बहू नगीना और ससुर कमीना
06-10-2017, 10:22 AM,
RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
शाम को मालिनी तय्यार होकर बाज़ार जाने लगी तो राजीव बोला: बेटी मैं भी चलता हूँ ना तुम्हारे साथ? 

मालिनी: पापा यहीं पास में जाना है वहाँ कार की कोई ज़रूरत नहीं है। मैं एक घंटे में आती हूँ। 

राजीव : ठीक है बेटा जैसी तुम्हारी मर्ज़ी। 

मालिनी बाज़ार चली गयी। वो एक घण्टे के बाद आयी और समान सम्भालने लगी। फिर वो चाय बनाई और राजीव को आवाज़ दी। दोनों चाय पीने लगे। राजीव ने उसे छेड़ने की कोशिश की पर उसने कोई रेस्पॉन्स नहीं दिया। वो हैरान था कि आख़िर इसको क्या हो गया है? ये ऐसा क्यों बर्ताव कर रही है। शायद इसे शिवा और सरला की चुदाई का सुनकर लगता है बहुत धक्का लगा है। उसने मालिनी की जाँघ सहलाई पर उसने उसका हाथ हटा दिया।राजीव थोड़ा परेशान होकर वह वहाँ से उठकर अपने कमरे में चला गया। मालिनी उसे जाते देख कर मन ही मन मुस्करायी। 

उधर शिवा दुकान में व्यस्त हो गया। बाद में जब ख़ाली हुआ तो सोचने लगा की आज जब मालिनी को पता चल गया है कि वो सरला को चोदा है तो आज वो ना जाने कैसे रीऐक्ट करेगी। 

उधर शाम को सरला ने एक लिस्ट राकेश को थमा दी और पैसे भी दे दिए। राकेश ने देखा कि लिस्ट में राशन का सामान था और फूल भी थे और एक एक पोंड का केक और रूम स्प्रे भी था। 
सरला लिस्ट देकर बोली: सामान लाकर मुझे ही देना। बच्चों को मत दे देना। 

राकेश हाँ कहकर चला गया। सामान लाकर उसने अपनी माँ को दिया। वो उसे लेकर किचन में चली गयी। राकेश को लग रहा था पता नहीं कब रात होगी, और कब वो मम्मी के साथ सुहागरत मना पाएगा।

सरला ने भी सब सामान चेक किया और मुस्कुराकर फूलों को फ्रिज में रख दिया ताकि मुरझा ना जाएँ। उसने गुलाब की पंखड़िया मँगाई थीं । अचानक उसको अपने बुर में ज़ोर की खुजाल मची और वो बुर को खुजा कर सोची कि चल तेरी प्यास आज तेरे से बाहर निकला तेरा बेटा ही बुझाएगा। 

उधर रात आठ बजे शिवा दुकान से वापस आया और आकर मालिनी के साथ बेडरूम में जाकर कपड़े बदलने लगा। मालिनी: आप खाना खाओगे या पहले चाय बनाऊँ? 

शिवा: मैं नहा कर आता हूँ फिर खाना ही खाऊँगा। वह बाथरूम में घुस कर सोचा कि आज पहली बार दोनों ने एक दूसरे को प्यार नहीं किया। पता नहीं ऐसा क्यों हुआ? मालिनी ने भी अपनी ओर से कोई आतुरता नहीं दिखाई और ना ही मैंने- वो सोचा। फिर पता नहीं उसे क्या सूझा कि वो पूरा नंगा होकर चिल्लाया: मालिनी ज़रा एक मिनट के लिए आना तो। 

मालिनी बाथरूम के दरवाज़े के बाहर आकर बोली: क्या हुआ? 

शिवा ने दरवाज़ा खोला और वो पूरा नंगा था। उसका लण्ड साँप की तरह लटक रहा था। मालिनी उसके लण्ड को देखी और बोली: क्यों आवाज़ दी? 

शिवा ने मुस्कुराकर उसको बाथरूम में खींच लिया और शॉवर चालू कर दिया। अब मालिनी के कपड़े भी भीगने लगे। वो चिल्लाई: उफ़्फ़ क्या कर रहे हो? पूरा भिग़ा दिया। 

शिवा: अरे ये सज़ा है मुझे प्यार नहीं करने की। आह पहली बार तुमने मुझे किस्स नहीं किया दुकान से वापस आने पर।

मालिनी: आपने भी तो नहीं किया था। आप भी चाहते तो कर सकते थे। आपको क्या सज़ा दूँ? 

शिवा: तुम मेरे लण्ड को सज़ा दो। इसे ज़ोर से चूसो। 

अब मालिनी भी मस्ती में आकर: वाह ये कोई सज़ा थोड़े ना होगी। ये तो इसकी मज़ा हो जाएगी। वो उसके लण्ड को सहलाकर बोली। 

शिवा : अरे तो इसको मज़ा भी तुमको ही देना है ना? 

मालिनी ने आँखें मटका कर कहा: अच्छा सिर्फ़ मैंने ही देना है क्या? 

शिवा समझ गया कि उसका इशारा किधर को है पर वो अनजान बनकर बोला: हाँ ये बिचारा आपके भरोसे ही तो है। चलो ना कपड़े उतारो बहुत मन कर रहा है चुदाई का। 

मालिनी हँसकर: अब गीली हो गयी हूँ तो कपड़े तो उतारने ही पड़ेंगे । फिर आप भी अपना काम कर ही लो। यह कह कर वो अपनी साड़ी निकाली और फिर एक एक करके गीले कपड़े उतारे और फिर शिवा उसके नंगे बदन को अपने बदन से चिपका कर नहाने लगा। दोनों के हाथ एक दूसरे के जवान बदन पर चल रहे थे। शिवा का लण्ड अब पूरी तरह से तन गया था। मालिनी के भी निपल्ज़ पूरे खड़े थे और बुर भी बिलकुल पनिया गयी थी। पानी उसकी बड़ी चूचियों के ऊपर से गिर कर नीचे उसके पेट पर गिरता हुआ मस्त दिख रहा था। शिवा मन ही मन में उसकी चूचियों की तुलना आयशा और सरला से करने लगा। इसमे कोई शक नहीं था कि आयशा की ज़्यादा बड़ी और सेक्सी थीं । दूसरे नम्बर पर मालिनी की थोड़ी छोटी पर ठोस चूचियाँ थी। सरला की बहुत बड़ी और थोड़ी नरम हो चलीं थीं । अब वो नीचे देखा और पेट और जाँघें देखकर तुलना करने लगा। यहाँ मालिनी एक नम्बर पर थी। पेट और जाँघें भरी हुई गदराई हुईं थीं। आयशा की थोड़ी पतली थी। सरला की उम्र का असर उसके पेट और जाँघों पर आने लगा था। अब वो बुर की सोचा और अब फिर से मालिनी की ही सबसे टाइट थी उसके बाद आयशा और फिर सरला का नम्बर आता था। अब वो मालिनी के बदन को पोंछने लगा और जब उसको घुमाया और उसकी पीठ पोंछने लगा। तब उसने उसके चूतरों को देखा और अब सोचा कि ये तो मस्त गोल और उभरे हुएँ है। पर ये तीसरे नम्बर पर है। आयशा के इससे ज़्यादा भरे हुए चूतर दूसरे नम्बर पर होंगे। और सरला के बड़े बड़े उभरे हुए चूतर सबसे मस्त और पहले नम्बर पर हैं। वो सोचा कि वो क्या उलटा पुलटा सोच रहा है। फिर वो मालिनी को आगे की ओर झुकाया और पीछे से उसकी बुर में ऊँगली डाला और पाया कि वो गीली थी । अब उसने पीछे से उसकी बुर में अपना मोटा लौड़ा पेल दिया और उसकी चूचियाँ मसलकर उसको चोदने लगा। मालिनी भी आऽऽहह्ह करके चुदवाते हुए अपनी गाँड़ पीछे को दबाकर पूरा लण्ड निगलकर मज़े लेने लगी। वो सोच रही थी कि मम्मी को शिवा ने किस आसान में चोदा होगा। तभी शिवा ने उसकी चूचियों की घुंडियाँ मसली और वो बहुत मस्त होकर सोची कि मम्मी की तो बड़ी बड़ी छातियाँ हैं पता नहीं कितना मज़े से दबाया होगा शिवा ने। अचानक वो सोची कि उसको उत्तेजना क्यों हो रही है यह सोचकर कि शिवा ने मम्मी को कैसे चोदा होगा? उसे तो ग़ुस्सा आना चाहिए। पता नहीं ऐसा क्यों है? वो उलझ सी गयी। तभी शिवा ने अपनी एक ऊँगली उसकी क्लिट पर रखी और वो मस्ती से उइइइइइइ माँआऽऽऽऽ चिल्ला उठी। फिर थोड़ी देर की ज़बरदस्त चुदाई के बाद वो हाऽऽयययय कहकर झड़ने लगी। शिवा भी जल्दी जल्दी धक्के मारकर झड़ गया। 

थोड़ी देर बाद जब कपड़े पहन कर वो बाहर कमरे में आए तो शिवा बोला : जान मज़ा आ गया। मस्त चुदाई हुई आज तो। 

मालिनी मुस्कुराती हुई बोली: अच्छा ! आपको कब मज़ा नहीं आता इसमें ? 

दोनों हँसने लगे। 

खाने के बीच कुछ ख़ास नहीं हुआ। 

मालिनी जब राजीव के कमरे में दूध लेकर गयी तो शिवा अभी भी ड्रॉइंग रूम में टी वी देख रहा था ।राजीव ने मालिनी को उतावलेपन से पकड़कर कहा: बेटा मुझसे कुछ ग़लती हुई क्या जो आज तुम मुझे अवोयड कर रही हो? 

मालिनी: नहीं पापा ऐसा कुछ नहीं है। आप दूध पी लो। वो हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली। 

राजीव उसकी चूचि दबाकर बोला: बेटा मुझे तो ये वाला दूध पीना है। 

मालिनी हँसकर बोली: पापा ये भी पिला दूँगी। अभी छोड़िए। शिवा बाहर ही बैठा है। 

राजीव ने उसके होंठ चूमे और उसे छोड़ दिया। 

शिवा और मालिनी अपने कमरे में गए। थोड़ी देर बात करने के बाद दोनों सोने की कोशिश करने लगे। चुदाई तो हो चुकी थी और शायद अब दोनों में से कोई भी शायद दूसरा राउंड नहीं चाहता था। मालिनी कल के अपने प्लान का सोच रही थी। और शिवा आयशा से हुई चुदाई और उससे मिले मज़े का सोच रहा था। आयशा किस मज़े से बता रही थी कि वो अपने ससुर से बड़े प्यार से चुदवाती है। फिर वो सोचा कि क्या मालिनी भी पापा से चुदवाएगी और शिवा और सरला की चुदाई का बदला लेगी। ये सोचकर उसका लण्ड फिर से खड़ा होने लगा। इसी तरह के विचारों में उलझे दोनों नींद की आग़ोश में समा गए। 

राजीव भी मालिनी की हरकत और अजीब सा व्यवहार का सोचकर सो गया। 

पर कहीं कोई जाग रहा था वो था राकेश जो कि ११ बजने का इंतज़ार कर रहा था ।आज उसका सपना पूरा होने वाला था। आज उसकी मम्मी उसके साथ सुहागरात मनाने वाली थी। उसका लौड़ा पूरा टाइट था। वो उसे हल्के से सहला भी रहा था ।सरला भी पूरी तय्यारी से अपने बेटे को पूरा मज़ा देने का मन बना चुकी थी। वो जानती थी कि आज के बाद उसकी ज़िंदगी भी हमेशा के लिए बदलने वाली है। उसने अपने आप को देखा और सोची कि इतनी बूढ़ी भी नहीं हुई हूँ। वह आगे और पीछे से साड़ी में लिपटा अपना बदन देखकर ख़ुद ही अपने आप पर मुग्ध हो गयी। फिर उसने सब तय्यारियों का जायज़ा लिया। ठीक ११ बजे उसने राकेश को एक मिस्ड कॉल दिया ।राकेश तो इंतज़ार ही कर रहा था। वो झट से उठा और बाहर आकर शांत घर को देखा। सब सो रहे थे। वो सरला के कमरे में गया और धीरे से दरवाज़ा खोला। वहाँ घुप अँधेरा था। सरला की आवाज़ आयी: बेटा दरवाज़ा बंद कर ले।और बत्ती जला दे। 

राकेश ने अंधेरे में दरवाजा बंद किया और बत्ती जलायी। वह वहीं का वहीं खड़ा रह गया। कमरे में रूम फ़्रेशेनेर की ख़ुशबू फैली हुई थी। बिस्तर पर गुलाब की पंखुड़ियाँ बिखरी हुई थीं । बिस्तर के साइड टेबल पर दूध के दो गिलास रखे थे। केक भी रखा था। और उन सबके बीच में उसकी माँ दुल्हन के लाल लिबास में लिपटी बैठी थी ।उसने घूँघट से अपना मुँह छुपा रखा था। राकेश ने ऐसी सुहाग रात की कल्पना नहीं की थी। उसे समझ में आ गया कि मम्मी ने फ़िल्मी तरीक़ा अपनाया है। वो बहुत ख़ुश होकर बिस्तर पर बैठा और बोला: मम्मी थैंक यू । आपने तो समाँ ही बाँध दिया। उफफफफ क्या मस्त सजावट की है। 

सरला: मैं सोची कि तुझे शादी से पहले सुहागरात की ट्रेनिंग दे देती हूँ। 

राकेश: मम्मी आप भी ना। यहाँ आपके रहते शादी करना ही किसे है । मैं तो आपके साथ ही रहना चाहता हूँ। 

सरला: मैं तो आठ दस साल में बुढ़िया हो जाऊँगी और तू जवान का जवान ही रहेगा। इसलिए शादी तो मैं तेरी करूँगी ही। मुझे तू अपनी दूसरी बीवी की तरह रख लेना। 

राकेश: मम्मी ये सब छोड़ो और अपना घूँघट हटाओ। 

सरला: लो सुन लो इस अनाड़ी की बात। अपना घूँघट भी क्या मैं ख़ुद ही उठाऊँ? पागल कहीं का। वो तो तेरा काम है। और हाँ मुँह दिखाई में क्या देगा? 

राकेश मुँह लटका कर: मम्मी मैं क्या दे सकता हूँ? 

सरला हँसकर: वो टेबल पर रखा डिब्बा दे देना। 

राकेश ने देखा कि वो ज़ेवर का डिब्बा था। अब वो सरला के सामने आया और उसका घूँघट हटाया और अपनी माँ की सुंदरता को देखते ही रह गया। आज वो बहुत ही सजी हुई थी। आँखों में काजल और होंठों पर लाल लीपस्टिक क्या लग रही थी। लाल ज़रीदार साड़ी और वैसा ही ब्लाउस उसकी सुंदरता को मानो चार चाँद लगा रहे थे। अब उसने वो डिब्बा मम्मी को दिया और वो प्यार से बोली: तू ख़ुद ही पहना दे ना। 

राकेश ने डिब्बा खोला और उसमें एक सुंदर सा लॉकट था। वो उसकी चेन को खोल कर उसकी गरदन में डाला और ये करते हुए उसके हाथ उसकी छातियों को छू गए और उसका लौड़ा झटके मारने लगा। अब मालिनी ने उसे एक सिंदूर की डिब्ब्बी दी और बोली: चल मेरी माँग भर दे । अब मैं तुझे बता दूँ कि तू तीसरा मर्द है जो मेरी माँग भरेगा। पहला तेरा पापा उसके बाद तेरे ताऊ और अब तू मेरा बेटा। 

राकेश ने उसकी माँग भरी और उसका माथा चूम लिया। 

राकेश: मम्मी थैंक यू । आपने मुझे ये दर्जा दिया। मैं आपका पूरा ध्यान रखूँगा। इसी साल मेरी पढ़ाई पूरी हो जाएगी और जॉब लगते ही आप मेरे साथ रहना मेरी बीवी बनकर । 

सरला: हा हा वो सब बाद में देखेंगे। चल अब दूध पी ले इसमे मैंने बादाम और पिस्ता डाला है। अब सरला ने उसे भी दूध पिलाया और ख़ुद भी दूध पीकर बोली: वैसे आज तू भी बहुत प्यारा लग रहा है। 

राकेश झुककर सरला के होंठ पर अपने होंठ रखा और एक चुम्बन लिया। अब वो बोला: मम्मी आप आज सच में बहुत सुंदर लग रही हो।

सरला: आज मैंने एक पार्लर वाली को घर में बुलाया था । उसने मेरे चेहरे का मसाज़ किया है और मेरे चेहरे के बाल निकाले हैं। 

राकेश: मम्मी सिर्फ़ चेहरे के बाल? और बाक़ी जगह के बाल नहीं निकाले? 

सरला: चल बदमाश कही का। क्या बाक़ी के बाल मैं उससे निकलवाऊँगी? वो तो मैंने ख़ुद ही साफ़ किए है। 

राकेश: सच मम्मी आपने सब जगह के बाल साफ़ किए हैं? बताओ ना कहाँ कहाँ के किए हैं ? 

सरला बनकर: अभी तू देख ही लेगा की मैंने कहाँ कहाँ के साफ़ किए हैं । 

राकेश अब उसको अपनी गोद में खींच कर बोला: मम्मी मुझे कभी अकेला मत छोड़ना। 

सरला: नहीं रे तू अब हमेशा मेरे पास रहेगा। 

अब वो उसकी साड़ी का पल्लू गिराया और उसके ब्लाउस के ऊपर से उसकी छातियों को दबाकर बोला: मम्मी साड़ी उतार दूँ ? 

सरला: जैसी तेरी मर्ज़ी। 

राकेश अब उसकी साड़ी को उतारने की कोशिश किया। तब सरला ने उसे सिखाया कि साड़ी कैसी उतारी जाती है। अब सरला ब्लाउस और पेटिकोट में थी और बहुत मस्त लग रही थी। राकेश ने अब सरला के होंठ चूसते हुए उसकी छातियाँ दबानी शुरू की और वो भी उफफफफ करके उससे चिपक गयी। अब राकेश ने उसके ब्लाउस के हुक खोले और ब्लाउस को उतार दिया। वो भी बाहँ उठा कर उसकी मदद की। तभी वो देखा कि सरला का बग़ल उसकी आँख के सामने था। उसकी चिकनी बग़ल देख कर वो समझे गया किमम्मी ने यहाँ के बाल निकाले हैं। 

वो उसकी बग़ल सूँघा और फिर जीभ और होंठों से उसको चाटा और चूमा और बोला: आपने यहाँ के बाल साफ़ किए हैं। 

फिर उसने दूसरी बग़ल को भी चूमा और चाटा। ब्रा में क़ैद उसको बड़ी चूचियाँ अब उसकी आँखों के सामने थीं। वो उनको भी सहलाया और दबाया। अब वो उसके पेटिकोट के नाड़े को खोला और उठकर बैठा और सरला को लिटा दिया और पेटिकोट को निकालने लगा। सरला ने भी गाँड़ उठकर उसका साथ दिया। 

अब सरला ब्रा और पैंटी में बहुत मस्त माल लग रही थी। भरा हुआ गोरा बदन जैसे चुदाई के लिए चिल्ला रहा हो। राकेश बहुत उत्तेजित हो चुका था।

सरला: मुझे तो नंगा किए जा रहा है और ख़ुद पूरे कपड़े पहन कर बैठा है। 

राकेश: मम्मी, आप मेरे कपड़े खोल दो ना। 

सरला: सुहागरात में दुल्हन ऐसा नहीं करती। वो शर्माती जो है। 

राकेश अब अपना लोअर और टी शर्ट उतारा और अब वो सिर्फ़ चड्डी में था और उसका खड़ा लंड साफ़ दिखाई दे रहा था। सरला की बुर ने उसका आभास पाकर पानी छोड़ना शुरू कर दिया था। अब वो सरला के ऊपर आकर उसकी चूचियाँ दबाकर उसके होंठ चूसने लगा। सरला के हाथ उसकी पीठ पर घूम रहे थे। अब वो उसकी ब्रा खोलने की कोशिश किया पर उससे खुला नहीं। सरला हँसकर बोली : चल मैं सिखाती हूँ। फिर उसने उसे ब्रा का हुक खोलना सिखाया। अब उसकी बड़ी चूचियाँ राकेश के आँखों के सामने नंगी थी। वो उन पर झपट पड़ा और दबाकर चूसने लगा। सरला बोली: बेटा ये निपल्ज़ को ऊँगली और अंगूठे के बीच में पकड़कर मसलो। जब वो ऐसा ही किया तो वो सिसकारी मारकर बोली: उफ़्फ़्फ़।आऽऽऽह बड़ाआऽऽऽऽ अच्छा लग रहा है ।

अब वो उसकी पैंटी भी उतारा और सरला की बिना बालों की चिकनी बुर उसके सामने थी। उसने उसकी जाँघें फैलाया और वो मंत्र मुग्ध सा अपने जन्म स्थान को देखता रहा । उसकी बुर को बहुत देर देखने के बाद वो उसे सहलाया और फिर झुककर उसको चूमने लगा। सरला आऽऽऽह करके मज़े से भरने लगी। अब वो उठके अपनी चड्डी खोला और अपने मस्त लौड़े को बाहर निकाला और मालिनी को बोला/ आऽऽह मम्मी चूसो ना। 

सरला: नयी दुल्हन से पहली बार में इसे चूसने को नहीं कहना। समझे? और उसने चूसने से मना कर दिया। 

अब वो सोचा कि वो अपना लण्ड अंदर डाले। पर अनुभव नहीं था सो वह उसके ऊपर आया और उसकी सीधी रखी टाँगो के बीच अपना लंड अंदर डालने के लिए छेद के पास लगाकर दबाना शुरू किया। सरला हँसकर बोली: बुद्धू मेरी टाँगें तो मोड और बाहर की ओर झुका। 

अनाड़ी बलमा ने वैसे ही किया और अब स्वर्ग का द्वार खुला हुआ साफ़ दिखाई दिया। वो अब अपना लण्ड उसकी बुर के मुँह पर रख कर उसमें लंड दबाया और पूरी गीली बुर में वो सरसराता हुआ घुस गया। राकेश: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मम्मीइइइइइइइइ । कहकर उसके होंठ चूसने लगा और दोनों बड़ी चूचियाँ मसलने लगा। 

सरला: आऽऽऽह बेएएएएएटा उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मस्त लग रहा है। हाऽऽऽऽययय। 

अब वो ऊपर नीचे होकर चुदाई में लग गया। सरला भी अब नीचे से कमर उछालकर पूरा लंड निगलकर उसे मस्ती से भरने लगी। सरला: उन्न्न्न्न्न उन्न्न्न्न आऽऽहहब फ़ाआऽऽऽऽऽऽऽड़ दो बेएएएएएएएटा कहकर गाँड़ उछाल कर मज़े से चुदवा रही थी। उसने अपनी जीभ राकेश के मुँह में डाल दी जिसे वो मस्ती से चूसने लगा। क़रीब २० मिनट की चुदाई के बाद सरला आऽऽऽऽऽहहह मैं गयीइइइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी। 

अब राकेश भी आऽऽहहह कहकर झड़ गया। थोड़ी देर बाद दोनों अग़ल बग़ल में चिपक के लेटे हुए बातें करने लगे। 

सरला: तो सुहाग रात की ट्रेनिंग हो गयी तेरी? अब शादी के बाद अच्छी तरह से मज़ा ले लेना। 

राकेश ने उसके बड़े बड़े चूतरों को दबाकर कहा: मम्मी मैं तो शादी करूँगा ही नहीं। मैं तो बस आपका ही दीवाना हूँ। और आजमुझे सब कुछ मिल गया है आपसे। ये कहते हुए उसकी एक ऊँगली सरला के गाँड़ के छेद पर घूमने लगी। सरला: आऽऽऽहब सब कुछ मिल गया है तुझे? जहाँ तू ऊँगली डाल रहा है वो अभी कहाँ मिला है? 

राकेश: तो मम्मी दे दो ना वो भी। 

सरला हँसकर : आज ही सब कुछ ले लेगा क्या? वैसे वो ख़ुद भी गाँड़ मरवाना चाहती थी क्योंकि कई दिनों से वहाँ लण्ड नहीं ली थी। 

राकेश ने एक ऊँगली अंदर बाहर करते हुए कहा: मम्मी गाँड़ भी मरवा लो ना प्लीज़। 

सरला: आऽऽऽह ऊँगली बाहर निकाल । बिना तेल या क्रीम के जलन होती है। जा वहाँ क्रीम रखा है ला उसे और मेरी गाँड़ में लगा। पर पहले तेरा लंड चूसकर उसे खड़ा तो कर दूँ। 

अब वो अपने बेटे के लंड को चूसने लगी और राकेश तो जैसे सुख के सागर में डूब गया। उफफफफ क्या मस्ती से चूस रही थी वो। उसका लंड अब उसके गले के अंदर तक जा रहा था। राकेश बोला: मम्मीइइइइइइ रुकोओओओओओ । वरना मैं झड़ जाऊँगा। 

वो मुस्कुरा कर अपना मुँह हटाई और पेट के बल लेट गयी। उग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ गोरे गोरे मोटे चूतर क्या मस्त दिख रहे थे। वो इनका ही तो दीवाना था। उसने पूरी ताक़त से उनको आटे की तरह गूँथना चालू किया।फिर उसकी दरार ने हाथ फेर कर बोला: मम्मी आज आपकी बुर और गाँड़ में एक भी बाल नहीं है, लगता है आज सफ़ाई की है। 

सरला: हाँ सफ़ाई तो की है पर सामने की। मेरे पीछे बाल आते ही नहीं। 

राकेश उसकी गाँड़ के छेद को सहलाते हुए: तो मम्मी ये नैचरल चिकनी है। आह । फिर वो उसको सहलाते हुए नीचे झुककर चूमने लगा और वहाँ जीभ फिराने लगा। सरला अब सिसकारियाँ भरने लगी। फिर वो बोली: उफफफफ बेटा अब क्रीम लगा और मार ले मेरी गाँड़ । राकेश ने ऊँगली में क्रीम लगाई और उसकी छेद में डालकर अंदर बाहर किया। सरला: आऽऽऽह बेटा अब दो ऊँगली डाल क्रीम लगाकर। 

अब उसकी दो उँगलियाँ अंदर बाहर होने लगी। अब सरला बोली: आऽऽह चल अब अपने लण्ड में क्रीम लगा और डाल मेरी गाँड़ में। पर एकदम धीरे धीरे डालना। ये कहकर वो अपनी गाँड़ हवा में ऊँची कर दी और अपने आप को हाथों का सहारा लेकर घुटने मोड़कर मानो कुतिया ही बन गयी। राकेश की आँखें उसके पिछवाड़े पर जम सी गयी थी। उफफफ क्या मस्त माल है मम्मी वो सोचा। अब वो उसके पीछे आकर अपने हाथों से उसके चूतरों को फैलाया और अपने लंड को क्रीम मल कर उसकी गाँड़ के छेद में रख कर छेड़ने लगा। 

सरला ने अपनी गाँड़ के छेद बाहर की ओर दबाकर उसको बड़ा किया और बोली: आऽऽऽऽऽह बेटा अब और ना तड़पा । अब डाल भी दे।

राकेश ने मस्त होकर अपना लंड उसकी गाँड़ में दबाना शुरू किया और वो आऽऽऽहहहह करके अपनी गाँड़ को पीछे दबाकर धीरे धीरे पूरा लण्ड निगल ली। फिर वो कमर हिलाकर अपनी गाँड़ में लंड को अजस्ट करके मज़े से भर गयी। अब सरला बोली: बेटा आऽऽहहहह मज़ा आऽऽऽऽऽऽ रहा है। चल अब फाड़ मेरी गाँड़। हाय्य्य्य्य। फिर वो मस्ती से उसकी चुदाई में लग गया। सरला ने उसके हाथ पकड़कर अपनी चूचियों पर रख दिए और वो मस्ती से उनको दबाने और निपल्ज़ मसलने लगा। राकेश की जाँघें सरला के गुदाज चूतरों से टकराकर थप्प थप्प की आवाज़ पैदा कर रही थी। तभी सरला ने उसका एक हाथ छाती से हटाकर अपनी बुर पर रखा और वो तीन उँगलियाँ अंदर डालकर उसे हिलाने लगा। उसका अँगूठा उसकी क्लिट को रगड़ रहा था। अब सरला आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह फ़ाआऽऽऽऽऽऽऽड़ दोओओओओओओओ मेरीइइइइइइइ
गाऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽँड़ । वो अब झड़ने लगी और राकेश की उँगलियाँ उसके कामरस से पूरी गीली हो गयीं थीं। वो भी अब अपना वीर्य उसकी गाँड़ में छोड़ने लगा। फिर वो लस्त होककर उसके बग़ल में लेट गया। 

सफ़ाई करके दोनों बैठे और सरला और राकेश ने केक काटा और एक दूसरे को खिलाया। फिर वो लिपट कर सोने लगे तो राकेश बोला: मम्मी आज आपने मुझे अपने तीनों छेदों का मज़ा दे दिया। थैंक यू । 

सरला: बेटा अब मैं तेरी हो गयी हूँ। अब तू जब चाहे मज़ा ले लेना। बस कभी कभी तेरे ताऊ जी को चान्स दे देना। वो हफ़्ते में एक बार तो चुदाई करते हैं । पर वो पहले ही इशारा कर देते हैं। 

राकेश: मम्मी मैं रोज़ आपके साथ सो सकता हूँ क्या ?

सरला: हाँ बेटा क्यों नहीं। फिर वो दोनों एक दूसरे को चूमकर आपस में लिपट कर सो गए। 

सुबह अचानक सरला ने महसूस किया कि राकेश उसको सीधा लिटा रहा है। इसके पहले वो कुछ समझ पाती वो अपना लंड क्रीम लगाकर उसकी सुखी बुर में दाल दिया और उसकी चुदाई में लग गया। वो मुस्करायी: अरे मुझे जगा तो लेता । पागल कहीं का। आऽऽऽहहह चल अब अच्छी तरह से चोद। हाऽऽऽय्यय। 

अब वो दोनों ज़बरदस्त चुदाई में लग गए। 

उधर सुबह को मालिनी की आँख खुली और वो फ़्रेश होकर अपनी नायटी में अपना बदन देखी और मुस्कुराई कि आज का दिन उसके लिए विशेष होने वाला है। फिर उसने एक नज़र शिवा पर डाली जो कि बेसुध सो रहा था। वो सोची कि कितना भोला दिख रहा है। पर पता नहीं अपने मन में क्या क्या राज़ छिपाए हुए है? वो बाहर आकर किचन में चाय बनाने लगी। आज उसकी बाई नहीं आने वाली थी क्योंकि उसने उसे आने से मना कर दिया था ये कहकर कि वो बाहर जाने वाले हैं एक दिन के लिए। आज उसे पूरा एकांत जो चाहिए था। वो मुस्कुराई और अपनी बुर को खुजा कर हाथ धोयी और राजीव को आवाज़ दी।
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RE: बहू नगीना और ससुर कमीना - by sexstories - 06-10-2017, 10:22 AM

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