RE: Indian Sex Kahani चूत लंड की राजनीति
अब तक आपने पढ़ा की राज को डॉली के असली मा बाप का राज पता चलता हैं. डॉली ने चुदाई का लालच देते हुए नंगे होकर राज को सिर्फ़ तडपाया पर दिया कुच्छ नही और नहाने चली गयी.
अब आगे…
डॉली जब नहा कर बाहर आई तो बदन पर बड़ा सा तौलिया बूब्स के उपर से लेकर घुटनो के थोड़ा उपर तक लपेटा हुआ था.
बाहर आई तो सोफे पर पसरे हुए राज पड़ा हुआ था और डॉली का ब्रा और पैंटी सूंघ रहा था और स्माइल कर रहा था.
डॉली: “तू अभी तक गया नही?”'
राज: “आज तो मैं तुम्हे चोद कर ही जाउन्गा”
डॉली: “इतना कॉन्फिडेन्स कहाँ से लाया?”
राज: “मुझे पता हैं की वो ड्राइवर राजेश तुम्हारे बाप हैं”
डॉली: “तो छूप छूप कर लोगो की बातें सुनना तेरी आदत मे शुमार हैं!”
राज: “तुम लोगो ने कई सालो तक इसको राज रखा पर मैं पूरी दुनिया को बता सकता हूँ. मेरा मूह बंद रखने के लिए मेरा मूह भरना होगा”
डॉली: “तुझ जैसे कमीने इंसान से यही उम्मीद थी. कितना पैसा चाहिए बोल”
राज: “मुझे मेरे मूह मे तुम्हारे बूब्स, होंठ, और चूत भरनी हैं. एक बार चोदना हैं तुम्हे”
डॉली: “बस एक बार?”
राज: “एक बार चुदवा कर तो देखो, कसम से तुम खुद बार बार मुझे चोदने को बोलॉगी”
डॉली: “कुत्ते, तू मुझे चोदेगा? तू मेरा नौकर हैं”
राज: “नौकरी गयी भाड़ मे. वैसे कुत्ते से याद आया. तुझे तो मैं कुतिया बना कर चोदुन्गा. चल कपड़े खोल. आज तेरी चूत का भोसड़ा ना बना दिया तो मेरा नाम राज नही”
डॉली: “जा कुत्ते, तुझे जिसके सामने भौकना हैं भोक ले. मुझे अब फ़र्क नही पड़ता की सबको यह पता चले की मेरे असली मा – बाप कौन हैं”
राज: “मैं नौकर तो तू कौन? एक ड्राइवर की बेटी ही तो हैं. मुझ पर हुकुम तो ऐसे चला रही हैं जैसे किसी बड़े घर की बेटी हो”
डॉली: “तू आज भी नौकर हैं और मैं तेरी मालकिन. चल निकल यहा से”
राज आगे बढ़ा और डॉली की छाती से तौलिया निकालने लगा. डॉली ने उसका हाथ झटक दिया और फिर पीछे मूड गयी ताकि वहाँ पड़ा डंडा उठा पाए.
राज ने डॉली को पीछे से कमर से पकड़ लिया. डॉली अपने आप को राज की पकड़ से छुड़ाने लगी. राज ने फिर डॉली को खिसकाते हुए पास मे पड़े एक टेबल तक आया और उस पर डॉली को सामने से झुका कर लेटा दिया.
एक हाथ से डॉली के सर को टेबल पर दबा दिया. राज ने दूसरे हाथ से डॉली का तौलिया नीचे से उपर करने की कोशिश की.
डॉली की गोरी जाँघ दिखने लगी और तौलिए से डॉली की पैंटी दिखाई दी. इसके पहले की राज पैंटी उतारता, डॉली ने राज को कोहनी से पेट मे मारा. राज झटके से दूर हो गया.
डॉली ने घूम कर राज के मूह पर चांटा मार दिया और चिल्ला कर सेक्यूरिटी को अंदर बुला लिया. सेक्यूरिटी बाहर से दौड़ते अंदर आए और राज को पकड़ लिया.
राज: “यह तू ठीक नही कर रही, मैं सबको बता दूँगा राजेश के बारे मे”
डॉली: “इसको बाहर फेकने से पहले इसके हाथ पैर अच्छे से तोड़ देना”
राज चिल्लाने लगा. सेक्यूरिटी ने उसको बाहर ले जाकर बुरी तरह से पिता औ फिर सड़क पर छोड़ दिया. लंगड़ाता हुआ राज जैसे तैसे टॅक्सी पकड़ कर अपने घर पहुचा.
घर पर आकर राज दर्द के मारे कराह भी रहा था और गुस्से मे फुफ्कार भी रहा था. डॉली को ब्लॅकमेल करने का दाव नही चला.
डॉली एक ड्राइवर की बेटी हैं इस से शायद डॉली को कोई नुकसान नही था. फ़र्क तो सिर्फ़ ज्योति और सतीश को पड़ता. राज अब कोई दूसरा रास्ता ढूँढने लगा.
घर पर बैठे बैठे राज अपनी प्लॅनिंग मे जुट गया की कैसे वो डॉली को घुटनो पर लेकर आएगा.
कुच्छ समय बाद डॉली अपने एरिया की ही एक बस्ती मे एक महापुरुष की मूर्ति का उद्घाटन करने गयी. उसकी पार्टी के वर्कर्स ने थोड़ी भीड़ भी जुटा ली जो तालिया बजा पाए.
मूर्ति का उद्घाटन हुआ और डॉली अपना भाषण देने लगी. भाषण ख़त्म होने के बाद भीड़ मे एक यंग लड़का खड़ा हो गया, जिसका नाम शमित था.
शमित: “यह मूर्ति लगाने से इन बस्ती वालो का कोई भला नही होने वाला हैं”
डॉली की पार्टी के वर्कर्स ने ज़बरदस्ती डाट दपट कर शमित को नीचे बैठाने की कोशिश की. डॉली ने उनको रोक दिया और अपने पास बुलाया.
शमित ने साधारण से थोड़े से गंदे कपड़े पहन रखे थे. डॉली उसको उपर से नीचे देखने लगी.
शमित: “मूर्ति लगाने की बजाय बस्ती मे सॉफ सफाई पर ध्यान दिया होता तो लोग इतना बीमार नही पड़ते, और यहा का स्कूल सुधर जाता तो बच्चो को फ़ायदा मिलता”
डॉली: “तुमने बात करने की तमीज़ नही हैं की बड़ी पोस्ट वालो से बात कैसे करते हैं. स्कूल की बात कर रहे हो, लगता नही तुम कभी स्कूल गये होगे!”
शमित: “दीज़ पीपल्स डिड्न’ ट् एलेक्ट यू टू रूल देम, दे एलेक्टेड यू टू हेल्प देम. इफ़ यू कॅन’ ट् हेल्प उस देन डॉन’ ट् ह्युमिलियेट आइदर”
इसका मतलब यह था की बस्ती के लोगो ने डॉली को इलेक्शन मे वोट राज करने को नही दिया बल्कि उनकी मदद को दिया हैं. अगर वो मदद नही कर सकती तो अपमानित भी नही करना चाहिए.
एक साधारण से दिखने वाले युवक के मूह से इतनी अच्छी इंग्लीश सुनकर डॉली चौंक गयी. शमित वहाँ से चला गया. डॉली ने बस्ती के ही एक प्रधान को बुलाया.
डॉली: “कौन हैं यह लड़का?”
प्रधान: “मेडम इसका नाम शमित हैं. बस्ती के बच्चो को ऐसे ही आकर रोज फ्री मे पढ़ाता हैं. बस्ती के ही लोगो के साथ मिलकर रोड पर पसरी गंदगी भी सफाई करता हैं. यहा नही रहता, बस कुच्छ घंटे यहा पर सेवा करके चला जाता हैं”
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