RE: गुलाबो
मुझे चाचा के साथ रहते हुए एक साल से ऊपर हो गया, इस एक साल के दौरान रोजाना दिन में दो बार मेरी चुदाई जरूर होती थी,इस कारण मेरा शरीर काफी गदरा (खिल) गया था।
मेरे नितंब नियमित रुप से धक्के खा खा कर बड़े हो गये थे
पेट भी हल्का सा बढ़ गया था , जांघें और बांहें भी पुष्ट हो गई थी , मम्मे भी चाचा ने मसल मसल कर किसी जवान होती लड़की से कर दिये थे, पर में पेडड ब्रा अभी भी पहनती थी मेरा गोरा रंग अब हल्का गुलाबी हो गया था , मैंने बाल बढ़ा लिये थे अब मैं बाहर भी घाघरा चोली पहन कर ही जाती थी । मेरे सेक्सी शरीर को मौहल्ले के मर्द कामुक नज़रों से देखते थे , कुछ मनचले तो अपना लंड पैंट के ऊपर से ही खुजाते हुए अश्लील इशारे करते थे। में इन बातों का पूरा आनन्द लेती थी।
मेरे पूर्ण लड़की बनने में सिर्फ एक रूकावट थी , वो थी मेरी छोटी सी नुन्नी , में जल्द से जल्द उससे छुटकारा चाहती थी और इसलिए मैं जितनी जल्दी हो सके अपना सेक्स चेंज आपरेशन करवाना चाहती थी।
हमारे परिवार वालों को मेरे और चाचा के सम्बन्धों के बारे में पता चल गया था और उन्होंने हमें इस रूप में स्वीकार कर लिया था।
हुआ यूं कि एक इतवार मेरे पिता मान सिंह जी अचानक चाचा से मिलने पहुंच गये इत्तेफाक से उस समय घर का दरवाजा अंदर से बंद नहीं था। अंदर मेरे चाचा मुझे गोद में बैठा कर मेरी पुष्ट जांघें और भारी नितम्बों को सहलाते हुए टेलीविजन का आंनद ले रहें थे , मेरा घाघरा मेरी कमर तक ऊपर उठा हुआ था।
अंदर का दृश्य देखकर पिता जी की आंखें खुली खुली रह गयी । में तो कूद कर बेडरूम में भागी और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। चाचा आश्चर्य से उठे उनके मुंह से सिर्फ इतना निकला.... अरे भाई साहब आप ।
पिता जी ... हां मैं , ये बताओ ये क्या वासना का नंगा नाच लगा रखा है घर में, में कब से कह रहा हूं कि शादी कर ले ... मेरी तो सुनता ही नहीं,पता नहीं कहां कहां मुंह मारता रहता है।... कौन है ये लड़की? और गुलाब कहां है । पिताजी ने गुस्से से कांपते हुए पूछा।... जाहिर है पिता जी मुझे मेरे बदले हुए रूप में पहचान नहीं पाए थे।
चाचा के तो मुंह में जैसे दही जम गया था, वह नीचे मुंह किये चुपचाप खड़े थे।
बोलता क्यों नहीं ये लड़की कौन है और गुलाब कहां है? जुबां को लकवा मार गया क्या?... पिताजी जोर से गरजे।
चाचा कुछ देर सोचते रहे फिर बोले...भाई साहब बात ये है कि वो लड़की और कोई नहीं गुलाब ही है।
अब तो जैसे पिताजी के सिर पर आसमान टूट पड़ा हो , उनके हाथ पैर कांपने लगे , और वो लड़खड़ाती आबाज में बोले ....ये क्या किया तूने मेरे बेटे के साथ ... इसलिए ही तू उसे गांव से शहर लाया था?
नहीं भाई साहब ... ऐसी बात नहीं है, गुलाब शुरू से ही शारीरिक रुप से लड़का होते हुए भी दिलों दिमाग से लड़की ही है , आपने कभी उसकी तरफ ध्यान ही नहीं दिया।.. चाचा बहुत शांत स्वर में बोले , अब उनका डर व अपराधबोध खत्म हो चुका था।
बुला उसे... गुलाब... पिताजी ने मुझे पुकारा।
मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था। मगर यह सोच कर कि एक न एक दिन तो सच्चाई सब के सामने आनी ही है, में घाघरा चोली पहने पहने ही , पिता जी के सामने आ गई और उनके पैर छुए।
ये सब क्या है और कब से चल रहा है।... पिताजी ने गम्भीर स्वर में पूछा।
मेंने सिर झुकाए हुए जबाब दिया... पिताजी जब से होश सम्हाला है, मेंने अपने आप को लड़की ही महसूस किया है।
पिता जी बोले...किस किस को इसके बारे में मालूम है?
मेरे और चाचा के सम्बंधो के बारे में सिर्फ आपको और मानसिक रूप से मेरे लड़की होने के बारे में अम्मा और दीदीयों को... मेंने सिर झुकाए झुकाए जबाब दिया।
अब तुम्हारा इरादा क्या है.... पिताजी ने पुछा।
पिताजी में जिस स्थिति में हूं, बहुत खुश हूं... में लड़का बन कर नहीं जी सकती अगर मुझसे जबरदस्ती की गयी तो मैं आत्महत्या कर लूंगी।... मेंने दृढ़ता से जबाब दिया।
तू बिक्रम (चाचा) के साथ कब तक रह पायेगा, उसने भी अपना घर बसाना होगा ... पिताजी ने गम्भीरता से पूछा।
नहीं हमने प्लान कर रखा है हम जल्द ही मेरा सेक्स चेंज सर्जरी करवा लेंगे और फिर जीवन भर पति पत्नी की तरह रहेंगे, अगर जरूरत पड़ी तो बच्चा गोद ले लेंगे.... मेंने भी पूरी गम्भीरता से जबाब दिया।
हां भई् तू बता, तू क्या कहता है.. पिताजी चाचा की तरफ मुखातिब होते हुए बोले।
भाई साहब, ये जो कह रहीं हैं बिल्कुल सही कह रही है, में कसम खाता हूं कि जिंदगी भर इसे नहीं छोड़ूंगा और ना कभी भी इसे किसी भी प्रकार का दुख दूंगा ... चाचा ने बहुत ही आदर भाव से जबाब दिया।
पिताजी कुछ समय खामोश रहे फिर सोफे से उठते हुए बोले ... जैसी तुम लोगों की मर्जी, मेरे पास और कोई चारा भी नहीं, अब में चलता हूं।
में और चाचा फुर्ती से उठे और पिताजी के पैर पकड़ लिए।
आप अभी तो आएं हैं , थोड़ा रूककर जाइयेगा, हम जानते हैं कि आप हमारे से नाराज़ हैं, मगर हमारी भी मजबूरी है, हम एक-दूसरे के बिना रह नहीं सकते... मेंने रोते हुए गुहार लगाई ।
पिताजी मेरी दोनों बाहें पकड़ कर उठाते हुए बोले ...ना बेटे ना तो मैं तुमसे नाराज़ हूं ना ही मैंने तुम लोगों से सम्बंध तोड़ा है, अभी चार बजे वकील से मेरी मीटिंग है, इसलिए जा रहा हूं।
हम दोनों ने पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया।
पिताजी के जाने के बाद दरवाजा बन्द करते ही में दौड़ कर चाचा के सीने से चिपक गई और जोर जोर से रोने लगी।
चाचा ने मेरी ठोड़ी पकड़ मेरा मुंह ऊपर उठाया और मेरे माथे को चूमते हुए बोले...पगली रोती क्यों है, आज का दिन तो बहुत शुभ है, अब हम बिना किसी डर के , बिना किसी भी अपराधबोध के परिवार से जुड़े रह कर अपनी जिंदगी जी सकेंगे। चाचा के हाथ मेरे बालों को सहला रहें थे।
ये ख़ुशी के आंसू हैं, आज मेरे सिर से बहुत बड़ा बोझ उतर गया...में चाचा से चिपकती हुई उनकी पीठ पर हाथ फेरती हुई बोली।
मेरी जान आज तो तूने गजब की हिम्मत दिखाई, में तो सोच रहा था कि तू मुझे छोड़ कर भाई साहब के साथ ना चल दे...चाचा के हाथ मेरी पीठ सहला रहे थे, उन्होंने मुझे कस कर जकड़ रखा था। में उनके खड़े लंड का दबाव अपने पेट पर महसूस कर रही थी।
मेरे में हिम्मत तो आपके साथ होने से आ गई...में पजामे के ऊपर से ही चाचा के आंड सहलाते हुए बोली।
चाचा नेअपना एक हाथ मेरी पीठ से नीचे ले जाकर मेरे घाघरे मे घुसेड़ दिया और मेरे चूतड़ों को जोर जोर से दबाते हुए मेरे गुदा द्वार को सहलाने लगे।
अब मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगी। औहहहह जी क्या करते हो थोड़ा तो सब्र करो..अभी तो पिताजी गये है।
मेरी जान तू क़रीब हो तो कोई भी सब्र नहीं कर सकता , चाचा ने मेरी गुदा खोदते हुए कहा।
उईईई मां.. मान जाओ ना...में मचल कर बोली।
तभी चाचा ने मेरे घाघरे का नाड़ा खींच लिया इससे मेरा घाघरा सरसराते हुए जमीन पर गिर गया। अब मैं चाचा के सामने सिर्फ चोली में खड़ी थी । चाचा दोनों हाथों से मेरे बड़े बड़े गुलाबी नितम्बों को मसल रहे थे।
मेंने भी चाचा के पजामे का नाड़ा खोल दिया जिससे उनका पजामा भी फर्श पर आ गया । मेंने चाचा के फनफनाए लंड को पकड़ा और अपने पेट पर रगड़ने लगी।
चल गुड़िया पलंग पर चलते हैं कहते हुए चाचा ने मुझे गोद में उठा लिया। में अब पहले वाली चालीस किलो की पतली दुबली गुलाबो नहीं बल्कि पैंसठ किलो बजन की गदराई हुई जवानी थी , फिर भी चाचा आसानी से मुझे गोद में उठा बेडरूम ले आया और मुझे पलंग पर पटक दिया।
औफ हो देखो मेरा साजन कितना ताकतवर है,नजर ना लगे जाए मेरे सैंया को... में इतरा कर हंसते हुए बोली।
अरे मेरी जान मर्द की असली ताकत तो पलंग युद्ध में पता पड़ती है ... चाचा ने हंसते हुए जबाब दिया।
फिर चाचा पीठ के बल सीधे लेट गये ,आजा मेरे मुंह पर बैठ जा , मेरा मन तेरी दुलारी को प्यार करने का हो रहा है... चाचा ने कहा।
में चाचा के मुंह पर अपनी चौड़ी गांड़ रख कर बैठ गई और आगे झुक कर चाचा का लौड़ा मुंह में लेकर चूसने लगी।
चाचा अपनी जीभ से मेरी गांड़ चाट रहा था मुझे अजीब सी सिरहन हो रही थी, अचानक चाचा ने मेरे गुदा द्वार को चाटना शुरू किया और जोर लगा अपनी जीभ मेरी गुदा में करीब आधा इंच घुसा दी । उईईईई ये क्या कर रहे हो जी गुदगुदी होती है ... मेंने अपनी गांड़ हिलाते हुए कहा।
ये सच है कि पिछले डेढ़ साल में मेरी गांड़ सैकड़ों बार चुदी होगी, मगर हर बार मुझे लगता था कि पहली बार चुदी रहीं हैं।
चाचा ने जबाव नहीं नहीं दिया और अपनी जीभ मेरी गांड़ में चलता रहा। यहां मैं बता दूं कि मैं नियमित रूप से एनिमा का उपयोग करती हूं , जिससे मेरी आंते और गुदा मार्ग एक दम साफ़ सुथरा रहता था।
आहहहहह सुनो जी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा, अब लंड अंदर कर दो । मगर चाचा ने मेरी बात नहीं सुनी और जीभ चलाना जा रखा ।
उईईईई है ईश्वर में मररर जाऊंगी, उईईईई प्लीज़ रुक जाओ मैं व्याकुल स्वर में बोली। उत्तेजना के कारण मेरा बुरा हाल था , मेरी गांड़ का छेद बुरी तरह लपलपा रहा था तथा मोटे मोटे कूल्हे धिरक रहे थे।
आईईईई अम्मा... मेंने अपनी गांड़ चाचा के मुंह से हटाने की कोशिश करी मगर चाचा ने अपने दोनों हाथों से पकड़ कर मेरे भारी चूतड फिर से अपने मुंह पर दबा लिए।
उईईई औहहहह आपको मेरी कसम रूक जाओ , मेंने थोड़े अधिकार युक्त स्वर में कहा।
अब चाचा ने मुंह मेरी गांड़ से हटाया और बोले ...क्या हुआ।
अब अंदर डाल दो बहुत परेशानी हो रही है ... मेंने कहा।
चाचा: चल फिर बैठ जा मेरे ऊपर और लंड अपनी गांड़ में घुसा कर चोद दे मुझे।
में : नहीं मेने ऊपर बैठ कर नहीं चुदवाना। जब तक आप मुझे अपने सवा सौ किलो के शरीर के नीचे दबा कर ना चोदो तब तक मुझे मजा नहीं आता।
साली, मेरे नीचे दब कर चुदने के कारण ही तेरा वजन एक साल में पच्चीस किलो बढ़ गया और तू पतली दुबली लड़की से छोटा हाथी बन गई.... चाचा ने हंसते हुए कहा।
क्या में इतनी मोटी हो गई ? मेंने इतरा कर पूछा
अरे नहीं मेरी जान तू तो बहुत सेक्सी शरीर की हो गई है। चाचा ने दोनों हाथों से मेरा चेहरा पकड़ प्यार से चूमते हुए कहा।
मैं चाचा के सामने पीठ के बल लेट गयी , मेरी चौड़ी गुलाबी गांड़ , पुष्ट जांघों और उभरे हुए पेट को देखते हुए चाचा बोले... गुलाबो तेरा ये कामुक शरीर देख कर अच्छे से अच्छे साधु संत की भी नियत खराब हो जाए।
मेरे स्वामी आपके इस विशाल फनफनाते लंड को देख कर कोई भी अप्सरा अपना घाघरा उतार आप के सामने चुदने के लिए घोड़ी बन जाऐ।
चाचा मेरी दोनों पुष्ट जांघों के बीच आ गये अपना लंड मेरी गुदा द्वार पर रख दबाव बना कर एक बार में ही अपना पूरा लंड मेरी गांड़ में घुसेड़ दिया
औहहहह मेरे साजन अब थोड़ा चैन आया....में सिसक कर बोली ।
अच्छा लगा मेरी चुद्दकड जान को चाचा ने मेरा माथा चूमते हुए कहा
अब चाचा ने मेरे से चिपक कर मेरी गांड़ में अपना बमबइलाट लंड पेलना शुरू किया, मुझे बहुत ही मजा आ रहा था
आहहह आहहह उईईईई मेरी मां तेरी बेटी को चोद दिया रे, मेरे उपर चढ़ कर मेरे को रौंद दिया... आहहह मां ...आकर बचा ले,.... अत्यधिक उत्तेजना के कारण में अनर्गल बड़बड़ाये जा रही थी।
मेरी जांघें चाचा के चूतड़ों पर कसी हुई थी और मेरे हाथ चाचा की पीठ पर कस कर बंधे हुए थेे , में चाचा से जोर से चिपकी हुई थी , जैसे उनके शरीर में ही समा जाऊंगी।
चाचा पूरे जोश से मुझ पर चढ़े , धक्के लगाए जा रहे थे, पूरा कमरा उनकी जांघों और मेरे मोटे चूतड़ों के टकराने से पैदा हुई धप धप तथा लंड के गांड़ के अंदर बाहर होने से होने वाली फच फच फच की आवाज से गूंज रहा था।
करीब पन्द्रह मिनट बाद अचानक चाचा डकराया... गुलाबो मेरा झड़ने वाला है।
आप अंदर ही झाड़ दें .. मेंने कहा।
नहीं में तो तेरे पेट को रगड़ूंगा... कहते हुए चाचा ने अपना लंड मेरी गांड़ से निकाल कर मेरे पेट पर दबा दिया और धक्के मारे मार कर पेट पर रगड़ने लगे , उन्होंने मुझे कस कर दबोच रखा था।
मेरे स्वामी ऐसे मेरा पेट दबता है, उस में दर्द होता है , प्लीज़ ऐसे मत करो ... आईईईई ..में दर्द से कराहते हुए बोली।
चाचा ने मेरी एक नहीं सुनी , अचानक मुझे चिरपरिचित चिकना गर्म पर्दाथ मेरे पेट पर फैलता महसूस हुआ और मेंने राहत की सांस ली।
चाचा करीब तीन मिनट मेरे ऊपर ऐसे ही पड़ा रहा फिर उठ कर बाथरूम चला गया । मेंने चाचा के वीर्य से अपने पेट की अच्छे से मालिश करनी फिर नंगी ही सो गई।
क्रमशः
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