बहू नगीना और ससुर कमीना
06-10-2017, 10:13 AM,
#61
RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
अब सब लोग सोफ़े पर बैठे और मालिनी चाय बनाने चली गयी। राजीव पहले ही समोसे और जलेबियाँ ले आया था। वह उसे सजाने लगी, तभी सरला किचन में आयी और मालिनी से बोली: बेटी ख़ुश हो ना यहाँ? शिवा के साथ अच्छा लगता है ना? तुमको ख़ुश तो रखता है? 

मालिनी: उफ़्फ़ मम्मी आप भी कितने सवाल पूछ रही हो। मैं बहुत ख़ुश हूँ और शिवा मेरा पूरा ख़याल रखते हैं। 

सरला: चलो ये बड़ी अच्छी बात है। भगवान तुम दोनों को हमेशा ख़ुश रखे। 

मालिनी: चलो आप बैठो मैं नाश्ता लेकर आती हूँ। 

सरला भी उसकी मदद करते हुए नाश्ता और चाय लगाई। सब नाश्ता करते हुए चाय पीने लगे। 

सरला: शिवा कब तक आएँगे? 

राजीव: उसको आज जल्दी आने को कहा है आता ही होगा। 

मालिनी: मम्मी आपका सामान महक दीदी वाले कमरे में रख देती हूँ। ताऊ जी आपका सामान पापा जी के कमरे में रख दूँ क्या? 

राजीव: अरे बहु तुम क्यों परेशान होती हो, मैं भाभी का समान रख देता हूँ , चलो भाभी आप कमरा देख लो। और हाँ बहु तुम शिवा को फ़ोन करो और पूछो कब तक आ रहा है।आओ श्याम जी आप भी देख लो कमरा। 

तीनों महक वाले कमरे में सामान के साथ चले गए। मालिनी शिवा को फ़ोन करने का सोची। तभी उसे महसूस हुआ कि ये तीनों कमरा देखने के बहाने उस कमरे में क्यों चले गए। शायद मस्ती की शुरुआत करने वाले हैं। मुझे बहाने से अलग किया जा रहा है। ओह तो ये बात है , वह चुपचाप उस कमरे की खिड़की के पास आइ और हल्का सा परदा हटाई और उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं। 

सामने मम्मी पापा जी की बाहों में जकड़ी हुई थी और दोनों के होंठ चिपके हुए थे ।पापा जी के हाथ उसकी बड़ी बड़ी गाँड़ पर घूम रहे थे। ताऊ जी भी उनको देखकर मुस्कुरा रहा था और पास ही खड़ा होकर मम्मी की नंगी कमर सहला रहा था। फिर राजीव सरला से अलग हुआ और उसकी साड़ी का पल्ला गिराकर उसकी ब्लाउस से फुली हुई चूचियों को दबाने लगा और उनके आधे नंगे हिस्से को ऊपर से चूमने लगा। उधर श्याम उसके पीछे आकर उसकी गाँड़ सहलाए जा रहा था 

मालिनी की बुर गरम होने लगी और उसके मुँह से आह निकल गयी। तभी पापा जी ने कहा: अरे क्या मस्त माल हो जान। सच में देखो लौड़ा एकदम से तन गया है। 

मम्मी: आज छोड़िए अब मुझे, रात को जी भर के सब कर लीजिएगा। फिर हाथ बढ़ाके वह एक एक हाथ से पापा और ताऊ के लौड़े को पैंट के ऊपर से दबाते हुए बोली: देखो आपकी भी हालत ख़राब हो रही है, और मेरी भी बुर गीली हो रही है। 

पापा नीचे बैठ गए घुटनो के बल और बोले: उफफफफ जान, एक बार साड़ी उठाके अपनी बुर के दर्शन तो करा दो। उफफफ मरा जा रहा हूँ उसे देखने के लिए। 

मालिनी एकदम से हक्की बक्की रह गयी और सोची कि क्या उसकी बेशर्म मॉ उनकी ये इच्छा भी पूरी करेगी। और ये लो मम्मी ने अपनी साड़ी और पेटिकोट उठा दिया। पापा की आँखों के सामने मम्मी की मस्त गदराई जाँघें थी जिसे वो सहलाने लगे थे। और उनके बीच में उभरी हुई बिना बालों की बुर मस्त फूली हुई कचौरी की तरह गीली सी दिख रही थी। पापा ने बिना समय गँवाये अपना मुँह बुर के ऊपर डाल दिया और उसकी पप्पियां लेने लगे। मम्मी की आँखें मज़े से बंद होने लगी। फिर उन्होंने पापा का सिर पकड़ा और ही वहाँ से हटाते हुए बोली: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ बस करिए। मालिनी आती होगी। 

पापा पीछे हटे और मालिनी की आँखों के सामने मम्मी की गीली बुर थी। तभी पापा ने उनको घुमाया और अब मम्मी के बड़े बड़े चूतर उसके सामने थे। मालिनी भी उनकी सुंदरता की मन ही मन तारीफ़ कर उठी। सच में कितने बड़े और गोल गोल है। पापा ने अब उसके चूतरों को चूमना और काटना शुरू कर दिया। मम्मी की आऽऽहहह निकल गई। फिर पापा ने जो किया उसकी मालिनी ने कभी कल्पना नहीं की थी। पापा ने उसकी चूतरों की दरार में अपना मुँह डाला और उसकी गाँड़ को चाटने लगे।उफफगग ये पापा क्या कर रहे हैं ।मम्मी भी हाऽऽऽय्यय कर रही थी। फिर वह आगे बढ़के उससे अपने आप को अलग की और अपनी साड़ी नीचे की और बोली: बस करिए आप नहीं तो मैं अभी के अभी झड़ जाऊँगी। उफफफफ आप भी पागल कर देते हो। 

पापा उठे और अपने लौड़े को दबाते हुए बोले: ओह सच में बड़ी स्वाद है तुम्हारी बुर और गाँड़ । वाह मज़ा आ गया। 
मम्मी: आप दोनों ऐसे तंबू तानकर कैसे बाहर जाओगे। मालिनी क्या सोचेगी। आप दोनों यहाँ रुको और थोड़ा शांत होकर बाहर आना । यह कहते हुए मम्मी ने बड़ी बेशर्मी से अपनी बुर को साड़ी के ऊपर से रगड़ी और बाहर आने लगी। मालिनी भी जल्दी से किचन में घुस गयी। उसकी सांसें फूल रही थी और छातियाँ ऊपर नीचे हो रहीं थीं। उसकी बुर गीली हो गयी थी। तभी सरला अंदर आइ और मालिनी उसे देखकर सोची कि इनको ऐसे देखकर कोई सोच भी नहीं सकता कि ये औरत अभी दो दो मर्दों के सामने अपनी साड़ी उठाए नंगी खड़ी थी और अपनी बुर और गाँड़ चटवा रही थी। 

सरला: बेटी शिवा से बात हुई क्या? कब आ रहा है वो? कितने दिन हो गए इसे देखे हुए? 

मालिनी: हाँ मम्मी अभी आते होंगे। दुकान से निकल पड़े हैं। 

तभी शिवा आ गया और उसने सरला के पाँव छुए। तभी राजीव और श्याम कमरे से बाहर आए और ना चाहते हुए भी मालिनी की आँख उनके पैंट के ऊपर चली गयी और वहाँ अब तंबू नहीं तना हुआ था। उसे अपने आप पर शर्म आयी कि वह अपने ताऊजी और ससुर के लौड़े को चेक कर रही है कि वो खड़े हैं कि नहीं! छी उसे क्या हो गया है, वह सोची। 

फिर सब बातें करने लगे और शिवा के लिए सरला चाय बना कर लाई। शिवा: मम्मी आप बहुत अच्छी चाय बनाती हो, मालिनी को भी सिखा दो ना। 

मालिनी ग़ुस्सा दिखाकर बोली: अच्छा जी , अब आप ख़ुद ही चाय बनाइएगा अपने लिए। 

सब हँसने लगे। राजीव: शिवा मुझे तो बहु के हाथ की चाय बहुत पसंद है। वैसे सिर्फ़ चाय ही नहीं मुझे उसका सब कुछ पसंद है। पता नहीं तुमको क्यों पसंद नहीं है। 

सरला चौक कर राजीव को देखी और सोचने लगी कि राजीव ने मालिनी के बारे में ऐसा क्यों कहा? 

शिवा: अरे पापा जी, मालिनी को मैं ऐसे ही चिढ़ा रहा था। 

फिर सब बातें करने लगे और फिर राजीव ने कहा: चलो डिनर पर चलें? 

शिवा: जी पापा जी चलिए चलते हैं, मैं थोड़ा सा फ़्रेश हो लेता हूँ। 

सरला: हाँ मैं भी थोड़ा सा फ़्रेश हो आती हूँ। 

राजीव: चलो श्याम, हम भी तय्यार हो जाते हैं।

इस तरह सब तय्यार होने के लिए चले गए।
राजीव और श्याम सबसे पहले तय्यार होकर सोफ़े पर बैठ कर इंतज़ार करने लगे। तभी सरला आयी ।उसके हाथ में एक पैकेट था। और एक बार फिर से दोनों मर्दों का बुरा हाल हो गया। वह अब टॉप और पजामा पहनी थी। उफफफ उसकी बड़ी चूचियाँ आधी टॉप से बाहर थीं। उसने एक चुनरी सी ओढ़ी हुई थी ताकि चूचियाँ जब चाहे छुपा भी सके। वह मुस्कुराकर अपनी चूचियाँ हिलायी और एक रँडी की तरह मटककर पीछे घूमकर अपनी गाँड़ का भी जलवा सबको दिखाया। सच में टाइट पजामे में कसे उसके चूतर मस्त दिख रहे थे अब वह हँसकर अपनी चुन्नी को अपनी छाती पर रख कर अपनी क्लिवेज को छुपा लिया। 

राजीव: क्या माल हो जान।वैसे इस पैकेट में क्या है?

सरला: मेरी बेटी के लिए एक ड्रेस है। उसे देना है। 

फिर वह मालिनी को आवाज़ दी: अरे बेटी आओ ना बाहर । अभी तक तुम और शिवा बाहर नहीं आए। 

शिवा बाहर आया और बोला: मम्मी जी मैं आ गया। आपकी बेटी अभी भी तय्यार हो रही है। 

सरला: मैं जाकर उसकी मदद करती हूँ । यह कहकर वह मालिनी के कमरे में चली गयी। वहाँ मालिनी अभी बाथरूम से बाहर आयी और मम्मी को देखकर बोली: आप तय्यार हो गयी ? इस पैकेट में क्या है? 

सरला: तेरे लिए एक ड्रेस है। चाहे तो अभी पहन ले। सरला ने अब अपनी चुनरी निकाल दी थी। 

मालिनी उसके दूध देख कर बोली: मम्मी आपकी ये ड्रेस कितनी बोल्ड है। आपको अजीब नहीं लगता ऐसा ड्रेस पहनने में ? 

सरला: अरे क्या बुड्ढी जैसे बात करती हो ? थोड़ा मॉडर्न बनो बेटी। देखो ये ड्रेस देखो जो मैं लाई हूँ। 

मालिनी ने ड्रेस देखी और बोली: उफफफ मम्मी ये ड्रेस मैं कैसे पहनूँगी? पापा और ताऊ जी के सामने? पूरी पीठ नंगी दिखेगी और छातियाँ भी आपकी जैसी आधी दिखेंगी। ओह ये स्कर्ट कितनी छोटी है। पूरी मेरी जाँघें दिखेंगी। मैं इसे नहीं पहनूँगी। 

सरला: चल जैसी तेरी मर्ज़ी। तुझे जो पहनना है पहन ले, पर जल्दी कर सब इंतज़ार कर रहे हैं। 

मालिनी ने अपने कपड़े निकाले। उसने अपना ब्लाउस निकाला और दूसरा ब्लाउस पहनना शुरू किया। सरला उसकी चूचियाँ ब्रा में देखकर बोली: बड़े हो गए हैं तेरे दूध। ३८ की ब्रा होगी ना? लगता दामाद जी ज़्यादा ही चूसते हैं। यह कहकर वह हँसने लगी ।

मालिनी : छी मम्मी क्या बोले जा रही हो। वैसे हाँ ३८ के हो गए हैं। फिर उसने अपनी साड़ी उतारी और एक पैंटी निकाली और पहनने लगी पेटिकोट के अंदर से। 

सरला: अरे तूने पुरानी पैंटी तो निकाली नहीं? क्या घर में पैंटी नहीं पहनती? 

मालिनी शर्म से लाल होकर: मम्मी आप भी पैंटी तक पहुँच गयी हो। कुछ तो बातें मेरी पर्सनल रहने दो। 

सरला: अरे मैंने तो अब जाकर पैंटी पहनना बंद किया है, तूने अभी से बंद कर दिया? वाह बड़ा हॉट है हमारा दामाद जो तुमको पैंटी भी पहनने नहीं देता। 

मालिनी: मामी आप बाहर जाओ वरना मुझे और देर जो जाएगी। सरला बाहर चली गयी। साड़ी पहनते हुए वो सोची कि उसने पैंटी पहनना पापाजी के कहने पर छोड़ा या शिवा के कहने पर? वह मुस्कुरा उठी शायद दोनो के कहने पर। 

तय्यार होकर वो बाहर आयी। साड़ी ब्लाउस में बहुत शालीन सी लग रही थी। सरला ने भी अभी चुनरी लपेट रखी थी। 

राजीव: तो चलें अब डिनर के लिए। सब उठ खड़े हुए और बाहर आए। 

शिवा: पापा जी मैं कार चलाऊँ? 

राजीव: ठीक है । श्याम आप आगे बैठोगे या मैं बैठूँ? 

श्याम: मैं बैठ जाता हूँ आगे। आप पीछे बैठो । 

अब राजीव ने सरला को अंदर जाने को बोला। सरला अंदर जाकर बीच में बैठ गयी। मालिनी दूसरी तरफ़ से आकर बैठी और राजीव सरला के साथ बैठ गया। तीनों पीछे थोड़ा सा फँसकर ही बैठे थे। सरला का बदन पूरा राजीव के बदन से सटा हुआ था। राजीव गरमाने लगा। जगह की कमी के कारण उसने अपना हाथ सरला के कंधे के पीछे सीट की पीठ पर रखा और फिर हाथ को उसके कंधे पर ही रख दिया और उसकी बाँह सहलाने लगा। उसका हाथ साथ बैठी मालिनी की बाँह से भी छू रहा था। मालिनी ने देखा तो वह समझ गयी कि अभी ही खेल शुरू हो जाएगा। रात के ८ बजे थे ,कार में तो अँधेरा ही था। तभी राजीव ने सरला की बाँह सहलाते हुए उसकी चुन्नी में हाथ डाला और उसकी एक चूचि पकड़ ली और हल्के से दबाने लगा। मालिनी हैरान होकर उसकी ये हरकत देखी और उसने सरला को राजीव की जाँघ में चुटकी काटकर आँख से मना करने का इशारा करते भी देखी। पर वो कहाँ मानने वाला था। अब उसने मालिनी की बाँह में हल्की सी चुटकी काटी और फिर से उसे दिखाकर उसकी मम्मी की चूचि दबाने लगा और उसने मालिनी को आँख भी मार दी। 
[url=http://rajsharmastories.com/viewtopic.php?f=12&t=7668#top][/url]
Reply


Messages In This Thread
RE: बहू नगीना और ससुर कमीना - by sexstories - 06-10-2017, 10:13 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,498,664 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 544,087 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,230,456 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 930,771 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,652,007 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,079,081 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,948,758 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,047,963 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,028,905 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 284,627 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 11 Guest(s)