Sex Vasna चोरी का माल
02-12-2022, 02:24 PM,
#32
RE: Sex Vasna चोरी का माल
तीन पत्ती गुलाब
भाग18
आइए अब योनि दर्शन और चूषण सोपान शुरू करते हैं…
लोग सच कहते हैं भगवान जब देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है। आज सुबह-सुबह गौरी ने लिंगपान किया और ऑफिस जाते ही एक और खुशखबर मिली।
मैंने आपको बताया था ना कि मेरे प्रमोशन की बात चल रही थी। इस सम्बन्ध में मेल तो पहले ही आ गया था पर भोंसले ने अभी किसी को बताने को मना किया था तो मैंने अभी यह बात किसी को नहीं बताई थी।

आज मोर्निंग मीटिंग में भोंसले ने घोषणा कर दी कि उसका पुणे ट्रान्सफर हो गया है और अब उनकी जगह अभी भरतपुर ऑफिस का काम मि. प्रेम माथुर संभालेंगे।
उन्होंने मुझे प्रमोशन की बधाई देते हुए अच्छे भविष्य की कामना की।
उसके बाद सभी ने मुझे ओपचारिक तौर पर बधाई और शुभकामनाएं दी।

मैंने आपको ऑफिस में आये उस नताशा नामक नए विस्फोटक पदार्थ के बारे में भी बताया था ना? लगता है खुदा ने भी खूब मन लगाकर इस मुजसम्मे की नक्काशी की होगी। पतले गुलाबी होंठों पर लाल लिपस्टिक के बीच चमकती दंतावली देखकर तो लगता है इसका नाम नताशा की जगह चंद्रावल होना चाहिए था।

चुस्त पजामी और पतली कुर्ती में ऐसा लग रहा था जैसे उसकी जवानी का बोझ इन कपड़ों में कहाँ संभल पायेगा? वह तो फूटकर बाहर ही आ जाएगा। वह मीटिंग हॉल में मेरे बगल वाली कुर्सी पर बैठी थी। उसने इम्पोर्टेड परफ्यूम लगा रखा था पर उसके बदन से आने वाली खुशबू ने तो मेरे दिल और दिमाग को हवा हवाई ही कर दिया था। क्या मस्त गांड है साली की। मैं सच कहता हूँ अगर मैं भरतपुर का राजा होता तो इसको अपने महल में पटरानी ही बना देता।

सबसे पहले हाथ मिलाकर उसी ने मुझे बधाई दी थी। वाह … क्या नाजुक सी हथेली और कलाइयां हैं। लाल रंग की चूड़ियों से सजी कलाइयां अगर खनकाने और चटकाने का कभी अवसर मिल जाए तो भला फिर कोई मरने की जल्दी क्यों करे, जन्नत यहीं नसीब हो जाए।
काश! कभी इस 36-24-36 की परफेक्ट फिगर (संतुलित देहयष्टि) को पटरानी बनाकर (पट लिटाकर) सारी रात उसके ऊपर लेटने का मौक़ा मिल जाए तो खुदा कसम मज़ा ही आ जाए।

मीटिंग के बाद चाय नाश्ते का प्रबंध भी किया गया था।

बाद में भोंसले ने बताया कि मुझे अगले 2-3 दिन में चार्ज लेकर हेड ऑफिस कन्फर्म करना होगा। सितम्बर माह के अंत में मुझे बंगलुरु ट्रेनिंग पर जाने के समय कोई और व्यक्ति अस्थायी रूप से ज्वाइन करेगा।
साली यह जिन्दगी भी झांटों के जंगल की तरह उलझी ही रहेगी।

दिन में मैंने मधुर को यह खुशखबरी सुनाई। शाम को घर पर इसे सेलिब्रेट करने का जिम्मा अब मधुर के ऊपर था। वैसे मधुर ज्यादा तामझाम पसंद नहीं करती है। बाहर से तो किसी को बुलाना ही नहीं था। मैं, मधुर और गौरी फकत तीन जीव थे।

जब मैं घर पहुंचा तो मधुर और गौरी दोनों हाल में खड़ी मेरा ही इंतज़ार कर रही थी। मधुर ने वही लाल साड़ी पहन रखी थी जो आज सुबह हरियाली तीज उत्सव मनाने के लिए आश्रम जाते समय पहनी थी।

और बड़ी हैरानी की बात तो यह थी कि आज गौरी ने भी मधुर जैसी ही लाल रंग की साड़ी और मैचिंग ब्लाउज पहन रखा था। आज गौरी का जलाल तो जैसे सातवें आसमान पर था। पतली कमर में बंधी साड़ी के ऊपर उभरा हुआ सा पेडू और गोल नाभि … और गोल खरबूजे जैसे कसे हुए नितम्ब… उफ्फ्फ… क्या क़यामत लगती है।
मन करता है साली को अभी पटरानी ही बना दूं।

मैं हाथ मुंह धोकर बाहर आया तो हम तीनों हॉल के कोने में बने छोटे मंदिर के सामने खड़े हो गए और दीपक जलाकर भगवान से आशीर्वाद लिया। मधुर ने मुझे कुमकुम का टीका लगाया और फिर थोड़ी सी कुमकुम मेरे गालों पर भी लगा दी।

आज मधुर बड़ी खुश और चुलबुली सी हो रही थी। उसके बाद हम डाइनिंग टेबल के पास आ गए जहां मिठाइयाँ, केक और अन्य सामान रखा था। फिर मधुर ने मेरे गले से लगकर मुझे बधाई दी। मैंने भी उसके गालों पर एक चुम्बन लेकर उसे थैंक यू कहा। फिर मधुर ने भी मेरे होंठों पर चुम्बन लिया और फिर मेरे गालों को जोर से चिकौटी सी काटते हुए मसल दिया।

गौरी यह सब देख रही थी। फिर गौरी ने भी मुस्कुराते हुए मुझे बधाई दी- सल! आपतो प्लमोशन ती बहुत-बहुत बधाई।
“अरे … पागल लड़की?” मधुर ने बीच में ही उसे डांटते हुए कहा।
“त्या हुआ?” गौरी ने डरते-डरते पूछा।
“बधाई कोई ऐसे दी जाती है?”
“तो?” गौरी ने हैरानी से मधुर की ओर देखा।
“आज कितना ख़ुशी का दिन है गले लगकर बधाई दी जाती है।” कह कर मधुर ठहाका लगा कर हंस पड़ी।

मुझे बड़ी हैरानी हो रही थी मधुर आज तो बहुत ही मॉडर्न बनी हुई है। गौरी तो बेचारी शर्मा ही गई।
“एक तो तुम्हें शर्म बहुत आती है?” मधुर ने एक झिड़की और लगाई तो गौरी धीरे-धीरे मेरी ओर आई और फिर पास आकर अपनी मुंडी नीचे करके खड़ी हो गयी जैसे उसे अभी हलाल किया जाने वाला है।
“अरे … ठ … ठीक है … कोई बात नहीं …” मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा था। भेनचोद ये क्या नया नाटक है? हे लिंग महादेव! कहीं लौड़े मत लगा देना प्लीज।
गौरी अपनी मुंडी झुकाए कातर नज़रों से मधुर की ओर देखे जा रही थी।

“अरे?” मधुर ने फिर थोड़ा गुस्से से उसकी ओर देखा तो बेचारी गौरी के पास अब मेरी ओर बढ़ने के सिवा और क्या चारा बचा था? बेचारी छुईमुई बनी थोड़ा सा मेरे और नजदीक आ गई।
“ओह … बस … बस … ठीक है … ठीक है!” कहते हुए मैंने उसे अपनी बांहों में भरते हुए कहा।

मेरा एक हाथ उसके नितम्बों पर चला गया। आह … क्या गुदाज़ कसी हुई गोलाइयां हैं। मेरी अंगुलियाँ उसके दोनों नितम्बों की दरार में चली गयी। गौरी तो चिंहुक सी उठी। शुक्र था मेरी पीठ मधुर की ओर थी और गौरी मेरे सामने थी तो मधुर मेरी इस हरकत को शायद नहीं देख पाई। अब मैंने गौरी के गालों पर एक चुम्बन लिया और उसे थैंक यू भी कहा।
बेचारी गौरी तो मारे शर्म के लाजवंती ही बन गई।

“ये गौरी भी एक नंबर की लाजो घसियारी ही है.” कह कर मधुर एक बार फिर हंस पड़ी।
“चलो आओ अब केक काटते हैं।”

फिर हम तीनों ने मिलकर केक काटा और एक दूसरे को भी खिलाया। यह बात जरूर गौर करने वाली थी कि मधुर ने मेरे गालों पर भी थोड़ा केक लगा दिया और फिर उसे चाट भी लिया।
मेरा दिल जोर से धड़का कहीं वह गौरी को भी ऐसा करने के ना कह दे!
मेरे तो मज़े हो जायेंगे पर बेचारी गौरी तो मारे शर्म के मर ही जायेगी।
पर भगवान् का शुक्र है गौरी का मरना इस बार टल गया था।

मधुर ने मुझे अपने और गौरी के बीच में करके बहुत सी सेल्फी भी ली और हैंडीकैम को एक जगह सेट करके इस उत्सव की पूरी विडियो भी बनाई। फिर हम सभी ने मिलकर नाश्ता किया। हालांकि मधुर के तो व्रत चल रहे थे तो उसने केवल एक रसगुल्ला ही खाया पर मैंने और गौरी ने तो आज जी भर रसगुल्ले उड़ाये।

उसके बाद मधुर ने मेरे साथ गले में बाहें डाल कर सालसा डांस किया और फिर बद्रीनाथ की दुल्हनिया वाले गाने पर तो दोनों खूब ठुमके लगाए।

गौरी अब जरा भी नहीं शर्मा रही थी। उसने पहले तो किसी गाने पर बेले डांस किया और बाद में एक राजस्थानी लोक गीत “म्हारे काजलीये री कोर … थानै नैणा मैं बसाल्यूं” जबरदस्त डांस किया। मधुर तो उसका डांस देखकर हैरान सी रह गई थी। मैं तो बस गौरी की इस नागिन डांस पर बल खाती कमर के लटके झटके ही देखता रह गया। एक दो बार गौरी के साथ डांस करते समय मेरा लंड उसके नितम्बों से भी टकरा गया था। गौरी ने मेरे खड़े लंड को महसूस तो जरूर कर लिया था पर बोली कुछ नहीं।

और फिर यह धूम-धड़ाका रात 11 बजे तक चला। सच कहूं तो ऐसा उत्सव तो मधुर मेरे या अपने जन्म दिन पर भी कभी नहीं मनाया था।

और फिर अगले दिन सुबह…
आज शनिवार था। थोड़ी बारिश तो हो रही थी पर मधुर स्कूल चली गई थी और गौरी रसोई में रात के जमा बर्तन साफ़ कर करने में लगी थी।

मैं रसोई में चला आया।

गौरी ने आज वही पायजामा और कमीज पहन रखा था जो पहले दिन पहना था। मेरा मन तो आज फिर से उसे उसी प्रकार बांहों में दबोच लेने को कर रहा था पर बड़ी मुश्किल से मैंने अपने आप को तसल्ली देकर रोके रखा।
“गुड मोर्निंग … इंडिया!”
“गुड मोल्निंग सल … ”

“ओह … गौरी! तुम तो बर्तनों में लगी हो तो चलो आज की चाय मैं बनाकर पिलाता हूँ।”
“अले … नहीं.. आप लहने दो … बस हो गया मैं बना दूँगी.” गौरी ने मना करते हुए कहा।
“जानी … कभी हमारे हाथ की भी चाय पी लिया करो … हम भी बहुत कमाल की चाय बनाते हैं.” मैंने फिल्म स्टार राजकुमार की आवाज की नक़ल उतारते हुए कहा तो गौरी हंस पड़ी।

और फिर मैंने चाय बनाई अलबत्ता मैं जानबूझ कर बीच-बीच में गौरी से दूध, चाय पत्ती, अदरक आदि की मात्रा के बारे में जरूर पूछता रहा।
चाय थर्मोस में डाल कर मैंने कहा- अरे गौरी!
“हओ?”
“थोड़ी सी फिटकरी मिल जायेगी क्या?”
“फिटतड़ी … ता त्या तरना है?” कुछ सोचते हुए गौरी ने पूछा।
“अरे तुम लाओ तो सही?”
गौरी ने फिटकरी ढूंड कर मुझे दे दी।

“इसे तवे पर रखकर भूनना है और फिर इसे पीस कर उस पाउडर में थोड़ा कच्चा दूध, हल्दी पाउडर, नीबू का रस और गुलाब जल मिलाकर लेप बनेगा।”
“अच्छा?” गौरी ने कुछ सोचते हुए मेरे कहे मुताबिक सभी चीजें निकाल कर रसोई के प्लेटफोर्म पर रख दी।

मैंने पहले तो फिटकरी को भूनकर उसका चूर्ण बनाया और फिर एक प्लेट में ऊपर बताई सारी चीजें और चाय वाला थर्मोस कप आदि लेकर हम दोनों बाहर हॉल में आ गए।

“गौरी उस अष्टावलेह में तो बड़ा झमेला था, आज वाला मिश्रण भी बहुत बढ़िया है.” मैंने उसे समझाते हुए कहा तो अब गौरी के पास सिवाय ‘हओ’ बोलने के और क्या बचा था।

फिर मैंने एक कटोरी में पहले तो आधा चम्मच शहद डाला और फिर उचित मात्रा में अन्य चीजें डाल कर उनका लेप सा तैयार कर लिया।
गौरी साथ वाले सोफे पर बैठी यह सब देख रही थी। मैंने उसे अपने पास आने को कहा तो वह बिना किसी ना-नुकर के मेरी बगल में आकर बैठ गई।

“गौरी तुम्हें तो इन मुंहासों की कोई परवाह और चिंता ही नहीं है. पता है मैंने कल बड़ी मुस्किल से सारे दिन नेट पर इस दूसरे नुस्खे के बारे में पता किया है.”
गौरी ने हओ के अंदाज़ में मुंडी हिलाई।

अब मैंने एक अंगुली पर थोड़ा सा लेप को लगाया और फिर गौरी के चहरे पर हुई फुन्सियों पर लगाना शुरू कर दिया। बीच-बीच में मैं उसके गालों पर भी हाथ फिराता रहा। रेशम के नर्म फोहों और गुलाब की पंखुड़ियों की तरह नाजुक गाल देख कर मेरा मन तो उन्हें चूमने को करने लगा।
“गौरी देखो एक ही दिन में ये मुंहासे थोड़े नर्म पड़ने लग गए हैं।”
“सच्ची?” गौरी ने हैरानी से मेरी ओर देखा।
“और नहीं तो क्या? तुम अगर शर्माना छोड़ दो बस दो या तीन दिन में मेरी गारंटी है यह मुंहासे जड़ से ख़त्म हो जायेंगे.”

“अच्छा? इस लेप से?”
“हाँ यह लेप तो असर करेगा ही पर … वीर्यपान का असर तो पक्का ही होता है।”
“हट!” गौरी एक बार फिर शर्मा गई। उसने अपनी मुंडी झुका ली थी।
“पता है तल मुझे तो उबताई सी आने लगी थी. मेला तो गला ही दुखने लगा था.” गौरी का इतना लंबा चौड़ा उलाहना तो लाज़मी था। उसे सुनकर मैं हंसने लगा।

“अब दवाई है तो थोड़ी कड़वी और कष्टकारक तो होगी ही!”
“पता है तित्ता दर्द हुआ … मालूम?” गौरी ने अपने गले पर हाथ फिराते हुए हुए कहा।
“सॉरी! जान पर तुम्हारे भले के लिए यह सब मुझे करना पड़ा था। पता है मुझे भी कितनी शर्म आई थी.”

और फिर हम दोनों हंसने लगे। माहौल अब खुशनुमा हो गया था।
“चलो गला तो थोड़ा दर्द किया होगा पर यह बताओ उसका स्वाद कैसा लगा?”
“थोड़ा खट्टा सा और लिजलिजा सा था.” गौरी ने मुंह बनाते हुए कहा।
“गौरी! अगर मुंहासे जल्दी ठीक करने हैं तो आज एक बार और कर लो!” मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा था। मुझे लगता था गौरी जरूर मना कर देगी।
“ना … बाबा ना … मुझे नहीं तरना … आप पूला गले ते अन्दल डाल देते हो मुझे तो फिल सांस ही नहीं आता.”
“अरे यार कल पहला दिन था ना? इसलिए थोड़ा ज्यादा अन्दर चला गया होगा पर आज मैं बिलकुल सावधानी रखूंगा? तुम्हारी कसम?”

गौरी ने शर्मा कर अपनी आँखों पर हाथ रख लिए।
इस्स्स्स …
याल्लाह … सॉरी … हे लिंग महादेव तेरी ऊपर से भी जय हो और नीचे से भी। आज तो मैं ऑफिस जाने से पहले जरूर तुम्हारा जलाभिषेक भी करूंगा और सवा ग्यारह रुपये का प्रसाद भी चढ़ाउंगा।
अब मैंने गौरी को अपनी बांहों में भींच लिया। गौरी छुईमुई बनी मेरे सीने से लग गयी।
“गौरी तुम बहुत खूबसूरत हो। और पता है भगवान यह खूबसूरती क्यों देता है?”
“किच्च” गौरी ने आँखें बंद किये किये ही अपने चिर परिचित अंदाज़ में इससे अनभिज्ञता प्रकट कर दी।

“गौरी! प्रकृति या भगवान ने इस कायनात (संसार) को कितना सुन्दर बनाया है और विशेष रूप से स्त्री जाति को तो भगवान ने सौन्दर्य की यह अनुपम देन प्रदान करने के पीछे एक बहुत बड़ा रहस्य है। इसके पीछे एक कारण तो यह है कि सभी इस सुन्दरता को देखकर अपने सारे दुःख और कष्टों भूल जाए और आनंदित होते रहें। यह भगवान की एक धरोहर की तरह है इसलिए हर सुन्दर लड़की और स्त्री का धर्म होता है कि प्रकृति की इस सुन्दरता को बनाए रखे और किसी भी अवस्था में इसे कोई हानि नहीं पहुंचे और कोशिश की जाए कि यह लम्बे समय तक इसी प्रकार बनी रहे।”

आज गौरी ने बोला तो कुछ नहीं पर मुझे लगता है वह अपनी सुन्दरता को मुंहासों से बचाए रखने के लिए कल मेरे द्वारा किये गए प्रयोग पर और भी गंभीरता से विचार करने लगी थी।
Reply


Messages In This Thread
RE: Sex Vasna चोरी का माल - by desiaks - 02-12-2022, 02:24 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,562,025 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 551,308 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,258,986 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 951,985 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,688,664 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,110,495 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,001,952 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,226,203 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,093,157 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 290,845 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)