बहू नगीना और ससुर कमीना
06-10-2017, 10:16 AM,
#75
RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
राजीव झुका और उसके गाल को चूमकर बोला: बेटी, मुझे तो तुमसे एक ही चीज़ चाहिए और वो है ये। यह कहकर वो उसकी बुर पर सलवार के ऊपर से सहला दिया। 

मालिनी: उफफफफ पापा जी अभी तो इसको चूसा है आपने। अब फिर से वही चाहिए। 

राजीव: बेटी, चूसने और चोदने में बहुत फ़र्क़ है। जैसे चूसवाने में मज़ा आया है ना , वैसे ही एक बार चुदवा कर देख लो और भी ज़्यादा मज़ा आएगा मेरी रानी बेटी। वह अब भी उसकी बुर सहला रहा था। 

अब मालिनी उठी और बोली: पापा जी मुझे समय चाहिए प्लीज़ । मैं अभी भी मानसिक रूप से इसके लिए तय्यार नहीं हूँ। नूरी का पति उसको सेक्स का सुख नहीं देता और उसका वो भी पतला है और ना ही उसको माँ भी बना पाता है। इसलिए उसके पास कारण है पति से बात छिपाने का और उसे धोका देने का। पर पापा जी आप ही बताइए कि मेरे पास क्या कारण है शिवा को धोका देने का। वो तो मुझे पूरी तरह से संतुष्ट करते हैं ,उनका भी आपके जैसा ही बड़ा भी है, फिर क्यों धोका दूँ मैं उनको? सच में मैं बहुत ही उलझन में हूँ। प्लीज़ पापा जी अभी भी मैं तय्यार नहीं हूँ इसके लिए। 

राजीव: अच्छा एक बात बताओ , कि तुम मुझसे बुर चूसवाने का और मेरा लौड़ा चूसने का कार्यक्रम तो बंद नहीं करोगी। या यह भी बन्द कर दोगी? 

मालिनी: उफफफ पापा जी आप भी कैसे कैसे सवाल पूछते हैं। 

राजीव: बेटी, और क्या पूछूँ ? चुदवाने को तो तुम अब भी तय्यार नहीं हो तो यही सही? 

मालिनी: ठीक है पापा जी ये सब हम आगे भी करते रहेंगे। पर आप लिमिट क्रॉस नहीं करेंगे? ठीक है ना? 

राजीव: ठीक है बेटी, पर एक बात और है कि मैंने अब तेरी चूचियाँ नहीं देखी हैं। एक बार उनको दिखा दे और चुसवा ले। 

मालिनी: पापा जी वो बिलकुल नहीं हो सकता। असल में मेरी छातियाँ मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी है। अगर वो आपने नंगी करके दबायीं और चूसीं तो मैं इतना गरम हो जाऊँगी कि बिना चुदवाए रह ही नहीं पाऊँगी। और वो अभी मैं नहीं चाहती इस समय।इसलिए प्लीज़ आप मुझे इसके लिए मजबूर नहीं करिएगा। 

राजीव: ठीक है जैसा तुम चाहोगी बेटी वैसा ही होगा। पर इनको इस तरह से कपड़ों के ऊपर से तो सहला सकता हूँ ना? वो उसकी चूची दबाकर बोला ।

मालिनी अब मुस्कुरा कर बोली: ये तो आप करते है ही रहते हैं । चलिए अब चाय बनाती हूँ। मुझे उठने दीजिए ना। 

राजीव ने उसे छोड़ दिया और बोला: सच में बेटी, अब चाय पीने की बड़ी इच्छा हो रही है। चलो मैं भी तुम्हारी मदद करता हूँ। 

मालिनी हँसी और बोली: आप किचन में आए तो मुझे सब जगह से दबाएँगे। चाय तो बनाने नहीं देंगे। आप सोफ़े पर बैठिए मैं अभी चाय बनाकर लाती हूँ। 

राजीव हँसते हुए सोफ़े पर बैठा और चाय का इंतज़ार करने लगा। उसे लगा कि बात सही दिशा में जा रही है लगता है जल्दी ही काम बन जाएगा। 

उधर मालिनी चाय बनाते हुए सोच रही थी कि पापा जी को आज उसने जो छूट दी है उसका अंत क्या होगा? वो सोचने लगी कि वो क्या करे ? अगर पापा जी को चूस कर भी शांत नहीं किया तो वो फिर से दूसरी शादी की बात करेंगे। और वो ऐसा किसी भी क़ीमत पर होने नहीं दे सकती थी। उसका बदन भी पापा जी से मिलन के लिए लगभग तय्यार ही था बस उसकी अपराध भावना उसे चुदवाने से रोक रही थी। वो चाय बनाई और लेकर ड्रॉइंग रूम में आयी जहाँ उसका ससुर या आशिक़ उसका इंतज़ार कर रहा था।

मालिनी चाय लेकर आयी और राजीव को दी। दोनों आमने सामने बैठ कर चाय पीने लगे। 
राजीव: बेटी, नूरी तो लगता है कि तीन दिन में चली जाएगी। अब तक तो तुमको मैं मना नहीं पाया हूँ चुदवाने के लिए। अब क्या मैं तुम्हारी मम्मी सरला को बोल दूँ तीन दिनों के बाद जब भी सुविधा हो आ जाए एक हफ़्ते के लिए । क्या कहती हो? 

मालिनी सब समझ रही थी कि ये भी उसके ऊपर दबाव डालने का एक तरीक़ा है पापा जी का । पर वह सामने से बोली: आप देख लीजिए। ये तो आप दोनों के बीच की बात है । इसमें मैं भला क्या कह सकती हूँ। 

राजीव: पर अगर वो आ गयी तो मैं जो तुमसे अभी ओरल सेक्स कर रहा हूँ वो भी बंद हो जाएगा। 

मालिनी: तो क्या हुआ । मम्मी तो आपको ओरल के अलावा टोटल सेक्स भी देगी। आपको क्या फ़र्क़ पड़ेगा? 

राजीव: और तुमको कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा? 

मालिनी: पापा जी मेरे लिए शिवा है ना। आप क्यों उनको भूल जाते है। 

राजीव: हाँ है तो। पर तुम कहती हो ना कि मैं ही तुम्हारी बुर सबसे अच्छी चूसता हूँ। फिर क्या करोगी? 

मालिनी मुस्कुराकर: इंतज़ार करूँगी मम्मी के वापस जाने का। 

राजीव भी मुस्कुरा कर बोला: बड़ी बदमाश हो गयी हो। फिर से प्यार आ रहा है तुम पर। 

मालिनी हँसती हुई: आपका बस चले तो मुझे दिन भर ही प्यार करते रहें। पर मुझे बहुत काम है और अभी बाई आएगी और खाना भी बनाना है। ये कहकर वो किचन में चली गयी। 

उस शाम या रात को और कुछ ख़ास नहीं हुआ। रात को सामान्य चुदाई के बाद शिवा और मालिनी सो गए। 

सुबह उठकर मालिनी ने ब्रा पहनी और एक नयी स्लीवलेस नायटी पहनी। पेटिकोट उठाई पहनने के लिए , फिर शरारत से मन ही मन मुस्करायी और उसे नहीं पहनी। पैंटी तो मानो उसने पहनना ही छोड़ दिया था। उसने शीशे में अपने आप को देखा तो वह ख़ुद ही अपने रूप पर मुग्ध हो गयी। एक तो वैसे ही दूधिया गोरा बदन और उस पर से स्लीवलेस नायटी से उसकी गदराई बाँहें जैसे क़यामत ढा रही थीं। और इस नायटी से थोड़ा सा कलिवेज भी दिख रहा था। गोरे गोरे गोलाइयों की झलक बहुत ही कामुक दृश्य प्रस्तुत कर रही थी। वह सोची कि बेचारे पापा जी का आज क्या होगा? 

वो एक बार फिर से वाशरूम गयी और मूत कर अपनी बुर और गाँड़ को अच्छी तरह से धोयी। फिर उसे सुखाकर वह बाहर आकर किचन में जाकर चाय बनाई। 

चाय बनाकर वह आवाज़ दी: पापाजी आइए चाय बन गयी है। 

राजीव: बेटी, चाय आज यहीं दे दो। थोड़ा पैर में चोट लग गयी है। 

मालिनी चाय लाकर: क्या हुआ पापा जी ? चोट कैसे लगी? 

राजीव अभी ट्रैक सूट में ही था। वो बोला: बेटी, वॉक पर एक ऊँची नीची जगह में ठोकर लगी और गिर गया हूँ। थोड़ी सी छिल गयी है चमड़ी और कुछ नहीं। 

मालिनी हँसते हुए: ज़रूर लड़कियों को देख रहे होंगे इसलिए रास्ते से ध्यान हट गया होगा। 

राजीव: अरे बेटी, जिसके घर में तुमसी हसीन लड़की हो उसे बाहर देखने की क्या ज़रूरत है। वैसे आज ये नायटी तुम पर बहुत फ़ब रही है। वह उसकी नंगी बाँह सहला कर बोला। 

मालिनी: मैं डेटोल लाती हूँ आप बताइए कहाँ खरोंच लगी है। 

वह डेटोल लायी तब तक उसने अपनी क़मीज़ उतार दी थी और उसकी नंगी चौड़ी छाती उसके सामने थी जिसमें बाँह पर कुछ चोट के निशान थे। फिर उसने अपनी पैंट उतारी और अपनी चड्डी में आ गया। उसकी जाँघ और नीचे पिंडली पर भी चोट के 
निशान थे। 
राजीव अब चड्डी में था और चड्डी में से उसके बड़े बॉल्ज़ और आधा खड़ा लौंडा काफ़ी भरा हुआ से दिख रहा था और उसने रुई में डेटोल लिया और उसकी बाँह में लगाने लगी। वह बिस्तर पर बैठे हुए था। उसने हाथ बढ़ाकर मालिनी के मस्त चुतरों को सहलाया और बोला: बेटी , आज पेटिकोट नहीं पहना है इसलिए मस्त लग रहा है तुम्हारा पिछवाड़ा। उफफफ क्या नरम गाँड़ है। वह अब उसकी गाँड़ के छेद में ऊँगली डाल नायटी के ऊपर से बहुत ज़्यादा मस्त हो गया। 

मालिनी चुपचाप अपनी गाँड़ में ऊँगली करवा रही थी और अब उसकी जाँघ में भी दवाई लगाई और अब तो उसकी चड्डी में से उसका लौंडा खड़ा होकर अचानक उसकी चड्डी से बाहर आ गया। मोटा सुपाड़ा बाहर आकर बाहर झाँक रहा था और उसके छेद से एक बूँद प्रीकम भी दिख रहा था। अब मालिनी की बुर भी गीली होने लगी। 

राजीव: बेटी, जल रहा है, फूँक मारो ना। 

मालिनी हँसकर : क्या पापा जी आप भी बच्चों जैसे हल्ला मचा रहे हैं। वो फूँक मारने लगी। अब वो नीचे बैठी और उसकी पिंडलियों में दवाई लगाई और तभी नीचे बैठी मालिनी की छातियाँ बैठने के कारण उसके घुटनों में दबी और काफ़ी सारी छाती का गोरा मांसल हिस्सा बाहर झाँक रहा था। अब राजीव हाथ बढ़ाकर उसके छातियों के नंगे हिस्से को सहलाने लगा। वह उनको दबा भी दिया। मालिनी अब गरम होने लगी। वह झट से खड़ी हुई और अब राजीव ने उसका हाथ अपने लौंडे पर रख दिया। मालिनी भी मज़े से सुपाड़े को दबायी और उसकी प्रीकम को उसके सुपाड़े पर मलने लगी। फिर वह उसको अपनी गोद में खिंचा और उसकी छातियाँ दबाकर उसको चूम लिया। मालिनी हँसकर बोली: पापा जी ये क्या सुबह सुबह ही चालू हो गए। चलिए अभी छोड़िए ना, शिवा को भी उठाना है। प्लीज़ । 

राजीव : बाद में तो मज़ा दोगी ना? 

मालिनी: अच्छा अगर मैं नहीं दूँगी मज़ा ,बोलती हूँ तो आप क्या मानोगे। 

फिर वह हँसती हुई बोली: अच्छा अभी तो जाने दीजिए ना प्लीज़। 

राजीव : ठीक है बेटी, चलो जाओ पर आज थोड़ी मस्ती करेंगे ठीक है ना, शिवा के जाने के बाद। 

मालिनी बाहर जाते हुए बोली: वो तो आप करेंगे ही हा हा। 

अब मालिनी शिवा को चाय देकर उसको भी उठाई। वो पेट के बल लेटे हुए था। मालिनी के उठाने से वो सीधा हुआ और मालिनी के सामने उसका खड़ा लौंडा था। 

मालिनी: उसके लौंडे को दबा कर बोली: ये मॉर्निंग इरेक्शन है या सपने में किसी को चोद रहे थे? 

शिवा उसको अपने ऊपर खींच कर गिरा दिया और बोला: अरे जागते हुए और सपने में भी सिर्फ़ तुमको ही चोदता हूँ। 
अब दोनों एक दूसरे को चूमने लगे। फिर मालिनी हँसकर बोली: चलो अब उठो और नहाओ। 

शिवा: चलो ना साथ में नहाते हैं। 

मालिनी: इतवार को हम साथ में नहा लेंगे। आपकी छुट्टी के दिन। ठीक है चलिए अब आप तय्यार हो जाओ। 

शिवा उठके बाथरूम में चला गया। मालिनी किचन में जाकर बाई से काम करवाने लगी और नाश्ते की तय्यारी में लग गई। 

शिवा के जाने के बाद बाई भी काम करके चली गई और मालिनी भी एक तौलिए से अपना पसीना पोंछने लगी। तभी राजीव लूँगी और बनयान में आया तो वह थोड़ा सा लँगड़ा रहा था । वह बोला: बेटी, कोई दर्द कम करने की दवाई दो। पैर दुःख रहा है। 

मालिनी उठकर दवाई और पानी लाकर उसे दी जो वह खा लिया और मालिनी बोली: पापा जी डॉक्टर को दिखा दीजिए ना। 

राजीव: बेटी, ज़रा सरसों का तेल गरम कर दो ना। जाँघ में मालिश करना पड़ेगा। 

मालिनी तेल गरम करके लायी और नीचे ज़मीन पर बैठ गयी। उसने राजीव की लूँगी हटाई और उसकी जाँघ में तेल लगाने लगी। अब राजीव ने कहा: बेटी, लूँगी उतार देता हूँ वरना तेल लग जाएगा। यह कहकर उसने लूँगी निकाल दिया। 
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RE: बहू नगीना और ससुर कमीना - by sexstories - 06-10-2017, 10:16 AM

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