RE: XXX Kahani छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता
छाया मेरी मंगेतर..
[मैं छाया]
नए घर में मेरा पहला दिन भी बहुत यादगार था मैंने आज मानस को वह दिया था जिसका शायद वह हमेशा से इंतजार करते थे. पहले मुझे मुखमैथुन के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी. मेरे लिए यह कल्पना से परे था कि कोई किसी के गुप्तांगों को किस तरह अपने मुंह से छू सकता है. मेरे लिए राजकुमार और राजकुमारी का आपस में मिलन ही पर्याप्त था पर कामुकता की सीमा किस हद तक जा सकती
हैं यह मुझे समय के साथ-साथ मालूम चल रहा था. मेरी सहेलियों ने मुझे इस बारे में बताया तो मुझे इसका पता चला. वैसे तो राजकुमारी दर्शन के दिन मानस ने मेरी राजकुमारी को अपने होठों से छुआ था और मुझे इस स्खलित भी किया था तथा मेरे प्रेम रस को उन्होंने अपने होठों से छुआ था और मुझे भी चुंबन दिया था पर वह दिन मेरे लिए एक ही दिन में कई सारी नई चीजें लेकर आया था. मैं यह नहीं समझ पा रही थी कि मानस ने कैसे उस दिन मेरी राजकुमारी को छुआ और भी अपने मुख से चूमा.
उसके बाद भी मानस ने कई बार मेरी राजकुमारी को चुमने की कोशिश की पर मैंने उन्हें रोक लिया था. जिस कार्य को मैं नहीं कर सकती थी उन्हें उसके लिए प्रेरित करना मेरे लिए उचित नहीं था. पर अब अपनी सहेलियों से इस बारे में इतनी सारी बातें सुनकर मैंने अपना मन बना लिया था. और नए घर में मानस के साथ पहली बार मैंने मुखमैथुन कर लिया था.
मानस ने जब मेरे नितम्बों को अपनी तरफ खींचा तो मैं समझ गई कि उन्हें मेरा मुखमैथुन करने में भी आनंद आता है. शुरू में तो यह कार्य थोड़ा अजीब लगा पर धीरे-धीरे मुझे अच्छा लगाने लगा. राजकुमार के वीर्य का स्वाद मैं पहले भी ले चुकी थी पर सीधा उसे मुंह में लेने का यह पहला अनुभव था. मेरी इस कार्य से घृणा तो लगभग समाप्त हो चुकी थी. अगले कुछ दिनों में मानस को मैंने इसका भरपूर सुख दिया.
पहले दिन जब माँ ने मानस के हाथ में मेरा हाथ देते हुए कहा था कि मानस का ख्याल रखना तभी से मैंने तय कर लिया था कि मानस को हर स्थिति में खुश रखूंगी और उन्हें उनकी सारी इच्छाएं पूरी करुँगी. मेरे लिए वो सब कुछ थे.
अगली सुबह जब मैं अपनी मां से मिली तो मुझे उनके चेहरे पर एक अलग सी चमक दिखाई पड़ी मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास हो गया की आज शर्मा जी के साथ उनकी रात्रि अच्छी बीती है. मुझे उनके लिए अच्छा लग रहा था. आज 10 वर्षों बाद यदि उन्हें यह सुख मिला था तो वह इसकी हकदार थीं. उन्होंने मेरे लिए बहुत त्याग किया था.
अगले कुछ दिनों में मैंने अपनी और मानस की कई इच्छाएं पूरी की. हम दोनों पति पत्नी के जैसे अपने कमरे में रहने लगे थे. मां की पूर्ण सहमति मिलने के बाद मैं भी थोड़ी उच्छृंखल हो गई थी. बगल में शर्मा जी की उपस्थिति जरूर थी पर वह अक्सर अपने कमरे में ही बंद रहते हैं मां रात को उनके कमरे में सोने जाया करती थी बाकी समय वह किचन और घरेलू कार्यों में लगाती.
मैं मानस का इंतजार करती जैसे ही मानस घर में आते मां मुझे उनके पास जाने के लिए बोलती ठीक उसी प्रकार जिस तरह घर की नई बहू को लोग अपने पति के साथ छोड़ देते हैं.
एक अजीब किस्म का रिश्ता बन गया था. विवाह ना होने की वजह से हम दोनों संभोग सुख से वंचित रहे बाकी हमारे बीच में कोई दूरियां नहीं बची थी. मेरे साथ नग्न रहने की उनकी इच्छा भी पूर्ण हो रही थी . रात में हम दोनों एक दूसरे के आगोश में नग्न ही सोया करते. राजकुमार भी मेरा भक्त हो चला था. वह मेरे हाथों में आते ही मचलने लगता. मेरा मुंह उसे चूमने की लिए आगे बढ़ता और वह मेरे मुह में अपनी जगह बना लेता. मानस मेरे बालों को सहलाते रहते और कुछ ही डेरे में मेरा मुह भर जाता. जब मैं नग्न होती मैं अपना मुह खोल देती और सारा वीर्य मेरे होंठो से बहता हुआ मेरे गर्दन और स्तनों पर आ जाता मानस मुझे उठाते और मेरे स्तनों पर लगे वीर्य की अच्छी तरह मल देते.
मानस मेरे लिए कई प्रकार की ब्रा, पैंटी तथा नाइटी लाया करते. कई बार मेरी मां भी मेरे लिए ऐसे आकर्षक वस्त्र लाया करती जो मानस को रिझाने में मुझे काम आते थे. मैंने और मानस ने इस बीच कई बार नग्न होकर एक दुसरे की मालिश भी की. हमने जितना कुछ सीखा था सब कुछ एक दूसरे पर प्रयोग किया और एक दूसरे को खुश करते रहे.
समय तेजी से बीत रहा था हमारी खुशियाँ परवान चढ़ रही थीं.
ब्लू फ़िल्म और छाया
छाया को फिल्में देखना बहुत पसंद था. वह अपने कॉलेज की पढ़ाई में से कुछ समय निकालकर फिल्में जरूर देखती. शायद इससे उसकी कल्पना को उड़ान मिलती थी. एक दिन बातों ही बातों में उसने मुझसे बताया कि कॉलेज की लड़कियां किसी ब्लू फिल्म के बारे में बात करती है.
“ वह क्या होता है” मैं हंस पड़ा मैंने उसे बताया..
“यह फिल्म नायक और नायिका के संभोग के विषय में होती हैं और इसमें बहुत सारी अश्लीलता होती है”. वह इसके लिए अति उत्सुक हो गई वह बार-बार कहती...
“मुझे कम से कम एक बार देखना है” मैंने उसे समझाया यह ठीक नहीं होगा. परंतु वह मेरी बात नहीं मान रही थी...
“ मेरी सारी सहेलियां इन सब चीजों के बारे में बात करती हैं परंतु मैं कुछ नही बोल पाती और सिर झुका कर वहां से हट जाती हूँ.”
मुझे लगा हॉस्टल में रहने वाली उसकी सहेलियां ये सब फिल्में देखती होंगी. मैंने उससे कहा अच्छा ठीक है..
“मैं तुम्हें ऐसी फिल्म दिखाऊंगा.”
वह मुझसे जिद करने लगी . मुझे नहीं पता था की छाया को ऐसी फिल्में दिखाना उचित होगा या नहीं. वह एक मासूम लड़की थी उसमें कामुकता जरूर थी परंतु अभी भी उसमें नवयौवना सी लज्जा और चेहरे पर मासूमियत वैसे ही कायम थी. कोई दूसरा आदमी उसको देखता तो वह कभी नहीं सोच सकता था कि यह सीधी साधी लड़की इतनी कामुक हो सकती है. एसा प्रतीत होता था जैसे मुझे देखकर उसमे कामुकता भर जाती थी. मैंने इस बात को कुछ दिनों के लिए टालना ही उचित समझा.
परंतु एक दिन वह नग्न अवस्था में मेरे साथ प्रेमालाप कर रही थी. उसने मुझसे फिर पूछा “यह डॉगी स्टाइल क्या होता है” मैं निरूत्तर था. उसने
मुझसे कहा...
“अब आपको मुझे ब्लू फिल्म दिखा ही देनी चाहिए मैं अपनी सहेलियों के सामने शर्मिंदा नहीं होना चाहती मैं अभी २२ वर्ष की होने वाली हूं मुझे भी यह सब जानने का हक है. आप मुझे नहीं दिखाओगे तो मैं अपनी सहेलीयों के साथ हॉस्टल में देखूँगी”
मैं मजबूर हो गया था अंततः मैं एक दिन छाया के लिए एक ब्लू फिल्म की सीडी ले आया. वह बहुत उत्साहित थी. उसने शाम को जल्दी-जल्दी माया आंटी के साथ मिलकर खाना पकाया और खाना खाने के बाद माया आंटी को कहा...
“मुझे बहुत तेजी से नींद आ रही है” कहकर फटाफट मेरे कमरे में चली आई अंदर आते ही कहने लगी...
“जल्दी से लगाइए ना”
उसकी बेचैनी देखते ही बनती थी. मैंने कहा...
“कुछ देर और रुक जाओ उन लोगों को सो जाने दो .वरना यदि कहीं पता चल गया तो हम लोग मुसीबत में पड़ जाएंगे.”
ब्लू फिल्म का इस तरह घर में देखना एक अलग अनुभव था. वह मेरी बात मान गई. कुछ समय बाद हुम बिस्तर पर आ चुके थे. मैंने सीडी लगाकर फिल्म चालू कर दी.
छाया बिस्तर पर नंगी लेटी हुई थी मैं भी सीडी प्लेयर पर सीडी लगाकर कूदते हुए बिस्तर पर आ गया. मैंने भी अपने कपड़े पहले ही उतार दिए थे. मैं छाया को बाहों में लिए हुए फिल्म के शुरू होने का इंतजार करने लगा. कुछ ही समय में टीवी में नायक और नायिका
अवतरित हो चुके थे. छाया की मानसिक स्थिति के अनुरूप वह दोनों नग्न ही अवतरित हुए थे. कुछ ही देर में उनकी रासलीला शुरू हो गयी. छाया टकटकी लगाकर उन दोनों को देख रही थी. इस बीच मैंने छाया
को छूने की कोशिश की पर उसने मेरा हाथ हटा दिया. वह पूरी तन्मयता के साथ देख रही थी. नायक और नायिका का संपर्क बढ़ता ही जा रहा था कुछ ही देर में नायक और नायिका मुखमैथुन करने लगे. ब्लू फिल्म की हीरोइन द्वारा नायक का लिंग अपने मुंह में लेने को अति उत्साहित होकर ध्यान से देख रही थी. कुछ ही देर में नायक ने अपना लिंग नायिका की योनी के बजाय उसके गुदाद्वार में प्रविष्ट करा दिया. संभोग के बारे में वह जानती थी परंतु राजकुमार का दासी से मिलन उसने नहीं सोचा था, उसने मुझसे पूछा...
“ऐसा भी होता है क्या?”
मैंने उससे कहा...
“वह देखो सामने हो तो रहा है”
वह हंसने लगी.
दुर्भाग्य से हमारे हाथ गलत सीडी लग गई थी.
उस समय इस प्रकार की फिल्मों की उपलब्धता तो थी परंतु आप अपने पसंद की सीडी नहीं प्राप्त कर सकते थे. यह विक्रेता पर ही निर्भर था कि वह आपके हिस्से में क्या लगता है.
फिल्म का दूसरा दृश्य प्रारंभ हो चुका था. विदेशी मूल के दो नव युवक और युवती रासलीला शुरू कर रहे थे फिल्म के शुरुआती दृश्य में ही नायक और नायिका नग्न थे सर्वप्रथम दोनों नायकों ने नायिका के यौन अंगों को चूसना शुरू कर दिया. एक नायक स्तन तो दूसरा योनि को चूस रहा था. नायिका तरह-तरह की उत्तेजक आवाजें निकाल रही थी. कुछ समय पश्चात नायिका ने दोनों नायकों के लिंग को अपने मुंह में ले लिया और बरी बारी से चूसने लगी जैसे हम लोग कुल्फी चूसते हैं. छाया यह दृश्य अपनी आखें बड़ी करके देख रही थी. वह सोच रही थी क्या ऐसा भी होता है. कुछ ही देर में नायक और नायिका संभोग करने लगे. नायक का लिंग नायिका में प्रवेश करते हैं छाया की आंखें लाल हो गयीं .
छाया पूरी तरह उत्तेजित हो चुकी थी. वह मुझसे लिपट चुकी थी पर उसकी आंखें टीवी पर अटकी थी. कुछ ही देर में नायक और नायिका ने तरह-तरह के करतब दिखाने शुरू कर दिए. वह तरह-तरह के आसन बनाते हुए नायिका की योनि में अपने लिंग को प्रवेश कराता नायिका
उत्तेजित होकर आवाजें निकालती. नायिका दुसरे नायक के लिंग को अपने मुख में लेकर उसे भी उत्तेजित रख रही थी. उन्होंने एसी विभिन्न अवस्थाओं में संभोग किया जो आम इंसानों के बस की बात नहीं थी. मैं यह दृश्य पहले भी देख चुका था इसलिए मेरी उत्सुकता कम थी. मैं यह भली-भांति जानता था कि आम जीवन में ऐसा कर पाना असंभव था.
कुछ ही देर में नायक में अपना लिंग योनि से बाहर निकाल दिया और नायिका की दासी पर अपने लिंग का प्रहार करने लगा. कुछ ही देर में
नायक का लिंग नायिका की दासी के अंदर प्रवेश कर चुका था. तभी दूसरा नायक आया और उसने भी अपना लिंग नायिका को योनी में प्रवेश करा दिया.
छाया की आंखें फटी रह गई. दोनों अपने लिंग को तेजी से आगे पीछे कर रहे थे. नायिका उत्तेजना के साथ साथ दर्द में भी प्रतीत हो रही थी. कुछ देर बाद दोनों ने अपना लिंग बाहर निकाल लिया और नायिका ने उसे अपने दोनों हाथों में ले लिया और तेजी से हिलाने लगी. लगी वीर्य स्खलन प्रारंभ हो गया और दोनों नायकों का सारा वीर्य नायिका के शरीर पर लगा हुआ था. वीर्य का कुछ भाग मुंह में जा चुका था. छाया का शरीर काँप रहा था. वो मुझसे लिपटी हुई थी. मैं उसकी पीठ सहला रहा था.
उसने मेरी और देखा मैंने उसे समझाया यह सब कल्पना लोक है. सब इसकी सिर्फ कल्पना करते है हकीकत में यह सब नहीं होता. इन्हें इस काम के लिए बहुत पैसे दिए जाते हैं. वह मेरी बात सुनी पर समझी या नहीं मैं नहीं जानता लेकिन उसका ध्यान टीवी पर अभी भी लगा हुआ था. कुछ ही देर में हम लोगों ने टीवी बंद कर दी.
उसने मुझे चुम्बन लिया और बोली...
“आपने जरूर पहले ये सब फिल्म देखी थी तभी आपको मुझे अपने वीर्य से भिगोना पसंद है.”
उसने एक बार फिर मेरे होंठों को अपने होंठों के बीच लिया और उन्हें काटते हुए मादक आवाज में कहा
“आपने मेरे सपने पूरे किये हैं मैं आपके करूंगी”
मैंने उसके गाल पर प्यार से चपत लगाई और कहा..
“हट पगली” और उसे नग्न अवस्था में ही अपने आलिंगन में लेकर सो गया.
|