Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-06-2017, 11:23 AM,
RE: चूतो का समुंदर
वहाँ आज़ाद ने फॅक्टरी पहुच कर अपने आदमियों से फॅक्टरी के कामो का जायज़ा लिया और सबको इंटरेक्चर दे दिया कि फॅक्टरी को जल्दी से जल्दी बढ़ाना है...और इसके लिए सामने और मशीनो का ऑर्डर भिजवा दो....

फिर आज़ाद अपने कॅबिन मे बैठा हुआ कुछ हिसाब-किताब देख रहा था कि तभी उससे मिलने के लिए दामोदर नाम का आदमी आ गया.....

दामोदर- नमस्ते मल्होत्रा सर..

आज़ाद(अपनी फाइल से आँखे उठा कर)- आइए दामु भाई..आइए...

दामोदर- ह्म्म..और बताइए कैसे है आप...(दामोदर ने चेयर पर बैठते हुए कहा...)

आज़ाद- हम तो ठीक है...आप बताए कैसा चल रहा है आपका बिज़्नेस...

आज़ाद की बात सुन कर दामोदर के माथे पर परेशानी की लकीरे आ गई और वो अपने हाथ को आपस मे मसल्ते हुए नीचे देखने लगे....

आज़ाद- क्या हुआ दामु भाई...सब ठीक है ना...आप परेसान क्यो दिख रहे है...

दामोदर- क्या बताऊ ..मल्होत्रा जी...किस्मत ने ऐसा खेल खेला है कि सब चौपट हो गया....

दामोदर अपनी बात बोलकर फिर ने सिर हिलाते हुए नीचे देखने लगा....

आज़ाद- क्या...इसका मतलब...आपका बिज़्नेस...???

दामोदर- जी मल्होत्रा जी...सब मिट गया...पूरा बिज़्नेस...पूरा पैसा...सब डूब गया...

आज़ाद- इसका मतलब...आप मेरा पैसा नही दे पायगे...

दामोदर- यही बताने मैं आया था मल्होत्रा जी...मुझे कुछ और टाइम चाहिए....

आज़ाद- देखिए दामु भाई...मुझे आपसे हम दर्दि है...पर मैं भी कुछ नही कर सकता....आपने पिछले 2 सालो से मुझे 1 पैसा वापिस नही दिया...और यहाँ तक की ब्याज भी नही दिया....

दामोदर- आप तो जानते है कि पिछले 2 साल मे मैने 3 बार नया बिज़्नेस स्टार्ट किया और सब मे मुझे लॉस ही हुआ है तो...

आज़ाद(बीच मे थोड़ा कड़क हो कर बोला)- देखो दामु...अब मैं कुछ नही कर सकता....मैने कहा था ना कि ये लास्ट चान्स है...और अब तुम्हारी सारी प्रॉपर्टी मेरी है...जैसा कि कांट्रॅक्ट मे लिखा हुआ है...समझे...

दामोदर- मैं जानता हूँ कि कांट्रॅक्ट मे क्या लिखा है पर प्लीज़ मुझे कुछ टाइम दे दीजिए...बस आख़िरी बार...


आज़ाद- देखो दामु...मेरा भी बिज़्नेस है...और मुझे भी आगे पैसा देना है...तो अब मैं कुछ नही कर सकता...तुम्हारी प्रॉपर्टी मेरी...सिर्फ़ 1 हफ़्ता देता हूँ...सब छोड़ने के लिए....

दामोदर(हाथ जोड़ कर)- प्लीज़ मल्होत्रा जी...ऐसा मत कीजिए...थोड़ा टाइम दे दीजिए...प्ल्ज़्ज़..

आज़ाद- हाथ मैं जोड़ता हूँ दामु...अब बस...1 हफ्ते मे अपना घर और बाकी प्रॉपर्टी छोड़ दो...और अब जा सकते हो...बाइ...

दामोदर चेयर से उठा और एक बार फिर से आज़ाद को देखा..पर आज़ाद ने जाने के लिए बोल दिया....

दामोदर अपना मुँह लटका कर कॅबिन से बाहर निकल गया......

दामोदर के जाने के बाद आज़ाद दुखी भी था और खुश भी...दुख इस बात का था कि वो दामोदर के लिए कुछ नही कर सकता था...क्योकि उसको भी आगे पैसे देने थे...

और खुशी इस बात की थी कि अब दामोदर की फॅक्टरी के साथ-साथ उसका घर और सारी प्रॉपर्टी अब उसकी हो गई थी....

आज़ाद फिर से फाइल्स मे बिज़ी हो गया.....


थोड़ी देर बाद एक औरत आज़ाद से मिलने आई...

औरत- मैं अंदर आ सकती हूँ सर...

आज़ाद(बिना देखे)- यस..आ जाइए...

औरत- नमस्ते मल्होत्रा जी...मेरा नाम कमला है...

आज़ाद(औरत को देख कर)- ह्म्म...कमला ..

आज़ाद आगे कुछ बोलता उससे पहले ही वो कमला को देख कर खो गया...

कमला की गदराई बॉडी को देख कर ही आज़ाद की नियत फिसलने लगी थी...

अओरत- मल्होत्रा जी....

आज़ाद- हाँ ..सॉरी....हाँ जी कहिए...मैं क्या कर सकता हूँ आपके लिए...??

अओरत- मैं दामोदर की पत्नी हूँ...और..

आज़ाद(बीच मे)- अरे..आप...आइए बैठिए तो सही...सॉरी मैने पहचाना नही...

फिर कमला चेयर पर बैठ गई...

आज़ाद - हाँ तो कहिए..क्या लेगी आप..चाइ या ठंडा...

कमला- जी कुछ नही...मुझे आपसे कुछ बात करनी है...

आज़ाद- देखिए भाभी जी...मैने दामु को पहले ही बोल दिया था कि अब मैं उसकी हेल्प नही कर सकता...फिर भी...

कमला- आप मेरी बात तो सुन लीजिए...शायद आप समझ जाए...इसमे फ़ायदा आपका ही है...

आज़ाद(अपने चश्मे को निकाल कर)-हम्म...तो बोलिए...जब तक मैं चाइ मगवाता हूँ...

फिर आज़ाद ने चाइ का ऑर्डर किया और कमला से बात करने लगा...थोड़ी देर बाद चाइ आई और चाइ पीने के बाद कमला जाने लगी...

कमला- तो फिर बताइए...

आज़ाद- ह्म्म..जल्दी बताउन्गा...

कमला(स्माइल कर के) - मैं इंतज़ार करूगी...बाइ..

आज़ाद- बाइ...

और आज़ाद फिर से अपने काम मे लग गया...

थोड़ी देर बाद काम निपटा कर आज़ाद आश्रम मे आ गया जो था तो आज़ाद का पर उसे संभालने के लिए उसने रिचा की माँ को रखा हुआ था....

(यहा रिचा की माँ के बारे मे बता दूं...

रिचा की माँ का नाम राखी था...वो एक कसे हुए बदन की मालकिन थी...दिखने मे तो कमाल थी पर इन्हे पैसे की भूख थी...

रखी सहर मे पली-बड़ी थी पर उसकी शादी गाओं मे हो गई....इसलिए वो हमेशा सहर की लाइफ स्टाइल को मिस करती थी और वैसे ही जीना चाहती थी...पर इसके लिए उसके पास पैसे नही थे...

इनके पति टीचर थे..पर इन्हे और पैसे चाहिए थे..इसी लिए इन्होने गाओं के रहीस इंसान मतलब आज़ाद को फसाया और आश्रम की ज़िम्मेदारी ले ली...

लेकिन आज़ाद से मिलने के बाद इन्हे आज़ाद के लंड की आदत पड़ गई थी..और डेली ही ये आज़ाद का बिस्तेर गरम करने लगी...बदले मे इन्हे पैसा भी मिला और नाम भी...

और हाँ...गाओं मे साड़ी पहनने वाली औरतों से हट कर राखी सहर की औरतों की तरह वेस्टर्न ड्रेस भी पहनती है.....)

आश्रम पहुच कर आज़ाद राखी के कॅबिन मे चला गया...राखी इस समय अपने असिस्टेंट के साथ कुछ डिस्कस कर रही थी...

आज़ाद को देख कर ही राखी के चेहरे पर स्माइल आ गई और उसने अपने असिस्टेंट को बाद मे आने को बोला...

जैसे ही असिस्टेंट कॅबिन से बाहर गया तो राखी ने उठ कर गेट लॉक कर दिया और बोली...

रखी- अरे आप यहाँ ..मुझे बुला लिया होता...अपने खास रूम मे...

रखी , आज़ाद के पास जाकर उसका हाथ सहलाने लगी...

आज़ाद- क्या करूँ...आज किसी को देख कर मेरा लंड ज़्यादा ही फुदक रहा है...इसलिए शांत करने आ गया...

रखी- कौन है वो...आप हुकुम तो करो...उसे आपके नीचे डलवा दुगी...

आकाश- वो मैं देख लूँगा...अभी तू इसे ठंडा कर...

आज़ाद ने अपने लंड की तरफ इशारा किया और राखी तो जैसे इंतज़ार मे ही थी...उसने लंड को पेंट के उपेर से ही हाथ मे ले कर मसलना शुरू कर दिया....

आज़ाद तो पहले से ही दामोदर की बीवी को देख कर गरम हो गया था...

आज़ाद ने जल्दी से राखी के होंठो को अपने होंठो मे कस लिया और अपने हाथ राखी की कमर मे डाल दिए...

दोनो एक- दूसरे के होंठ चूस्ते हुए गरम होने लगे...और होंठ चूस्ते हुए आज़ाद राखी को ले कर चेयर पर बैठ गया और फिर उसके बूब्स को दवाने लगा...

थोड़ी देर बाद आज़ाद ने राखी के होंठ छोड़े और उसे सामने खड़ा कर दिया...

फिर उसने राखी के बूब्स को बाहर निकाला और बारी-बारी निप्पल को होंठो मे दवाकर चूसने लगा...

राखी- आहह...स्शहीए...आहह..

आज़ाद निप्पल को बार-बात होंठो मे दबाता और खीच कर छोड़ देता और फिर से चूसने लगता...फिर दूसरे निप्पल के साथ भी ऐसा ही करता...

राखी आज़ाद की हरकतों का मज़ा लेती हुई सिसक रही थी....

आज़ाद ने फिर जल्दी से राखी के बूब्स को मुँह मे भर कर चूसना शुरू कर दिया....

वो कभी बूब्स को चूस्ता...कभी मसलता और बीच-बीच मे काट भी लेता था...

रखी- उउंम..हाँ...ऐसे ही .ओह्ह..आहब...आहह..नही...कतो मत...ओह्ह..माँ...

ऐसी ही सिसकारियों से रूम का महॉल गरम हो रहा था...

थोड़ी देर बाद आज़ाद ने बूब्स से खेलना बंद किया और खड़े होकर अपने लंड की तरफ इशारा किया...

राखी तुरंत ही घुटनो पर बैठ गई और लंड को बाहर निकाल के चाटने लगी...

थोड़ी देर चाटने के बाद राखी ने सुपाडा मुँह मे भर लिया....

आज़ाद- ओह्ह..हाअ..अब चूस डाल...ज्ज़ोर से...

राखी ने पहले लंड के सुपाडे को चूसा और फिर आधा लंड मुँह मे भर कर मुँह आगे पीछे करने लगी..

आज़ाद- ओह्ह..यह...और तेजज..हाँ..और तेज...

राखी- सस्ररूउगग़गग...सस्स्ररूउग़गग...उउंम..उउंम..

आज़ाद- हा ऐसे ही...अंदर ले...और तेजज्ज़..आहह...

राखी- सस्ररुउपप...सस्रररुउपप..उउंम..उउंम..उउंम..

राखी ने पूरी मस्ती मे लंड को चूस कर खड़ा कर दिया और फिर अपने कपड़े निकालने लगी...

राखी की ब्रा तो पहले ही उसके बूब्स के नीचे फसि थी...तो रखी ने ब्रा छोड़ कर बाकी के कपड़े निकाले और खड़ी हो गई...

आज़ाद ने जल्दी से राखी को टेबल पर बिठाया और उसकी टांगे खोल दी...

टांगे खुलते ही राखी की चूत भी खुल के सामने आ गई...और जिसे देख कर आज़ाद गरम हो गया...और उसने अपने होंठ राखी की खुली चूत पर रख दिए....

राखी- आअहह...ठंडक मिल गई...उउंम..

आज़ाद- सस्स्ररुउउप्प्प...सस्स्र्र्ररुउउप्प...आआहह...सस्स्स्रर्र्ररुउउप्प्प...सस्स्रररुउउप्प्प्प...

राखी- ओह...ओह...आआी...उउंम..आअहह ....

आज़ाद पूरी जीभ फिराते हुए राखी की चूत चाटने लगा....

कभी चूत का दाना होंठो मे फसा लेता तो कभी जीभ को नुकीला करके चूत में डाल देता...

राखी- उम्म्म...जान ले ली...आअहह...आहह...आओउककच्छ..ओह .ओह..

आज़ाद ने चूत को मुँह मे भर कर चूसना शुरू कर दिया...

आज़ाद- उम्म..उउंम..उम्म्म्ममम...उउम्म्म्मम...

राखी- ओह्ह..माँ..आ...आहह...ऊहह...आआईयइ...ऊहह...ऊहह....

ऐसे ही सिसकते हुए राखी अपनी गान्ड को उछालने लगी....आज़ाद समझ गया कि अब चूत लंड माग रही है...और आज़ाद ने राखी को खड़ा किया और टेबल पर झुका कर उसकी चूत पर लंड सेट किया...

आज़ाद ने एक धक्के मे आधे से ज़्यादा लंड चूत मे डाल दिया....

रखी- आओउक्च्छ...आअहह...पूरा डाल दो...ओह..

आज़ाद ने दूसरा धक्का मारा और लंड चूत की गहराई मे घुस गया...

फिर आज़ाद ने राखी की कमर को पकड़ा और धक्के मारना शुरू कर दिया.....

राखी- ओह..ओह..आअहह..ज़ोर से...उफ़फ्फ़...ज़ोर से...

आज़ाद- यहह...यहह..ये ले साली...और ले...

राखी- आअहह...डाल दो...ज़ोर से...आअहह...आअहह..

आज़ाद- एस्स...ये ले...यह..यह..यह..

राखी- श..एस..आहह..आहह..आहह..

आज़ाद पूरे जोश मे तेज़ी से राखी को चोदने लगा और तेज धक्के खा कर थोड़ी देर बाद राखी झड़ने लगी....

रखी- एस्स..एस्स..आहह..ऊहह..ओह्ह..मैं..गैइइ..आहह..म्मा..एस..एस्स. एस्स..

रखी के झड़ने के साथ ही चुदाई की आवाज़े बढ़ने लगी...

आहह..आहह..उफ्फ..एस्स..येस्स.एेशह..फ्फूक्छ..फ्फकक्च्छ..ऊओह...म्मा...एस्स..जज़ूर से...एस्स..तेजज...यह..यीह..आअहह..

ऐसी ही आवाज़ो के साथ राखी झाड़ गई और टेबल पर झुक गई...आज़ाद थोड़ी देर तक राखी को चोदता रहा और फिर उसने लंड बाहर निकाल लिया...

फिर आज़ाद ने राखी को उठाया और सोफे पर ले आया और खुद टिक कर बैठ गया...

राखी समझ गई और तुरंत लंड को चूत मे ले कर आज़ाद के उपर बैठ गई और उछलना शुरू कर दिया...

आज़ाद- एस्स...ज़ोर से उछल साली...ज़ोर से...

राखी- ह्म्म्मड..ओह्ह..एस्स..एस्स..एस्स..ओह्ह्ह..एस्स..

आज़ाद- पूरा ले...अंदर तक...जंप...तेजज..तेजज....और्र..तेजज..

रखी- ओह..ओह्ह.ओह..येस्स्स्स...आहह..एस्स..एस्स...एसस्स...

रखी पूरी स्पीड मे उछल-उछल कर लंड ले रही थी और उसकी मोटी गान्ड आज़ाद की जाघो पर थप दे रही थी...

आआहह...आहह..एसज़..एस्स...ओहब..ठगाप..ताप...यह...जंप...एस्स..ज़ोर..से...तेज..यीह..एसस्स..ईीस्स...ताप्प..ताप...ऊहब..म्मा.. .एस्स..आहह..आहह

ऐसी ही आवाज़ो के साथ राखी 10 मिनट चुदाई करवाती रही और फिर से झड़ने लगी...

राखी- ओह्ह म्माआ...आऐईइ...ऊहह..श..एस्स..आअहह....


राखी के झाड़ते ही वो लंड चूत मे लिए बैठ गई...

आज़ाद ने राखी को नीचे बैठा दिया और खुद खड़ा हो गया...

राखी ने तुरंत ही आज़ाद के लंड को मुँह मे भर कर चूसना शुरू कर दिया..

राखी लंड को हिला-हिला का चूस रही थी...

रखी- उउंम..उउंम..उउंम..उउंम..

आज़ाद- ईीस्स...मैं आने वाला हूँ.. .ज़ोर से...एसस्स..

थोड़ी देर की लंड चुसाइ के बाद आज़ाद झड़ने लगा...

आज़ाद- ओह्ह..मैं आया...पी जा..एस्स..ऊहह..ऊहह...

राखी ने आधा लंड रस पी लिया और बाकी का उसके सीने पर बह गया...और आज़ाद शांत हो गया....

थोड़ी देर बाद जब दोनो नॉर्मल हुए तो फ्रेश हो आए और कपड़े पहन कर बैठ गये...

राखी ने दोनो के लिए चाइ ऑर्डर कर दी और फिर बाते शुरू हो गई....

आज़ाद- तुम आज भी उतनी ही गरम हो जैसे पहली बार मे थी...

राखी- आपको मैं हमेशा ऐसी ही मिलूगी...जब भी मुझे अपनी बाहों मे लेगे...

आज़ाद- ह्म्म..चलो अच्छा है...वैसे तुम्हारे मास्टर जी(राखी के पति) कहाँ है...

राखी- और कहाँ..वही स्कूल और फिर घर..उन्हे दुनिया से कोई मतलब ही नही और ना मुझसे....

आज़ाद- अरे तुम्हारे लिए हम है ना...

रखी- ह्म्म..इसलिए तो मैं अब सिर्फ़ आपकी हूँ...

आज़ाद- और तुम्हारी बेटी..??

राखी- वो तो खुश है...

आज़ाद- ह्म्म..चलो अब मैं चलता हूँ...

राखी- ह्म्म..वैसे क्या मैं जान सकती हूँ कि आपको गरम करने वाली कौन मिल गई थी...

आज़ाद(मुस्कुरा कर)- बाद मे बताउन्गा ..चलता हूँ...

इसके बाद आज़ाद आश्रम से निकल गया....
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RE: चूतो का समुंदर - by sexstories - 06-06-2017, 11:23 AM

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