बहू नगीना और ससुर कमीना
06-10-2017, 10:15 AM,
#71
RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
राजीव मालिनी को आँख मारा और लूँगी हटाकर उसके हाथ में अपना लौड़ा पकड़ा कर बोला: अरे नहीं मेरी बहु तो नगीना है। हाँ यहाँ वहाँ मुँह मैं भी मार लेता हूँ। पर बहु के बारे में ऐसा नहीं सोचा। मालिनी उसका लौड़ा सहलाते हुए सोची कि कितना झूठ बोल रहे हैं। इधर मेरे हाथ में लौड़ा दे दिए है और कहते हैं की बहु के बारे में गन्दा नहीं सोचते। 

डॉली: रहने दो अब तो भाभी भी नहीं है आपको रोकने वाली। अब तो आप महक को भी नहीं छोड़ोगे , बहु क्या चीज़ है। 

मालिनी चौक कर उसे देखी और वो उसके होंठ चूम लिया और बोला: अरे वो बाहर रहती है उसकी क्यों बात कर रही हो। वैसे अब तुम कभी आ जाओ तो पुरानी यादें ताज़ा हो जाएँगी। 

डॉली: मैं आऊँगी तो शिवा से भी चुदवाऊँगी । बोलो मंज़ूर है?

मालिनी अब चौकी और राजीव को देखी, वो बोला: तुम जानो और शिवा या उसकी बीवी जाने। मुझे इससे क्या। हाँ अगर तुम मेरी भांजी को लाओगी तो मैं ज़रूर उसे पटा कर चोद लूँगा।

मालिनी इन भाई बहन की बातों से बहुत हैरान हो गयी थी। 

डॉली: चलो कुछ प्रोग्राम बना तो बताऊँगी। बाई।

राजीव अब मालिनी को देखा तो वह उत्तेजित दिख रही थी। वह बोला: बहु , एक बार और चूस दूँ तुम्हारी बुर? 

मालिनी: नहीं नहीं पापा जी। ये सब ग़लत है। 

राजीव: अच्छा मेरे लौड़े को ही चूस दो प्लीज़। 

मालिनी ने अपने हाथ में रखे लौड़े को देखा और पता नहीं उसे क्या हुआ कि वह झुक कर उसे चूसने लगी। हालाँकि वो चूसने के मामले में अभी भी अनाड़ी थी, पर राजीव तो सिर्फ़ यह सोचकर कि आख़िर में उसकी बहु उसकी पकड़ में आने वाली है, वह बहुत गरम हो गया। वह अब उसके बदन में भी हाथ फेर रहा था और मस्त हुए जा रहा था।क़रीब २० मिनट की चुसाई के बाद वो उसके मुँह में आऽऽऽँहहह बेटीइइइइइइ करके झड़ने लगा। मालिनी उसका पूरा वीर्य पी गई। वो अभी भी उसका लौड़ा चूसती रही जब तक एक एक बूँद रस निकल नहीं गया। 

राजीव बहुत ख़ुश होकर बोला: आऽऽऽह बेटी मस्ती आ गयी तुमसे चूसवा कर। आज का दिन बहुत अच्छा है जब हम दोनों ने एक दूसरे के अंगों को चूस ही लिया। 

मालिनी चुपचाप जाकर वाशबेसिन में मुँह साफ़ की और अपने कमरे में चली गयी। वहाँ जाकर एक बार से वह आत्मग्लानि से भर गयी कि वो ऐसा कैसे कर सकती है। अपने पति को जो कि उससे बेइंतहा प्यार करता है को कैसे धोना दे सकती है।उसने सोच लिया कि जो हुआ सो हुआ । अब वो अपने ससुर को बिलकुल ही लिफ़्ट नहीं देगी। और उसके साथ कोई भी ग़लत काम नहीं करेगी और ना ही उसे करने देगी। यह सोचकर उसे तसल्ली हुई और वो शिवा को फ़ोन लगाने लगी। उसने शिवा को बताया कि पापा उसके लिए एक महँगी गिफ़्ट लाए है और उसके लिए भी एक बढ़िया घड़ी लाए हैं तो वो बहुत ख़ुश हुआ। शिवा से बात करके उसको अच्छा लगा और वह अपनी आत्मग्लानि से काफ़ी हद तक बाहर आ गई। अब उसका विश्वास और बढ़ गया कि अब तक उसके ससुर और उसके बीच में जो भी हुआ था ग़लत था और उसे ये सबको यहाँ ही रोकना पड़ेगा। उसने सोचा कि पता नहीं पापा जी उसके इस नए निर्णय को कैसे लेंगे। पता नहीं क्या नई मुसीबत खड़ी होगी उसके इस निर्णय से । वह थोड़ी चिन्ता में डूब गयी।
शाम को शिवा आया और उसके पापा ने उसे घड़ी उपहार में दी तो वो बोला: थैंक्स पापा जी बहुत सुंदर घड़ी है। पर कार का क्या फ़ैसला किए। 

राजीव: अरे बेटा सब कुछ तो तुम दोनों का ही है, वो भी बदल लेना। 

शिवा ख़ुश होकर अपने कमरे में आया और फिर सब कुछ रूटीन सा हुआ। 

अगले दिन सुबह मालिनी ने नायटी के नीचे पेटिकोट और पैंटी भी पहन ली। जब वो राजीव को चाय दी तो उसने उसकी गाँड़ पर हाथ फेरकर कहा: कैसी हो मेरी जान । रात कि चुदाई का सुनाओ। कितनी बार ठोका मेरा बेटे ने तुमको?
फिर उसे यह अहसास हुआ कि वो नायटी के नीचे बहुत कुछ पहनी है । तो वह बोला: ये क्या बेटी। आज नायटी के नीचे ये सब क्या पहन लिया? 

मालिनी: पापा जी मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूँ। 

राजीव अब भी उसकी गाँड़ में हाथ फेरकर बोला: बोलो बेटी। क्या बात है?

मालिनी उसका हाथ अपनी गाँड़ से हटाती हुई बोली: पापा जी, मैंने आपके और अपने रिश्ते के बारे में बहुत सोचा और फ़ैसला किया है कि अब मैं आपसे इस तरह का कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती। आप मेरे ससुर हैं बस मेरे लिए यही सच है और कुछ नहीं। 

राजीव हैरान होकर बोला: अरे बेटी, रात भर में ऐसा क्या हो गया? बताओ तो सही।

मालिनी: पापा जी कुछ नहीं हुआ। बस मुझे समझ में आ गया है कि मैं ग़लत रास्ते पर बहक रही थी और अपने पति अव धोका करने जा रही थी। बस इतना ही है और कुछ नहीं। 
फिर पापा जी सासु माँ भी तो इसके ख़िलाफ़ थीं। मैं भी उनके पद चिन्हों पर चलूँगी। रिश्तों की पवित्रता बनाए रखूँगी। 

राजीव उलझन में पड़कर बोला : क्या कह रही हो पता नहीं? अच्छा अगर तुमने ऐसा ही सोच लिया है तो यही सही। अब मैं तुमको तंग नहीं करूँगा। 

मालिनी फिर अपने कमरे से वो ईयरिंग ला कर राजीव को देते हुए कहा: पापा जी यह आप वापस लीजिए। मैं इसे नहीं रख सकती। 

राजीव मुस्कुरा कर बोला: यह मैं अपनी बहु को दिया था नाकि अपनी प्रेमिका को। ठीक है ना, ये तुम्हारे पास ही रहेगी। चलो सम्भाल लो। 
राजीव उसे वापस करके वहाँ से चला गया। अपने कमरे में आकर वो सोचा कि ये क्या गड़बड़ हो गयी? आख़िर सब बढ़िया चल रहा था और वह उसकी बुर चूस चुका था और अपना लौड़ा भी चुसवा लिया था उससे , फिर ये अचानक इतना बड़ा बदलाव क्यों और वो भी एकदम से । उसने सोचा कि चलो देखते हैं आगे आगे क्या होता है। 

उधर मालिनी सोचने लगी कि पता नहीं पापा जी इस इंकार को कैसे लेंगे? फिर वो शिवा को उठाई और चाय दी। नाश्ता भी शांति से गुज़रा और शिवा दुकान चला गया। मालिनी कमरे में जाकर नहाई और फिर किचन में जाकर कमला से काम करवाने लगी। मालिनी सोचने लगी कि पापा क्या फिर से अपनी दूसरी शादी करने की ज़िद करेंगे। फिर वह क्या करेगी? इसे शिवा की दुकान की रीमा की याद आइ और वो सोची कि उसका ससुर भी उसे ज़बरदस्ती चोद दिया था पर यहाँ पापाजी उसे दूसरी तरह से मजबूर करके चोदना चाहते हैं। बात तो एक ही थी। वहाँ शारीरिक जनरदस्ती थी रीमा के साथ और यहाँ पापा उसके साथ मानसिक ज़बरदस्ती कर रहे थे । 

वो सोच रही थी कि अभी तो नूरी है कुछ दिन पापा जी की प्यास बुझाने के लिए। उसके बाद क्या होगा? वो फिर से अपनी शादी की ज़िद करेंगे। उफफफ क्या मुसीबत है। 

उधर राजीव सोचने लगा कि क्या किया जाए अब आगे का। ये तो हाथ आया हुआ शिकार हाथ से निकला जा रहा था। फिर क्या उसे वही शादी का ड्रामा फिर से चलाना होगा? पता नहीं क्या किया जाए। उलझने थीं कि कम होने का नाम ही नहीं ले रही थीं। 

ससुर बहु में कोई बात नहीं हुई उस दिन। खाना भी चुप चाप खाए। थोड़ी देर में नूरी आयी और बच्चे को मालिनी के कमरे में सुला कर राजीव के कमरे में चली गयी और एक राउंड की चुदाई के बाद वो बोली: आज आप कुछ चुपचाप से लग रहे हो क्या बात है? 

वो: अरे कुछ ख़ास नहीं। 

नूरी: बताइए ना , शायद मैं कोई काम आ सकूँ। 

राजीव ने अब उसको बहु के बारे में सब कुछ बता दिया और बोला: सब कुछ बढ़िया चल रहा था, कि अचानक वो फिर से मुकर गयी चुदाई के लिए। कुछ समझ नहीं आया। 

नूरी मुस्कुराकर बोली: मुझे तो पहले से ही शक था कि आप दोनों के बीच कुछ चल रहा है, पर आप मानते ही नहीं थे। अच्छा मैं कोशिश करती हूँ। 

राजीव: तुम क्या करोगी ? 

नूरी: कोशिश करने में क्या हर्ज है। 

राजीव: पर तुम उसे यह पता नहीं चलने देना कि मैंने तुमको ये बता दिया है। 

नूरी मुस्कुराकर उसके लौड़े को सहला कर बोली: जानू इतना तो समझती हूँ। देखो मैंने अब तक आपको भी नहीं बताया है कि मैं भी अपने ससुर से फँसी हुईं हूँ। वो आपसे भी ६/७ साल बड़े हैं। और इस उम्र में भी मेरे पति से ज़्यादा मज़ा देते हैं। पर उनके वीर्य में बच्चा पैदा करने की शक्ति नहीं बची है। इसीलिए मैं वापस आपके पास आइ हूँ। 

राजीव: ओह, कबसे चुदवा रही हो उनसे? 

नूरी: पहले उनकी पोस्टिंग दूसरे शहर में थी पर रेटायअर होकर वो अब हमारे साथ ही रहते हैं। 

राजीव: और तुम्हारी सास का क्या? 

नूरी : उसे सब पता है और उसे इसमे कोई समस्या नहीं है। असल में ससुर की सेक्स ड्राइव बहुत ज़्यादा है और वह उसे झेल नहीं पाती। इसलिए वो ख़ुश है कि ससुर उसे भी ज़्यादा तंग नहीं करता और बाहर भी मुँह नहीं मारता।घर की बात घर में ही रहती है। मेरे सास और ससुर को पता है कि मैं आपसे यहाँ चुदवाने आयी हूँ बच्चा पाने के लिए। उनको पहले बच्चे के बारे में भी पता है कि उसका बाप भी उनका बेटा नहीं है। 

राजीव: ओह ये तो अनोखी बात बताई है तुमने। 

नूरी: मैं आपको यह बात नहीं बताती अगर आप अपनी बहु का क़िस्सा नहीं छेड़ते। चलिए मैं कोशिश करती हूँ। अभी मेरे पास कुछ दिन हैं। मैं थोड़ा समय मालिनी के साथ बिताती हूँ और फिर सेकंड राउंड के लिए आऊँगी। ठीक है मेरे जानू? 

राजीव उसकी चूचियाँ चूसकर बोला: ठीक है मेरी जान।

नूरी उठकर कपड़े पहनी और बाहर आकर मालिनी के कमरे में गयी। वहाँ मालिनी और उसका बेटा खेल रहे थे। 

नूरी: ये कब उठा? 

मालिनी: थोड़ी देर हुए उठा है। मैंने इसे दूध दे दिया है तबसे खेल रहा है। वह मालिनी की गोद में बैठे हुए एक खिलोने से खेल रहा था। 

नूरी: सच में तुम बहुत अच्छी लड़की हो जो मेरे लिए इतना कुछ कर रही हो। 

मालिनी: आज आप जल्दी आ गयी बाहर। क्या बात है? 

नूरी : अरे आज तो अंकल का मूड कुछ उखड़ा सा है। एक बार ही किए और लगता है कि पता नहीं दूसरा राउंड करेंगे भी कि नहीं। 

मालिनी अनजान बन कर: क्या हुआ ? उनकी तबियत तो ठीक है ना? 

नूरी : तबियत तो ठीक ही है। पर मूड सही नहीं है लगता है। 

तभी बच्चे ने मालिनी की छाती को पकड़ लिया और वहाँ कुर्ते में लगे एक मछली के आकार के छाप से खेलने लगा। मालिनी ने उसका हाथ वहाँ से हटाया तो वह ज़िद करके फिर उसकी छाती में हाथ मारा उस मछली के प्रिंट को पकड़ने के लिए।
नूरी हँसकर : नालायक वही करेगा जो कि इसके बड़े करेंगे। 

मालिनी: क्या मतलब?

नूरी हँसते हुए: अरे ये तुम्हारी छाती पकड़ रहा है ना, वैसे ही इसका पापा , दादा और दादी भी मेरी छातियाँ पकड़ते रहते हैं। आख़िर है तो उसी खानदान का । 

मालिनी हैरानी से : मतलब? क्या सब लोग आपकी छातियाँ पकड़ते हैं? ये कैसी बात हुई। 

नूरी : बड़ा अजीब खानदान है। सब मेरे पीछे पड़े रहते हैं दिन रात। ख़ासकर इसके दादा तो मेरे पीछे पागल ही हैं। 

मालिनी सकपका कर: क्या कह रही हो दीदी? मतलब आपके ससुर जी? 

नूरी : और क्या? वो तो मुझे दिन भर अपने से चिपटाए रहते हैं। और रात को इसका पापा । बस यही है मेरी ज़िन्दगी। तेरे ससुर तो बहुत अच्छे हैं जो हम जैसे बाहर वालों से मज़ा लेते हैं। मेरी सास तो कहती है कि उनका पति घर में चाहे जो कर ले पर बाहर वाली से मज़े नहीं ले सकता। 

मालिनी: ओह ये बड़ी अजीब बात है । सोचकर भी अजीब लगता है। इसका मतलब है कि आपकी सासु मा को पता है कि आपके ससुर आपके साथ ग़लत काम करते हैं? 

नूरी : उनको क्या पता होना है। अरे वही तो मुझे और ससुर जी को चुदाई के लिए मनाई थीं। 

मालिनी ने आश्चर्य से अपने मुँह पर हाथ रखा और बोली: हाय राम ! क्या कह रही हो? घोर कलयुग। इसके पहले कि कोई कुछ कहता राजीव आवाज़ दिया: नूरी ज़रा पानी लाना प्लीज़।

मालिनी ने नोटिस किया कि उन्होंने उसको आवाज़ नहीं दी बल्कि नूरी का नाम लिया। नूरी: जी लाई अंकल जी। 

वह उठी और बोली: पानी तो बहाना होगा । एक बार और चोदने का मूड बन गया होगा। मैं आती हूँ। वह आँख मारकर चली गई और मालिनी हैरान सी नूरी की कही बातों के बारे में सोचती रह गयी। 

जब नूरी दस मिनट तक वापस नहीं आइ तो मालिनी समझ गयी कि उनकी चुदाई चालू हो गयी होगी। उसका मन बोला कि चलो एक बार देख लेते हैं पर उसने अपने मन को समझाया कि अगर पापा जी ने देख लिया तो वो फिर से पीछे पड़ जाएँगे। उसने ख़ुद को कंट्रोल किया और बच्चे से खेलने लगी। 

उधर राजीव उसको चोदते हुए पूछा: कुछ बात हुई? 

नूरी ने नीचे से गाँड़ उछालके चुदवाते हुए कहा: आऽऽऽह हाँ हुई। हाय्य्य्य्य्य्य । मैंने बात शुरू की है। उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽऽऽ। 


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RE: बहू नगीना और ससुर कमीना - by sexstories - 06-10-2017, 10:15 AM

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