बहू नगीना और ससुर कमीना
06-10-2017, 10:23 AM,
RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
अगले दिन सरला सुबह नाश्ता बनाई और बच्चों को स्कूल भेजा और श्याम भी चला गया। अब राकेश ने सरला को देखा तो वो अभी पसीना पोंछ रही थी। उसे माँ पर बहुत प्यार आया। वो बोला: मम्मी लगता है आप थक गयी हो। आओ मैं हाथ पैर दबा देता हूँ। आपको अच्छा लगेगा। 

सरला अपना पसीना पोंछते हुए बोली: मुझे पता है तू क्या दबाएगा? बस मुझे कुछ देर आराम से बैठने दे , मैं ठीक हो जाऊँगी। 

राकेश: मम्मी आप भी कुछ भी बोलते हो। मैं हाथ और पैर दबाने का बोल रहा हूँ और आप पता नहीं और क्या दबाने की बात कर रहे हो। 

अब वो आकर सरला के पास सोफ़े पर बैठा और उसका हाथ अपने हाथ में लेकर दबाना शुरू किया। फिर वो दूसरा हाथ दबाया और सरला को लगा कि वो उसकी मालिश कर रहा है। वो मस्त होकर अपने हाथ दबवाने लगी। अब वो नीचे आकर फ़र्श पर बैठ गया। अब उसने सलवार के ऊपर से उसके पैर दबाने शुरू किए। उसने सरला की क़ुर्ती ऊपर कर दी और अब वो उसकी पूरी टाँग जाँघ तक दबाने लगा। उसका हाथ सरला को बड़ा आराम दे रहा था। वो बोली: इतनी अच्छी मालिश करना कहाँ से सीखा? 

राकेश:ताई जी से ही सीखा है। जब छोटा था तो वो और ताऊ जी मालिश करवाए थे मेरे से। 

सरला हँसकर: अच्छा मुझे तो याद नहीं। पर बड़ा अच्छा लग रहा है। 

राकेश ने उसकी जाँघों के जोड़ पर गीलापन देखा तो पूछा: मम्मी यहाँ बुर के सामने गीला क्यों है? 

सरला: अरे जाँघों के जोड़ में पसीना आता है ना। और मैं पैंटी तो पहनती नहीं, इसलिए पसीने से गीला हो जाता है। 

राकेश को पता नहीं क्या सूझा और वो उस जगह अपनी नाक घुसेड़कर सूँघने लगा और बोला: मम्मी उफफफ क्या मस्त गंध है। इसमे आपके पसीने, पेशाब और बुर के सेक्स की मिली जुली गन्ध है। उफ़्फ़्फ़क मैं तो मस्त हो गया। फिर वह उठा और उसकी बाँह उठाकर उसकी गीली बग़ल सूँघा और बोला: मम्मी आप बहुत ही मस्त और मादक गंध वाली औरत हो। मेरा तो खड़ा हो गया। 

सरला: मुझे पता था कि इस मालिश का अंत चुदाई में ही होगा । पर अभी मुझे नहाना है। और तुम भी अब कोलेज जाओ। समय हो रहा है। 

राकेश: मम्मी मुझे आपके साथ नहाना है। 

सरला: फिर कभी । चलो अभी जाओ। 

राजेश खड़ा होकर अपने लौड़े को दिखाकर बोला: मम्मी ऐसे जाऊँ कोलेज? 

सरला: आह अच्छा चल बैठ और निकाल इसे बाहर। अभी चूस देती हूँ। 

वो जल्दी से अपना लोअर और चड्डी नीचे किया और सोफ़े पर अपना लौड़ा निकाल कर बैठ गया। अब सरला नीचे फ़र्श पर बैठ कर उसका लौड़ा सहलाई और उसे चूसने लगी । वो उसके बॉल्ज़ को भी मस्ती से दबा रही थी । जल्दी ही राकेश बोलने लगा: आऽऽहहह मम्मी क्या चूसती हो। हाऽऽयय्य बहुत मज़ा आ रहा है। अब वो नीचे से अपनी कमर उठाकर उसके मुँह में लौड़ा अंदर बाहर करने लगा। अब सरला ने अपना हाथ जो उसके बॉल्ज़ पर था थोड़ा सा नीचे की ओर खिसकाया और अब उसकी उँगलियाँ उसके गाँड़ के छेद से खिलवाड़ करने लगीं और उसकी जीभ सुपाडे पर चल रही थी। अब राकेश के लिए अपना स्खलन रोकना असम्भव था।जल्दी ही वह आऽऽऽहहह कहकर झड़ने लगा और अपने लौड़े से वीर्य की पिचकारी छोड़ने लगा। सरला मज़े से उसका वीर्य पीते चली गयी। अब वो झड़ कर सोफ़े में पड़ा था। सरला ने उठकर उसे प्यार किया और फिर से कोलेज जाने को कहा। थोड़ी देर बाद वो चला गया। अब सरला नहाने गयी और नहाते हुए थोड़ी देर पहले मिले बेटे के लौड़े और उसके रस के मज़े को याद की। वो सोची कि वो सच में कितनी भाग्यशाली है जो उसका बेटा ही उसे इतना सुख दे रहा है। 

उधर सुबह मालिनी चाय बनाके राजीव को आवाज़ दी। वो मोर्निंग वॉक से आया था और बहुत ही स्मार्ट दिख रहा था। उसने आकर मालिनी को अपने आलिंगन में भरकर चूमा और बोला: सिर्फ़ चाय पिलाओगी क्या? फिर उसके दूध दबाकर बोला: मुझे तो दूध भी पीना है।

मालिनी हँसकर: वो तो आपको हमेशा ही पीना रहता है। चलो अभी चाय से काम चला लो और शिवा के जाने के बाद वो भी पी लेना। राजीव उसको और ज़ोर से चिपका कर उसके मस्त चूतरों को दबाया और बोला: चलो ठीक है अभी चाय से ही काम चलाता हूँ। पर इतना तो कर सकती हो कि एक चुम्मी दे दो। ये कहकर वो नीचे ज़मीन में बैठ गया। मालिनी: उफ़्फ़ पापा आप भी ना, बहुत तंग करते हो। ये कहकर उसने अपनी नायटी उठा दी और राजीव की आँखों के सामने मस्त गदराई हुई जाँघों के बीच फुली हुई चिकनी बुर 
थी। वो आगे को होकर उसकी बुर को सहलाया और फिर वहीं मुँह डालकर उसकी फाँकों को चूमने लगा। फिर वो उसे घूमने को बोला। पर मालिनी ने कहा: नहीं वहाँ नहीं। आप बीमार पड़ जाओगे। वहाँ सिर्फ़ नहाने के बाद ही चूमिये। अभी वो गंदी रहती है। 

राजीव: ठीक है मेरी जान जैसी तुम्हारी मर्ज़ी। 
अब दोनों चाय पी रहे थे तब राजीव बोला: जान रात को शिवा ने ली क्या? 

मालिनी: पापा वो क्या है ना कल आपसे करवाने के बाद मेरा भी मन नहीं था और पता नहीं शिवा का भी मन नहीं था। सो हम दोनों ही सो गए। 

राजीव: लगता है शिवा को भी कोई मिल गयी है ठुकाई के लिए। वरना तुम कहती थी ना शाम को वो बहुत गरम हो जाता है दुकान से आने के बाद। 

मालनी: पापा आप भी बस कुछ भी बोल देते हो। उसको कोई कहाँ से मिलेगी? फिर वो उठी और चाय लेकर शिवा को उठाने गयी। 

शिवा करवट से सो रहा था। वो उसे उठाई और बोली: लो चाय ले लो । वो उठकर बैठा और मालिनी को अपनी बाँहों में खींचकर उसके गाल चूमा। फिर बोला: रात को तुम चुपचाप कैसे सो गयी? 

मालिनी: आप भी तो सो गए थे। 

शिवा: चलो अभी रात की कमी पूरी कर लेते है । मैं अभी फ़्रेश होकर आता हूँ। 

मालिनी: अभी? दुकान नहीं जाना क्या? 

शिवा: अरे जान दुकान भी जाएँगे। पर तुम्हारी लेने के बाद। 

मालिनी समझ गयी कि ये अब बिना चोदे मानेगा नहीं तो वो भी मुस्कुराकर बोली: अच्छा आप फ़्रेश होकर आओ तब तक मैं भी नंगी होकर आपका इंतज़ार करती हूँ । कम से कम कपड़े उतारने का समय तो बचेगा। 

शिवा हँसते हुए बाथरूम में घुस गया। वो बाहर आया तो मालिनी पूरी नंगी लेटी हुई थी और उसकी जाँघें जुड़ी हुई थीं जिसके कारण बुर नज़र नहीं आ रही थी। अब वो उसके ऊपर आया और दोनों के होंठ और बदन चिपक गए। क़रीब १० मिनट चूमने के बाद वो उसकी चूचियों पर भी करींब १० मिनट लगाया। अब मालिनी पूरी तरह गरम हो गयी थी। 
वह अब उसके लौड़े को दबाकर बोली: आऽऽऽँहह डाऽऽऽऽऽऽऽऽल दोओओओओओ ना। 

शिवा नीचे को होकर उसकी बुर में दो ऊँगली डाला और उसे पूरी गीला पाकर उसके अपना सुपाड़ा उसके बुर के छेद में रखा और एक झटके में लण्ड पेल दिया। फिर जो उसने पलंगतोड़ चुदाई की तो मालिनी को भी मानना पड़ा की जवान मर्द की चुदाई में कुछ और ही बात है। हर धक्के के साथ वो और ज़ोर से नीचे से गाँड़ उछालकर चुदवा रही थी। उसके हाथ शिवा के चूतरों पर थे और वो उनको नीचे की ओर दबाकर चुदवा रही थी। क़रीब २० मिनट की घमासान चुदाई के बाद दोनों चिल्ला कर झड़ने लगे। शिवा अब उसके बग़ल में लेट कर बोला: उफफफ क्या मज़ा देती हो जान। मस्त बुर है तुम्हारी। वो उसकी चूचियाँ दबाकर बोला। 

मालिनी भी उसको चूमकर बोली: आप भी अब पक्के चुदक्कड हो गए हो। उफफफफ कितना मस्त चोदते हो। 

शिवा बड़े भोलेपन से : कभी कभी पापा पर तरस आता है कि वो अभी भी कितने हट्टे कट्टे हैं और दूसरी शादी का सोच रहे हैं । बेचारे बहुत प्यासे हो जाते होंगे बुर के लिए? 

मालिनी चौकी : ओह पता नहीं । मुझे तो ऐसा नहीं लगता। 

शिवा: अरे क्या नहीं लगता। वो तुमको भी तो घूरते रहते हैं । मैंने देखा है कि वो तुम्हारी चूचियों को घूरते रहते है। बचकर रहना उनसे। 

मालिनी: छि आप कुछ भी बोल रहे हो। वो आपके पापा हैं और मेरे ससुर। आप उनके बारे में ऐसा कैसा बोल सकते हो। 

शिवा: अरे वो पहले एक मर्द हैं और बाद में पापा या ससुर। तुम्हारे जैसी जवानी को देखकर तो भगवान भी डोल जाए वो तो आदमी हैं। 

मालिनी ने सोचा कि ये बात तो लम्बी ही खिंची जा रही है । वो बोली: चलिए अब नहा लीजिए वरना देर हो जाएगी। 

शिवा ने भी सोचा कि आज के लिए काफ़ी हो गया है। वो नहाने चला गया । मालिनी नाश्ता बनाते हुए सोच रही थी कि क्या शिवा को शक हो गया है, वो ऐसी बातें क्यों कर रहा था।फिर वो अपने काम में लग गयी। 

नाश्ता करते हुए शिवा बोला: मालिनी कल असलम का फ़ोन आया था। वो बोल रहा था कि आयशा तुमसे मिलना चाहती है। 

मालिनी ने बुरा सा मुँह बनाया: मुझसे क्यों मिलना चाहती है वो? 

शिवा: वो कोई घर से बिज़नेस करती है। anway वगेरह का। उसी सिलसिले में वो तुमसे मिलेगी। 

राजीव: ये आयशा कौन है? 

शिवा: पापा वो मेरे दोस्त असलम की बीवी है। अच्छा अब चलता हूँ। 

शिवा के जाने के बाद राजीव बोला: तुमने आयशा का नाम सुनकर बुरा सा मुँह क्यों बनाया? 

मालिनी: पापा वो अच्छे लोग नहीं हैं। शिवा बता रहे थे कि असलम इनको बताया है कि वो वाइफ़ स्वेपिंग़ यानी बिवीयों की अदला बदली में मज़ा लेता है। 

राजीव: ओह कमाल है। यानी एक दूसरे की बीवी को चोदेंगे।

मालिनी: जी यही बताया था शिवा ने। अब वो पता नहीं उसको अपने घर क्यों बुलाया है? 

राजीव: बेटा उसने नहीं बुलाया है। वो ख़ुद ही आ रही है। मिल लो ना। कौन तुमको उसके पति से चुदवाना है भला? 

मालिनी: मैंने तो कभी उनको देखा ही नहीं है पापा। 

राजीव: चलो जब आएगी तो देखा जाएगा। पर ये तो बताओ बेटा, आज बड़ी देर बाद शिवा को चाय देकर बाहर आयी। क्या कुछ बात हुई क्या? 

मालिनी: वो पापा उनका मूड बन गया था तो ज़बरदस्त चुदाई किए। 
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RE: बहू नगीना और ससुर कमीना - by sexstories - 06-10-2017, 10:23 AM

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