Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-07-2017, 11:47 AM,
RE: चूतो का समुंदर
सुबह मुझे अकरम ने जगाया....

अकरम- उठ भाई...कितना सोयगा...

मैं(आँखे खोलते हुए)- ह्म..उठता हूँ यार...थोडा और सोने दे....

अकरम- अच्छा..साले ये बता कि सोफे पर क्यो सोया है...

मैं- क्या..सोफा...अभी सोने दे...फिर बात करते है...

और मैं फिर से सो गया....बट थोड़ी देर बाद ही जूही मुझे जगाने आ गई...

जूही- उठ यार..कितना सोयगा...हमे चलना है...उठ जा...

मैं(बिना देखे)- तू फिर से आ गया साले...सोने दे...

जूही- ओह हेलो...मैं जूही हूँ...अकरम नही...उठो...

फिर मुझसे थोड़ा होश आया और मैने आँखे खोल कर देखा...सामने जूही मुस्कुरा रही थी...

मैं- ओह्ह..तुम...आअहह...मुझे लगा अकरम है...

जूही- अच्छा..तो गौर से देख लो....मैं जूही हूँ..देखो...

जूही अपने हाथ अपनी कमर पर रख कर खड़ी थी...उसके ट-शर्ट मे तने हुए बूब्स...खुले बाल और पिंक लिपस्टिक से सजे मुस्कुराते होंठ...इन सब को देख कर तो मेरा दिल खुश हो गया...

जूही- अभी भी ना पहचाना हो तो छु कर देख लो...

मैने सोचा सही मौका है...और मैने उसके बूब्स की तरफ अपना हाथ बढ़ा दिया...

जूही मेरा हाथ देख कर सकपका गई पर पीछे नही हटी...बस नज़रे झुका ली...

तभी मैने हाथ को बूब्स के सामने रोक दिया और बोला...

मैं- ज़रूरत नही...पहचान गया...फिर कभी...

जूही(शर्मा कर)- फिर कभी क्या...तुम ना...चलो उठ कर फ्रेश हो और जल्दी नीचे आओ...हमे जाना है...ओके

मैं- ह्म्म..आता हूँ...

थोड़ी देर बाद हम सब नीचे नाश्ता कर रहे थे..और कुछ लोगो को देख कर मेरे दिमाग़ मे रात का सीन घूमने लगा...और मेरी स्माइल निकल गई..

जूही मेरे सामने ही बैठी थी...उसे लगा कि मैं उसे देख कर मुस्कुरा रहा हूँ तो उसने अपनी नज़रे झुका ली और शरमाने लगी...

तब मुझे अहसास हुआ कि जूही के साथ बात बनने मे टाइम नही लगेगा...बस एक अच्छे मौके का इंतज़ार करना होगा...


विनोद- हेल्लूऊ...कौन है...

मैं- सो रहे थे क्या...??

विनोद- ये सोने का ही टाइम है...तुम कौन...??

मैं- साले...मैं तेरा बाप बोल रहा हूँ...अब उठ..

विनोद(सकपका कर)- त्त..तुम...इतनी रात मे...क्या हुआ...??

मैं- हुआ तो कुछ नही...और होना भी नही चाहिए...

विनोद- क्या मतलब...??

मैं- मतलब ये कि मैं कहाँ गया हूँ ये सिर्फ़ तू और तेरी रांड़ ही जानती है...और मैं चाहता हूँ कि ये बात तुम दोनो के अलावा किसी को पता ना चले..समझा..

विनोद- हाँ..मैं चुप रहुगा...पर भाभी को कैसे...

मैं- ये तेरा काम है...अगर ऐसा नही हुआ तो तुम जानते हो ना...कि मैं क्या करूगा..

विनोद- न्ही-न्ही...मैं उसे चुप रखुगा..तुम कुछ मत करना..

मैं- गुड बॉय...अब सो जा...और हाँ...अपनी बीवी को हाथ भी मत लगाना...

विनोद- ह्म..नही लगाउन्गा...

मैं- सो जा फिर...बाइ

और मैने कॉल कट कर दी...अब मैं निश्चिंत हो गया कि मेरे यहा होने का पता मेरे दुश्मनो को नही चलेगा...

पर अभी मुझे नीद नही आ रही थी..मैं तो बस मे ज़िया की चुदाई करके सो चुका था.....

इसलिए मैं रूम के बाहर ही घूमने लगा और देखने लगा कि कहीं कोई जाग रहा हो तो थोड़ा टाइम-पास कर लूँ...

तभी मुझे नीचे एक साया नज़र आया...जो एक साइड के रूम से निकल कर आया था और दूसरे साइड के रूम की तरफ चला गया...

नीचे के रूम सीडीयो की वजह से दिख नही रहे थे...मैं जब तक नीचे आया...वहाँ कोई नही था और रूम बंद थे...


दोनो साइड ही 2-2 रूम्स थे तो अंदाज़ा लगाना मुस्किल था की किस रूम से कौन आया...

पहले मुझे ख्याल आया कि कहीं अकरम की मोम तो नही सरद के रूम मे थी...पर फिर सोचा कि उसके रूम तो एक साइड ही है...और फिर दोनो अपने पार्ट्नर के साथ है...

मैं रूम की तरफ देख ही रहा था कि तभी पीछे से गाते खुलने की आवाज़ आई...और सरद बोला...

सरद- अरे अंकित...यहाँ...क्या हुआ ..

मैं- ओह्ह..अंकल...कुछ नही...मैं बस...वो नीद नही आ रही थी...

सरद- ह्म्म..नई जगह है ना...मुझे भी नीद नही आ रही...आओ बैठते है...

हम दोनो सोफे पर बैठ गये और तभी सरद ने विस्की की बॉटल उठाई जो कि डिन्निंग टेबल पर रखी थी....

सरद- आओ..एक -एक पेग ले लेते है...

मैं- अरे नही अंकल...थॅंक्स...

सरद- अरे बेटा..शरमाओ मत...अब तुम बड़े हो गये हो..कम ऑन..एक पेग..

मैं कुछ कहता उसके पहले ही सरद ने पेग बना दिए...और मैं भी शरम छोड़ कर पेग पीने लगा...

फिर बातें करते हुए हम 3-3 पेग गटक गये और फिर सरद गुड नाइट बोल कर रूम मे निकल गया....

मैं(मन मे)- कौन होगा वो...इस तरफ तो सिर्फ़ शादिया, मोहिनी, जूही और पूनम ही है...

इनमे से कौन हो सकता है...अगर शादिया होती तो वो अपने रूम मे ही किसी को बुला लेती...अकेली जो है...फिर कौन हो सकता है...


मैं अपनी सोच मे खोया था कि तभी मेरे गले मे किसी ने बाहें डाल दी...

मैने पलट के देखा तो वो रूही थी...मैं उसे यहाँ देख कर चौंक गया...

मैं- त्त..तुम..यहाँ...और ये क्या हरक़त है...

रूही- क्यो...तुम्हे पसंद नही आया क्या...

मैं- देखो रूही...तुम...जाओ यहाँ से...

रूही- मैं जाने के लिए नही आई...

मैं- तो किस लिए आई हो...

रूही- तुम जानते हो...

मैं- क्या मतलब..??

रूही मेरे बाजू मे आ कर बैठ गई और मेरी जाघ सहलाने लगी...

मैं(रूही का हाथ हटाकर)- दूर हटो...ये हरक़ते बंद करो...

रूही- क्यो...मुझ मे क्या कमी है...

मैं- देखो रूही...बकवास बंद करो और जाओ यहाँ से...

रूही- नही...जब तक तुम मुझे हाँ नही कहोगे तब तक नही जाने वाली...

मैं- क्या हाँ...किस बात की हाँ...

रूही- तुम्हे पता है कि मुझे क्या चाहिए...

मैं- सॉफ..सॉफ बोलो...क्या कहना चाहती हो...

रूही- सॉफ..सॉफ...ये चाहिए( जूही ने मेरे लंड पर हाथ रख दिया)

मैं(हाथ हटाकर)- बस...बहुत हुआ...तुम पागल हो गई हो...जाओ यहाँ से...

रूही- हाँ...पागल हो गई हूँ...मेरे बदन मे आग लगी है...वो भी तुम्हारी वजह से....

मैं- तो जाओ अकरम के पास और बुझा लो आग....और हाँ... मैने क्या किया...

रूही(मुस्कुरा कर)- क्या बुझा लूँ...तुम्हारा फरन्ड तो किस करके छोड़ देता है ...बहुत सरीफ़ बनता है...और ये सब तब हुआ जब तुमने अपना वो दिखा दिया....

मैं- कब दिखाया...

रूही- ज़िया के साथ.....

मैं(बीच मे)- बस...एक शब्द नही...जाओ...ये नही हो सकता...

रूही- क्यो नही...ये तो बताओ मुझे...क्या कमी है मुझ मे...

मैं- कोई कमी नही...पर भूलो मत तुम मेरे फरन्ड की गर्लफ्रेंड हो...और मैं उसे धोखा नही दे सकता....जाओ अब...

रूही(खड़ी हो कर)- ह्म्म..जाती हूँ..पर फिर आउगि ..और हाँ ...क्या कह रहे थे धोके के बारे मे....ज़िया के साथ वो सब कर के धोखा ही दे रहे हो...समझे...

रूही चली गई और मेरे दिमाग़ मे आग लगा गई...उसकी बात भी सच थी...

मैं उसकी दीदी को चोद कर उसे धोखा तो दे ही चुका था...फिर रूही को क्यो नही चोद सकता....धोखा तो दे ही रहा हूँ......


फिर मैने अपने आप से कहा कि ये छोड़ो और सोने चलो...माइंड को शांति मिलेगी...

मैं उपर पहुच गया...पर इससे पहले कि रूम मे एंटर होता मुझे सिसकारियों की आवाज़ आने लगी....

मैं(मन मे)- ये तो चुदाई के टाइम की सिसकी है...पर यहाँ कौन है...??

मैं आवाज़ के पीछे गया और उपेर के लास्ट रूम मे पहुच गया....जिसमे नोकरानि रुकी हुई थी...

मैने गेट को खोलने की कोसिस की बट खुला नही...फिर मुझे याद आया कि सारे गेट मे सेम की लगती है ...तो मैं अपने रूम से की लाया और गेट को आराम से ओपन कर के अंदर देखा...

अंदर का नज़ारा देख कर ही मेरा लंड अकड़ने लगा....

मैं(मन मे)- ह्म्म...लगे रहो....रूम किसी और का और मज़े किसी और के...चलो एंजोई करो...मैं चला सोने....

और मैने गेट लगाया और रूम मे जाने लगा तभी पीछे से मुझे किसी ने पकड़ लिया...और मैं शॉक्ड रह गया.....
मैने अपने आप को छुड़ा कर पलट के देखा तो रूही खड़ी हुई मुस्कुरा रही थी...

मैं(गुस्से मे)- पागल हो गई क्या...ये क्या हरक़त है...

रूही- क्यो..डर गये क्या...??

मैं- बात डरने की नही...तुम क्यो आई...

रूही- तुम जानते हो...

मैं(झल्ला कर)- चाहती क्या है तू...

रूही- ये भी तुम्हे पता है...

मैं- देखो रूही...ये ग़लत है....

रूही- कुछ ग़लत नही...जिस्म की भूख मिटाना सही होता है...

मैं- हाँ...पर हर किसी के साथ नही...तुम अकरम को बोलो ना...

रूही- वो नही मानेगा....तुम ही मान जाओ...

मैं- नही...मैं अपने दोस्त को धोखा नही दूँगा...

रूही- वो तो तुम दे ही रहे हो...उसकी दीदी को चोद कर...

मैं- रूही...बस करो...भूल जाओ सब...

रूही- नही...ना मैं भूलूंगी और ना तुम्हे भूलने दुगी...

मैं- समझती क्यो नही...ज़िया खुद मेरे पास आई थी...इट वाज़ आन आक्सिडेंट...

रूही- तो मैं भी तो अपने आप आई...एक आक्सिडेंट और सही...

मैं- बस...बहुत हुआ..जाओ और सो जाओ...

रूही- अभी जाती हूँ...तुम रात को सोच लेना...या तो मेरा साथ दो या फिर तैयार हो जाना..अपने दोस्त के सामने शर्मिंदा होने...मैं सबको बता दुगी...

मैं- ऐसा कुछ मत करना...उसकी फॅमिली को पता चला तो वो बिखर जायगे...बहुत सरीफ़ है वो लोग...

रूही- अच्छा...उनकी सराफ़त तो पास वाले रूम मे देख ली मैने...क्या सराफ़त है ...

मैं(चौंक कर)- व्हाट...तुमने...कब...??

रूही- ये छोड़ो...तुम मेरे बारे मे सोचो...एक रात है तुम्हारे पास...गुड नाइट...

रूही मुझे टेन्षन देकर निकल गई और मैं भी रूम मे आ गया....

रूम मे आते ही मैं सोफे पर लेट गया और एक बार फिर मेरे दिल और दिमाग़ मे जंग छिड़ गई.....

एक तरफ दिल कह रहा था कि रूही ग़लत है...उसकी माँग भी ग़लत है...मुझे उससे दूर रहना चाहिए...

पर दिमाग़ कह रहा था कि इसमे हर्ज ही क्या है..गरम माल खुद चल कर मेरे पास आ रहा है तो ना क्यो बोलू....

फिर दिल ने कहा कि रूही के साथ दूसरा रिस्ता बनाना अपने दोस्त को धोखा देना होगा...नही-नही उसके साथ कुछ नही...

पर दिमाग़ ने फिर टोका और कहा कि ...बात धोखे की है तो वो तो मैं दे ही चुका...उसकी दीदी को चोद कर....तो अब गर्लफ्रेंड को चोदने से क्या फ़र्क पड़ेगा...

फिर दिल ने कहा कि नही...ज़िया की बात अलग है...वो खुद चूत खोल कर आई थी...

तो दिमाग़ बोला ...तो क्या...रूही भी खुद आ रही है...

काफ़ी देर की कस्मकस के बाद मैने 2 पेग और लगाए और दिल और दिमाग़ ..दोनो को शांत किया और फिर नीद की आगोश मे चला गया.....
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RE: चूतो का समुंदर - by sexstories - 06-07-2017, 11:47 AM

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