बहू नगीना और ससुर कमीना
06-10-2017, 10:20 AM,
#99
RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
राजीव ने सोचा कि इस पर अब कोई फ़ायदा नहीं बहस करने से । फिर मालिनी ने राजीव को डॉक्टर और नर्स के बीच में हुई बातों को भी बताया। तो राजीव हँसकर बोला: देखो वो डॉक्टर रोज़ दस बीस बुर देखता होगा। और उसने तुम्हारी बुर की इतनी तारीफ़ की है तो कोई तो बात है ना इसमे। वह साड़ी के ऊपर से ही उसकी बुर को दबाकर बोला।

दोनों घर पहुँचे तो मालिनी का फ़ोन बजा। उधर शीला थी : हाय मालिनी, कैसी हो? 

मालिनी: ठीक हूँ तुम कहाँ हो? 

शिला: अरे मैं तुम्हारे घर के पास ही आयी हूँ। तभी तुम्हारी याद आइ। अगर तुमको कोई परेशानी ना हो तो चाय पीने आ जाऊँ? 

मालिनी: हाँ हाँ आओ ना। मैं अपना पता sms करती हूँ। बाई।

राजीव : ये कौन है? मैं तो तुमसे मज़े लेना चाहता था। 

मालिनी: पापा ये वोहि रिज़ॉर्ट वाली लड़की है जो अपने ससुर से मज़ा ले रही थी। 

राजीव: ओह हाँ हाँ तुमने बताया था। चलो ठीक है हम भी मिल लेंगे। वो आँख मारते हुए बोला। 

मालिनी हँसकर : पापा आप भी ना छैला हो। यह कहकर वो उसके लंड को दबा दी और बोली: चेक कर रही हूँ कि खड़ा हो गया है क्या शीला का नाम सुनकर। फिर वो हँसने लगी। 

तभी घंटी बजी और मालिनी शीला को अंदर लायी। राजीव अभी अपने कमरे में ही था। सोफ़े पर बैठ दोनों बातें करने लगी। एक दूसरे के परिवार को जानने के बाद बातें शीला के पति पर आ गयीं। 

शीला रुआंसी होकर: मेरी तो कई बार इच्छा होती है कि आत्म हत्या कर लूँ। मेरे पति को मुझसे कोई मतलब नहीं है। महीनो बाहर ही रहते हैं। घर आते हैं तो भी मुझसे कोई सम्बन्ध नहीं रखते। कई बार तो मुझे लगता है कि वो गे है। अगर सास ससुर का ख़याल नहीं होता तो सच में मर चुकी होती अब तक। 

मालिनी: अरे ऐसा क्यों कहती हो? परेशानी तो जीवन में आती रहती है ।हमको उसका मुक़ाबला करना होता है। कम से कम तुमको सास ससुर तो अच्छे मिले हैं ।

शीला: हाँ वो दोनों बहुत अच्छे हैं । मालिनी सोची कि ससुर कितने अच्छें है वो तो मैं देख चुकी हूँ। मज़े से चोद रहे थे इसे। वो बोली: तुम बैठो मैं चाय लाती हूँ। 
शीला : चलो मैं भी किचन में ही चलती हूँ। 

मालिनी और शीला किचन में थीं तभी राजीव बाहर आया और उसको किचन से बात करने की आवाज़ें आने लगी। वह जाकर चुपचाप किचन के साइड में खड़ा हो गया और उनकी बातें सुनने लगा। 

मालिनी: तुम बोली ना कि तुम्हारा पति से कोई ख़ास शॉरीरिक सबँध नहीं बन पता। तो अपनी प्यास कैसे बुझाती हो? 

राजीव के कान मालिनी का प्रश्न सुनकर खड़े हो गए। 

शीला: वो वो अब क्या बताऊँ। बोलने में भी शर्म आती है। छोड़ो इन बातों को। 

मालिनी: अरे बताओ ना। मन की बात कहने से मन हल्का हो जाता है। 

शीला: ये मैं नहीं बता सकती। 

मालिनी: चलो मैं ही बता देती हूँ। मैंने तुमको उस दिन कोट्टेज में अपने ससुर से करवाते देखा था। 

शीला का चेहरा सफ़ेद पड़ गया। वो हकला कर बोली: आप आप मतलब याने कि ओह हे भगवान। 

मालिनी: हाँ और तभी से मैं सोच रही हूँ कि ये सही है या ग़लत? 

शीला रोने लगी। अब मालिनी ने उसको अपनी बाँहों में लेकर चुप कराया और बोली: अरे मैं तो बस वही बता रही हूँ जो मैंने देखा। अच्छा ये बताओ कि ससुर ज़बरदस्ती किए हैं क्या?

राजीव ने साँस रोकी कि देखो क्या जवाब देती है वो। 

शीला आँसू पोंछकर : नहीं बिलकुल नहीं। जो भी हुआ मेरी रज़ामंदी से ही हुआ। ससुर जी बड़े भले आदमी हैं। 

चाय बन चुकी थी सो मालिनी बोली: चलो बाहर बैठ कर पीते हैं। अब राजीव वहाँ से हटकर अपने कमरे में जाकर सुनने लगा। 

मालिनी: तो ये सब कैसे शुरू हुआ? 

शीला: असल में मैं बहुत उदास रहती थी।हमारी शादी को २ साल हो चुके थे। पति का ना ही साथ था और ना ही शारीरिक संतुष्टि। तब एक दिन पापा मेरी उदासी का कारण पूछे। मैं उनको बता दी कि उनका बेटा नकारा है। वो हतप्रभ रह गए। फिर धीरे धीरे वो मुझसे बातें करने लगे और मैं भी उनसे खुलने लगी। जल्दी ही हम अच्छे दोस्त बन गए। सास को भी मैंने इशारे में सब बता दिया क्योंकि वो मुझे बच्चे के लिए कहती रहती थी। एक दिन सास कीर्तन में गयी थी तब मेरे पति का फ़ोन आया। वो बोले कि मुझे तीन महीने और लगेंगे बाहर में। उनका फ़ोन रख कर मैं रोने लगी। तब पापा ने मुझे चुप कराया और तभी मैं उनके सीने में सर रखकर रोए जा रही थी।फिर सब कुछ अपने आप जैसे होता चला गया। और मैं उनके साथ बिस्तर पर थी और सब कुछ हो गया। बात ये थी किमैं तो प्यासी थी ही। ससुर भी प्यासे थे क्योंकि सासु माँ आजकल धर्म कर्म में बहुत विश्वास करती है। और कई कई दिन उनको छूने नहीं देती है। बस तब से हम छुप छुप कर मिलते रहते हैं। 

मालिनी: ओह कभी सास को पता चल गया तो? 

शीला: पापा बोलते हैं देखा जाएगा। वैसे पापा को शक है कि माँ को पता है या शक है हमारे रिश्ते का। 

अचानक पता नहीं मालिनी को क्या सूझा कि उसके मुँह से निकल गया: एक बात बताओ कि अपने ससुर के अलावा भी किसी से मज़ा ली हो? 

शीला: हाँ जब मायके जाती हूँ तो अपने रिश्ते के मामा से करवा लेती हूँ। क्या करूँ ऐसा निकम्मा पति मिला है। 

मालिनी: ओह । मेरे घर में भी एक प्यासा मर्द है, उसको दोगी? 

शीला चौक कर बोली: क्या? कौन है? 

मालिनी: मेरे ससुर जी। वो भी बहुत प्यासे हैं। करवाओगी उनसे ? सासु माँ के जाने के बाद वो बहुत बेचैन रहते हैं। 

राजीव चुपचाप उनकी बातें सुन रहा था। उसका लंड ठुमकने लगा। और उसे अपनी बहु पर बहुत प्यार आया।

शीला: मगर ये कैसे सम्भव है? मतलब तुम्हारे सामने? 

मालिनी: मैं पापा को बोलती हूँ । अगर वो चाहेंगे तो सब हो जाएगा। तुम अपना बोलो की तुम करवाओगी क्या? 

शीला हिचकते हुए : मैंने उनको आज तक देखा नहीं है। और आप बोलती हो कि मैं उनसे करवा लूँ। ये कैसे सम्भव है।

मालिनी: अरे तो मिल लो ना अभी। मैं उनको बुलाती हूँ। 

वो राजीव के कमरे में जाकर आवाज़ दी: पापा बाहर आयिए ज़रा। 

राजीव अपना लंड दबाकर बाहर आया और बोला: हाँ बहू बोलो क्या बात है? 

मालिनी: पापा आओ ना इनसे मिलो ये शीला हैं । और शीला ये मेर ससुर जी हैं । 

शीला ने उसे नमस्ते की। राजीव उससे बातें करने लगा। एक दूसरे के परिवार के बारे में बातें किए। 

अब मालिनी ने शीला को इशारे से पूछा कि पापा पसंद हैं ? 

शीला शर्मा कर हाँ में इशारा की। राजीव ने सब देखा पर ना देखने का अभिनय किया। 

अब मालिनी राजीव को बोली: पापा आपसे अकेले में बात करनी है। आओ ज़रा। 

वो दोनो उसके कमरे में गए। वहाँ मालिनी बोली: आपको शीला कैसी लगी? 

राजीव मन ही मन ख़ुश होकर: ठीक है, क्यों क्या हुआ? 

मालिनी : पापा मैं उसे आपसे चुदवाने के लिए तय्यार की हूँ। बोलो क्या कहते हो? 

राजीव ने ख़ुशी से उसको अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठ चूमकर बोला: बेटी दिल ख़ुश कर दिया तुमने । सच में तुम बहुत प्यारी और समझदार लड़की हो। चलो उसको बता दो किमैं उसे अभी चोदना चाहता हूँ। 

मालिनी हँसकर बाहर आयी और शीला को बोली: पापा बुला रहे हैं। 

शीला शर्मा कर : बड़ा अजीब लग रहा है । पहली बार मिली हूँ और इतनी जल्दी ये सब। मैं कभी सोच भी नहीं सकती कि कोई बहु अपने ससुर के लिए लड़की जुगाड़ेगी। तुम बहुत स्पेशल हो। 

मालिनी हँसकर: जाओ और मज़े लो। 

शीला राजीव के कमरे में गयी तो वह वहाँ टहल रहा था । शीला ने देख किउसकी पैंट में एक बड़ा सा उभार था। वो शीला को देखकर बोला: आओ शीला बैठो। 

शीला बिस्तर पर बैठ गयी और बोली: मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा है। 

राजीव उसके साथ सट कर बैठा और उसका हाथ अपने हाथ में लेकर बोला: मुझे मालिनी ने बताया कि तुम अपने ससुर से चुदवाती हो। तुम उनको क्या बुलाती हो? 

शीला: उनको पापा बुलाती हूँ। 

राजीव: और वो तुमको? 

शीला: बेटी बुलाते है। 

राजीव: चुदाई के दौरान भी ? 

शीला: जी उस समय भी। 

राजीव अब उसको अपनी गोद में खींच कर बिठाया और बोला: तो मैं भी तुमको बेटी ही बुलाऊँगा। ठीक है बेटी? 

शीला उसके सीने में मुँह छिपाकर: जी पापा । 

अब राजीव के होंठ उसकी होंठ की ओर और उसके हाथ उसके ब्लाउस की ओर बढ़े।
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