Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
09-17-2021, 12:03 PM,
#1
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काला साया – रात का सूपर हीरो

ऊन दीनों बंगाल में सावन का तगड़ा मौसम शुरू हुआ था….फाटक के नज़दीक हॉएँ से इस छोटे शहर इतर में बाढ़ का प्रकोप तरफ गया था…और रोज़ मुसलसल बारिश चल रही थी….फसल गाँव के घर सब तूफान से या फिर बाढ़ में तबाह हो जाते…कुछ लोग इस तूफान से बचने के लिए टाउन में चलते आते और फिर सब सामान्या हो जाने के बाद वापिस अपने गाँव लौट आते…ऊन दीनों बाँध टूटने का अलर्ट हो गया था…और इस वजह से गाँव सब खाली करवा दिए गये थे…लेकिन शहर से बाज़ार का रास्ता सुनसान जंगल और वीरान छोढ़े गये बस्तियो से होकर गुजरता था इस शहर में रात गये औरत बूढ़ी वृढ को भी बदमाश लोग उठाकर रेप करके ऊन्हें जंगलों में मरने के लिए फैक देते थे….कोई भी औरत अकेले ज्यादा सुरक्षित नहीं होती थी…औरत पे हो रहे यौन सोशण का मामला बढ़ता जा रहा था….पर पुलिस ऊन बदमाशो का कुछ पता नहीं लगा पाई थी

आधी रात का वक्त हो चुका था और ऊस सुनसान कीचड़ बारे रास्ते पे वो औरत फिसल फिसल के तेजी से चल रही थी 30 साल की उमर कसा हुआ बदन छाती पेंट और गान्ड बाहर निकले हुए थे….अपनी मैली गीली सारी को अपने चेहरे के लगे पसीने से पोंछते पोंछते वो बाज़ार से शहर के रास्ते की ओर जा रही थी उसे डर भी लग रहा हां की इतनी सुनसान सड़क पे वो अकेले चल रही रास्ता भी काफी फिसलन भरा ऐसे में कोई साँप और उससे भी कई ज़्ीडा वीरान बस्ती के भूतों की मुसीबत गाँव में ये बात फैली हुई थी की वीरान इन बस्तियो में आत्मा वास करती है ऐसे में ऊस देहाती औरत कंचन का डरना लाज़मी था…कंचन शादी शुदा औरत थी और वो घरो में काम किया करती थी…उसे शहर से अपने बच्चों के लिए कुछ दवाइयाँ लानी थी पति शराबी उससे तो कोई उम्मीद नहीं थी इसलिए वो खुद पे ये ज़िंमेरदारी उठाकर अकेले हिम्मत करके शहर चली गयी लेकिन मुसलसल बारिश में वो ऐसी फँसी की रात काफी गहरी हो गयी और सड़क और भी खराब और सुनसान अपने मन में अल्लाह अल्लाह का नाम लेकर वो आगे बार रही थी इतने में उसे दो बाइक सवार आते दिखे

वो सहेमी डरी बस आंखें झुकाए आगे बढ़ती रही लेकिन वो लोग उसके करीब आने लगे…वो दौड़ भी नहीं सकती थी…फिसलने का डर था….और ऊपर से ऊन बदमाशो के हँसी को सुनकर उसे पक्का लग चुका था की आज तो वो गयी काम से आज उसका भी बाकी औरतों की तरह गान्ड और चुत में लंड डाल डालकर ये लोग उसका बलात्कार करेंगे और अपना पानी छोढ़ने के बाद उसे भी लावारिस लाश बनकर चोद देंगे अचानक एक बाइक सवार उसके करीब आकर बाइक उसके सामने रोक देता है

कंचन – आर…रही क्या बदत्तमीज़ी है छोढ़ूओ जाननने दम तुम मुझहहे जानते नहीं आहह छोड्धूओ
बाइक सवार – ज्यादा चिल्लाई तो मुँह में लंड डाल दूँगा क्या रे? हाथ पकड़ रे इसका साली को वही ऊस खेत के भीतर ले जाकर चोदते है
कंचन – आह भगवान के लिए चोद दो मेरे दो छोटे छोटे बच्चे है…अल्लाह से डर
बाइक सवार – चुप साली (इतना कहकर वो लोग कंचन को ज़ब्रन हाथ पाओ से पकड़कर रास्ते से नीचे के ढलान में ले जाने लगे)

कंचन को तो लगने लगा जैसे आज उसे इन शैतानो के हाथ से कोई नहीं बच्चा पाएगा….अभी वो लोग ढलान से नीचे उतरे ही थे…की कंचन एक को धक्का मारा और फिसलते हुए दो बार गिर पड़ी फिर वो पूरी ताक़त से अपने मोटापे का फायदा उठाकर एक बदमाश के सीने पे लात जमा देती है वो वही गिर परता है..कंचन पूरी ताक़त लगाकर उठके जैसे ही सड़क पे दौड़ने वाली होती है उसका गुंडे फिर रास्ता चैक लेते है इस बार उसे वही सड़क पे गिराके ऊसपे सवार होने लगते है…

लेकिन तभी एक जोरदार रोशनी ऊन लोगों के चेहरे पे पार्टी है….बाइक सवार हड़बड़ाकर उठ खड़े हो जाते है…”अययएए कौन है आबे? किसने हेडलाइट ऑन किया”…..सब बाइक सवार भौक्लाए ऊस हेडलाइट के सामने खड़े अक्स को घूर्रने लगते है….वो अक्स धीरे धीरे काली परछाई बनकर उनके सामने खड़ा हो जाते है वो लोग बारे गौर से उसका चेहरा पहचानने की कोशिश करते है लेकिन उसके चेहरे पे एक कृष जैसा मास्क होता है और पूरे चेहरे पे काला रंग लगा होता है…सिर्फ़ उसके होंठ और उसके गुस्से भारी निगाहों को ही वो लोग देख सकते है

एक बदमाश चाकू फहत से निकल लेता है..एक उसे हिदायत देता है शायद उसके पास हत्यार हो “क्या रे? कौन है आबे तू?”….वो साया कोई जवाब नहीं देता बस ऊस्की एक भारी आवाज़ बादल के गारज़ते ही निकलती है “काला साया”……वो लोग एकदम से चुप्पी सांधके सहम उठते है ये काला साया वही था जिसने एक करप्ट ऑफिसर को इतना मारा की ऊस्की दोनों टाँगें ही तोड़ दी थी…बदमाश लोग सावधान हो गये और फिर कंचन को वही छोढ़के उसके करीब आने लगे

ऊन लोगों ने अभी उसे घैरना ही चाहा था..की इतने में उसके बाए कमर से निकलती एक फुर्रत से हत्यार उनके जिस्मो को छू गया दो बदमाश वही चट्टक चटक की आवाज़क ए साथ चीखके गिर परे….काला साया के हाथ में एक नानचाकू था….ऊसने फौरन दूसरे गुंडे ए गले में उसे लपटा और उसके ठुड्डी पे एक लात मारा वो सीधे पीछे के जंगली धंस में जा गिरा…दूसरा बदमाश तीनों के अचानक पीटने के बाद सामने आया ऊसने चाकू ऊसपे चलना चाहा पर ऊस साए से आर पार जैसे चाकू होता उसका बचाव इतना तेज था ऊसने क़ास्सके ऊस गुंडे का हाथ पकड़ा और उसके हाथ ही को तोड़ डाला…और फिर उसके चेहरे पे इतने घुसों की बौछार की वो और उठ ना पाया

चारों के चारों बाइक सवार बुरी तरीके से मर खाए परे हुए थे…लेकिन काला साया ने एक एक करके ऊन सभी के गर्दन को मोड़ माड़ोध के तोड़ डाला अब वहां सिर्फ़ लाशें थी और बदल की खौफनाक गारज़ान….काला साया फौरन कंचन के करीब आया जो सुबकते हुए रो रही थी जब ऊसने अपनी नज़र ऊपर उठाई तो वो सहेंटे हुए मुस्करा उठी “काला साया आप बाबू आपने हमारी जान बच्चा ली अल्लाह का शुक्र है की आप जैसा फरिश्ता उन्होंने भेज दिया”…..काला साया मुस्कुराकर कंचन को उठाने लगता है

बारिश तेज हो जाती है…काला साया पास में परे एक दवाई की शीशी जो कंचन के हाथ से चुत गयी थी ऊस पॉलयथीन को कंचन को देता है…”चलो बारिश तेज हो चुकी है तुम्हें तुम्हारे घर तक चोद दम”…..कंचन ऊन लाशों को देखकर खौफ से भर जाती है

कंचन – बाबू ये लोग मर गये क्या?
काला साया – हाँ मैंने इन हरामजादो को मर दिया
कंचन – बहुत ठीक किया अपने बाबू थूकती हूँ इनपे इन नमर्दो पे जिन्होंने हम औरतों का जीना हराम कर रखा था (कंचन ने पास जाकर उनके चेहरों पे थूक डाला देखकर साफ था जैसे वो ना तो काला साया से डर रही थी और ना ही उसे डर था की काला साया ने ऊँका खून कर डाला)
काला साया – इनकी लाशें यही चोद दो पुलिस शिनाख्त करके इन्हें ले जाएगी तुम बस यही कहना की मैंने तुम्हारी जान बचाई वैसे तुम इन लफडो में नहीं परोगी
कंचन – आप फिक्र ना करो साहेब मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगी और मैं जानती हूँ जबसे आप इस शहर में आए हो तबसे हमारा खौफ कितना कम हुआ है
काला साया – अच्छा चलो वरना यहां पानी भर जाएगा ये तूफानी बारिश नहीं रुकेगी मैं तुम्हें शहर तक चोद देता हूँ

इतना कहकर कंचन अपने गीले सारी से खिकध को झधते हुए बाइक में काला साया के साथ सवार हो जाती है….बाइक काफी तेजी से कक़ची सड़क और बगल के खेत जंगलों से होते हुए चलने लगता है….अचानक काला साया की बाइक फिसल जाती है और उसे बीच में ही बाइक रोकनी पढ़ती है “अफ हो लगता है ये सड़क बंद हो चुकी है यहां दलदल का भी खतरा हो सकता है”…काला साया की बात सुनकर कंचन घबरा जाती है की अब वो घर कैसे जाएगी? उसके बच्चों की दवाई खत्म हो गयी थी…कंचन ने जब काला साया को अपना कारण बताया तो वो भी सोच में डूब गया की करे तो करे क्या? एक तो ये ना थमने वाली बारिश ऊपर से बढ़ता तूफान…”देखो कंचन ये मौसम शायद सुबह 4 बजे तक चल सकता है तब्टलाक़ तुम्हें कही आज तो तहेरना ही पड़ेगा वरना ऐसी हालत में अपने बस्ती जाओगी कैसे?”…..कंचन भी कही हड़त्ाक मायूस होकर काला साए की बात पे हामी भरने लगी
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