RE: XXX Kahani नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )
माजिचस की तीली कई बार सांप के मुंह पर भी फिर गई। एक दो बार उसकी आंखों से भी रगड़ खा गईं। एक दो बार बेध्यानी में उसकी आंखों पर ज्यादा दबाव पड़ गया और उसके मुंह से हल्की सी चीख निकल गई।
"हे भगवान......"
और राज कुर्सी से उठ खड़ा हो गया। वो खौफनाक दृश्य देखकर अपनी आंखों पर यकीन नही आ रहा था। उसने कई बार आंखों मल-मल कर देखा कि क्या जो कुछ वो देख रहा हैं वो कहीं उसका वहम तो नहीं ? लेकिन हर बार आंखें मलने के बाद हकीकत उसके सामने आ जाती थी। वो अपनी जिन्दगी में कभी इतना भयभीत नहीं हुआ था, जितना उस वक्त हुआ।
सांप जैसे नेकलेस की आंख पर तीली का दबाव पड़ते ही सांप का मुंह किसी मैकलेस से खुल गया था , जैसे असली सांप मुह फाड़ लेता हैं, उसकी जान तब सूख गई थी जब बालिश्त भर का सांप आधा उस नेकलेस के मुंह से बाहर निकल आया।
यह सांप बिल्कुल वैसा ही था जैसा कि राज ने डॉक्टर जय की लेब्रॉटरी मे देखा था। वो उस छोटे से मिस्त्री सांप से बहुत ज्यादा मिलता-जुलता था।
राज में ऐसा खतरनाक सांप रखती होगी। मजे की बात यह थी कि ऐसे घातक जीव को उसने गले से चिपका रखा था।
बड़ी मुश्किल से राज ने खुद पर काबू पाया और फौरन मेज की दराज से छोटे-छोटे, सांप पकड़ने के काम आने वाली चिमटियां और चुटकियां निकाल कर उस सांप को पकड़ लिया।
सांप को काबू करने के बाद राज ने प्लास्टिक की चिमटी से उसका मुंह खोल कर मुंह के अन्दर झांका, इस सांप के दांत नहीं थी।
सांप देख कर पहली नजर में राज को सन्देह हुआ था कि शायद यह उसी नस्म का सांप हैं जो डॉक्टर जय की लेब्रॉटरी में रखा हुआ हैं और जिस नस्ल के दात भी होते है।
सांप देख कर पहली नजर में राज को सन्देह हुआ था कि शायद यह उसी नस्ल का सांप हैं जो डाक्टर जय की लेब्रॉटरी में रखा हुआ हैं और जिस नस्ल के दांत भी होते है। जिसका काटा तीन मिनट से ज्यादा जिन्दा नही रह सकता। इस सांप के मुंह मे दांत ने देखकर राज को यकीन हो गया कि यह वहीं मिस्त्री नस्ल का सांप हैं जिसके बारे मे डॉक्टर जय न बताया था कि वो लापरवाही से उसके जूत तले आकर कुचल गया था।
और तसल्ली के लिए राज ने सांप के मुह पर चिमटी से हल्की सी चोट लगाई, ताकि वो गुस्से में आ जाए। जब सांप ने गुस्से से फन फैलाया तो राज ने उसके सामने एक यंत्र कर दिया। सांप यन्त्र पर दांत गड़ाने या मुंह मारने के बजाया अपनी जबान से उस यन्त्र को चाटने लगा।
सांप की इस हरकत ने राज को पूरा यकीन दिला दिया कि यह वही मिस्त्र सांप हैं जो उस मिस्त्र डॉक्टर जय के हाथ बेच दिया होगा।
यह मालूम हो जाने के बाद कि यह वही मिस्त्री सांप हैं, राज के सामने कई सवाल उठ खड़ें हुई थे। पहला यह कि डॉक्टर जय ने उससे झूठ क्यों बोला था? दूसरा यह कि उसने इतना कीमती और दुयिा भर में दुर्लभ सांप ज्योति को क्यों दे दिया था ? क्योंकि वो अगर सतीश को जहर से ही मारना चाहता था तो अपना कोई भी जहर ज्योति को दे सकता था।
तीसरी और सबसे अहम सवाल यह था कि अगर ज्योति इसी सांप का जहर सतीश पर इस्तेमाल कर रही हैं तो फिर ऐसा वो किस तरह कर रही हैं ? इन सवालों के बाद सवाल यह था कि अब तक वो कितनी मात्र में जहर सतीश को दे चुकी हैं ? क्या सतीश अभी इलाज के काबिल हैं ? अगर वो मिल के डॉक्टर द्वारा बताए गए तरीके से इस सांप के जहर को तोड़ तेयार करे तो क्या वो सतीश पर असर करेगा।
देखने में तो ये सारे सवाल बहुत मामूली लगते थे, लेकिन जब राज ने इस सवालों पर सोचना शुरू किया तो एक घंटे बाद इस नतीजे पर पहुंचा कि इन सवालों के जवाब तलाश करना बड़ी टेढ़ी खीर है।
यह मालूम हो जाने के बाद कि यह वही मिस्त्री सांप हैं, इस सवाल का जवाब दृढने में सिर खपाने की जरूरते नहीं थी कि डॉक्टर जय की शादीशुदा प्रेमिका कौन है। क्योंकि बिना मतलब के इतना कीमती सांप उसे दे देना साधारण सम्बंधों को निशानी नही थी । बल्कि किसी गहरी साजिश की तरफ संकेत था यह।
अब वो रूमाल और लिपस्टिक वाला मामला भी साफ हो गया था। दरअसल डॉक्टर संजर ने राज को चमका दिया था कि रूमाल ज्योति गलती से उसके यहां छोड़ आई थी। हकीकत यह थी कि रूमाल उस शाम दिया गया था जब राज ज्योति के साथ पिक्चार जाने के लिए कपड़ें बदलने अपने कमरे में गया था, जो तभी वहां डॉक्टर जय पहुंच गया होगा और मैदान साफ पाकर उसने जल्दी से ज्योति को दबोच कर उसके होंठों पर होंठे रखकर गहरा चुम्बन ले लिया होगा और उसी वक्त ज्योति ने उसे लिपस्टिक पौंछने के लिए रूमाल दिया होगा। इसी वक्त राज पहुंच गया था और डॉक्टर ने जल्दबाजी मे रूमाल अपनी जेब में डाल लिया था।
ये सारी बातें राज सोच गया था।
लेकिन उसके सामने सबसे बड़ी समस्या यह थी कि आखिर ज्योति किस तरह इस सांप का जहर सतीश को दे रही हैं? और कितना जहर सतीश के शरीर में पहुच चुका है। ?'' ।
उस रात करीब चार बजे तक राज इन्ही सवालों में उलझा सोचता रहा, लेकिन कोई जवाब उसके दिमाग में नहीं आया। जब सुबह होने लगी तो उसे ख्याल आया कि अब नेकलेस को बंद करके उसी तरह ज्योति के गले में डाल देना चाहिए, ऐसा न हो कि उसकी आंख खुल जाए और नेकलेस गले में न पाकर वो हंगामा खड़ा कर दे और उसके सारे किए कराए पर पानी फिर जाए। सबसे बड़ा खौफ राज को यह था कि अपना राज फाश होता पाकर ज्योति न जाने क्या कुछ कर गुजरे।
राज में सांप को दोबारा नेकलेस में बंद किया, लेकिन अब दिक्कत यह थी कि नेकलेस का मुंह किस तरह बन्द किया जाए? खैर........थोडा सा दिमाग लगाने पर उसकी समझ में आ गया ओर उसने नेकलेस के सांप की दूसरी आंख दबाई तो सांप का मुंह बंद हो गया।
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