XXX Kahani छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता
04-11-2022, 01:18 PM,
#9
RE: XXX Kahani छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता
छाया - भाग 3

जन्मदिन और अनूठा उपहार.
2 दिन बाद छाया का जन्मदिन था. वह १९ वर्ष की होने वाली थी. माया जी ने मुझसे राय कर उस दिन घर में पूजा का आयोजन रखा था. इस शुभ अवसर पर माया जी ने मेरे द्वारा लाई गई साड़ी पहनी थीं. छाया भी मेरे द्वारा लाये खूबसूरत गुलाबी रंग का लहंगा चोली पहनी.

Smart-Select-20201218-110740-Chrome माया जी ने मेरे लिए भी एक सफेद रंग का मलमल का कुर्ता मंगाकर रखा था. छाया आज पूजा का केंद्र बिंदु थी. वह अत्यंत खूबसूरत लग रही थी आस पड़ोस की स्त्रियों ने उसे खूब अच्छे से तैयार किया था. उसके केस खुले और व्यवस्थित थे. मुझसे नजर मिलते ही वह शरमा गई. पूजा खत्म होने के पश्चात सभी मेहमान अपने अपने घर वापस चले गए. माया जी भी थक चुकी थी वह भी भोजन करने के उपरांत अपने कक्ष में विश्राम के लिए चली गई. मैं अभी भी नीचे था व्यवस्था में शामिल अपने दोस्तों को विदा करने के बाद मैं अपने कमरे में आया.
मेरे कमरे से मनमोहक खुशबू आ रही थी.

मेरे बिस्तर पर सफेद चादर बिछी हुई थी. और उस पर मेरी छाया लाल तकिए पर सर रख कर सो रही थी. मैं उसे देखते हुए अपनी कुर्सी पर बैठ गया. छाया मेरी तरफ करवट ली हुई थी. चोली में बंद उसके दोनों स्तन उभरे हुए दिखाई पड़ रहे थे. उसकी दोनों जांघें लहंगे के पीछे से अपने सुडोल होने का प्रमाण दे रहीं थीं. उसका लहंगा थोड़ा ही ऊपर था उसके पैर में लगा हुआ आलता और पाजेब अत्यंत मोहक लग रहे थे. मैं इस खूबसूरती को बहुत देर तक निहारता रहा.
अपने स्वभाव बस मैं छाया के लहंगे को ऊपर उठाने की चेष्टा करने लगा. मैंने उसके लहंगे को घुटनों तक उठा दिया. लहंगे को इससे ऊपर उठाना संभव नहीं हो पा रहा था. तभी छाया करवट से अपनी स्थिति बदलते हुए पीठ के बल आ गई. कुछ देर बाद मैंने उसके लहंगे को थोड़ा और ऊपर किया. अब लहंगा उसकी जांघों तक आ गया. लहंगे को इसके ऊपर ले जाने में मेरी हिम्मत जवाब दे रही थी. बिना छाया की अनुमति के मेरे लिए यह करना उचित नहीं था. छाया अभी भी शांत थी परंतु उसकी धड़कनें तेज थी. मैंने धड़कते हृदय से छाया पुकारा. उसने एक पल के लिए अपनी आंखें खोली मेरी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए दोनों हथेलियों से अपनी आंखें बंद कर लीं मानो वह राजकुमारी दर्शन के लिए अपनी मौन स्वीकृति दे रही हो.
मेरे प्रसन्नता की सीमा न रही मैं छाया के चेहरे के पास गया और उसे गाल पर चुंबन दिया वह मुस्कुरा रही थी. मैंने उसकी चोली के धागों को खोल दिया. स्तनों के आजाद होने से चोली का ऊपरी भाग एसा लग रहा था जैसे उसने स्तनों को सिर्फ ढका हुआ है. मैंने एक झटके में उसे भी हटा दिया छाया के नग्न और पूर्ण विकसित स्तन मेरी नजरों के सामने थे. मेरे मन में उन्हें छूने की तीव्र इच्छा हुई पर मैं इस खूबसूरत पल का धीरे धीरे आनंद लेना चाह रहा था. छाया के दोनों स्तन उसकी धड़कनों के साथ थिरक रहे थे. मैं छाया के लहंगे की तरफ बढ़ा और कमर में बंधी लहंगे की डोरी को ढीला कर दिया. छाया के पैरों की तरफ आकर मैंने लहंगे को नीचे की तरफ खींचने की कोशिश की परंतु लहंगा छाया के नितंबों के नीचे दबा हुआ था. छाया स्थिति को भांप कर अपने अपने नितंबों को थोड़ा ऊपर उठाया और मैंने लहंगे को उसकी जांघों के रास्ते खींचते हुए बाहर निकाल दिया. छाया ने सुर्ख लाल रंग की मेरे द्वारा लाई गई पेंटी पहनी हुई थी. मैंने उसके खूबसूरत लहंगे को अपनी टेबल पर रख दिया. मेरी छाया लाल रंग की पेंटी में अपने खुले स्तनों के साथ लाल तकिए पर अपना सर रखे हुए अधखुली आंखों से मेरी प्रतीक्षा कर रही थी.
मैं छाया के चेहरे के पास गया तथा उससे राजकुमारी दर्शन की अनुमति मांगी. उसने मेरे गालों को पकड़कर मेरे होठों पर चुंबन कर दिया. मैं इस प्रेम की अभिव्यक्ति को बखूबी समझता था. मैंने बिना देर किए उसके होठों को अपने होठों से चूसने लगा. उसके होंठ इतने कोमल थे कि मुझे डर लग रहा था कहीं उसके होठों से रक्त ना आ जाए. इस दौरान मेरे हाथ बिना उसकी अनुमति लिए उसके स्तनों को सहला रहे थे.
मैंने उसके होंठों से अपने होंठ हटाए. मेरे होठों पर रक्त देखकर उसने अपनी उंगलियों से उसे पोछने की कोशिश की. उसकी कोमल उंगलियों के होठों पर आते ही मैंने उन्हें अपने मुंह में लेकर चूसने लगा. उसने मुस्कुराकर अपनी उंगलियां वापस खींच ली.
राजकुमारी दर्शन का वक्त आ चुका था मैं उठकर उसके दोनों पैरों के बीच आ गया. मैंने अपने दोनों हाथों की उंगलियां उसकी पैंटी में फसाई और धीरे-धीरे नीचे की तरफ खींचने लगा. छाया ने एक बार फिर अपने नितंबों को ऊपर उठाया. और पेंटी जांघों से होते हुए घुटनों तक आ गई. क्योंकि मैं दोनों पैरों के बीच बैठा था इसलिए पेंटी का बाहर निकलना मुश्किल हो रहा था.

Smart-Select-20201218-111020-Chrome छाया ने अपने दोनों पैर छत की तरफ उठा दिए. और मैंने उसकी पैंटी को धीरे-धीरे बाहर निकाल दिया. मैंने अपनी आंखें बंद की हुई थीं. मैंने छाया से कहा
“मैं राजकुमारी के दर्शन को यादगार बनाना चाहता हूं मेरा सहयोग करना”
कुछ देर बाद मैंने अपनी आंखें खोली. छाया ने अपने दोनों घुटने अपने स्तनों से सटा रखे थे. उसके दोनों जांघें पूरी तरह फैली हुई थी. उसने अपने कोमल हाथों से अपनी राजकुमारी के मोटे मोटे होठों को को यथासंभव अलग किया हुआ था. रस से भरी हुई राजकुमारी मेरे सामने थी. राजकुमारी का रंग अत्यंत गुलाबी था. उसके ऊपर उसका मांसल मुकुट थोड़ा गहरे रंग का था और अत्यंत मोहक एवं आकार में बड़ा था. मैंने छाया की तरफ प्यार से देखा और बिना किसी अनुमति के अपने होंठों से उसे चूम लिया.
मैंने छाया से कहा
“आज इस राजकुमारी का भी जन्मदिन है” वह मुस्कुरा रही थी.
मैंने अपनी जीभ को राजकुमारी के अंदर प्रवेश करा दिया. रस में डूबी हुई राजकुमारी मेरे जीभ का स्पर्श पाते ही अपना रस बहाने लगी. मेरे होंठ राजकुमारी के होठों से टकरा रहे थे. कुछ ही पलों में छाया ने अपनी कोमल जांघें मेरे दोनों गालों से सटा दीं . मैं पूरी तन्मयता से उसकी राजकुमारी से निकलने वाले रस का स्वाद ले रहा था. मैंने अपनी जीभ से उसकी गहराई नापने की कोशिश की तो छाया में अपनी दोनों जांघों से मेरे मेरे गालों को जोर से दबाया. मैं राजकुमारी में इतना खो गया था कि मुझे छाया के स्तनों का ध्यान भी नहीं रहा. यह उसके खूबसूरत स्तनों से बेईमानी थी. मेरे हाथ उसके स्तनों की तरफ बढ़ चले. अपनी दोनों हथेलियों से मैं उसके दोनों स्तनों को सहलाने लगा. मेरी जीभ राजकुमारी के अंदर बाहर हो रही थी. छाया अपनी उंगलियां से कभी मुझे बाहर की तरफ धकेलती की कभी अपनी तरफ खींच लेती. मैंने एक बार नजर उठाकर छाया की तरफ देखा उसने आंखें बंद कर रखी थी. और बहुत तेजी से हाफ रही थी. मैंने इस बार उसके मुकुट ( भग्नाशा ) को अपने दोनों होंठों के बीच ले लिया. छाया से अब बर्दाश्त नहीं हुआ उसने लगभग चीखते हुए पुकारा
“मानस भैया…….”
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