RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
अपडेट-20
शाम 8 बजे जब में स्टोर से घर पहूंचा तो माँ ने दरवाजा खोला. में अंदर आया तो देखा कि अजय सोफे पर बैठा था. अजय नहा धोके बिल्कुल फ्रेश हो कर शॉर्ट्स पहन कर बैठा हुआ था, इसका मतलब उसे आए देर हो गई थी. में भी अपने रूम में चला गया और फ्रेश होकर, नाइट ड्रेस पहन कर बाहर आ गया. अजय और माँ 3 प्लेट्स में खाना लगा डाइनिंग टेबल पर बैठे मेरा इंतज़ार कर रहे थे. खाने के दौरान अजय से गाँव की बातें छिड़ गई. माँ गाँव में एक एक का हाल पूछ रही थी और अजय सारी बातें बताता जा रहा था.
खाना ख़तम करके हम तीनों मेरे रूम में आ गये. वहाँ भी हम तीनों बेड पर बैठ गाँव की ही बातें करते रहे. अजय ने बताया कि चाचा जी जल्द ही हमारे घर का भी कोई अच्छा ग्राहक खोज देंगे. तभी मेने अजय को छेड़ा.
"मुन्ना तूने तो गाँव में पूरी मस्ती की होगी. और तुम्हारे पुराने यार दोस्तों का क्या हाल है, खेत वेत में उनके साथ गये कि नहीं गये. वहाँ सकन्डो की तो कमी नहीं, खूब ऑट होंगे." अजय ने मेरी ओर देखके आँखें तरेरि और मेरा हाथ दबा दिया.
अजय: "भैया मेरा तो वहाँ गाँव और कचहरी के बीच चक्कर काटते काटते टाइम बीत गया पर लगता है आपने यहाँ पूरी मस्ती की है. आपने तो एक साप्ताह में मा को ही पूरा बदल दिया है. मा को ऐसी क्या घुट्टी पिला दी कि माँ पूरी जवान हो गई." अजय की बात सुन माँ ने थोड़ी आँखें झुका ली तभी मेने पास में अधलेटे अजय की गान्ड अपनी एक अंगुल से खोद दी. तभी माँ ने अजय को कहा कि वह दिन भर ट्रेन से चल कर आया है इसलिए आराम करले और खुद उठ कर अपने कमरे में चली गई. मा के जाते ही अजय ने उठ कमरेका दरवाजा बंद कर लिया.
अजय: "भैया मेरे गाँव जाते ही आपको यह चिंता सताने लगी कि में गाँव जाते ही सारे काम भूल अपने दोनो दोस्तों के पास मरवाने ना भाग जाउ. जैसे बहुत सुंदर पत्नी के पति को हरदम यह चिंता सताए रहती है कि मेरी आब्सेंट में यह किसी दूसरे के साथ मुँह काला ना करले वैसे ही आपको यह चिंता खा रही थी. पर भैया चिंता मत करो जैसे माँ ने पूरा पतिव्रत धर्म निभाया है वैसे ही आपका भाई भी भ्रात्रि धर्म निभा रहा है."
में: "मुन्ना, भ्रात्रि धर्म नहीं बल्कि पतिव्रत धर्म कहो. बताओ क्या तुम मेरी लुगाई नहीं हो?" यह कह में बेड से खड़ा हो गया और अजय को बाँहों में भर उसके होंठ चूसने लगा. मेने दोनो हाथ उसके औरतों जैसे भारी चूतड़ पर रख दिए और उन्हे मुट्ठी में कस दबाने लगा. फिर में सोफे पर बैठ गया और अपने प्यारे मुन्ना को अपनी गोद में बैठा लिया. मेरा लंड खूँटे की तरह तना हुआ था जो भाई की गुदाज गान्ड में चुभ रहा था.
अजय: "नीचे आपका लोहे का डंडा पूरा गरम है, उस पर बैठ कर ही मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा है. चाचा जी और चाचीजी ने तो इतना कहा था कि साप्ताह 10 दिन गाँव में ही ठहर जाओ पर में तो काम ख़तम होते ही आपके डंडे की गर्मी लेने भागा भागा चला आया. भैया आपसे मस्ती लेने के बाद मेने तो किसी दूसरे की तरफ झाँकने की भी नहीं सोची. पर भैया आपने तो मेरे जाते ही माँ को मेरी भाभी जैसा बना दिया. माँ का पूरा कायाकल्प हो गया है जैसे स्वर्ग से अप्सरा उतर आई हो. भैया जैसे मेरे को अपनी लुगाई बना लिया कहीं माँ को भी सचमुच में मेरी भाभी तो नहीं बना दिया. आप बड़े चालू हो. मेरे जाने के बाद तो आपको पूरा मौका मिला था. इस बीच आपने अपने लंड का स्वाद माँ को भी चखा दिया होगा."
"मुझे तो शुरू से ही माँ जैसी बड़ी उमर की भरी पूरी खेली खाई औरतें पसंद है. आजकी डाइयेटिंग करनेवाली दुबली पतली लड़कियाँ क्या मेरा 11" का लॉडा चुपचाप झेल पाएँगी. भीतर डालते ही साली चिल्लाना शुरू कर देगी. उनकी हाय तौबा सुन कर ही आधी मस्ती तो हवा हो जाएगी. वहीं माँ जैसी प्यासी औरतें तड़प तड़प कर बोल बोल कर चुदवाती है जैसे तुम मस्त हो कर गान्ड मरवाते हो. मुन्ना अपनी माँ बहुत तगड़ा माल है, हम दोनो भाइयों की तरह लंबे बदन की और मस्ती लेने की पूरी शौकीन है. में माँ जैसी मस्त औरत की झान्टो से भरी चूत का तो रसिया हूँ ही पर तेरी गान्ड का स्वाद मिलने के बाद फूली फूली गुदाज गान्ड का भी शौकीन बन गया हूँ. तूने अपनी माँ की गान्ड देखी, साली क्या अपनी मस्त गान्ड को मटकाती हुई घर में इधर से उधर फुदक्ति रहती है. बता ऐसी मस्त गान्ड को देख कर मेरे जैसे लौंडेबाज़ का लॉडा खड़ा नहीं होगा, क्या मेरी इच्छा नहीं होगी कि इसे यहीं पटक लूँ और इसकी गान्ड उघाड़ी कर इस पर सांड़ की तरह चढ़ जाउ." में अजय के सामने माँ के बारे में बहुत ही कामुक बातें कर उसके मन में भी मा, के प्रति काम जगाना चाहता था. मेरी गोद में बैठ और ऐसी खुली बातें सुन अजय का लंड भी पूरा तन गया था. मेने अजय का शॉर्ट्स अंडरवेर सहित उसकी टाँगों से निकाल दिया. अजय का प्यारा लंड पूरा तन कर खड़ा था. गुलाबी सुपाडा पूरा चमड़ी से बाहर आ चमक रहा था. जितना प्यार मुझे अजय की गान्ड से था उतना ही प्यार मुझे उसके लंड से भी था. मेने उसके लंड को अपनी मुट्ठी में जकड लिया और हल्के हल्के दबाने लगा.
में: "देख माँ के बारे में ऐसी बातें सुन कर ही तेरा कैसे खड़ा हो गया है. अरे अपनी माँ राधा रानी चीज़ ही ऐसी है कि हर कोई उसे चोदना चाहे, उसकी गान्ड मारना चाहे. भाई में तो जैसे तेरा दीवाना हूँ वैसे ही अपनी माँ का भी पूरा दीवाना हूँ. तू बता यदि तेरे को माँ की चूत चोदने को मिल जाय तो तू क्या उसे छोड़ देगा? माँ जैसी मस्त औरत की चूत और गान्ड बड़े भाग्यशाली को ही मस्ती करने के लिए मिलती है. हम दोनो तो बड़े खुशनसीब हैं कि कम से कम वह हरदम हमारी नज़रों के सामने तो है. देखना में जल्द ही कोई ऐसा रास्ता निकाल लूँगा कि हम दोनो भाई एक साथ उसकी मस्त जवानी का मज़ा लूटेंगे. में उसकी चूत में पेलूँगा तो तुम उसकी गान्ड मारना, उसके मुख में अपना पूरा लंड डाल के उसे खूब चुसवाना. एक बार माँ तैयार हो जाएगी तो हम दोनो भाइयों को खूब मस्ती करवाएगी. मुन्ना तुझसे एक बात में अपने दिल की कहता हूँ कि अपनी माँ खूब कड़क माल है. तूने देखा माँ के सेक्सी अंग क्या मस्त हैं? गुलाब की पंखुड़ी से रसभरे होंठ कि उन्हे चूसने से जी ना भरे, फूले फूले चिकने गाल की मुख में ले उन्हे चुभलाते रहो, क्या बड़ी बड़ी गोल और बिल्कुल शेप में चूचियाँ की दबाते दबाते हाथ ना थके, पतली कमर, चौड़ी चौड़ी चिकनी जांघें और माँ की मस्त गान्ड देखी पिछे कितनी उभरी हुई है और बिल्कुल तरबूज जैसे दो चूतड़ और एक बात तुझे ऑर बताता हूँ जब उसकी बाकी चीज़ें इतनी मस्त है तो उसकी दोनो टाँगों के बीच छुपा हुआ खजाना कितना मस्त होगा. दूसरी ओर पापा दुबले पतले से सूखे हुए थे और बीमार ही रहते थे और माँ के सामने तो बिल्ली के सामने चूहे जैसे दिखते थे. में सोचता रहता हूँ कि माँ जैसी कड़क और मस्त औरत को वे सॅटिस्फाइ भी कर पाते थे या बीच में ही पहूंचा कर खुद कुल्ला कर पिछे हट जाते थे. अब माँ को जो मज़ा पापा नहीं दे सके वही मज़ा माँ को हम दो भाई मिल कर दें तो कैसा रहेगा?
मुन्ना: "भैया आप बहुत गंदे तो हो ही साथ ही पूरे बदमाश और बेशर्म भी हो. भला कोई अपनी माँ को इस नज़रिए से देखता है? तो आपने तो मुझे अपनी जोरू बना लिया. जैसे लोग अपनी लुगाई के साथ करते हैं वैसे ही आप अपनी इस बिना व्याही जोरू के साथ करते हो. क्या मेरी गान्ड से आपका मन नहीं भरा जो माँ को चोदना चाहते हैं और उसकी गान्ड मारना चाहते हैं."
में; "अरे तुम तो मेरी इतनी प्यारी लुगाई हो जिसे में दुनिया में सबसे ज़्यादा प्यार करता हूँ. तुमसे में अपना कुच्छ भी छिपा कर नहीं रखूँगा, जो तेरे साथ करूँगा सब बता कर करूँगा और खूब प्यार से करूँगा. में तो तुमसे पूरा खुल गया हूँ इसलिए मन में कुच्छ भी ना छिपा कर तुझसे दिल की बात कर रहा हूँ. में जिससे प्यार करता हूँ उससे कुच्छ नहीं छिपाता और सच्चे प्यार में कुच्छ छिपाया भी नहीं जाता. जानता है तेरी गान्ड पर मेरा दिल क्यों आया हुआ था? दरअसल मुझे माँ की उभरी हुई फूली फूली गान्ड बहुत प्यारी लगती थी. हॉल में जब में सोफे पर बैठा होता था ऑर वह अपनी भारीभरकम गान्ड मटका मटका इधर से उधर फुदक्ति रहती थी तब अक्सर मेरा दिल करता रहता था कि इसे यहीं कार्पेट पर पटक लूँ और साड़ी कमर तक ऊँची उठा इस पर पिछे से चढ़ जाउ और अपना 11" लंबा और 4" मोटा हल्लबि लॉडा एक ही बार में इसकी गान्ड में जड़ तक उतार दूं. तुम्हारी गान्ड भी माँ को गान्ड जैसी बहुत मस्त है. अब मुझे माँ की गान्ड तो मिलनेवाली नहीं थी पर जब मुझे पता चला कि तू अपनी गान्ड का मज़ा लेने का शौकीन है तो मेने फ़ौरन मन में ठान लिया कि अपने प्यारे कमसिन मुन्ने को क्यों ना अपना लौंडा बना लिया जाय. अच्छा मुन्ना तुम तो गाँव में इतने वर्षों से हो तूने तो वहा कई लड़कियाँ चोदि होगी? खाली लोगों को अपनी गान्ड दे कर ही मज़ा लेते हो या किसी लड़की या औरत की ली भी है."
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