बहू नगीना और ससुर कमीना
06-10-2017, 10:13 AM,
#62
RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
मालिनी परेशान होकर खिड़की से बाहर देखने लगी। अब राजीव ने थोड़ी देर बाद सरला का हाथ लेकर अपने लौड़े पर रखा और सरला उसे दबाने लगी। फिर वह अपना हाथ सरला की चूचि से हटा कर मालिनी की बाँह सहलाने लगा। मालिनी चौंक कर पलटी और उसकी आँख सरला के हाथ पर पड़ी जो कि राजीव के पैंट के ज़िपर पर थी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मम्मी भी ना,कितनी गरमी है इनमे अभी भी। तभी राजीव का हाथ उसकी चूचि पर आ गया। वह धीरे से उसको घूरी और उसका हाथ हटाते हुए बोली: पापा जी जगह कम पड़ रही है तो मैं टैक्सी में आ जाती हूँ। 

सरला ने झट से अपना हाथ हटा लिया।

शिवा: क्या हुआ? आप लोग आराम से नहीं हो क्या?

राजीव: अरे नहीं बेटा, सब ठीक है। मैं ज़रा हाथ फैलाकर बैठा तो बहु को लगा कि मैं आराम से नहीं बैठा हूँ। सब ठीक है तुम गाड़ी चलाओ। वो मालिनी को आँख मारते हुए बोला। 

फिर थोड़ी देर बाद उसने सरला का हाथ अपने लौड़े पर रख दिया जिसे वो दबाने लगी। और वह सरला की दोनों चूचि बारी बारी से दबाने लगा। मालिनी ने देखा और फिर खिड़की से बाहर देखने लगी। उसने सोचा कि जब वो दोनों इसमें मज़ा ले रहे हैं तो वो भला इसमें क्या कर सकती है। 

थोड़ी देर में वो एक शानदार रेस्तराँ में पहुँचे। शिवा और श्याम बाहर आए और मालिनी और सरला भी बाहर आ गए। राजीव अपनी पैंट को अजस्ट किया कि क्योंकि उसकी पैंट का तंबू ज़रा ज़्यादा ही उभरा हुआ दिख रहा था। वो भी वहाँ हाथ रखकर बाहर आया। ख़ैर डिनर टेबल तक पहुँचते हुए उसका लौड़ा थोड़ा शांत हो गया था। 

टेबल गोल थी। राजीव के बग़ल में सरला बैठी और उसकी बग़ल में श्याम बैठा। उसकी बग़ल में शिवा और फिर मालिनी बैठी। मालिनी के बग़ल में एक कुर्सी ख़ाली थी। 

राजीव: श्याम थोड़ा सा ड्रिंक चलेगा? 

श्याम: यार परिवार के साथ अटपटा लगता है। 

राजीव: अरे इसने अटपटा की क्या बात है? सब अपने ही तो हैं। बोलो सरला, अगर हम पिएँ तो तुमको कोई आपत्ती है क्या?

सरला: मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। शिवा से पूछ लीजिए। 

शिवा: पापा जी लीजिए ना जो लेना है। और उसने वेटर को आवाज़ दी। 

राजीव ने उसे दो पेग व्हिस्की लाने को कहा। फिर उसके जाने के बाद श्याम बोला: शिवा अभी तक लेनी शुरू नहीं की क्या?

शिवा: ताऊ जी कॉलेज में एक दो बार लिया था। पर आप लोगों के सामने हिचक होती है। 

राजीव: अरे बेटा अब तुम जवान हो गए हो। इसमें हिचकना कैसा? चलो तुम्हारे लिए भी मँगाते हैं। पर बेटा, इसको कभी भी आदत नहीं बनाना। कभी कभी ऐसे अवसरों पर चलता है। 

फिर वह सरला से बोला: भाभी आप भी वाइन ट्राई करो ना। आजकल बहुत आम बात है लेडीज़ का वाइन पीना। 

श्याम: हाँ सरला ले लो ना वाइन। यह तो सभी औरतें आजकल लेती हैं। बोलो मँगाए क्या? 

सरला हँसकर : मैंने तो आज तक कभी ली नहीं है। मेरे दामाद जी बोलेंगे तो लूँगी नहीं तो नहीं लूँगी। 

शिवा हँसकर: मम्मी जी आप भी ट्राई करिए ना।फिर मालिनी से बोला: मालिनी तुम भी लो ना थोड़ी सी वाइन। 

मालिनी: ना बाबा , मुझे नहीं लेना है। मम्मी को लेना है तो ले लें। 

राजीव ने वाइन भी मँगा ली। मालिनी के लिए कोक मँगाया। 

अब सबने चियर्स किया और पीने लगे। सरला: ये तो बहुत स्वाद है। मालिनी तू भी एक सिप ले के देख। 

मालिनी ने थोड़ी देर विरोध किया पर जब शिवा भी बोला: अरे क्या हर्ज है एक सिप तो ले लो। तो वो मना नहीं कर पाई और मम्मी की वाइन के ग्लास से एक सिप ली। 

सरला: कैसी लगी? 

मालिनी: अच्छी है मम्मी। स्वाद तो ठीक है। 

फिर क्या था उसी समय राजीव ने मालिनी के लिए भी एक वाइन का ग्लास मँगा लिया। अब सब पीने लगे। क्योंकि सरला और मालिनी पहली बार पी रहे थे जल्दी ही उनको नशा सा चढ़ने लगा। सभी जोक्स सुनाने लगे और ख़ूब मस्ती करने लगे। जल्दी ही पीने का दूसरा दौर भी चालू हुआ। मालिनी ने मना कर दिया कि और नहीं पियूँगी। पर राजीव ने उसके लिए भी मँगा लिया। 

दूसरे दौर में तो शिवा को भी चढ़ गयी। अब वो भी बहकने लगा। मालिनी ने अपना दूसरा ग्लास नहीं छुआ। बाक़ी सब पीने लगे। अब अडल्ट्स जोक्स भी चालू हो गए और सब मज़े से थोड़ी अश्लील बातें भी करने लगे। मालिनी हैरान रह गयी जब शिवा ने भी एक अश्लील जोक सुनाया। 

सरला भी अब बहकने लगी थी। राजीव उसे बार बार छू रहा था और वह भी उसको छू रही थी। शिवा भी मालिनी को छू रहा था। मालिनी को बड़ा अजीब लग रहा था। वह बार बार उसकी जाँघ दबा देता था। 

तभी खाना लग गया। सब खाना खाने लगे। राजीव ने सरला को एक और वाइन पिला दी जो कि मालिनी ने भी पी थी। खाना खाते हुए अचानक राजीव अपने फ़ोन पर कुछ करने लगा और फिर मालिनी के फ़ोन में कोई sms आया । वह चेक की तो पापाजी का ही मेसिज था: बहु, चम्मच गिरा दो और उसे उठाने के बहाने टेबल के नीचे देखो । 

मालिनी ने राजीव को देखा तो उसने आँख मार कर नीचे झुकने का इशारा किया। मालिनी ने उत्सुकतावश नीचे चम्मच गिराया और उसको उठाने के बहाने से टेबल के नीचे देखी और एकदम से सन्न रह गयी। उसने देखा कि पापा जी की पैंट से उनका लौड़ा बाहर था और मम्मी की मुट्ठी में फ़ंसा हुआ था। श्याम ताऊजी का हाथ मम्मी की जाँघ पर था और वह काफ़ी ऊपर तक क़रीब बुर के पास तक अपने हाथ को ले जाकर मम्मी को मस्त कर रहे थे। 

मम्मी अपने अंगूठे से मोटे सुपाडे के छेद में अँगूठा फेर रही थी और लौड़े को बड़े प्यार से मूठिया रही थी। छेद के ऊपर एक दो प्रीकम भी चमक रहा था। अचानक मम्मी ने प्रीकम को अंगूठे में लिया और वहाँ से हाथ हटाइ। 
उफफफफ क्या हो गया है इन तीनों को? मालिनी सीधी हुई और राजीव ने फिर से आँख मारी। तभी मालिनी ने देखा कि सरला राजीव को दिखाकर अपना अँगूठा चूसी और प्रीकम चाट ली। मालिनी बहुत हैरान थी मम्मी के व्यवहार पर। फिर उसने सरला की चूचियों की ओर इशारा किया जो कि उसके टॉप से आधी नंगी दिख रही थी क्योंकि नशे के सुरूर में उसकी चुन्नी गले में थी। फिर उसने एक sms किया और मालिनी ने पढ़ा। लिखा था: शिवा को देखो , उसकी आँखें अपनी सासु मा की चूचियों पर बार बार जा रही हैं। 

मालिनी चौंकी और कनख़ियों से शिवा को देखी और सच में वह बार बार मम्मी की आधी नंगी चूचियों को देखे जा रहा था। उसे बड़ा बुरा लगा। पर वह कुछ बोल नहीं पायी एकदम से। फिर धीरे से वह उसे बोली: क्या कर रहे हो? मम्मी को क्यों घूर रहे हो? छी शर्म नहीं आती। 

शिवा झेंपकर: कुछ भी बोल रही हो? मैं कहाँ घूर रहा हूँ। 

मालिनी ने टेबल के नीचे से हाथ बढ़ाकर उसके लौड़े को चेक किया तो वो पूरा खड़ा था। वो फुसफुसाई : ये क्या है? आप मेरी मम्मी को गंदी नज़र से देख रहे हो और ये आपका खड़ा हथियार इस बात का सबूत है। 

शिवा: अरे नहीं जान ये तो बस ऐसे ही खड़ा हो गया है। आज रात को मज़ा करने का सोच कर। 

मालिनी: झूठ मत बोलो चलो घर आज तो आपसे मैं बात ही नहीं करूँगी ।

शिवा उसकी जाँघ दबाकर मुस्कुराया। फिर सबने खाना खाया। और राजीव ने बिल पे किया और सब उठ गए। सब हल्के नशे में थे। नशा शिवा और सरला को ही ज़्यादा हुआ था। शिवा ने बहुत दिन बाद पी थी और सरला ने पहली बार और वो भी तीन पेग वाइन पी ली थी। मालिनी की निगाह पापा जी के पैंट के सामने वाले भाग पर गई और वहाँ अभी भी तंबू बना था। फिर श्याम ताऊजी का भी थोड़ा फूला सा ही था वह हिस्सा और शिवा का भी खड़ा ही था। उफफफ आज इन मर्दों को क्या हो गया है। शिवा मुश्किल से चल पा रहा था। बाहर आकर श्याम बोला: गाड़ी मैं चलाउंगा। शिवा को तो चढ़ गयी है। शिवा उसके बग़ल में बैठकर सो गया। पीछे मालिनी के बैठने के बाद राजीव जल्दी से बीच में बैठ गया और सरला आख़िर में बैठी। 

मालिनी समझ गयी की पापा जी अब अपने कमीनेपन पर आ जाएँगे। रात के दस बज चुके थे और अंधेरे का फ़ायदा तो उसने उठाना ही था । वह सरला की चूचि के नंगे हिस्से को चूमने लगा। और खुलकर उसे दबाने लगा। उसका दूसरा हाथ मालिनी की जाँघ को सहला रहा था । मालिनी ने उसे हटाने की कोशिश की तो वो उसकी भी चूचि दबा दिया। मालिनी आऽऽऽह कर उठी। सरला जो नशे में आँख बंद करके मज़ा ले रही थी , आँख खोलकर पूछी: क्या हुआ बेटी? 

मालिनी: कुछ नहीं मम्मी। सिर टकरा गया था खिड़की से। 

राजीव मुस्कुराकर फिर से उसकी चूचि दबाया। मालिनी फुसफुसाई: आप हाथ हटा लो नहीं तो मैं चिल्ला दूँगी। 

राजीव अपने हाथ को हटाकर उसके गाल को चूमा और फुसफुसाया: बहु कब तक तड़पाओगी ? चलो छोड़ दिया। पर रात को अपनी मम्मी की चुदाई देखने आना। मैं एक खिड़की खुला छोड़ूँगा। देखना कितनी मस्त रँडी की तरह चुदवाएगी हम दोनों से । आओगी ना बहु रानी? 

मालिनी मुँह घुमाकर बाहर की ओर देखने लगी। उसने कोई जवाब नहीं दिया। फिर अचानक उसने महसूस किया कि उसकी बुर अब काफ़ी गीली हो चुकी थी। उसके निपल्ज़ भी कड़े हो चुके थे। हमेशा की तरह उसे अपने आप पर ग़ुस्सा आया कि वह क्यों इतनी उत्तेजित हो जाती है? 
तभी घर आ गया। और सब घर में पहुँचे। मालिनी ने देखा कि अब सिर्फ़ पापा जी का ही तंबू तना था बाक़ी शांत हो चुके थे। शिवा अपने कमरे में आया और अपने कपड़े उतारकर सो गया। जल्दी ही वह नशे के कारण सो गया। मालिनी ने भी अपने कपड़े बदले और नायटी पहनी और नीचे आदतन पैंटी और पेटिकोट भी नहीं पहनी। वह बाहर आके किचन में पानी लेने गयी। तभी सरला भी नायटी में आयी और मालिनी अपनी मम्मी को देखती ही रह गयी । उसके निपल्ज़ सिल्क नायटी से खड़े हुए साफ़ दिख रहे थे। वह नीचे भी कुछ नहीं पहनी थी। 

मालिनी: मम्मी आपने ब्रा उतार दी है क्या? 

सरला: हाँ बेटी मैं आजकल नायटी के नीचे कुछ नहीं पहनती। अब सोना ही तो है, पानी लेने आयी थी। 

मालिनी सोची कि कितना सफ़ेद झूठ बोल रही है। अभी पापा जी और श्याम से चुदेंगी ये रात भर। और क्या सती सावित्री बन रहीं हैं। 

फिर दोनों अपने अपने कमरों में चली गयीं।
मालिनी अपने कमरे में आकर शिवा को देखी तो वो नशे के मारे सो रहा था। वह सोचने लगी कि आज तो मम्मी की ज़ोर की बैंड बजने वाली है। पापा जी और ताऊ जी तो आज उनकी ज़बरदस्त चुदाई करेंगे। नशा तो उसने भी पहली बार किया था इसलिए वो भी थोड़ी सी भ्रम की स्तिथि में थी।उसे याद आया कि कैसे पापा जी का लंड मम्मी मूठिया रही थी और बाद में प्रीकम भी चाट लीं। उसकी बुर उन दृश्यों को याद करके पनियाने लगी। 
वह फिर से शिवा को देखी और अचानक उसकी बुर की खुजली उसके दिमाग़ पर हावी हो गयी और वह उठ खड़ी हुई और उसने मम्मी की चुदाई को देखने का निश्चय किया। पापा जी ने उसे कहा ही था कि वो एक खिड़की खुली रखेंगे ताकि वह अपनी मम्मी की चुदाई देख सके। वह बाहर की ओर जाने को निकली फिर रुक गयी और अपनी खिड़की से चुपचाप सरला के कमरे के दरवाज़े को देखने लगी। 
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RE: बहू नगीना और ससुर कमीना - by sexstories - 06-10-2017, 10:13 AM

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