Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-07-2017, 11:47 AM,
RE: चूतो का समुंदर
नाश्ता करने के बाद हमारी जाने की तैयारी हुई और एक बार फिर से हम बस के सफ़र पर निकल गये..... 

हम लोग अभी आगे शीट पर ही बैठे थे पर रूही मुझे लगातार घूरे जा रही थी...

दूसरो तरफ जूही भी मुझे चोर नज़रों से देख रही थी....


वही शादिया अब भी मुझे लेकर टेन्षन मे थी...उसे मुझसे कई सवाल जो पूछने थे....

वही ज़िया बिल्कुल मेरी कुतिया की तरह हरक़त कर रही थी...कभी.मुझे देख कर आँख मारती तो कभी अपना बूब्स खुद ही दबा देती....

मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं इन चूतो के बीच फस गया हूँ...

धीरे-2 करके सब कॅबिन मे जाने लगे...

अकरम और संजू को अभी भी रात की मदहोशी थी तो वो जाकर सो गये....

बाकी सब भी चले गये सिर्फ़ मैं शीट पर बैठा रहा और आगे वाली शीट पर वसीम और सरद थे...

तभी रूही मेरे बाजू मे आई और इसारे से पीछे वाले कॅबिन मे आने को कहा....

मैं उसका मक़सद तो जानता ही था...और अब मैने ये भी सोच लिया था कि जो होना है वो हो जाने दो...मैं पीछे नही हटूँगा...


और रही बात अकरम की तो ज़िया को छोड़ कर उसे धोखा दे ही दिया तो अब रूही भी सही...

और रूही के जाने के बाद मैं भी उठा और सबको देखते हुए लास्ट कॅबिन मे चला गया.....

वहाँ रूही तो पहले से ही इंतज़ार मे थी....

रूही ने शीट्स को फोल्ड करके बेड की तरह बना लिया था और अपने पैर फैला कर बैठी हुई थी...

मैं भी जाकर रूही के सामने पैर मोड़ कर बैठ गया....

मैं- हाँ...क्या हुआ...??

रूही- तुम्हारा टाइम ख़त्म हो गया....अब बोलो क्या सोचा...??

मैं(अंजान बन कर)- किस बारे मे...??

रूही- बस भी करो...सब जानते हो फिर क्यो पूछ रहे हो...

मैं- देखो...मेरी बात सुनो..

रूही(बीच मे)- बस...अब नही...मुझे बस आन्सर चाहिए...एस ऑर नो...

मैं- ओके...यस...लेकिन..

रूही- अब क्या...???

मैं- मेरी कुछ शर्ते है....

रूही- ह्म्म...मुझे मंजूर है...

मैं- क्या...बिना सुने ही...

रूही- ह्म्म..जब मैं तुम्हे सब कुछ देने को तैयार हो गई तो फिर क्या प्राब्लम हो सकती है मुझे...

मैं- पर फिर भी...सुन तो लो...

रूही- ह्म्म..बोलो...

मैं- पहली शर्त ये है की तुम अकरम को नही छोड़ोगी...उसके साथ अपना रिश्ता पहले की तरह ही निभाओगी...

रूही- ये तो मैं तुम्हारे कहे बिना भी करती...मैं उसे सच्चा प्यार करती हूँ...

मैं- तो फिर मेरे साथ ये सब...

रूही(बीच मे)- सिर्फ़ मज़े के लिए..और हाँ इस बात पर बहुत बहस हो चुकी..अब काम की बात करे...

मैं- तुम नही मनोगी...हाँ...

रूही- ह्म्म्म ...तो यही थी तुम्हारी शर्त...

मैं- हाँ..पर और भी है...

रूही- तो बोलो ना...

मैं- दूसरी शर्त ये है कि तुम्हे मेरी रंडी बनना होगा...

रूही- व्हाट...क्या कह रहे हो...

मैं- जो तुमने सुना...मैं जिसे भी चोद्ता हूँ...उसे रंडी बना कर ही चोद्ता हूँ...अब बोलो..

रूही- ह्म..ठीक है...मैं तैयार हूँ...

मैं(मन मे)- साली ने हाँ बोल दिया...कमीनी है सच मे...

रूही(मुस्कुरा कर)- क्या हुआ..तुमने क्या सोचा..मैं डर कर पीछे हट जाउन्गी...

मैं- ह्म..नही..ऐसी बात नही...मैं सच मे सब को रंडी की तरह चोदता हूँ...

रूही(मेरे करीब चेहरा ला कर)- तो बन गई तुम्हारी रंडी..अब आओ भी...

मैं-अच्छा...तुम सह पओगि...

रूही(पीछे टिक कर अपने पैर फैलाकर)- हाँ...इसमे बहुत दम है...(अपनी चूत की तरफ उंगली कर के)

फिर मैने अपने पैर को रूही की चूत पर रखा...फिर अंगूठे और उंगली से उसकी चूत को दबा दिया...

रूही- आऐईयईईई...

मैं- बस...इतना ही दम है..हाँ..

रूही- आजमा के देख लो...खुश हो जाओगे...

मैं(मुस्कुरा कर)- अब तो तुम्हे अपनी रंडी बनाना ही होगा...

रूही- तो अभी शुरू करे...

तभी ज़िया ने कॅबिन का परदा खोला...और मैने तुरंत अपना पैर हटा लिया....


ज़िया मेरे पैर को तो नही देख पाई पर उसने रूही की बात सुन ली थी...

ज़िया- क्या शुरू किया जा रहा है...???

ज़िया की बात से रूही परेसान हो गई और मुझे देखने लगी तभी मैने बात को संभाला....

मैं- अर्रे..वो मैं इसकी और अकरम की लव स्टोरी सुनाने का बोल रहा था...तो ये बोली की बाद मे बाते या अभी शुरू करे...

रूही- हाँ..हाँ मैं यही कह रही थी कि आप आ गई...

ज़िया- अच्छा...हाँ..रूही ..तुम्हे गुल बुला रही है...

रूही- ह्म्म्मे...चलिए...

ज़िया- तुम जाओ ..मुझे अंकित से कुछ बात करनी है..

रूही(उठते हुए)- ठीक है...आप कर लो...मैं बाद मे कर लूगी...

ज़िया- क्या..??

रूही- मतलब..आप अभी बात कर लो..मैं बाद मे इसे स्टोरी बता दूगी...

ज़िया- अच्छा...

रूही मुझे आँखे दिखा का गुस्से मे चली गई और ज़िया ने कॅबिन का परदा लगाया और मेरे उपेर चढ़ गई...

मैं- आहह..क्या कर रही हो...

ज़िया- कुतिया अपने मालिक को प्यार कर रही है...

और ज़िया अपनी जीभ निकाल कर मेरे होंठो पर फिराने लगी....

मैं- उउंम..बस कर कुतिया...अभी रुक जा...

ज़िया- नही रुक सकती...कुतिया को मार की ज़रूरत है...

मैं- मार की..

ज़िया- हाँ...अपने हथियार से मारो...तब मानेगी...

मैं- पर अभी सब जाग रहे है...

ज़िया- श्ीई....जागने दो...कोई नही आएगा यहाँ ...

मैं- कोई आ गया तो मरेगे...

ज़िया- नही...कोई नही आएगा...अब मार लो कुतिया की..जल्दी से...
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RE: चूतो का समुंदर - by sexstories - 06-07-2017, 11:47 AM

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