RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
अपडेट-15
दूसरे दिन में रोज वेल समय पर घर आ गया. आज कहीं भी बाहर जाने का प्रोग्राम नहीं बनाया क्योंकि आज में मा बेटे के बीच की दीवार गिरा देना चाहता था. खाने का काम समाप्त होने पर मा बातरूम में नहाने चली गई और में कई देर सोफे पर बैठा सोचने लगा की आज मा का कौनसा रूप देखने को मिलेगा. कल मा मुझसे बहुत खुल के पेश आई थी, तो क्या जितना आतुर में हूँ उतनी ही आतुर मा भी है. फिर में भी अपने कमरे में जा बातरूम में घुस गया. अच्छे से शवर लिया और बहुत ही मादक हल्की सी क्रीम अपने बदन पर लगा ली. में तैयार होकर बेड पर बैठा फिर माके बारे में सोचने लगा. में आँखें मूंडे माकी सोच में डूबा हुवा था की माकी इस आवाज़ से मेरी तंद्रा टूटी,
"लगता है बड़ी बेसब्री से इंतज़ार हो रहा है." मेने आँखें खोली और जैसे ही माकी तरफ देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गई. माने शादी का जोड़ा पहन रखा था जो शायद उसने अब तक संभाल रखा था. माने सच्ची जारी का लाल घाघरा कमर में काफ़ी नीचे बँधा हुवा था और उसीका मॅचिंग ब्लाउस पहन रखा था. इन सबके उपर उसने हल्के लाल रंग की झीनी चुनर ओढ़ रखी थी जिसे घूँघट के जैसे सर पे ले रखा था. माथे पर लाल बिंदिया भी लगा रखी थी. गले में हार, हातों में कंगन; कहने का मतलब मा पूरी एक नाव व्यहता दुल्हन के रूप में थी. में आश्चर्यचकित हो माके इस अनोखे रूप को निहारे जा रहा था.
मा: "ऐसे क्या देख रहा है? क्या कभी कोई दुल्हन देखी नहीं? वैसे तो बहुत बोलता रहता है की में एक सुहागन के रूप में रहूं, साजून धाजून, शृंगार करूँ और जब तेरी इच्छा का मान रखते हुए इस रूप में आ गई तो तेरी सारी बोलती बंद हो गई."
मा की बात सुन में माके सामने खड़ा हो गया और मा को ज़ोर से बाँहों में भर लिया. फिर में माको साथ ले बेड पर बैठ गया और मेरी बाँहों में मा की पीठ अपने सीने पर कस ली. मुझे पक्का विश्वास हो गया की मेरी मा सजधज के अपने बेटे से चूड़ने के लिए आई है लेकिन यह करने की मुझे जल्दी नहीं थी. यह करने से पहले में उसे बिल्कुल खोल लेना चाहता था और पूरी बेशर्म बना देना चाहता था. मेने कहा,"लो मा कल मेने कहा और आज तुम मेरी सुहागन बन के आ गई."
"तेरी सुहागन. क्या मतलब?" मा ने मेरी आँखों में आँखें डाल कर कहा.
|