RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
{UPDATE-04}
“सच”…..कंचन मुस्करा पड़ी उसके चेहरे की खुशी लौट आई…काला साया ने मुस्कुराकर सर ऊपर नीचे किया..ऊसने कंचन को एक बार फिर गले लगाया डॉन वन अपने इस छुपे रिश्ते को इस वीरान झोंपड़े में ही दफ़न कर दिया…और सुबह चार बजते बजते तक सेक्स करते रहे…काला साया उसके पति की तरह उसके बदन को छूने लगा और कंचन भी इस पे कोई विरोध नहीं जताया काला साया 2 बार झड़ चुका था ऊसने कंचन को बहुत तक दिया था…फिर दोनों ने जब देखा की बारिश थाम चुकी है तो कीचड़ बारे रास्तो से निकलकर बाइक को किसी तरह ऑन करके किसी साए की तरह काला साया अपनी ब्लैक बाइक से कंचन को उसके बस्ती चोद देता है और फिर वहां से फिर शहर का रुख कर लेता है और उसके बाद अंधेरी गलियों से गुजरते हुए स्ट्रीट लाइट की रोशनी में वो एक काला साया बनकर गायब हो जाता है…
किसी बाबा आदम युग की वो सुनहेरी रंग की पुरानी सी अलार्म इतने ज़ोर से बज उठी…की बगल में बिस्तर पे लेटा वो लड़का जो बेशुड घोड़े बेचके सोया हुआ था अपने कान के परदों को दबाते हुए तकिये से इधर उधर ऐतने लगा…”उफ़फ्फ़ हो बहेनचोड़ड़ अबबेययय चुप्प”…..देवश ने फौरन उठके एक तकिया ऊस अलार्म के मारा…वो अलार्म सीधे गरगरते हुए फर्श पे जाकर टूट गयी
“आ हाहाहा फाइनली मां का यह अलार्म जो क़ब्रिस्तान के मुर्दे को भी जगा दे उसे फाइनली तोड़ ही दिया एस्स”….भाई साहेब अभी अंगड़ाई लेकर अपने प्यज़ामे से लंड को ठीक करते हुए आंखें मुंडे ही थे की तभी एक बहुत ही तीखी आवाज़ बज उठी
देवश फिर चीखके उठ बैठा “आबेययय याअरर”…..वो पूरा झल्ला गया..ऊसने उठके फौरन ऊस टूटे अलार्म की तरफ देखा जो अब भी बज रही थी…ऊसने अलार्म को उठाया और उसे बंद करना चाहा पर साला बंद नहीं हुआ अचानक उसे याद आया और फिर ऊसने ज़ोर से एक ताली आवाज़ बंद हो गया
अब तो नींद टूट चुकी थी अब मिया सोते भी कैसे?…देवश 22 साल का नौजवान जो यहां पुलिस की दफ्तर में इंस्पेक्टर की पोस्टिंग पे आया था…घूस अमीरो से लेना सेक्सी औरतों को पटना और अपने फर्ज के प्रति ढीला होने का स्वभाव तो था ही दिल्ली पुलिस में 2 साल काम करने के बाद देवश को वहां से तबादला कर दिया गया और वो इस शहर में आकर और भी आलसी हो गया…लेकिन मां का जो तोहफा था उसे वो बेहद प्यार करता था क्योंकि मां की यह आखिरी निशानी थी
ऊसने बारे ही प्यार से टूटे अलार्म को मेज़ पे रखा और अभी चाय बनाने किचन की तरफ मुड़ा ही था अचानक घंटी बज उठी….”अफ लगता है कामवाली कंचन आ गयी”…..जैसे ही देवश ने दरवाजा खोला कंचन के चेहरे के खुशी के भाव देखकर वो अंदर आई
आज कंचन ने पर्पल रंग की सारी पहनी हुई थी…धोती जैसा पेटीकोट और बॅकलेस पीठ…उसके चलते ही ऊस्की माटतकी गान्ड और चाल दोनों को देखकर देवश मिया की नींद गायब हो गयी
देवश : क्या रे कंचन सुबह सुबह बड़ी खुश है क्या बात है?
कंचन : अब खुश नहीं होंगे तो क्या रोज़ की तरह दुखी होंगे बाबू?
देवश : अच्छा चल जल्दी से छैीइ ला…थाना भी निकलना है
देवश अंगड़ाई लेता हुआ ब्रश करने लगता है कंचन उसके सामने चाय चढ़ाके झाड़ू लगाने लगती है..देवश मिया दाँत को ब्रश से घीसते हुए कंचन के चुचियों के कटाव को निहारने लगता है “क्या माल है?”….अचानक देवश ने के मंसुदे में ऐसा बुरष लगा की वो दर्द से बिलबिला उठा
“आहह साला गया रे”…होंठ के बीच उंगली लगाए वो खून थूकने लगा “क्या हुआ साहेब?”…..कामवाली कंचन उठके उसे देखने लगी
देवश : अरे कुछ नहीं बस वो घिस्स गया आहहह सस्स दाँत के नीचे ब्रश गलती से लग गया
कंचन : बाबू दवाई है आपके पास
देवश : हाँ है ना वो अलमारी से निकाल ले
कंचन दवाई लिए मंसुदे में दवाई लागने लगी…कंचन देवश के सामने खड़ी थी इसलिए देवश की निगाह उसके पसीने भरे ब्लाउज के बगल पे गयी…अफ ऊस्की भीनी खूबशु सूँघके देवश का लंड अंगड़ाई लेने लगा लेकिन दवाई के जलन से आहह आ करते हुए देवश का ध्यान हटा कंचन देवश के चेहरे को हाथों से छोढ़के फिर चाय लेकर आई….चाय की चुस्किया लेकर बिना कंचन की तारीफ किए देवश बोला
देवश : अच्छा तू कुछ बता रही थी खुशी का कारण ज़रा बताना
कंचन : और क्या बताए बाबू? कल रात को काला साया मिला था
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