RE: Muslim Sex Kahani खाला जमीला
हम खाला भांजा फुसफुसाहट में बात कर रहे थे ताकी काई दूसरा सुने नहीं। लुबना गहरी नींद सो रही थी। मैं खाला के कहा के पास मुँह करके बात कर रहा था और खाला जब जवाब देती थी तो उनको श्रीड़ा झुकना पड़ता था। जिससे उनके मम्मे मुझे अपने हाथ और बाजू में महसूस होते थे। ऐसी हालत में बैठे हमें मेरा लण्ड इस बत पूरा अकड़ा हवा था और झटके पे झटके मार रहा था।
मैं अब बात करते हुये जानबूझ के खाला के कान को अपने होंठों से चू रहा था ताकी खाला भी गरम हो जायें और मुझे रोके नहीं। खाला भी अपने एक हाथ में मुझे थपक रही थी। गाड़ी में सब मो गये थे। सिर्फ बस के एंजिन की गो-गों की आवाज आ रही थी। जी.टी. रोड से भी इस बढ़त कोई-कोई गाड़ी गुजर रही थी। हमको एक घंटा हो गया था च ले हुये।
मैंने खाला से कहा- "खाला मुझे आपके पेट में हाथ रखना है."
खाला में कहा "नहीं बेटा, कोई देख लेगा घर जाकर लगा लेना."
मैंने थोड़ा डरकर ये बात कही थी। लेकिन खाला शायद मुझे बच्चा समझ के सीरियस नहीं ली बात को। जब मैंने देखा खाला ने गुस्सा नहीं किया तो मुझे होसला मिला और में बार-बार कहता रहा तो खाला मान गई।
खाला ने इधर-उधर देखा और मुझसे कहा- "चलो रख लो.."
मैने खाला की बगल से हाथ अंदर डाला और अपना हाथ उनके नंगे पेंट पे रख दिया। खाला का पेंट गरम था और नरम भी बहुत था। जरा सी उंगली दबाओ तो घुस जाती थी।
खाला ने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा- "घुमाओं नहीं, मुझं गुदगुदी होती है..."
लेकिन मैं हाथ छुड़ाकर हाथ घुमा रहा था। मैं हाथ घुमाता नीचे आया तो मेरी उंगली खाला की नाभि में गई। तो खाला में अपना पेंट पीछे को खींचा और फुसफुसाई- "नहीं करो, वरना मैंने हाथ निकाल देना है..."
मैंने हाथ निकाल लिया।
खाला ने कहा "चलो अब सो जाओं, बहुत टाइम हो गया है। मैं भी सोने लगी हूँ.." कहकर खाला में दुपट्टा पकड़ा और मेरे सिर के ऊपर डाल दिया और कहा- "सो जाओं बेटा अभी..."
मेरा हाथ अभी भी खाला के पेंट पे था। जब दुपट्टा मेरे ऊपर दिया तो मेरा चेहरा खाला के बायें भारी मम्म के ऊपर आ गया। मैंने वहां अपना चेहरा दबा दिया। खाला मुझे थपक रही थी। मैंने अपनी बापी टांग उठाई और खाला की मोटी जांघ पे रख दी, तो मेरा लण्ड बगल से उनकी जांघ को छू गया। खाला थोड़ी हिली लेकिन चुप रही। मेरा घुटना खाला की नरम जांघ के ऊपर था। मैं इस वक़्त पूरा सेक्सी मूड में था, दिमाग बेखौफ हो रहा था। मैंने हाथ ऊपर किया तो खाला की ब्रा को छू गया। मैंने वहां उंगली घुमाई और बा के बीच में आया, जहां थोड़ा सा सुराख था। मैंने वहां उंगली घुसाई तो उंगली ऊपर चली गई, और उंगली में मुझे खाला के मम्मे महसूस हुये।
खाला ने मेरा हाथ पकड़ा और बाहर निकाल दिया, और फुसफुसाकर कहा- "ना करी बेटा। मुझे नींद आ रही है, मैंने सोना भी है.."
थाड़ी देर बाद मेरी भी आँख लग गई। क्याकी खाला मुझे थपक रही थी। फिर आँख तब खुला जब बस ने एक जगह स्टाप किया रोड किनारे एक होटल पे ताकी लोग फ्रेश हो जाए।
मुझे खाला ने मुझे उठाया और कहा- "नीचे उत्तरों फ्रेश हो जाओ...
लुबना पहले की जागी हुई थी। मुझे देखकर स्माइल की उसनें। इस वक्त 4:00 बजे का टाइम हो गया था। हम सब नीचे उतरे वाशरूम से फारिग हुये तो खाला ने हमको चिप्स और जूस लेकर दिया। 15-20 मिनट बाद दुबारा हम बस में बैठ गये थे।
लुबना और मैं बस में बैठकर कांप रहे थे और बातें भी कर रहे थे। बस फिर चल पड़ी थी। लुबना में मुझे आँख मारी सबसे नजर बचक्कर। मैं समझ गया ये मस्ती के मूड में है। मैंने अपना हाथ इसकी जांघ में रख दिया
और मसलने लगा। बस में अधेरा था। लुबना में मेरा हाथ पकड़ा और अपनी सलवार में डाल दिया। मैं तो चकित हो गया और चोर नजर से खाला की तरफ देखा की कहीं वो देख ना रही हों।
लेकिन खाला आँखें बंद किए टेक लगाकर बैठी हुई थी।
मेरा जब हाथ सलवार के अंदर गया तो मैंने लुबना की फुद्दी पे रख दिया और वहां उंगली घुमाने लगा। फुद्दी पे हल्के-हल्के बाल थे। अब लुबना की फुद्दी गीली हो रही थी, जिसको मेरा हाथ महसूस कर रहा था। मैं अपनी बीच वाली उंगली उसकी फुद्दी की लकीर में ऊपर नीचे कर रहा था और फुद्दी के छेद में दबाओ भी डाल रहा था। लुबना मजे से आँखें बंद किए अपने होंठों को काट रही थी। मैं इधर-उधर नजर भी रख रहा था, स्पेशली खाला पे नजर थी मेरी।
कुछ देर बाद मैंने उंगली को फुद्दी के छेद में डाला तो दर्द की वजह से लुबना ने आँखें खोली और मेरा हाथ पकड़ लिया और जा में इशारा किया। मेरा अभी उंगली का तिहाई हिस्सा हो गया था अंदर। लेकिन मैंने उंगली दबाये, रखी बाहर नहीं निकली। लुबना सीट पे लेटने के अंदाज में बैठी हुई थी, जिस वजह से उसकी फुद्दी उठी हुई थी और मुझे उंगली करने में आसानी हो रही थी। लुबना जब रिलैक्स हुई तो मैं इतनी उंगली को ही आगे पीछे करने लगा। लुबना में मेरा बाजू पकड़ लिया लेकिन रोका नहीं, शायद उसका भी मजा आने लगा था।
मैं धीरे-धीरे दबाओ डाल रहा था। अब मेरी आधी उंगली उसकी फुद्दी में जा चुकी थी। लुबना ने अपना दायां हाथ आगे किया और मेरी सलवार में हाथ दे दिया और मेरा खड़ा लण्ड अपनी मुट्ठी में ले लिया, और धीमी रफ्तार में मसलने लगी। मेरा मजे से बुरा हाल हो गया था। डर भी लग रहा था, क्योंकी खाला साथ बैठी हुई थी। लेकिन इस डर पे सेक्स का मजा हावी था। मैंने धीरे-धीरे आधी से ज्यादा उंगली उसकी फुदी में डाल दी।
लुबना में अचानक हाथ बाहर निकाला और उसने अपने हाथ पे थूक डाला। मूठी बंद करके हाथ सलवार में दुबारा डाला और लण्ड पे थूक मल दिया और लण्ड को मसलने लगी। इस वक़्त लुबना के थूक में चिकनाहट आ गई थी। आप लोगों में अक्सर नोट किया होगा सेक्स के दौरान भूक कभी-कभी बहुत चिकना हो जाता है। इसीलिए लुबना का हाथ लण्ड पे फिसल रहा था। मैंने अब स्पीड तेज कर दी थी, लुबना की फुददी में उंगली अंदर-बाहर करने की।
कुछ देर बाद लुबना में अपनी टांगें बंद कर ली। मेरी उंगली दब गई लेकिन जैसे तैसे में उगली अंदर-बाहर करता रहा। लुबना की फुद्दी पानी से भरी हुई थी। लुबना खलास हो रही थी। उसने मेरे लण्ड को जार से दबाया हुवा था। मेरी तो जान ही निकल गई क्योंकी इस वक़्त लुबना का नरम हाथ ऐसे ही गरम था जैसे फुद्दी। मुझे ऐसे लगा कि मेरा लण्ड फुद्दी में जकड़ा हवा है। मैं भी मजे की इंतहा पे था।
मैने अपने चूतड़ उठाए और लुबना के हाथ में दबे लण्ड को ऊपर नीचे करने लगा। 4.5 झटके ही लगाये होंगे की मुझे अपनी टौंगों से जान निकलती महसूस हुई। ऐसा लगा की सब कुछ लण्ड के रास्ते निकल रहा है। ये सिर्फ एहसास था लेकिन लण्ड से कुछ निकला नहीं। मैं निटाल होकर पड़ा रहा सीट पें। लुबना ने मेरा हाथ कब निकाला अपनी सलवार से मुझे नहीं पता चला। कुछ देर बाद मुझे होश आया तो लुबना मुझे ही देख रही थी।
लुभबा ने इशारे से पूछा- "क्या हुवा?" और साथ मुश्कुरा रही थी।
मैं भी हल्का सा मुश्कुराया। फिर मैंने खाला को हिलाया तो वो जाग गई उनसे पानी की बोतल माँगी, पानी पिया
और रिलेक्स हवा।
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