RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
मा: "तूने तो अपने हल्लाबी लॉड से आज मुझे 18 साल की कंवारी कन्या बना दिया है. इतना मज़ा तो में जब जिंदगी में पहली बार चूड़ी थी तब भी नहीं आया था.. तुम्हारा यह मोटा सोता तो मेरी छूट में पूरा एडस गया है. अपनी मा में धीरे धीरे पेलो और आहिस्ते आहिस्ते मेरा पूरा मज़ा लो."
में: "हन मेरी राधा प्यारी देखो कितने आराम से तुझे छोड़ रहा हूँ. में तेरा बहुत शुक्रा गुज़ार हूँ की तूने इतने साल से मेरे लिए अपनी यह मस्त छूट बचा के रखी. जितना मज़ा मुझे तेरे साथ आ रहा है उतना मज़ा मुझे कोई लड़की दे ही नहीं सकती थी. अब में बिल्कुल शादी नहीं करूँगा. अब से तू ही मेरी बीवी है, मेरे घरवाली है. दुनिया की नज़रों में तू भले ही मेरी मा बने रहना, उससे मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता पर जब भी मौका मिले यूँ ही मस्त हो छुड़ाते रहना." अब मेरा लंड माकी छूट में जड़ तक अंदर घुसने में बिल्कुल तोड़ा सा बाकी रह गया तो मेने छूट में लंड के हल्के धक्के देने प्रारंभ कर दिए. मा हाय हाय करने लगी. मेरा लंड मा की छूट में जड़ तक अंदर बाहर होने लगा था. धीरे धीरे में धक्कों की स्पीड बढ़ाता गया. लंड 'फ़च्छ' फ़च्छ' करता छूट से अंदर बाहर हो रहा था.
अब मा ने दोनों हाथ मेरी कमर में जाकड़ दिए और धक्कों में मेरा साथ देने लग गई. मा की हाय हाय सिसकारियों में बदल गई. मा की आँखें मूंद गई और वा मुझसे छुदाई का स्वर्गिया आनंद लेने लगी. में मा को बेतहाशा छोड़े जा रहा था. अब पौन के करीब लंड छूट से बाहर निकालता और एक करारा शॉट लगा के जड़ तक वापस पेल देता.
"मा कैसा लग रहा है. क्यों त्रिलोकी दिख रही है या नहीं." मेने पूचछा.
"अरे मत पूच्छ. आज जैसा आनंद तो मुझे जीवन में आज तक नहीं मिला. तुम बहुत ही प्यार से कर रहे हो. मुझे दर्द महसूस तक नहीं होने दिया और 11 इंच का हल्लाबी लॉडा पूरा का पूरा मेरी छूट में उतार दिया." मा ने कहा. अब में पुर जोश में आ चुका था और ज़ोर ज़ोर से हुमच हुमच कर लंड पेलता था. मा भी नीचे से धक्कों का जबाब दे रही थी.
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