RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
(UPDATE-17)
काला साया : अच्छा फाइनल बात बता देता हुक अल लाल सारी पहनें आएगी समझिी और अच्छा तैयार होकर आना
कुटुम्ब : यईी तूमम्म क्या बक रहे हो?
काला साया : देखह अगर चेहरे पे मुस्कान नहीं होगी बन तान्न के नहीं आएगी तो तेरे पति को लगेगा तू खेत जा रही है फिर वॉ तेरे पीछे आएगा और फिर जानती है ना
कुटुम्ब : अच्छा ठीक आिइ मैं आ जौंगिइइ तुम प्ल्स ऐसा कुछ मत करना पर वॉ एम एम एसे मुझे
काला साया : काल साय एक बार कहता है हज़ार बार नहीं तू बस आ जाना
फोन कट हो जाता है…कुटुम्ब की तो गान्ड चुत पूरा शरीर तार्र तार्र काँपने लगता है पता नहीं काला साया क्या सुलूक करेगा उसके साथ? पर एक मां के साथ साथ वॉ एकक औरत भी थी जिसे अपने घर की इज्जत हर हाल में बचानी थी….उधर काला साया गुस्से की आग में जल रहा होता है और फौरन एक फोन लगता हे
दूसरे दिन जेल से शांतलाल रिहा हो जाता है उसके दिल में 6 महीने की जो सजा मिली थी ऊस बात का आक्रोश होता है और अंजर को मारने का वॉ पूरा प्लान किए आगे बढ़ने को होता है इतने में कुछ गुंडे उसका रास्ता चैक लेते है
शांतलाल : क्या रे बहेनचोड़ बेटीचोड़ क्यों रास्ता रोका?
हूँ बिना कुछ बोले उसे मारने को आगे आते है शांतलाल ऊनसे भीढ़ जाता है…शांतलाल एक बेहद निर्दयी गुंडा था ऊस्की उमर 48 के आस पास थी कभी अंजर का गहरा दोस्त था दोनों मिलकर राशन उठाने वाली मज़दूर औरत या किसी की बीवी की मज़बूरी का फायदा उठाकर उनके साथ चुदाई करते थे…एक दिन शांताला की निगाह कुटुम्ब पे पार गयी इस बात पे दोनों में कहा सुनी हो गयी और शांतलाल ने राशन देना भी अंजर को बंद कर दिया उसका नुकसान होने लगा और ऊसने फौरन फ्सी ऑफिसर को इस बात का पुष्टि दिया रेप और इल्लीगली राशन ना देन एक जुर्म में उसे अरेस्ट कर लिया गया…शांतलाल का आक्रोश बढ़ता रहा…लेकिन ऊस वक्त एमएलए चाँदी प्रसाद का दबदबा था उसे सिर्फ़ 6 माह की सजा हुई एमएलए के मरने के बाद हूँ उतनी ही महीने की सजा कटता रहा और जब बाहर निकाला तो उसका पूरा आक्रोश अंजर पे और ऊस्की बीवी पेट हां
अचानक लरआई के दौरान पीछे से हूँ गुंडा शांतलाल को चाकू मारने ही वाला था की हूँ मुकोता पहना शॅक्स बीच में आ गया जाने में डायरी नहीं थी अंजर के गुंडे थे ये लोग काला साया ने सिर्फ़ कुटुम्ब को थोड़ा डराया था…लेकिन उसी हॉस्पिटल में कुछ देर बाद जाने वाले थे
काला साया ने फुरती से ऊस चाकू वाले का हाथ मोधके दूसरा लात पीछे वाले गुंडे पे मारा..और फिर शुरू हड्डी तोधने का खेल शांताला घायल होकर एक जगह बैठ गया..काला साया मारता गया…और बाकी रही गयी हड्डी टूटी कार्रहतें ज़मीन पे परे गुंडे
काला साया ने एक ही झटके में शांताला को पकड़ा शांतलाल डर गया उसे काला साय के बारे में पता था और फौरन दोनों बाइक पे बैठकर वहां से फरार हो गये पीछे पुलिस की जीप आ चुकी थी…काला साया एक खंडहर में आकर शांतलाल को बिता देता है और उसके ज़ख़्मो की पट्टी करने लगता है
शांतलाल : काला साया भी तू अपुन को क्यों बचाया?? आहह ससस्स टीटी..तू मुझसे क्या चाहता हाीइ?
काला साया : देख तू जनता है की मैंने तुझे क्यों बचाया ये लोग अंजर के गुंडे थे (शांतलाल का गुस्सा दहेक जाता है लेकिन हूँ चुपचाप हाथ पे लगी पट्टी के दर्द से करहाने लगता है और फिर जैसे तैसे खुद को संभलता है)
शांतलाल : जनता था भोसड़ी का हरामी की बीज मुझे फसाएगा ही एकदिनन्न साले को कांट दूँगा मैं
काला साया : तेरा यही जूननून गुस्सा मुझे चाहिए
शांतलाल : पर तू मेरी मदद क्यों रहा है? मैं तो खुद तेरे निगाहों में गुंडा हूँ एक गुंडे की मदद एक जुर्म का सफ़ाया करने वाला करेगा हाहाहा
काला साया : आबे सुन अगर आज मैं ना आता तो तेरा बदला तेरी मौत के साथ इस दुनिया से रुकसट हो जाता इसलिए अगर किसी पे आक्रोश निकलना है तो हूँ है अंजर की फॅमिली
शांतलाल : लेकिन तुझे इससे क्या भैईई?
काला साया : मुझे बोलने में टाइम नहीं लगेगा की तूने कितनों का घर उजाड़ा उसके साथ मिलकर कितनी औरतों का सोशण किया मैं चाहूं तो तुझे फिर जेल भेज सकता हूँ और टुंुझे अच्छे से वक़्क़ीफ़ है
शांतलाल जनता था की काला साया को टाइम नहीं लगेगा उसे मारने में या फिर उसे वापिस जेल भेजने में एमएलए का खून ऊसने किया उसके बॉस को काला साय ने जान से मर डाला अब शांतलाल डर गया उसे कुछ सूझ नहीं रहा था
शांतलाल : भैईई मुझे मांफ कर दो ऊस मादरचोद के वजह से बहेक गया था मैंन्न साले कमीने के वजह दो दरृू की घूँट लेकर चुत के लिए पागल हो गया था मैंन्न तू मुझे बक्ष दे भी मैं तेरा गुलाम बनकर को तैयार हूओ
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