RE: XXX Kahani नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )
बात खत्म हो गई थी, लेकिन ज्योति का काले लिबास में लिपट गोरा गुलाबी बदन राज के दिलो-दिमाग पर छाता जा रहा था। उसकी सुराहीदार गर्दन में लिपटा वो चांदी का निर्जीव सांप कभी-कभी उसे अपने जिस्म पर रेंगता हुआ महसूस होता था।
करीब एक हफ्ते बाद राज को एक रिसर्च के सिलसिले में नेहरू अस्पताल जाना पड़ा। अस्पताल के सर्जन नरेन्द्र गुप्ता राज के अच्छे दोस्त थे। कुछ दिनों पहले वे दोनों विभिन्न प्रकार के जहरों के बारे में प्रयोग और जानकारियों का आदान-प्रदान करते रहे थे। राज जब सर्जन गुप्ता के कमरे में दाखिल हुआ तो वो किसी मरीज को देख रहे थे।
सर्जन गुप्ता ने हमेशा की तरह एक गम्भीर मुस्कराहट के साथ राज का स्वागत किया। राज खामोशी से कुर्सी पर बैठ गया।
पन्द्रह-बीस मिनट में डॉक्टर गुप्ता तमाम मरीजों से फारिग हो गए। उसके बाद उन्होंने राज की तरफ देखा। काफी देर तक राज उनसे अपनी रिसर्च के बारे में बातें करता रहा। बातचीत के दौरान एक बार टेलीफोन की घंटी बजी। डॉक्टर गुप्ता ने रिसीवर उठाया और किसी से बातें करने लगे।
रिसीवर रखने के बाद वो कुछ देर तक सोचते रहे। फिर अचानक राज की तरफ देखकर बोले
"यार राज, तुम्हारा किस्मत के बारे में क्या विचार है?"
"मेरी राय में तो आदमी जिस जगह हिम्मत हार देता है, उस पड़ाव को किस्मत का नाम दे देता है...।"
"विचार तो मेरे भी कुछ ऐसे ही थे।" डॉक्टर गुप्ता ने पेपर वेट से खेलते हुए कहा, "लेकिन उस औरत को देखते हुए मैं विचार बदलने पर मजबूर हो गया हूं।"
"कौन-सी औरत!" राज ने पूछा।
"अरे कही, मिसेज ज्योति ।” डॉक्टर गुप्ता बोले, "बैरिस्टर आनन्द खोसला की बीवी?"
"ज्योति.....।" राज ने हैरत से पूछा, "क्या आप उसी ज्योति की बात कर रहे हैं जिसके चार पति पहले ही स्वर्ग सिधार चुके हैं?"
"हां यार....वही ज्योति ।" डॉक्टर गुप्ता ने गर्दन हिलाकर कहा,
उसके वो चारों स्वर्गवासी पति मेरे ही इलाज में रहे हैं। लेकिन अफसोस! मेरी तमाम कोशिशों के बावजूद भी सभी मौत से नहीं बच सके थे। और यह पांचवां पति.....बैरिस्टर खोसला भी मौत की तरफ तेजी से बढ़ रहा हैं।
"क्यों भाई, उन्हें क्या हो गया?" राज ने पूछा।
"मेरी समझ में तो अब तक कुछ नहीं आ रहा..... । उनके शरीर का हर अंग ठीक से काम कर रहा है। उसके बावजूद ऐसा लगता है जैसे कोई चीज अन्दर-ही-अन्दर उसे तिल-तिल करके गला रही है। बगैर किसी प्रत्यक्ष बीमारी के वो दिन-ब-दिन हायों का ढांचा बनता जा रहा है। दर्जनों ताकत के इंजेक्शन दे चुका हूं मैं उसे, ढेरों टॉनिक पिला दिए हैं। लेकिन उस पर किसी दवा का असर ही नहीं हो रहा।"
"और.....उसके पहले पति किस बीमारी से बीमार पड़े थे?" राज ने पूछा।
"यही तो हैरत की बात है कि उनमें से भी किसी में किसी बीमारी के लक्षण नहीं पाए गए थे। वो दिन-ब-दिन कमजोर होते गए थे, यहां तक कि मर गए।"
"कमाल है यार!” राज ने ताज्जुब से कहा।
"हां। इसलिए तो अब मैं सोचने लगा हूं.....कि ये सब किस्मत के खेल हैं।"
"तो तुम्हारा कहना है कि वो चारों स्वाभाविक मौत मरे थे?"
"हां यार! इलाज के दरम्यान मैंने उनके बहुत से टेस्ट करवाये थे, कई बार एक्सरे भी निकलवाए गए थे, लेकिन कहीं भी कोई गड़बड़ नहीं थी। मरने के बाद चारों के पोस्टमार्टम भी हुए थे, सिर्फ यह जानने के लिए कि क्या रहस्य है इसमें कि वो एक बार बीमार होकर दोबारा स्वस्थ ही नहीं हो सके। सिर्फ इतना ही पता चला सका था कि उनका दिल बहुत कमजोर हो गया था, जिसकी वजह से ताजा खून उचित मात्र में नहीं बन पा रहा था। यहां तक कि एक दिन उनका हार्ट फेल हो गया था।"
वो वहां से उठ आया था, लेकिन ज्योति का लुभावना हसीन चेहरा बड़ी मुश्किल से यादों में से उस वक्त राज अपने दिमाग से निकाल पाया था।
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