RE: XXX Kahani छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता
भाग -17
त्रिकोणीय प्रेम
(मैं मानस)
सीमा ने छाया को अपने साथ लाकर हम तीनों की जिंदगी में एक नया रोमांच पैदा कर दिया था माया आंटी इस समय घर पर अकेली ही रहती थी. शर्मा जी अभी भी विदेश से नहीं लौटे थे. आंटी के लिए उनकी अनुपस्थिति खलती तो जरूर थी पर यह नियत का ही खेल था.
घर पर हम चार लोग आनंद पूर्वक रह रहे थे. सीमा के आ जाने से छाया का मेरे कमरे में आना जाना सामान्य बात हो गई थी कभी-कभी तो रात को माया आंटी भी कमरे में आ जाती हम सब गांव की बातें करते और पुराने दिनों को याद करते. जाते वक्त वो छाया को अपने साथ चलने के लिए कहतीं ताकि मुझे और सीमा को निजी पल मिल सकें. छाया उनके साथ चली तो जरूर जाती कुछ ही देर में वह वापस हमारे कमरे में आ जाती.
मेरे सेक्स जीवन में एक नया रोमांच पैदा हो चुका था बिस्तर पर हम तीनों बिना वस्त्रों के पूर्णतया नग्न होकर एक दूसरे के आगोश में लिपटे होते. छाया अभी तक कुंवारी थी और इसीलिए हम सबकी प्यारी थी. हम सब तो संभोग का सुख ले रहे थे पर छाया इस सुख सुख से वंचित थी. हम दोनों उसका विशेष ध्यान रखते थे . सबसे विषम स्थिति छाया की थी वह सीमा को कभी दीदी बोलती कभी भाभी मेरे लिए भी उसके संबोधन अब अलग-अलग प्रकार के होते थे. सामान्यतयः हो मुझे नाम से नहीं बुलाती थी पर कभी-कभी उसे मुझे मानस भैया बोलना ही पड़ता था. खासकर सीमा के आने के बाद. जब से हमारे प्रेम प्रसंग पर माया आंटी ने विराम लगाया था मैं उसके लिए मानस भैया बन चुका था. पर यह हम दोनों में से किसी को यह स्वीकार्य नहीं था. लेकिन वह सभी के सामने मुझे मानस भैया ही बोलते थी. और इसी कारण कभी-कभी वह अंतरंग पलों में भी मुझे मानस भैया बोलती थी.
मैं हंस पड़ता और वह भी शर्मा जाती. हम तीनों बिस्तर पर वह सारे कार्य करते हैं जो एक पुरुष और 2 स्त्रियां मिलकर कर सकते थे. छाया के पास वह सारे गुण थे जो उसे मेरी और सीमा की चहेती बनाए रखते. अब तो उसने सीमा को अपने निकट में ही संभोग करते हुए भी देख लिया था. ब्लू फिल्मों में दिखाये गये सारे आसान और गतिविधियां अब हमारे जीवन में आ चुकीं थी. दोनों ही युवतियां शारीरिक शारीरिक रूप से दक्ष थी. उनके शरीर लचीले थे. वह मेरे ऊपर तरह-तरह के प्रयोग करती और मुझे थका देतीं. प्रेम कीड़ा का अद्भुत आनंद आता था. छाया के दाहिने स्तन पर मेरा कब्जा हुआ करता था और बाएं स्तन पर सीमा का हम दोनों उसे गालों से चूमना शुरु करते हैं और उसकी गर्दन होते हुए उसके स्तनों तक आ जाते. उसके स्तनों को अपने मुंह में चुभलाते हुए हमारे हाथ उसकी नाभि के दोनों तरफ से नीचे जा रहे होते. हमारे हाथ धीरे-धीरे उसकी जांघों तक पहुंच जाते. उन्हें फैलाते हुए उसकी राजकुमारी के दोनों होठों पर हम दोनों का अधिकार होता. उसकी राजकुमारी के होठों को चुमते समय हमारे होंठ आपस में मिल जाते. सीमा और मुझमे यही होड़ लग जाती कि छाया को पहले कौन खुश कर दें. छाया हम दोनों के सिर पर हाथ फिराती रहती. कुछ ही देर में उसकी जांघों में बेचैनी बढ़ जाती. हम स्थिति समझ जाते और अंततः राजकुमारी को सीमा के हवाले कर मैं उठकर ऊपर की तरफ आ जाता और वापस दोनों स्तनों को अपने कब्जे में ले लेता. हम पहले छाया को स्खलित करते इस क्रिया में हम दोनो स्वयम उत्तेजित हो जाते. कुछ ही समय में मैं सीमा की जांघों के बीच उसकी रानी में अपने राजा को प्रवेश करा रहा होता और छाया सीमा के स्तनों को मुंह में लेकर प्यार से चूस रही होती.
कई बार छाया अपनी राजकुमारी को सीमा के मुख पर रख देती थी और मेरी तरफ चेहरा करके मुझसे सटी रहती थी. मैं सीमा का योनि मर्दन कर रहा होता और साथ ही साथ छाया के दोनों स्तनों को भी सहला रहा होता. कभी मेरे हाथ में छाया के स्तन पर होते कभी सीमा के. सीमा छाया की राजकुमारी को अपने होठों से चूस रही होती. यह अवस्था हम तीनों की पसंदीदा थी. इस अवस्था में हम तीनों कई बार एक साथ स्खलित होते थे. उस समय मेरे वीर्य की धार अब दोनों अप्सराओं को एक साथ भिगोती. मैं अपने वीर्य को दोनों के स्तनों पर मलता और मेरे कहने से पहले ही वह दोनों अपने स्तन एक दूसरे से रगड़ने लगतीं और मैं उनके नितंबों को सहलाने लगता. अंत में हम तीनों एक दूसरे की तरफ देखते हुए मुस्कुराते और एक दूसरे के आलिंगन में आकर सो जाते. छाया को सुबह माया आंटी के उठने से पहले कमरे से बाहर जाना होता. सामान्यतः छाया हमारे खेल की समाप्ति के बाद ही अपने कमरे में चली जाती. हम दोनों उसकी कमी महसूस करते हुए और उसके बारे में बात करते हुए सो जाते.
हम तीनों तरह-तरह के प्रयोग करते हुए अपना सुखद वैवाहिक जीवन जी रहे थे. हमें हर पल छाया के लिए एक उचित वर की तलाश थी जिससे उसे भी संभोग का सुख मिल सके. नए आसनों के प्रयोग में एक बार दुर्घटना होते होते बची. छाया सीमा के ऊपर थी उन दोनों के स्तन एक दूसरे से टकरा रहे थे और दोनों एक दुसरे को चूम रहीं थीं. मैं बाथरूम से निकलकर बाहर आया मुझे यह दृश्य अद्भुत लगा दोनों की जांघे आपस में सटी हुई थीं. मुझे 2 राजकुमारियां एक दूसरे से सटी हुई प्रतीत हो रही थी. ऐसा लग रहा था एक गुलाबी गुलाब की कली और लाल गुलाबी कली को आपस में सटा कर रख दिया गया था. इतना मोहक दृश्य मैंने पहले कभी नहीं देखा था. नीचे लेटी सीमा की जांघें फैली हुई थीं. उसकी रानी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी. मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और तुरंत ही जाकर अपने राजकुमार को सीमा की रानी में प्रवेश करा दिया और छाया की राजकुमारी को अपने हाथों से सहलाने लगा. वह दोनों मुस्कुरा रहीं थीं. उन दोनों के स्तन अभी भी एक दूसरे से सटे हुए थे और दोनों आलिंगन में थी. मेरी उंगलियां छाया की राजकुमारी के होठों को फैलातीं और उसके मुख में गुदगुदी करतीं. मैंने सीमा की रानी से अपने राजकुमार को निकाला और अपने तनाव की वजह से वह बिना कुछ कहे हैं छाया की योनि के मुख पर आ गया. उत्तेजना बस मेरे राजकुमार का तनाव राजकुमारी के मुख पर स्वभाविक रूप से हो गया. कामोत्तेजना के उद्वेग में राजकुमार छाया की राजकुमारी की कौमार्य झिल्ली तक पहुंच गया था. छाया राजकुमार के इस अप्रत्याशित आगमन की प्रतीक्षा में नहीं थी वह चौक गयी. और झटके से सीमा के ऊपर से हटकर बिस्तर पर आ गयी और मेरी तरफ देखने लगी. मुझे अपराध बोध हुआ और मैं हंस पड़ा. मैंने सिर्फ इतना कहा
“यह स्वयं ही वहां कूदकर चला गया” वह दोनों हंस पड़े. छाया उठकर मेरे राजकुमार के पास आयी जैसे उसे दंड देने जा रही थी. राजकुमार के पास आकर उसने उसे अपने मुंह में ले लिया और उसे कुछ देर चूस कर उसे सीमा की रानी में वापस प्रविष्ट करा दिया. वह मुस्कुरा रही थी और मैं भी. अगले कुछ महीने तक छाया हमारे लिए इश्वर का वरदान थी.
माया आंटी को अभी तक हमारे इस त्रिकोणीय प्रेम के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और हम सब प्रसन्न थे.
छाया का नया जीवन
नयी नौकरी.
[मैं छाया]
मैं अपनी नई नौकरी ज्वाइन कर चुकी थी. मेरा ऑफिस घर से कुछ दूरी पर था. ऑफिस की गाड़ी मुझे लेने आती और ऑफिस खत्म होने के बाद घर छोड़ जाती. मेरी जिंदगी में यह एक नया अनुभव हो रहा था. ऑफिस के बाकी दोस्तों से मिलकर मुझे बहुत अच्छा लगता. हम सब दिन भर अपने बारे में एक दूसरे से बातें किया करते. ऑफिस में अधिकतर पुरुष थे और कुछ महिलाएं थी. मेरे पक्की सहेली पल्लवी भी इसी कंपनी में थी. हमारे दिन बड़े अच्छे से बीतने लगे. घर पर मानस और सीमा के साथ मेरी रातें रंगीन थीं ही दिन भी अच्छे से कट जा रहा था. सारे सुख मिल गए थे एक ही कमी थी वो सम्भोगसुख.
2 महीने की ट्रेनिंग के बाद हमें हमारे डिपार्टमेंट में शिफ्ट किया गया मेरे नए बॉस मिस्टर एस के मल्होत्रा थे उनकी उम्र लगभग मानस के जैसी होगी. वह अत्यंत सुंदर और आकर्षक व्यक्तित्व के थे. वह हष्ट पुष्ट भी थे. वह हमेशा सख्त स्वभाव के लगते थे हम लोग उनके पास मिलने गए पर जितने कठोर वो दिखते थे उतनी ही नम्रता से हम सब से मिले.
कुछ ही दिनों में हम सब अपने कार्य में व्यस्त हो गए. मल्होत्रा जी मुझसे हमेशा अच्छे से बात करते थे. डिपार्टमेंट के बाकी लोग उनसे डरते थे परंतु मुझे उन से डर नहीं लगता था. मैं अपने कार्य में दक्ष थी और इस बात को वह पूरी तरह पसंद करते थे. कुछ ही दिनों में वह मेरे अच्छे दोस्त बन गए थे. वह मुझे हर बात में गाइड करते और मेरे कार्यों से खुश रहते थे. कभी-कभी वह मेरे निजी जीवन के बारे में भी पूछते. मैं उन्हें उचित दूरी बनाकर अपने बारे में बताती. बातों ही बातों में मुझे यह भी मालूम चला कि वह शादीशुदा नहीं थे. घर पर हमेशा मानस और सीमा मुझे शादी के लिए प्रेरित करते रहते थे वह दोनों भी मेरे लिए कोई अच्छा लड़का देख रहे थे मुझे मल्होत्रा जी धीरे-धीरे अच्छे लगने लगे थे परंतु मैं यही प्रतीक्षा कर थी कि वह खुद ही प्रपोज करें पर ऐसा नहीं हो रहा था. हम दोनों एक दोस्त की भांति कई महीने तक रहे पर हमारे बीच में हमेशा एक मर्यादा कायम रही..
मैंने सीमा भाभी को मल्होत्रा जी के बारे में बता दिया था. हम दोनों उनके बारे में बातें करते थे. सीमा भाभी उन्हें देखने की जिद करती थी. एक दिन मैंने ऑफिस में उनके साथ एक सेल्फी ली और सीमा भाभी को दिखाया वह देखते ही चौक गई. मैंने पूछा
“क्या हुआ” वह बात टाल गयीं और बोलीं
“अरे यह तो बहुत हैंडसम है. तुम्हें इससे बात आगे बढ़ानी चाहिए “
मुझे सीमा दीदी के विचार जानकर बहुत खुशी हुई.
मैं और मल्होत्रा जी आने वाले समय में और करीब आते गए.
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