RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
मा: "क्यों रे अजय व्याः तो तूने मेरा अपने भैया से कराया है और सुहाग्रात तू खुद मनाने लग गया." मा भी अजय के इस जोश से बहुत खुश दिख रही थी. मा की बात सुन अजय ने माको छ्चोड़ दिया.
में: "अरे मा, इस में और मेरे में क्या फ़र्क़ है. आज पहली बार में मुन्ना को इतने जोश में देख रहा हूँ. देखा कैसे तुझे भभोड़ भभोड़ कर तेरे साथ मस्ती कर रहा था. तू जो इतनी दरसे इसका मज़ाक उड़ा रही थी ना एक बार यह तेरी लेलेगा ना तब देखना तुझे लौंडिया जैसा मज़ा आएगा. बोल दोनो भाइयों को बिल्कुल खुल के और पूरी बेशरम हो कर मस्ती करवाएगी ना? तुम हम दोनो भाइयों से जितनी मस्त हो कर चुड़वावगी तुझे उतना ही ज़्यादा मज़ा आएगा."
मा: "तुम जैसों बेशार्मों के आयेज बेशरम तो में पहले ही बन गई हूँ. मेने तो कभी ख्वाब में भी ऐसी बेशर्मी भारी बातें नहीं की थी जैसी तुम दोनो के सामने कर रही हूँ. लेकिन बिल्कुल खुल कर, एक दूसरे से पूरा बेशरम हो कर ऐसी बातें करने का एक अनोखा ही मज़ा है जो मेने आज तक नहीं लिया था. यह सब तुम्हारी करामात है जो मेरे साथ साथ मेरे इस भोंडू छ्होटे बेटे को भी अपने जैसा बेबाक बेशरम बना लिया है. में तो तुम दोनो की एक जैसी मा हूँ. मेरे लिए तुम दोनो में ना तो पहले फ़र्क़ था और ना ही अब. जब पूरी खुल ही गई हूँ तो जी खोल के मस्ती करूँगी और तुम दोनों को कारववँगी. मेरे को क्या फ़र्क़ पड़ता है की पहले कौन आता है या दोनो साथ साथ आते हो, चूड़ना तो मुझे हर हालत में है ही. फिर में क्यों नखरे दिखाओन और झूती ना नुकुर करूँ. जितनी आग तुम दोनो में लगी है उतनी ही आग मेरे में भी लगी है और क्यों ना लगे आख़िर तुम दोनो भी तो मेरे ही खून हो. जितनी गर्मी तुम दोनो के भीतर है उससे ज़्यादा गर्मी मेरे में है."
अजय: "मा भैया की बात छ्चोड़ो, यह तो पंडितजी की दक्षिणा भर है असली मज़ा तो तेरा भैया ही लेंगे. तुम पर पहला हक़ तो भैया का ही है. मेने तो यहाँ आने के पहले तेरा कभी सपना तक नहीं देखा था. यह तो भैया की दी हुई हिम्मत है की में तेरे साथ इतना कर सका. अब भैया शुरू भी तो करो ताकि में भी देखूं की सुहाग्रात कैसे मनाई जाती है. भैया मा कह रही हैईना की इसमें बहुत गर्मी है, आज इसकी सारी गर्मी निकाल दो. आज इसके साथ ऐसी सुहाग्रात मनाओ जैसी की इसने आज तक नहीं मनाई." अजय की बात सुन मेने माके सर पर चुनर ओढ़ा दी ओर चेहरा उस चुनर से पूरा धक दिया. इसके बाद बहुत धीरे धीरे चुनर का घूँघट उपर उठा माका चेहरा उजागर कर लिया. माने एक लज्जशील दुल्हन की तरह आँखें नीची कर रखी थी. फिर माके दोनो गालों पर हथेलियाँ रख माकी आँखों में झाँकने लगा. मा मंद मंद मुसका रही थी. मेने भी माके रसभरे होंठों का एक लंबा चुंबन लिया. फिर माकी पीठ पर हाथ लेजा कर ब्लाउस के बटन खोलने लगा. सारे बटन खोल कर ब्लाउस माकी बाँहों से निकाल दिया और माकी टाइट ब्रा में कसे कबूतर फड़फदा उठे.
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