RE: XXX Kahani नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )
यह ख्याल राज के जेहन में इसलिए आया, क्योंकि अब वो ज्योति की असाधारण शक्तियों का कायल होता जा रहा था। बल्कि अब वो उसे एक हसीन जादूगरनी समझने लगा था। जिसके चंगुल में फंस जाने के बाद किसी का भी सही सलामत निकल आना नामुमकिन था। राज ने कहा
"अच्छा सतीश....अगर तुम जिद पर ही अड़े हुए हो तो मैं तुम्हें मना नहीं करूंगा। भगवान करे तुम्हारी शादी कामयाब रहे....।"
"थैक्यू....थैक्यू मेरे दोस्त ।” सतीश खुश होकर बोला, "यकीन करो, ज्योति से मिलने के बाद तुम्हारी सारी आशंकाएं और सन्देह दूर हो जाएंगे। वो बहुत अच्छी और नेक औरत है।"
ज्योति का जादू उसके सिर चढ़कर बोल रहा था।
"भगवान करे ऐसा ही हो।" राज ने कहा और उठ कर चला आया।
उस बातचीत के ठीक एक महीने के बाद सतीश और ज्योति की शादी हो गई। शादी के बाद राज को ज्योति से जबरन मिलना पड़ा, क्योंकि सतीश उनका करीबी दोस्त था। और ज्योति सबसे करीबी दोस्त की पत्नी।यानि राज की भाभी।
तीन मुलाकातों के बाद ही ज्योति राज से भी काफी घुल-मिल गई थी। राज को लगा कि ज्योति आदत और शालीनता की बुरी नहीं है। फिर भी न जाने क्यों राज उससे सहमा-सहमा रहता था।
और वो नेकलेस, जो सांप जैसा चांदी का था, अब भी काफी गर्दन में लिपटा रहता था, जिसे देखकर राज की आत्मा कांप जाती थी।
बाद में राज को सतीश से पता चला कि ज्योति उस नेकलेस को कभी अपनी गर्दन से अलग नहीं करती। सोते-जागते हर वक्त उसे पहने रहती थी।
वक्त गुजरता रहा। ज्योति अपनी व्यवहार कुशलता से सबको खुश और संतुष्ट किए हुए थी। राज की आशकाएं भी निर्मूल सिद्ध होने लगीं, जो उसके मन में कुण्डली मारे बैठी रहती थीं और बक्त-बेवक्त फन उठा लेती थीं। ज्योति एक बड़ी शिष्ट और शालीन पत्नी साबित हो रही थी।
उसी तरह दो महीने गुजर गए। इन दो महीनों में ज्योति ने राज को किसी किस्म की शिकायत का मौका नहीं दिया था, वो राज से इस तरह मिलती थी, जैसे वो वाईक उनके परिवार का कोई करीबी परिजन हो।
मध्यम कद की यह हसीन औरत, जिसे किस्मत ने राज की भाभी बना दिया था, बड़ी खुशमिजाज और मिलनसार औरत थी। उसकी बातों में कुछ ऐसी मिठास होती थी कि एक बार उससे मिलने वाला उससे दोबारा मिलने की इच्छा जरूर कराता था।
खखन
खनन
इतने दिनों तक ज्योति से मिलने-जुलने और उसके व्यवहार में कोई असामान्य बात न देखकर अब राज का खौफ बिल्कुल खत्म हो गया था और उसे यकीन हो चला था कि ज्योति के पूर्व पति वाकई स्वभाविक मौत मरे थे। क्योंकि राज की समझ में ऐसे मीठे स्वभाव की औरत किसी को कत्ल नहीं कर सकती थी।
अब राज को दिली अफसोस होता था कि उसने खामखां एक भी और सचचित्र औरत के बारे में न जाने क्या-क्या राय कायम कर ली थी। कभी-कभी वो सोचता कि अगर ज्योति को मालूम हो जाए कि उसने ज्योति से सतीश की शादी में क्या-क्या अड़चनें डालने की कोशिश की थीं तो क्या ज्योति के बारे में अपने दोस्त से क्या-क्या बातें की थीं तो क्या ज्योति तब भी उसकी इतनी ही इज्जत कर पाएगी जैसी कि अब कर रही है?
लेकिन उसे इत्मीनान हुआ जब सतीश ने इस बारे में ज्योति से कभी जिक्र तक नहीं किया था। एक तरह से अब उसे ज्योति पर पूरा विश्वास हो गया था।
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