 PM

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