RE: XXX Kahani नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )
उस घटना ने राज के सन्देह को मजबूर उरूर किया था, लेकिन इस आधार पर दोनों के सम्बन्धों के बारे में कोई ठोस फैसला नहीं किया जा सकता था।
उस दिन रात गए तक राज उसी बात पर सोचता रहा और किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सका था। लेकिन उससे तीसरे दिन ही उसे अपने सवाल का सही जवाब मिल गया।
उस दिन यो ही बैठे-बैठे राज को ख्याल आया कि क्यों न डॉक्टर जय से मिला जाए? यह ख्याल आते ही वो सतीश की कार लेकर डॉक्टर जय की कोठी पर जा पहुंचा।
वो क्योंकि कई बार डॉक्टर जय की कोठी पर आ चुका था, और घंटों यहां गुजार चुका था, इसलिए पूर बेतकल्लुफी से किसी को कोई सूचना दिए बगैर सीधा अन्दर गया और ड्राइंगरूम मे जाकर बैठ गया। नौकर ने पूछने पर बताया कि साहब लॉन में माली को फूल-पौधों के बारे में कुछ निर्देश दे रहे थे।
“अच्छा, भागकर उन्हें कह कि राज आया हैं। राज ने कहा और नौकर वाकई भाग गया।
वो कोठी के पिछले हिस्से की तरफ गया था जहां डॉक्टर जय ने बड़ा खूबसूरत बगीचा लगा रखा था।
इन्तजार की घड़ियां गुजारने के लिए राज ने ड्राईगरूम अपने मालिक की ऊंची पसन्द का प्रत्यक्ष सबूत था।
कमरे के मध्य एक खूबसूरत काले रंग की मेज के गिर्द कुछ आराम कुर्सियां रखी हुई थी, दाई तरफ आतिशदान के करीब सोफा रखा हुआ था, उसी दीवार के साथ एक कोने में छोटी सी ड्रेसिंग टेबल भी लगी खड़ी थी।
राज अपनी सूरत देखने के लिए शीशे के सामने जा खड़ा हुआ। आईने में अच्छी तरह खुद का जायजा लेकर वो पलटने लगा तो उसकी नजर एक लेडीज रूमाल पर पड़ी, जो मेज पर रखी एक किताब की आड़ में पड़ा हुआ था। राज ने वो रूमाल उठाकर देखा और पहली नजर में ही उसे पहचान गया कि यह ज्योति का रूमाल था। रूमाल पर कही-कही लाल-लाल धब्बे थे।
एक फौरी ख्याल से राज ने उसे सूंघा तो रूमाल में से हल्की-हल्की चैनल फाइल की खुशबू आ रही थी, इसके अलावा लिपस्टिक की विशेष महक तो थी ही।
ज्योति का रूमाल और उस पर लिपस्टिक के दाग देखकर राज का दिमाग फौरन दो दिन पहले की उस घटना की तरफ घूम गया।
ज्योति का रूमाल, लिपस्टिक के धब्बे, दो दिन पहले ज्योति की उड़ी-उड़ी लिपस्टिक-ये तमाम बाते राज को एक ही सिलसिले की कड़ियां लग रही थी।
वैसे तो ज्योति का रूमाल डॉक्टर जय के यहां रह जाए, कोई सन्देह की बात नहीं थी, क्योंकि ज्योति डॉक्टर जय के यहां आती जाती रहती थी और वो अपना रूमाल भूल भी सकती थी। लेकिन रूमाल पर लिपस्टिक के धब्बो ने राज के सन्देह पूरे कर दिए थे। उसने सोचा, यकीनन ऐसा हुआ होगा कि ज्योति के होंठों की लिपस्टिक डॉक्टर जय के होंठों पर लग गई होगी और बाद में हड़बड़ी दे दिया होगा, जिसे ज्ञर लौटकर डॉक्अर जय ने लापरवाही से यहां डाल दिया होगा।
राज यह भी जानता था कि डॉक्टर जय की कोठी में कोई औरत नही रहती , जिसके बारे में सोचा जा सकता कि यह रूमाल उसका होगा। न ही ज्योति अपने बढ़िया रूमालों से मेकअप पोछने की आदी थी। इस काम के लिए उसने ड्रेसिंग टेबल के पास ही दो गहरे रंग के नर्म तौलिये टांग रखे थें
इस ख्याल ने जैसे यह बात साफ कर दी थी कि ज्योति ही डॉक्टर जय की गुप्त प्रेमिका हैं
कमरे के बाहर से कदमों की आहट सुनकर राज ने वो रूमाल बही डाल दिया और वापस आकर अपनी कुर्सी पर बैठ गया। एक मिनट बाद ही डॉक्टर जय वर्मा कमरे में दाखिल हुआ।
"हेलों राज साहब !'' उसने आते ही कहा- आज अचानक कैसे दर्शन दे दिए ?"
"आपकी याद खींच लाइ .........।” राज ने कुर्सी से उठकर हंसते हुए कहा।
हाथ मिलाने के बाद दोनों आमने-सामने कुर्सियों पर बैठ गए और इधर-उधर की बाते शुरू कर दी।
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